मानिए या नहीं मानिए “राजेश्वरी” भाग्यशाली है, तेजस्वी उप-मुख्यमंत्री फिर बने वियाह के ठीक आठ महीने बाद और चचिया ससुर मगध सम्राट

मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री एक साथ

पटना / नई दिल्ली : बिहार की चमत्कारिक राजनीतिक उठापटक में भले लोग बेवजह प्रशांत किशोर को तवज्जो दे रहे हों, उनकी राजनीतिक ‘विशेषज्ञता’ का विश्लेषण कर रहे हों, या फिर वे ‘स्वयंभू विशेषण’ करने पर आमादा हों, सच तो यह है कि आज ठीक आठ महीने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री-द्वय लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी के कनिष्ठ पुत्र तेजस्वी यादव की नव-विवाहिता पत्नी रशेल आइरिस का भाग्य यादव परिवार के लिए “सौभाग्यवती” हो गया। 

सुश्री रशेल आइरिस और तेजस्वी यादव का विवाह आज के ही दिन आठ माह पहले 10 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में हुई थी। सुश्री रशेल आइरिस का भाग्य आज इतना प्रखर हो गया कि अपने पति को प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री दोबारा बना दी और अपने चचिया ससुर श्री नीतीश कुमार को आठवीं बार मगध का सम्राट, यानि मुख्यमंत्री ऑफ़ बिहार – नितीश कुमार। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार – सबके हैं

कहते हैं कि बिहार की राजनीति को ‘समझने’ के लिए प्रशांत किशोर को अभी कई वर्ष लगेंगे, बशर्ते पूरा प्रदेश “लोभी” ना हो जाए। क्योंकि “लोभी गाँव में ठग भूखा नहीं मरता।” 

नीतीश (71) कल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था और सात दलों के महागठबंधन के विधायकों के समर्थन से नयी सरकार बनाने का दावा भी किया। आज प्रदेश के राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें गोपनीयता की शपथ दिलाई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। शपथ ग्रहण के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के पैर भी छुए।

उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव – आपका आभार

वैसे सुश्री रशेल आइरिस वर्तमान राजनीतिक बदलाव पर श्री नीतीश कुमार के साथ-साथ प्रदेश के लोगों को अन्तःमन से धन्यवाद दी हैं, लेकिन आतंरिक सूत्रों का मानना है कि सास श्रीमती राबड़ी देवी और ससुर श्री लालू प्रसाद यादव अपनी नई दुल्हन को बहुत आशीर्वाद भी दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि विगत कई वर्षों के बाद घर में हंसी-ख़ुशी वापस आयी है। यह भी कहा जा रहा है कि इस आगामी छठ पर्व में तेजस्वी यादव की पत्नी “राजेश्वरी” भी अपनी सास के साथ भगवान् सूर्य को अर्ध्य देंगी। ज्ञातव्य हो कि तेजस्वी यादव विवाह बंधन में बंधने के बाद पहली बार जब घर पहुंचे थे तो उनके पिता लालू प्रसाद यादव अपनी बहु को आशीष देते समय नया नाम भी दिया था –  राजेश्वरी। 

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आ घर लौट चलें – सब माफ़

बहरहाल, शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार 2024 के लिए विपक्ष से एकजुट रहने की अपील की और वे मीडिया से बात की। नाम लिए बिना उन्होंने भाजपा पर हमला बोला। नीतीश ने कहा, ‘2014 में आने वाले, 2024 में रहेंगे तब ना। हम रहें या न रहें, वे 2024 में नहीं रहेंगे। मैं विपक्ष को 2024 के लिए एकजुट होने की अपील करता हूं।’ प्रधानमंत्री पद के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं इस पद का उम्मीदवार नहीं हूं।

उधर, किशोर साहब अलगे कहते फिर रहे हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में असहज महसूस कर रहे थे और इसी वजह से उन्होंने दूसरे दलों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। हकीकत यह है कि सत्तर-वर्षीय खांटी बिहारी नेता, जो जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति रूपी राजनीतिक बीज से अंकुरित होकर प्रदेश का कमान आठवीं बार संभाले हैं; प्रशांत किशोर “पुनः चुंबकीय ध्रुव से चिपकना चाहते हैं, जबकि बख्तियारपुर वाले लगातार ‘विकर्षण’ वाली ऊँगली आगे किये हुए हैं। 

आइए नीतीश बाबू, आपका स्वागत है।

इतना ही नहीं, टीवी पर यब भी बोलते सुना जा रहा है कि “बिहार की राजनीति अभी बिहार में ही रहेगी। सन 2012-13 के बाद से यह छठा प्रयोग है। इन सभी समय नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने। हालांकि, बिहार की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। मैं उम्मीद करता हूं कि नयी सरकार कुछ अच्छा करेगी। यह देखना होगा कि नयी सरकार कुछ करती है या नहीं, क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (यूनाइटेड) का भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दों पर रुख एकदम अलग है।”

बड़ा नीमन ननकिरबा है हमरा छोटका

उधर, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि सांप्रदायिक तनाव भाजपा द्वारा फैलाया जा रहा था, वे क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।महागठबंधन इतना मजबूत है कि विधानसभा में विपक्ष में सिर्फ भाजपा बचेगी। नीतीश कुमार द्वारा लिया गया मुश्किल फैसला एक ऐसा फैसला है जिसकी जरूरत थी। बिहार ने वही किया जो देश को करने की जरूरत है। हमने उन्हें रास्ता दिखाया है। हमारी लड़ाई बेरोजगारी के खिलाफ रही है। हमारे मुख्यमंत्री ने गरीबों और युवाओं का दर्द महसूस किया। हम गरीबों और युवाओं को एक महीने के भीतर बंपर नौकरी देंगे, यह इतना भव्य होगा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। 

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बड़े दिनों के बाद याद आया नीतीश जी

बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने बुधवार को चुटकी लेते हुए कहा कि हमें लगता है कि राज्य में भाजपा का पतन महाराष्ट्र में उसकी राजनीति और दलबदल इंजीनियरिंग का जवाब है। भगवा खेमे पर निशाना साधते हुए भक्त चरण दास ने कहा कि भाजपा मुक्त बिहार एक नया संदेश है जो लोगों को भेजा गया है। दास ने कहा कि जब देश की प्रगति, देश की आजादी और इसकी पहचान की बात आती है तो कांग्रेस हमेशा एक मजबूत स्तंभ रही है। भगवा पार्टी सभी छोटी पार्टियों का सफाया करना चाहती है। दास ने दावा किया कि वह भारत में सिर्फ एक पार्टी (भाजपा), एक रंग… और एक धर्म की स्थापना करना चाहता है। यह पूछे जाने पर कि क्या नई महागठबंधन की बिहार सरकार का अध्यक्ष कांग्रेस से होगा, जिसके पास विधानसभा में 19 विधायक हैं, दास ने कहा कि जो होगा अच्छे के लिए होगा।

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