सुपरटेक अब ‘सुपर’ नहीं रहा, उसके ‘जुड़वां टॉवर’ चंद सेकेण्ड में धराशायी हो गया, ईंट-पत्थर-सीमेंट-लोहा-लक्कड़ ‘बालू की रेत’ जैसा ढह गया, ‘थैंक्स टू वाटरफॉल इम्प्लोजन’

वोंस अपॉन ए टाइम: सुपरटेक का ट्विन टावर

नोएडा : सुपरटेक अब ना ‘सुपर’ रहा और ना ‘टेक’ ही। सालों से नोएडा के सेक्टर 93ए में बना सुपरटेक के ट्विन टावर आज दोपहर ‘धराशायी’ हो गया । राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शायद यह पहली घटना है जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से सुपरटेक अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से निर्मित इस ढांचे को ध्वस्त किया गया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई। ज्ञातव्य तो कि विगत दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नोएडा क्षेत्र में आये थे। 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और नोएडा के उस इलाके में रहने वाले लाखों की तादात में रहने वाले लोग संभवतः अपने जीवन में इतनी बड़ी गगनचुम्बी इमारतों को, जिसकी ऊंचाई लगभग 100 मीटर है, विस्फोट से चंद सेकेंड में धराशायी होते देखा है। इस ऐतिहासिक क्षण को देश-विदेश के लोग सोशल मिडिया पर वाइरल हो रहे वीडियो और टेलीविजन  के फुटेज में पहली बार देखा होगा। इस ऐतिहासिक कार्य से भारत के लोगों का विश्वास सर्वोच्च न्यायालय के प्रति और भी मजबूत हो गया है। दिल्ली की प्रतिष्ठित कुतुब मीनार (73 मीटर) से ऊंचे गगनचुंबी ट्विन टावर को ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक की मदद से गिराया गया।

टावर गिराए जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं। विस्तृत सुरक्षा ऑडिट बाद में किए जाने की संभावना है। ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त की गई सबसे ऊंचे ढांचे थे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे। इमारत गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित किए गए थे।

ये भी पढ़े   बैंकों का मुनाफा बढ़ाने वाले कर्मचारियों का मुनाफा कब होगा?

दोनों टावर को गिराए जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया। इसके अलावा, करीब 3,000 वाहनों और बिल्ली तथा कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया।अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इसके 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसायटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था।

मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से गिराने का कार्य सौंपा गया था। कंपनी ने इस जोखिम भरे काम के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था। शीर्ष न्यायालय द्वारा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था।

एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशन्स ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन थे। वर्ष 2019 में जेट डिमॉलिशन्स ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था, जिसके आठ मीटर के दायरे में कई भवन थे। इमारतों को ध्वस्त किये जाने की इन दोनों ही प्रक्रियाओं को ‘इंप्लोजन तकनीक’ के माध्यम से अंजाम दिया गया था। (वीडियो इंडिया टुडे के सौजन्य से)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here