दरभंगा / नई दिल्ली : दरभंगा के “दिल्ली मोड़” पर चर्चाएं आम हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो सोहन इलाके में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना हेतु “भूमि पूजन” किये ही नहीं, फिर स्थानीय समाचार पत्र, पत्रिकाओं से लेकर प्रादेशिक और राष्ट्रीय टीवी पर यह कैसे कहा गया, दिखाया गया कि प्रधानमंत्री दरभंगा एम्स स्थापना के लिए भूमि पूजन किये?
अगर तस्वीर झूठ नहीं बोलती तो 13 नवम्बर को दरभंगा के सोहन इलाके में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दरभंगा के निदेशक डॉ. माधवानंद कार के अलावे दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर, भाजपा नेता संजय सराब जी, मंगल पांडेय भूमि पूजन में उपस्थित ही नहीं, बल्कि ‘भूमि’, ‘जल’, ‘अग्नि’ और ‘आकाश’ को साक्षी मानकर ‘पूजन’ और एक-एक ईंट रखने का इतिहास भी अंकित किये । भूमि पूजन करने हेतु दरभंगा के नेताओं सहित स्थानीय प्रशासन के लोगों ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ज्योतिषी श्री रामचंद्र झा को लाये थे।
भूमि पूजन के आधे घंटे बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और उसके आधे घंटे बाद प्रधान मंत्री का आना था। भूमि पूजन से कुछ दूर हटकर प्रधानमंत्री को सम्बोधन करना था, किये, जहाँ उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि “हमारी सरकार देश की सेवा के लिए, लोगों के कल्याण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रही है। सेवा की इसी भावना से यहां विकास से जुड़े 12,000 करोड़ रुपए के एक ही कार्यक्रम में 12,000 करोड़ रुपए का अलग-अलग प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इसमें रोड, रेल और गैस इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स हैं। और सबसे बड़ी बात दरभंगा में एम्स का सपना साकार होने की तरफ एक बड़ा कदम उठाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा भी कि “दरभंगा एम्स के निर्माण से बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा। इससे मिथिला, कोसी और तिरहुत क्षेत्र के अलावा पश्चिम बंगाल और आसपास के कई क्षेत्र के लोगों के लिए सुविधा होगी। नेपाल से आने वाले मरीज भी इस एम्स अस्पताल में इलाज करा सकेंगे। एम्स से यहां रोजगार-स्वरोजगार के अनेक नए अवसर बनेंगे। मैं दरभंगा को, मिथिला को, पूरे बिहार को इन विकास कार्यों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।” बिलकुल सत्य है।
मंच पर उपस्थित बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र अर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनके सहयोगीगण, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और श्री सम्राट चौधरी, दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर, अन्य सभी सांसदगण, विधायकगण, अन्य महानुभाव, मिथिला के प्यारे भाइयों और बहनों को प्रणाम भी किया। यह समस्त बातें भूमि पूजन के बाद की है। फिर आधिकारिक रूप से यह कैसे कहा गया कि “स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को इस क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने दरभंगा में 1,260 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले एम्स की आधारशिला रखी है।”
जबकि प्रधानमंत्री आधारशिला रखे ही नहीं। अब अगर श्री गोपाल जी ठाकुर, मंगल पाण्डे, एम्स के निदेशक डॉ. कार और संजय सरबजी एम्स की स्थापना हेतु संकल्प लेकर, शताब्दी से खाली पड़े उस भूमि को स्पर्श कर, अग्नि, वायु, आकाश को साक्षी मानकर पूजन करने के बाद अपने हिस्से का ‘कर्म’ प्रधानमंत्री के नाम लिख दिए, तो इसे ही राजनीति कहते हैं। वैसी स्थिति में भूमि पूजन के बाद अगर ज्योतिष श्री रामचंद्र झा एक सामान्य ब्राह्मण की तरह अपने सम्मान को बचाते भूमि पूजन वाले स्थान से चुपचाप निकल गए – यह भी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सबक देता है । लोग माने अथवा नहीं “यह एक प्रकार का तिरस्कार था। जिस सम्मान के साथ एम्स की स्थापना हेतु उन्हें ले जाया गया था, प्रशासन और नेताओं का अहंकारी चरित्र उसे पांव-पैदल चुपचाप निकलने पर मजबूर कर दिया। यह कुछ अच्छा नहीं हुआ, जहाँ तक ज्योतिष विद्या का सवाल है।
दरभंगा के संतानहीन महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह 1 अक्टूबर, 1962 को अंतिम साँस लिए। अपनी मृत्यु के कुछ दिन पूर्व अपने हृदय के टुकड़े स्वरूप भवन को प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के विकास हेतु दान कर दिये थे। जनवरी के 26 तारीख और वर्ष 1961 को कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी । हाथ में एक झोला, धोती-कुर्ता पहने यह टीक धारी महज़ एक ब्राह्मण नहीं, अपितु कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं और ज्योतिषी की दुनिया में, भविष्य को देखने में अपना हस्ताक्षर रखता है । राजनीति और राजनेताओं की मानसिकता में पतन इस बात का गवाह है कि हम अपनी राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति में शिक्षा की गरिमा को पीछे धकेल देते हैं। दरभंगा के इस वीरान सड़क पर उठने वाला इस महामानव का प्रत्येक पग प्रदेश की राजनीतिक भविष्य को लिख रहा है।
महाराज डॉ. कामेश्वर सिंह की दानवीरता की चर्चा देश के प्रधानमंत्री कल भले किये हों (उनका जिक्र करना स्वाभाविक भी है, जिक्र के बिना अधूरा होगा), लेकिन दरभंगा के रामबाग पैलेस के मुख्य द्वार पर दरभंगा राज के पूर्व के 20 राजा-महाराजाओं सहित डॉ. कामेश्वर सिंह की आत्मा बिलखती अवश्य होगी। सोचती अवश्य होगी कि जिस द्वारा पर मिथिला के विद्वानों के पाग और सम्मान के रक्षार्थ शास्त्रार्थ होता था, विद्वानों और ब्राह्मणों को उनकी शिक्षा के कारण दरभंगा राज का भी मस्तिष्क हमेशा ऊपर रहता था, कल उनके द्वारा ही दान किया गया भवन जिसमें संस्कृत विश्वविद्यालय है, के कुलपति का इस तरह अपमान होना – मानवीयता ही नहीं, बल्कि राजनीति और राजनेताओं की मानसिकता का पतन माना जाय। ज्योतिषी जी का प्रत्येक पग से दरभंगा एम्स परिसर की ओर जाने वाली मिट्टी भी बिलखती होगी – मिथिला में शिक्षा और शिक्षितों का कोई मोल नहीं रहा।
वैसे आर्यावर्तइण्डियननेशन(डॉट)कॉम से बात करते पूर्व कुलपति और ज्योतिषी श्री रामचंद्र झा कहते हैं: “दरभंगा में एम्स आना, इसका भूमि पूजन करवाने में हिस्सेदार होना मेरे लिए फक्र की बात है। मुझे इस कार्य के लिए कहा गया था। भूमि पूजन के आधा घंटा बाद माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को आना था और उसके आधे घंटे बाद सम्मानित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को आना था। भूमि पूजन के बाद स्वाभाविक है की प्रदेश और देश के दो बड़े नेताओं का दरभंगा में आना अपने आप में एकमहोत्सव जैसा था।”
झा साहब आगे कहते हैं: “आज से करीब 115 वर्ष पहले सं 1910 में बलभद्रपुर में अखिल भारतीय मैथिली महासभा के लिए सात कठ्ठा जमीन महाराजा ने दिया था। उस महासभा के कार्यकारिणी सभा के अध्यक्ष हैं श्री संजय झा और मैं महासचिव हूँ। संयोग से उस भूमि पर सबों के सहयोग से एक घर बनाया गया है जो समाज के लिए बहुत उपयोगी है। बड़ा-बड़ा कमरा, हॉल और अन्य सुख-सुविधा उपलब्ध है ताकि किसी भी अवसर पर समाज के लोगों को लाभ मिल सके। उस भवन का गृह प्रवेश एक बजे अपरान्ह में निश्चित था। मैं कह दिया था कि मैं ऐम्स के लिए भूमि पूजन कराने के बाद अपने समय पर यहाँ उपस्थित हो जाऊंगा। तथापि यदि एक बजे तक नहीं आ पाया तो 1.30 बजे तक आप सभी प्रवेश अवश्य ले लेंगे।”
झा साहब फिर कहते हैं: “जहाँ एम्स के लिए भूमि पूजन हुआ है, वहां आवागमन का कोई साधन नहीं है अभी। चारो तरफ खेत-चर है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के आगमन के कारण सुरक्षा व्यवस्था बहुत मजबूत था। मैं भूमि पूजन करा रहा था, मंत्रोच्चारण के साथ। वहां श्री गोपाल जी ठाकुर, श्री मंगल पांडेय, श्री संजय सरबजी और एम्स के निदेशक डॉ. कार उपस्थित थे। सभी भूमि पूजन के हिस्सेदार थे। उन्हें ही भूमि पूजन करना था। जब मेरा कार्य संपन्न हो गया था और वहां उपस्थित सभी लोग अन्य कार्यों में लग गए थे। मैं बहुत सम्मान के साथ पूजा-अर्चना कराया, दक्षिणा और अन्य सभी बातों पर उन लोगों ने ध्यान रखा। इसी बीच मैं अपने अन्य कार्य को निष्पादित करने के लिए चुपचाप निकल गया। कुछ दूर पैदल अवश्य चला पड़ा, लेकिन गृह प्रवेश के स्थान पर समय पर पहुंचा गया।
बहरहाल, नेपाल सीमा से कोई 106 किलोमीटर दूर, मधुबनी से कोई 37 किलोमीटर और दरभंगा शहर से कोई 10 किलोमीटर दूर, पूर्व में ‘मब्बी’, पश्चिम में विशालकाय चर, उत्तर में राष्ट्रीय राजमार्ग और दक्षिण में एक्मी घाट से घिरा एम्स अस्पताल के लिए प्रस्तावित है। राजनीतिक दृष्टिकोण से दिल्ली मोड़ पर लोगों का कहना है कि बिहार में जनता दल यूनाइटेड और उनके नेताओं को आगामी विधानसभा के चुनाव में मुंह के बल न गिरना पड़े। इस बात से भी लोग इंकार नहीं कर रहे हैं कि इस सम्पूर्ण कार्य में मिथिला का ही कोई ब्राह्मण, जो वर्तमान सत्ता के बहुत करीब है, अहम् भूमिका अदा करे। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान तो महज एक बहाना बनेगा। राजनीति गजब की चीज होती है। कौन क्या सोचा रहा है, कौन क्या कर रहा है, कौन क्या करना चाहता है – सत्ता पर आधिपत्य के लिए, यह गंगा मैय्या भी नहीं जानती तभी तो गंगा की धारा पाटलिपुत्र की पवित्र भूमि से मीलों दूर चली गयी हैं।
चलिए, अगर एम्स की स्थापना हेतु भूमिपूजन वाला वायरस उतर गया हो, नीतीश कुमार जिंदाबाद – जिंदाबाद, नरेंद्र मोदी जिंदाबाद – जिंदाबाद बोलते-बोलते अवरुद्ध गला ‘गुनगुना पानी से गार्गिल’ कर ठीक हो गया हो, शहर और दूर-दरस्त इलाके से सोहन चर पहुँचने और फिर पैदल घर वापस आने में पैर का दर्द समाप्त हो गया हो तो बैठकर सोचिये जरूर की इस प्रस्तावित अस्पताल में आप जीते-जी अपना इलाज करा पाएंगे अथवा नहीं (ईश्वर न करे आप या आपके परिवार के लोग कभी अस्वस्थ हों) या आपकी अगली और उसकी अगली पीढ़ी तक प्रदेश के नेता अपने-अपने पक्ष में मतदान करने हेतु मार्ग प्रसस्त कर लिए हैं।
सन 2024 से 2029 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने द्वारा निर्मित संसद भवन में (भले दिल्ली की पहली बरसात में ही चुने लगा हो या फिर संसद परिसर में ठेघुना भर पानी का जमाव हो गया हो, प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठने के लिए निश्चिंत हो गए। राजनेताओं के अनुसार इस ‘ऐतिहासिक अस्पताल’ के निर्माण के लिए वर्तमान मुद्रास्फीति के आधार पर 1261 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। लेकिन जिस कदर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा के मोल में राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के चरित्र के अनुसार उठापटक हो रहा है, भारतीय मुद्रा का मोल का लुढ़कना स्वाभाविक है।
स्पष्ट है कि 1261 करोड़ रुपये का प्रावधान दोगुना या तीन गुना भी हो सकता है। क्योंकि भूमि पूजन और अस्पताल में पहला मरीज आने के बीच न्यूनतम तीन और अधिकम बार आम चुनाब और विधानसभा का चुनाब होना निश्चित है। नीतीश कुमार अलग ही दंड पेल रहे हैं कि उनके कालखंड में उनकी सरकार इस ऐतिहासिक अस्पताल के निर्माण हेतु 188 एकड़ भूमि दी है और यह भी कहते नहीं थक रहे हैं कि लहभग 2.25 लाख वर्ग मीटर में अस्पताल का निर्माण किया जायेगा। नीतीश बाबू !!!! संभल कर। आपके समीप वाला ही आपकी ;कुर्सी हिलायेगा – लिख लीजिये।
उधर, भूमि पूजन के साथ ही पटना से लेकर दिल्ली तक, एँड़ी कद के नेता से लेकर, घुटने कद के नेता के रास्ते, गर्दन और कपार तक के नेता आठो-पहर राजनितिक समीक्षा में लगे हैं। मिनट-दर-मिनट प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना प्रेषित करने में तनिक भी कोताही नहीं कर रहे हैं कि आने वाले विधान सभा चुनाव में किस कदर जनता दल यूनाइटेड को टुकड़े-टुकड़े में क्षत-विक्षत कर राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन के अग्रणी भारतीय जनता पार्टी की जीवन-मृत्यु वाला इच्छा पूरा किया जाय। प्रदेश में मुख्यमंत्री कार्यालय में भारतीय जनता पार्टी का अपना नेता पूर्ण बहुमत के साथ का कुर्सी पर विराजमान हो।
बड़े-बड़े राजनितिक विद्वान और विश्लेषक तो यहाँ तक चीड़-फाड़ कर सिलाई कर रहे है कि मिथिलांचल में लोकसभा की एक दर्जन सीटें हैं और लगभग 100 से अधिक विधानसभा सीट है। उनका मानना है कि इन सभी स्थानों पर ‘आधुनिक राजनीतिक युवकों, युवतियों के कारण, बेरोजगारों के कारण राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन का कब्जा है जो शनैः शनैः भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की ओर चिपक रही है। कल तक जनता दल यूनाइटेड के ध्रुब के तरफ जो आकर्षण था, अब विकर्षण में बदल रहा है।
इस क्षेत्र में प्रदेश के 40 लोकसभा सीटों में एक दर्जन लोकसभा सीट, मसलन झंझारपुर, मधुबनी, दरभंगा, मधेपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, समस्तीपुर, बेगूसराय, उजियारपुर, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर है पर भाजपा का कब्ज़ा है। उसी तरह दरभंगा की 10 विधानसभा सीटों में से 6 बीजेपी के पास, तीन जनता दल यूनाइटेड के पास और एक राष्ट्रीय जनता दल के पास है। मधुबनी की 10 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास 3 सीटें हैं, जबकि आरजेडी के पास केवल दो सीट है।मुजफ्फरपुर की 11 विधानसभा सीटों की बात करें तो बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास एक सीटे है, जबकि 5 सीट पर महागठबंधन के पास है। इनमें आरजेडी के 4 और कांग्रेस के एक विधायक है।
उसी तरह समस्तीपुर की 10 विधानसभा सीटों में जेडीयू और बीजेपी के 5, आरजेडी के 4 और माले के एक विधायक है। शिवहर लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं जिसमें 4 पर भाजपा का और दो पर राजद का कब्जा है। सीतामढ़ी की पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को जीत मिली है। राजद ने दो सीटों पर कब्जा जमाया है। मिथिलांचल में दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली जैसे अहम जिले हैं। मिथिलांचल की इन 6 जिलों में 60 सीटें हैं 2020 में एनडीए को 40 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
वैसे स्थानीय प्रशासन से लेकर पटना और दिल्ली के वातानुकूलित कक्षों में बैठे हकीमों का मानना है कि “दरभंगा का एम्स बिहार में भाजपा के लिए, नरेंद्र मोदी के लिए बहुत पर कारण हो सकता है राजनीतिक खेल को बदलने में। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री ज्योति बसु (अब दिवंगत), दिल्ली के मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित (अब दिवंगत) जैसा गुरुर बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल नेता नीतीश कुमार को भी हो गया है। उनके गुरुर को टूटने का समय आ गया है। कहते हैं एम्स का निर्माण कार्य 36 महीने में
एनबीसीसी लि. की सहायक कंपनी एचएससीसी इंडिया लिमिटेड के द्वारा किया जायेगा जिसमें 750 बिस्तर होंगे और सभी आधुनिक साज-सज्जा भी उपलब्ध होंगे जिससे मिथिलांचल के अलावे नेपाल की तराई वाले इलाके से भी मरीजों की देखभाल की जा सकेगी।