नई दिल्ली : अन्य खाली लोक सभा और कुछ राज्यों की विधानसभा स्थानों में चुनाव के साथ दो महत्वपूर्ण राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड विधान सभाओं के लिए चुनावों की घोषणा आज हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह सातवां और आठवां विधान सभाओं के लिए चुनाव होने जा जा रहा है। दिल्ली तत्कालीन मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल चाहते थे कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभाओं के चुनाव के साथ ही दिल्ली विधान सभा के लिए चुनाव संपन्न कराया जाय, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी को तो राजनीति कहते हैं।
चुनाव आयोग महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की। महाराष्ट्र में एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा वहीं, झारखंड में दो चरणों में चुनाव होगा। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होगा और दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा। 23 नवंबर को मतगणना के बात नजीतों की घोषणा होगी। चुनाव के ऐलान के साथ ही दोनों राज्यों में नयी सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच मुकाबले का मंच तैयार हो चुका है। महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म होने जा रहा है जबकि झारखंड में विधानसभा का कार्यकाल अगले साल पांच जनवरी को समाप्त होने वाला है।
लोकसभा सीटों में केरल की वायनाड में 13 नवंबर और महाराष्ट्र के नांदेड़ में 20 नवंबर को मतदान होगा । वहीं, 47 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को और उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा। सभी के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। चुनावों की तिथि की घोषणा के साथ आज से वहां आचार संहिता लग गयी है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि झारखंड में मतदाताओं की कुल संख्या 2.6 करोड़ है। इनमें 1.29 करोड़ महिलाएं और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार मतदान के पात्र युवाओं की कुल संख्या 11.84 लाख है। कुमार ने कहा कि राज्य में कुल 29,562 मतदान केंद्रों की स्थापना की जाएगी, इनमें से 5042 मतदान शहरी इलाकों में जबकि 24,520 केंद्र ग्रामीण इलाकों में होंगे। राज्य में विधानसभा की 81 सीट हैं। इनमें 44 सामान्य, 28 अनुसूचित जनजाति और नौ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने राज्य की 81 में से 47 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। इसके बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।इस चुनाव में भाजपा 25 सीट पर सिमट गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे। पिछले पांच सालों में झारखंड में महाराष्ट्र की तरह कोई बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर तो नहीं हुआ लेकिन इस दौरान झामुमो में घटे कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में जनवरी 2024 में गिरफ़्तार कर लिया गया। सोरेन ने गिरफ्तारी से पूर्व मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और नए मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सिपहसालार चम्पई सोरेन की ताजपोशी हुई।
हालांकि, जून महीने में हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चम्पई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राज्य की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आई गई। इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद चम्पई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। झारखंड में भाजपा का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और जनता दल (यूनाईटेड) के साथ गठबंधन है। इस बार तीनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इस गठबंधन का मुकाबला झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन से होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया, ‘लोग पूछते हैं कि किसी देश में पेजर से ब्लॉस्ट कर देते हैं, तो EVM क्यों नहीं हैक हो सकती। पेजर कनेक्टेड होता है भाई, ईवीएम नहीं। 6 महीने पहले EVM की चेकिंग शुरू होती है। पोलिंग पर ले जाना, वोटिंग के बाद वापस लाना। हर एक स्टेज पर पॉलिटिकल पार्टी के एजेंट या कैंडिडेट मौजूद होते हैं। जिस दिन कमीशनिंग होती है, उस दिन बैट्री डाली जाती है।’
‘वोटिंग से 5-6 दिन पहले कमिशनिंग होती है। इस दिन सिंबल डाले जाते हैं और बैट्री डाली जाती है। बैट्री पर भी एजेंट के दस्तखत डाले जाते हैं। स्ट्रॉग रूम में जाती है, यहां भी 3 लेवल की चेकिंग होती है। जिस दिन पोलिंग के लिए निकलेंगी, तब भी यही प्रोसेस होगी। वीडियोग्राफी होगी। नंबर भी शेयर होंगे, ये मशीन यहां बूथ पर जाएगी। फिर चेकिंग होगी, वोट डालकर देखे जाएंगे। पूरे दिन वोटिंग हुई। फिर मशीन लॉक। फिर दस्तखत और हिसाब-किताब होता है। 20 शिकायतें आई हैं। हम हर सवाल का फैक्चुअल जवाब देंगे। जल्दी देंगे। अगला भी कुछ आएगा, रुकेगा नहीं।’
2019 का विधानसभा चुनाव शिवसेना और भाजपा ने मिलकर लड़ा था. राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 165 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. और उसे 105 सीटों पर जीत मिली थी, भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. शिवसेना ने 126 सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे 56 पर जीत मिली थी. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने 147 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. उसे 44 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि राकांपा को 121 में से 54 सीट पर जीत हासिल हुई थी. नतीजों के ऐलान के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को बहुमत मिला लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर दोनों दलों में बात नहीं बन सकी. जिसके चलते यह गठबंधन टूट गया. शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया. राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए की सरकार बनी.
तकरीबन ढाई साल तक यह सरकार चली और फिर शिवसेना के विधायक और राज्य सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के दर्जनों विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया. शिंदे ने असली शिवसेना होने का दावा करते हुए भाजपा के साथ सरकार बना ली और राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. इसी दौरान, राकांपा में भी विद्रोह की स्थिति बन रही थी. पिछले साल जुलाई में अजीत पवार के नेतृत्व में राकांपा एक धड़ा अलग हो गया. इसके अधिकांश विधायक शिवसेना और भाजपा के एकनाथ शिंदे गुट के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ सरकार में शामिल हो गए. इस सरकार में अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
उधर, झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन ने राज्य की 81 में से 47 सीट जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था. इसके बाद हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में भाजपा 25 सीट पर सिमट गई थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे. पिछले पांच सालों में झारखंड में महाराष्ट्र की तरह कोई बहुत बड़ा राजनीतिक उलटफेर तो नहीं हुआ लेकिन इस दौरान झामुमो में घटे कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया. मुख्यमंत्री सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में जनवरी 2024 में गिरफ़्तार कर लिया गया. सोरेन ने गिरफ्तारी से पूर्व मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और नए मुख्यमंत्री के रूप में झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सिपहसालार चम्पई सोरेन की ताजपोशी हुई.
हालांकि, जून महीने में हेमंत सोरेन के जमानत पर रिहा होने के बाद चम्पई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और एक बार फिर राज्य की कमान हेमंत सोरेन के हाथों में आई गई. इस घटनाक्रम के कुछ दिनों बाद चम्पई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. झारखंड में भाजपा का ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और जनता दल (यूनाईटेड) के साथ गठबंधन है. इस बार तीनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. इस गठबंधन का मुकाबला झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन से होगा.
राजनितिक विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र में महायुति यानी शिवसेना, भाजपा और NCP अजित पवार गुट की सरकार है। एंटी इनकम्बेंसी और 6 बड़ी पार्टियों के बीच बंटने वाले वोट को साधना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी। 2024 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में INDIA गठबंधन को 30 और NDA को 17 सीटें मिलीं।। इनमें BJP को 9, शिवसेना को 7 और NCP को सिर्फ 1 सीट मिली। भाजपा को 23 सीटों का नुकसान हुआ। 2019 लोकसभा चुनाव से NDA को 41 सीटें मिली थीं। 2014 में यह आंकड़ा 42 था। यानी आधे से भी कम। 2024 लोकसभा चुनाव के हिसाब से भाजपा 60 सीटों के आसपास सिमट जाएगी। विपक्षी गठबंधन के एक सर्वे में राज्य की 288 सीटों पर MVA यानी महाविकास अघाड़ी को 160 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। भाजपा के लिए मराठा आंदोलन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा शिवसेना और NCP में तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सिम्पैथी है।
2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन था। बीजेपी ने 105 सीटें और शिवसेना ने 56 सीटें जीती। गठबंधन से एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं थी। भाजपा-शिवसेना आसानी से सत्ता में आ जाती, पर मनमुटाव के कारण गठबंधन टूट। 23 नवंबर 2019 को फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ये सुबह-सुबह की शपथ थी। पर बहुमत परीक्षण से पहले 26 नवंबर 2019 को दोनों ने इस्तीफा दे दिया। 28 नवंबर 2019 को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी सत्ता में आई। इसके बाद शिवसेना और एनसीपी में बगावत हुई और 4 दल बने। लोकसभा चुनाव में शरद और उद्धव को बढ़त मिली। इन्हीं सब पृष्ठभूमि में विधानसभा चुनाव होगा।
झारखंड में महागठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाली सरकार है। इसमें कांग्रेस, राजद और वाम दल शामिल हैं। भाजपा को झारखंड में सरकार बनाने के लिए संथाल परगना और कोल्हान प्रमंडल की 32 सीटों पर फोकस करना होगा। संथाल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से सिर्फ तीन सीटें अभी भाजपा के पास हैं। पिछले चुनाव में कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया। जमशेदपुर पूर्वी से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी हार का सामना करना पड़ा। जनवरी में भ्रष्टाचार के मामले में CM पद से इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा। हालांकि जमानत मिलने के बाद वे बाहर आए और चंपाई सोरेन से 156 दिन में CM का पद वापस ले लिया। इसके बाद चंपाई भाजपा में शामिल हो गए। झारखंड आंदोलन में शिबू सोरेन के साथी रहे चंपाई को कोल्हान टाइगर भी कहा जाता है।