जी7 शिखर सम्मेलन: वैश्विक चुनौतियों के बीच वैश्विक कल्याण और समृद्धि को आगे बढ़ाने पर चर्चाएं 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 27 जून, 2022 को जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर इंडोनेशिया गणराज्य के राष्ट्रपति श्री जोको विडोडो के साथ मुलाकात करते हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी में जी7 शिखर सम्मेलन में, वैश्विक चुनौतियों के स्थायी समाधानों पर दो दिन तक चलीं उपयोगी वार्ताओं में हिस्सा लेने के बाद मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के लिए रवाना हुए। मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन से इतर विश्व के कई नेताओं से मुलाकात की और वैश्विक कल्याण और समृद्धि को आगे बढ़ाने पर केंद्रित कई मामलों पर चर्चा की।

विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए की गई जर्मनी की यात्रा समाप्त की। इस दौरान उन्होंने वैश्विक चुनौतियों के स्थायी समाधानों पर दो दिन तक उपयोगी वार्ता की। प्रधानमंत्री मोदी अब अबू धाबी रवाना होंगे, जहां वह कुछ देर रुकेंगे। इसके बाद वह नयी दिल्ली पहुंचेंगे।’’

प्रधानमंत्री खाड़ी देश जाकर यूएई के पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर व्यक्तिगत रूप से शोक व्यक्त करेंगे। नाहयान का लंबी बीमारी के बाद 13 मई को निधन हो गया था। वह 73 वर्ष के थे। नाहयान 2004 से सत्ता पर काबिज थे।मोदी ने नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक ऐसा महान और दूरदर्शी राजनेता करार दिया था, जिनके नेतृत्व में भारत और यूएई के संबंध समृद्ध हुए।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘एक उपयोगी यात्रा के बाद जर्मनी से रवाना हो रहा हूं। इस यात्रा के दौरान मैंने जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया, दुनिया के कई नेताओं के साथ वार्ता की और म्यूनिख में एक यादगार सामुदायिक कार्यक्रम में शिरकत की। हमने वैश्विक कल्याण और समृद्धि को आगे बढ़ाने पर केंद्रित कई मुद्दों पर चर्चा की।’’

प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘‘मैं इस यात्रा में जर्मनी के लोगों, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज और जर्मन सरकार को उनके आतिथ्य सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भारत-जर्मनी की दोस्ती नई ऊंचाइयों को छुएगी।’’ मोदी ने सोमवार को जी7 शिखर सम्मेलन के सत्र में हरित विकास, स्वच्छ ऊर्जा, स्थायी जीवन शैली और वैश्विक भलाई के लिए भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। मोदी ने जर्मनी की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान ब्रिटेन, जापान और इटली के अपने समकक्षों से मुलाकात की और उनके साथ कई मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ भी मुलाकात की और इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत तथा यूरोपीय संघ के सहयोग की समीक्षा की। उन्होंने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ बैठक की और इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने समेत अनेक द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने अपने-अपने नागरिकों एवं वैश्विक हितों के लिए द्विपक्षीय मित्रवत संबंधों को और मजबूत करने तथा आपसी रणनीतिक साझेदारी को गति प्रदान करने पर सहमति जताई। इसके अलावा मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की और व्यापार एवं निवेश, खाद्य सुरक्षा, रक्षा, फार्मास्यूटिकल्स और डिजिटल वित्तीय समावेशन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।

मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों से भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने चाय पर विभिन्न द्विपक्षीय तथा वैश्विक विषयों को लेकर चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर सम्मेलन परिसर में मैक्रों के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से भी मुलाकात की। इससे पहले, मोदी ने रविवार को यहां ऑडी डोम स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 27 जून, 2022 को जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के इतर कनाडा के प्रधानमंत्री श्री जस्टिन ट्रूडो के साथ द्विपक्षीय बैठक करते हुए।

बहरहाल, प्रधान मंत्री के इस यात्रा के समय पत्र सूचना कार्यालय का लेख विशेष महत्व रखता है जो सम्पूर्णता के साथ भारत के पक्ष को बताता है। लेख में कहा गया है कि दुर्भाग्यवश, ऐसा माना जाता है कि विश्व के विकास और पर्यावरण सुरक्षा के लक्ष्यों के बीच एक मूल टकराव है। एक और गलत धारणा यह भी है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुक्सान पहुंचाते हैं। किन्तु भारत का हज़ारों वर्षों का इतिहास इस सोच का पूर्ण रूप से खंडन करता है।

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प्राचीन भारत ने अपार समृधि का समय देखा; फिर हमने आपदा से भरी गुलामी की सदियाँ भी सहीं; और आज स्वतन्त्र भारत पूरे विश्व में सबसे तेज़ी से ग्रो कर रही बड़ी economy है। किन्तु इस पूरे कालखंड में भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रत्ती भर भी dilute नहीं होने दिया। भारत में विश्व की 17% आबादी रहती है। किन्तु वैश्विक कार्बन इमिशन में हमारा योगदान सिर्फ 5% है। इसका मूल कारण हमारी lifestyle है, जो नेचर के साथ सह-सस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।

यह तो आप सभी मानेंगे कि energy एक्सेस सिर्फ अमीरों का प्रिविलेज नहीं होना चाहिए – एक गरीब परिवार का भी energy पर बराबर का हक़ है।आज जब geopolitical टेंशन के कारण उर्जा के दाम आसमान छू रहे हैं इस बात को याद रखना और महत्वपूर्ण हो गया है। इसी सिद्धांत से प्रेरणा ले कर हमने भारत में घर-घर LED bulbs और clean कुकिंग गैस पहुँचाया, और यह दिखाया कि गरीबों के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करते हुए भी कई मिलियन टन कार्बन एमिशन बचाया जा सकता है।

अपने climate commitments के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमारे performance से स्पष्ट है। Non-Fossil sources से 40 प्रतिशत उर्जा-capacity का लक्ष्य हमने समय से 9 वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया। पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल-ब्लेंडिंग का लक्ष्य समय से 5 माह पूर्व प्राप्त कर लिया गया। भारत में विश्व का पहला पूरी तरह सोलर पावर संचालित एयरपोर्ट है। भारत का विशाल रेलवे system इसी दशक में नेट zero हो जाएगा।

भारत जैसा विशाल देश जब ऐसी महत्वाकांक्षा दिखाता है तो अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। हमें आशा है कि G-7 के समृद्ध देश भारत के प्रयत्नों को समर्थन देंगे। आज भारत में क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज के लिए एक बहुत बड़ा market बन रहा रहा है। G-7 देश इस क्षेत्र में research, innovation, और manufacturing में निवेश कर सकते हैं। हर नयी technology के लिए भारत जो स्केल दे सकता है उससे वह technology पूरे विश्व के लिए किफायती बन सकती है। सर्कुलर ईकोनॉमी के मूल सिद्धांत भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।

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मैंने पिछले वर्ष ग्लासगो में LIFE – Lifestyle for Environment – नाम के मूवमेंट का आह्वान किया था। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने LiFE अभियान के लिए ग्लोबल इनिशियेटिव लाँच किया। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इस movement के अनुयायियों को हम ट्रिपल-P यानि ‘pro planet people’ बोल सकते हैं, और हम सभी को अपने अपने देशों में ट्रिपल-P लोगों कि संख्या बढ़ाने का जिम्मा लेना चाहिए।आने वाली पीढ़ियों के लिए यह हमारा सबसे बड़ा योगदान होगा।

मानव और प्लानेट का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा है। इसलिए, हमने one world, one health का approach अपनाया है। महामारी के दौरान भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में digital technology के उपयोग के लिए कई रचनात्मक तरीके निकाले। इन innovations को अन्य विकासशील देशों तक ले जाने के लिए G7-देश भारत को सहयोग दे सकते हैं। अभी हाल ही हम सभी ने इंटरनेशनल डे of योग मनाया। COVID के संकट के समय में योग विश्व के सभी लोगों के लिए preventive हेल्थ का उत्तम साधन बना – इस से कई लोगों को अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मेन्टेन करने में मदद मिली।

योग के आलावा भी भारत समेत विश्व के कई देशों में ट्रेडिशनल मेडिसिन की बहुमूल्य धरोहर है, जिसे होलिस्टिक हेल्थ के लिए उपयोग किया जा सकता है। मुझे ख़ुशी है कि हाल ही में WHO ने अपने Global Centre फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन को भारत में स्थापित करने का निर्णय लिया। यह सेंटर न सिर्फ विश्व के अलग अलग ट्रेडिशनल मेडिसिन पद्धतियों का repository बनेगा, बल्कि इनमे और research को भी प्रोत्साहन देगा। इसका लाभ विश्व के सभी नागरिकों को मिलेगा।

(भाषा और पत्र सूचना कार्यालय के सहयोग से)

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