पटना : बिहारी बाबू नितीश कुमार अब “मुलायम” नहीं रहे। “माया” जाल में भी नहीं फँसे। लगता है हनुमान चालीसा के “बजरंग” वाण जैसा सांतवीं बार सरकार बनाने के साथ ही नितीश कुमार “कुमार” नहीं, बल्कि “वयस्क” हो गए – चाहे “मेवा” हों या “पकौड़ी” – सभी “छने जायेंगे” उनकी निगाहों में। ऐसा नहीं है कि 43 सीट जीतकर आने वाला “कमजोर” मुख्य मंत्री होंगे। खैर। बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने आज पदभार ग्रहण करने के तीन घंटे के अंदर ही पद से इस्तीफा दे दिया । क्यों दिया – यह तो जगविदित है।
मेवालाल पर भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर रहते हुए नियुक्ति में घोटाले का आरोप है । इसके साथ ही मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक पूर्व अधिकारी ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर मांग की थी कि श्री मेवालाल की पत्नी नीता चौधरी की आग से झुलस कर हुई मौत के मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जाए । इन दोनों मामलों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा था । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मामला सामने आने के बाद अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को जांच का आदेश दिया था।
जेडीयू कोटे से मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले मेवालाल चौधरी पर सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने के आरोप हैं. मेवालाल चौधरी सबौर (भागलपुर) स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के साल 2010-2015 तक वाइस चांसलर रहे । नियुक्ति की अनियमितता को लेकर उन पर सबौर थाने में एफ़आईआर दर्ज है और फ़िलहाल वो ज़मानत पर हैं ।
मेवालाल के इस्तीफे के बाद विपक्ष एक बार फिर नीतीश सरकार पर हमलावर हो गया है। मेवालाल चौधरी के इस्तीफे पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. तेजस्वी ने लिखा है कि सिर्फ एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. तेजस्वी यादव ने लिखा, ”मा. मुख्यमंत्री जी, जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें. महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. अभी तो 19 लाख नौकरी,संविदा और समान काम-समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकार के मुद्दों पर मिलेंगे. जय बिहार,जय हिन्द.’
चार साल पहले जनवरी 2016 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। मेवालाल भागलपुर के जिस कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति थे वहां 2012 में कृषि वैज्ञानिक, असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती होनी थी, 2012 में 281 पदों के लिए विज्ञापन निकला, परीक्षा के बाद 166 लोगों की नियुक्ति हुई थी. इसके बाद घोटाले के आरोप लगे और खुलासा हुआ कि जिसे कम नंबर मिले उसे पास कर दिया गया और जिसे ज्यादा नंबर मिले उसे फेल कर दिया गया ।वैसे मेवालाल चौधरी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। 2010 में जब उनको जब कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का कुलपति बनाया गया तो उनकी पत्नी नीता चौधरी जेडीयू से विधायक बनीं थीं. सुशील मोदी ने जब सदन में यह मुद्दा उठाया तो नीतीश कुमार को मेवालाल चौधरी को पार्टी से निष्कासित करना पड़ा था. हालांकि, जेडीयू ने 2015 में फिर उन्हें टिकट दिया । इस बार फिर से मुंगेर की तारापुर सीट से जीतकर वो विधायक बने हैं और अब शिक्षा मंत्री बना दिए गए । नई नीतीश सरकार में आज नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली है । इनमें से 7 नेता बीजेपी कोटे और 5 नेता जेडीयू कोटे से मंत्री बने हैं ।