
नई दिल्ली : उस दिन बठिंडा एयरपोर्ट लौटते समय तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के अफसरानों को कहा था कि वे अपने मुख्यमंत्री (चरणजीत सिंह चन्नी) को थैंक्यू कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया। जिस समय प्रधानमंत्री का काफिला उपरगामी पथ पर फंसा था उस वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री ने फोन नहीं उठाया था।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनवरी में पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक मामले की जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने पाया है कि फिरोज़पुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) पर्याप्त बल उपलब्ध होने के बावजूद अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में नाकाम रहे। न्यायालय ने कहा कि वह शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को उचित कार्रवाई के लिए केंद्र के पास भेजेगा।
पांच जनवरी को फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों की नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर फंस गया था जिसके बाद वह एक रैली समेत किसी भी कार्यक्रम में शिरकत किए बिना ही लौट आए थे।
प्रधानमंत्री उस सुबह पंजाब में बठिंडा पहुंचे, जहां से वह हेलीकॉप्टर से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाने वाले थे। बारिश और खराब दृश्यता के कारण वे करीब 20 मिनट तक मौसम साफ होने का इंतजार किया। मौसम में सुधार नहीं हुआ तो निर्णय लिया गया कि पीएम सड़क मार्ग से जाएंगे, जिसमें दो घंटे से अधिक समय लगता। हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर, जब प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर पहुंचा, तो यह पाया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सड़क को जाम कर दिया है। प्रधानमंत्री 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहे। इस सुरक्षा चूक के बाद, बठिंडा एयरपोर्ट पर वापस लौटने का निर्णय लिया गया।

उस दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा था कि “पंजाब की सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करने वाले सभी लोगों को टीस देने वाला है।” इसी तरह केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कही थी कि “पीएम की सुरक्षा में चूक पर कांग्रेस जोश का जश्न मना रही है। उनके बयान आ रहे हैं कि हाउज द जोश मोदीजी।”
बहरहाल, प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने समिति की रिपोर्ट को पढ़ते हुए कहा, “ फिरोजपुर के एसएसपी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे। पर्याप्त बल उपलब्ध होने के बावजूद और प्रधानमंत्री के मार्ग पर प्रवेश की सूचना दो घंटे पहले देने के बावजूद वह ऐसा करने में विफल रहे।” इस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमन की बेंच ने 12 जनवरी 2022 को पूर्व न्यायाधीश जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक जांच समिति नियुक्त की थी। यह समिति 5 जनवरी 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच कर रही थी। 5 जनवरी 2022 को फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा नाकेबंदी के कारण पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर फंस गया था। जस्टिस इंदु मल्होत्रा कमेटी ने पंजाब के कुछ नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए दोषी ठहराते हुए रिपोर्ट दायर की है, जिसके कारण उनका काफिला 5 जनवरी को फिरोजपुर-मोगा रोड पर एक फ्लाईओवर पर फंस गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को प्रधानमंत्री के दौरे के लिए पंजाब सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजामों से संबंधित सभी जब्त दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली तत्कालीन पंजाब सरकार ने जांच करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मेहताब सिंह गिल और प्रधान सचिव, गृह मामलों और न्याय अनुराग वर्मा की एक समिति गठित की थी।