काश !! प्रधानमंत्री को उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति से भी कोई रूबरू करता

उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति

नई दिल्ली: काश भारतीय जनता पार्टी के आला नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पास हमारी यह कहानी पहुंचा देते। इस कहानी के साथ अखबारवाला001 यूट्यूब का लिंक प्रेषित कर देते तो शायद महान विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की वास्तविक स्थिति से रूबरू हो जाते वे। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के कार्यालय और आवास से कुछ किलोमीटर दूर उत्तर दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में सम्मानित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा का जो हश्र है, दुखद है। ऐसा नहीं होना चाहिए था उस विचारक की प्रतिमा के साथ, लेकिन ऐसा है। 

कल की ही तो बात है जब प्रधानमंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रचार अभियान विकास, गरीब कल्याण के लिए किये गए कार्यों और दुनियाभर में बढ़े देश के कद के इर्द गिर्द केंद्रित करने का आह्वान किया और कहा कि 370 सीट पर कमल खिलाकर पार्टी इस जीत को अपने विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को समर्पित करेगी।

प्रधानमंत्री जैसे ही महान विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लिया और कहा कि यह विजय उनके प्रति समर्पण होगा, अखबारवाला001 दिल्ली के उत्तरी इलाके में स्थित मुखर्जी नगर चला गया जहाँ सम्मानित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद मूर्ति को देखने वाला कोई नहीं हैं। इस प्रतिमा का अनावरण हाल ही में ‘भारत रत्न’ से अलंकृत होने वाले भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और पूर्व गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी जी 1 फरवरी, 2012 को किये थे। आज इस आदम कद प्रतिमा और उनकी बुनियाद को देखकर लोगों की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।

उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति

उत्तरी दिल्ली के बत्रा सिनेमा परिसर के स्थित यह आदमकद मूर्ति भारत के हज़ारों अभ्यर्थियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, राजस्व सेवा में कुर्सियों पर बैठते देखी है, अव्वल आते देखी है। सम्मानित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से बसा मुखर्जी नगर इलाके में आज भले लाखों लोग रहते हैं, वे किसी भी राजनीतिक पार्टी से सम्बन्ध रखते हों – उनकी आदमकद प्रतिमा को देखकर नहीं लगता है कि लोगों का, यहाँ तक की भाजपा के कार्यकर्ताओं का श्यामा प्रसाद मुखर्जी से कुछ लेना देना हैं। 

@अख़बारवाला (111) अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कौन पूछता है?​ 😢

दिल्ली के आईटीओ चौराहे पर स्थित गगनचुंबी इमारत में भले ‘आम आदमी पार्टी’ के नेता बैठते हों, हकीकत तो यह है कि ऐतिहासिक रायसीना हिल पर भारतीय जनता पार्टी के आला नेता, यहाँ तक की प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री बैठे हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की बुनियाद को देखकर नेताओं, विचारकों की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है आर्टिकिल 370 तो निरस्त हो गया लेकिन श्यामा बाबू की आदमकद प्रतिमा की नींव की दशा को देखकर मन व्यथित हो जाता है।

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उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति

मुखर्जी नगर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा के नीचे आज जो स्थिति है, वह दयनीय है। ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए थी। ऐसा व्यवहार उस स्थान के साथ नहीं होना चाहिए थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा के, स्थान को वह सम्मान नहीं मिला, जिसका वे हकदार थे, हकदार हैं और हकदार  रहेंगे।

अगर आधुनिक भारत के महान दार्शनिक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जो भारतीय राजनीति में एक अलग विचारधारा के लिए जाने जाते थे/हैं; यह जानते कि उनकी मृत्यु के 70 साल बाद भारत की राजधानी, और उसमें भी उस मोहल्ले में, जहाँ मोहल्ला का नाम उनके नाम से जाना जाता है, उनकी आदमकद प्रतिमा की नींव इतनी खोखली होगी, शायद अपना विचार कुछ अलग रखते।

जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान बनाने के विरुद्ध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी आवाज उठाई थी। वे जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान बनाने के पक्ष में नहीं थे। जिस समय यह विरोध हो रहा था, श्यामा बाबू जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया था। श्यामा बाबू ने अपने जीवन की अंतिम सांसे जम्मू- कश्मीर राज्य में सन् 1953 में ली। जिस वक्त इनका निधन हुआ, उस वक्त ये इस राज्य में आर्टिकिल 370 का विरोध कर रहे थे और इनको उसी समय हिरासत में ले लिया गया था।

उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति

आर्टिकिल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर में सरकार की अनुमति के बिना नहीं जाया जा सकता था और इस चीज का विरोध करने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 11 मई, 1953 में इस राज्य में बिना सरकार की अनुमति के प्रवेश ले लिया था। उन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था। इसी दौरान श्यामा बाबू की तबीयत खराब हो गई। उन्हें अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया था, जहां पर इनको हाई अर्टक होने की बात कही गई थी और एक दिन बाद ही इनकी मौत भी हो गई।

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कहते हैं सन् 1929 में इनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ था और इन्होंने इस साल बंगाल विधान परिषद में कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की ओर से किया था। हालांकि एक साल बाद ही इन्होंने इस परिषद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया था। सन् 1939 में ये हिंदू महासभा से जुड़ गए और इसी साल इन्हें इस महासभा का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया।

स्वतंत्र भारत में श्यामा बाबू अंतरिम केंद्र सरकार में उद्योग और आपूर्ति मंत्री बने लेकिन सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णय के विरोध में इन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। बाद में कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े श्री गोलवलकरजी के परामर्श करने के बाद 21 अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ (बीजेएस) पार्टी का गठन किया। वे जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष भी बने और इनके नेतृत्व में 1952 में लोकसभा चुनाव में हिस्सा भी लिया जिसमें पार्टी को तीन स्थान मिले थे।

उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आदमकद प्रतिमा की दर्दनाक स्थिति

बहरहाल, कल भारत मंडपम में राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले हुई भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री यह भी कहा कि विपक्ष इस चुनाव में ‘अनावश्यक और भावनात्मक’ मुद्दों को उठाएगा, लेकिन पार्टी को अपने मुद्दों पर ही अडिग रहना है और तैयारियों में जी-जान से जुट जाना है। प्रत्येक पार्टी कार्यकर्ता को अगले 100 दिनों तक मतदान केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और 2019 की तुलना में प्रत्येक मतदान केंद्र पर पार्टी के लिए कम से कम 370 अधिक वोट सुनिश्चित करने चाहिए। अगले सौ दिनों में लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने की संभावना है। 

भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में 370 सीट जीतनी हैं। पार्टी के लिए 370 केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि एक भावना है। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता एवं अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने को लेकर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। भाजपा 370 सीटों पर कमल खिलाकर इसे डॉ मुखर्जी को समर्पित करेगी।” 

प्रधानमंत्री ने बैठक में भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवारों को लेकर कहा कि सभी 543 सीट पर भाजपा का चुनाव चिह्न ‘कमल’ का फूल होगा। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री ने आगामी चुनाव में हर बूथ पर पिछले चुनाव के मुकाबले 370 अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य कार्यकर्ताओं के लिए निर्धारित किया है। इसके अलावा पहली बार मतदान के पात्र युवाओं को पार्टी के कार्यकर्ता 2014 से पहले के भारत और 2014 के बाद के भारत का फर्क बताएं। 

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प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

प्रधानमंत्री के अनुसार, “विपक्ष अगले चुनाव में ‘तू-तू, मैं-मैं’ की राजनीति करेगा और भावनात्मक मुद्दे उठाएगा, लेकिन भाजपा का चुनाव अभियान विकास, गरीब कल्याण के लिए किये गए कार्य और देश को दुनिया में गौरवान्वित करने पर आधारित होगा।’’ वे कार्यकर्ताओं को आह्वान किये कि अगले 100 दिनों में भाजपा का हर कार्यकर्ता बूथ स्तर पर मतदाताओं और आम व्यक्ति तक भाजपा की विकास और जनकल्याण की उपलब्धियों को पहुंचाएगा। 

पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले 23 वर्षों से जनता की समस्याओं के निवारण के लिए पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और विगत 10 वर्षों से देश के प्रधानमंत्री के रूप अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण समर्पित करके सेवा भाव से काम कर रहे हैं। नड्डा के अनुसार, “उनका जीवन आरोप मुक्त और विकासोन्मुखी रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की विवाद मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त और विकासशील नीतियों पर आज पूरा देश गौरवान्वित है।” इतना ही नहीं, 25 फरवरी से 5 मार्च तक भाजपा के कार्यकर्ता देशभर में लाभार्थी संपर्क अभियान चलाएंगे। पार्टी कार्यकर्ता ‘गांव चलो अभियान’ के तहत लगभग सभी मतदान केंद्रों तक पहुंचे हैं और लोकसभा प्रवास योजना के तहत 161 सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों के 430 प्रवास हुए हैं। 

नड्डा ने विश्वास जताया कि लगातार डेढ़ साल तक चली इस लोकसभा प्रवास योजना के परिणामस्वरूप भाजपा इन 161 सीटों में से अधिकांश सीटें जीतने में कामयाब रहेगी। पार्टी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक नड्डा ने कहा कि आने वाले दिनों में पार्टी के कार्यकर्ता महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों और गैर सरकारी संगठनों के लिए भी एक बड़े स्तर पर अभियान चलाएंगे और इस अभियान के अंतर्गत समाज के बड़े तबके तक मोदी सरकार के विकास और गरीब कल्याण की उपलब्धियों की जानकारी पहुंचाई जाएगी।

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