बनारस / दिल्ली : इधर आगामी 23 सितम्बर को बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस आ रहे हैं। अपने प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का आधारशिला रखेंगे जिसकी विषयगत वास्तुकला की प्रेरणा भगवान शिव से ली गयी है। उधर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नए संसद में कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता कोई अपवाद नहीं है, बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास का परिणाम है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 सितंबर, 2023 को दोपहर लगभग 1:30 बजे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की आधारशिला रखेंगे।इसके बाद अपराह्न लगभग 3:15 बजे, रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय कोऑपरेशन और कन्वेंशन सेंटर पहुंचेंगे और काशी संसद सांस्कृतिक महोत्सव 2023 के समापन समारोह में भाग लेंगे। कार्यक्रम के दौरान वह उत्तर प्रदेश में बने 16 अटल आवासीय विद्यालय का उद्घाटन भी करेंगे।
सूत्रों के अनुसार वाराणसी में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण आधुनिक विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचे को विकसित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा। वाराणसी के गांजरी, राजा तालाब में बनने वाला आधुनिक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। इस स्टेडियम की विषयगत वास्तुकला की प्रेरणा भगवान शिव से ली गई है, जिसमें अर्धचंद्राकार छत के कवर, त्रिशूल के आकार की फ्लड-लाइट, घाट की सीढ़ियों पर आधारित बैठने की व्यवस्था, बिल्विपत्र के आकार की धातु की चादरों के डिजाइन विकसित किए गए हैं। इस स्टेडियम की क्षमता 30 हजार दर्शकों की होगी।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से, उत्तर प्रदेश में लगभग 1115 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 16 अटल आवासीय विद्यालय, विशेष रूप से मजदूरों, निर्माण श्रमिकों और कोविड-19 महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए शुरू किए गए हैं। इन विद्यालयों का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और बच्चों के समग्र विकास में सहायता करना है। प्रत्येक स्कूल 10-15 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है जिसमें कक्षाएँ, खेल मैदान, मनोरंजक क्षेत्र, एक मिनी सभागार, छात्रावास परिसर, मेस और कर्मचारियों के लिए आवासीय फ्लैट हैं। इन आवासीय विद्यालयों में प्रत्येक में लगभग 1000 छात्रों को समायोजित किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि काशी की सांस्कृतिक जीवंतता को सशक्त करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण ने काशी संसद सांस्कृतिक महोत्सव की संकल्पना को जन्म दिया है। महोत्सव में 17 विधाओं में 37,000 से अधिक लोगों ने भागीदारी की, जिन्होंने गायन, वाद्ययंत्र वादन, नुक्कड़ नाटक, नृत्य आदि में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के दौरान मेधावी प्रतिभागियों को रुद्राक्ष इंटरनेशनल कॉपरेशन एवं कन्वेंशन सेंटर में अपने सांस्कृतिक कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होगा।
बहरहाल, आज नए नए लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की अन्य उपलब्धियों पर हो रही चर्चा के दौरान कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता कोई अपवाद नहीं है, बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास का परिणाम है। उन्होंने कहा कि देश में आकार ले रहे मजबूत वैज्ञानिक ईकोसिस्टम का प्रमाण बताया। “चंद्रयान-3 यह दर्शाता है कि हमारे स्कूलों और कॉलेजों में विज्ञान की शिक्षा बेहतर हो रही है और उद्योग भी गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन और आपूर्ति कर रहे हैं। इस बारे में पिछली सरकारों ने भी प्रयास किये थे। इसलिए, इस देश में वैज्ञानिक माहौल विकसित करने में योगदान करने वाला वाला हर व्यक्ति बधाई का पात्र है।’
रक्षा मंत्री ने चंद्रयान-3 को पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि ऐसे अनेक विकसित देश हैं जो अधिक संसाधन संपन्न होने के बावजूद चंद्रमा पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय इसरो के वैज्ञानिकों की बौद्धिक क्षमता और राष्ट्र के विकास में उनके समर्पण को दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपने अथक प्रयासों कारण आज विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक भारत ने 424 विदेशी उपग्रहों को लॉंच किया है जिसमें से 389 उपग्रह भारत द्वारा पिछले नौ वर्षों में लॉंच किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी उपग्रहों के सफलतापूर्वक लॉंच से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आज विश्व में तेजी से महत्वपूर्ण स्थान अर्जित कर रहा है।
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि जहां विज्ञान किसी राष्ट्र और समग्र मानवता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं संस्कृति भी उतना ही महत्व रखती है। उन्होंने दोनों पहलुओं को समान महत्व देने के लिए सरकार के संकल्प को दोहराया, विज्ञान मूल्य-तटस्थ है। यह हमें परमाणु ऊर्जा का ज्ञान प्रदान कर सकता है, लेकिन यह हमारी संस्कृति ही है जो हमें यह बताती है कि हम उस शक्ति का उपयोग ऊर्जा के रूप में अपने विकास के लिए करते हैं या हथियार के रूप में दूसरों को नष्ट करने के लिए करते हैं। विज्ञान चाहे कितनी भी प्रगति कर ले, लेकिन संस्कृति और मूल्यों के बिना वह अधूरा ही रहेगा। जैसा कि मार्टिन लूथर किंग ने कहा था: ‘विज्ञान मनुष्य को ज्ञान देता है, जो एक शक्ति है, धर्म मनुष्य को बुद्धि देता है और नियंत्रण प्रदान करता है। जो लोग यह कहते हैं कि हमें अपनी संस्कृति से छुटकारा पाना चाहिए और विज्ञान को अपनाना चाहिए, उन्हें यह समझना चाहिए कि संस्कृति और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं।
उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का श्रेय भारत की नारी शक्ति को दिया और राष्ट्र को एक नई पहचान प्रदान करने के लिए उनके समर्पण और बलिदान की सराहना की। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को इसरो की महिला वैज्ञानिकों के साथ-साथ संपूर्ण महिला वैज्ञानिक समुदाय के लिए कृतज्ञ राष्ट्र का उपहार बताया। उन्होंने इस धारणा का विरोध किया कि अंतरिक्ष में अर्जित उपलब्धियों का जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे अंतरिक्ष अभियानों का बहुआयामी उपयोग हो रहा है, जिसका लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।