IAS के नाम पर लूट और शिक्षा माफियाओं पर अंकुश शीघ्र ✍ UPSC परीक्षा के लिए आवेदन के समय अभ्यर्थियों कहीं बताना न पड़े कि क्या वे किसी निजी कोचिंग से तैयारी किए हैं?

पूसा रोड पर शीघ्र पूस की रात

पहाड़गंज मेट्रो स्टेश दारू दूकान के पास से: दिल्ली के लोग ही नहीं, नेता, अभिनेता, मंत्री, संत्री, अधिकारी, पदाधिकारी दक्षिण दिल्ली के ‘उपहार सिनेमा अगली कांड’ को शायद भूल गए होंगे, एक छोटी सी असावधानी के कारण कैसे 59 हँसता-खेलता जीवित लोगों, बच्चों, महिलाओं का शरीर आग में झुलसकर पार्थिव हो गया था। सैकड़ों लोग घायल हुए थे। भारत के न्यायिक व्यवस्था में लगभग 21 वर्ष लगे न्याय तक पहुँचने में। कोई दो दशक से अधिक समय तक भारत के न्यायालय में ‘आम आदमी (दर्शकों के परिवार) और सिनेमाघरों के मालिकों के बीच न्यायिक युद्ध चलता रहा। लोगों का विश्वास भारत के न्यायिक व्यवस्था पर था, वह कायम रहा। भारत का सर्वोच्च न्यायालय मृतकों के परिवारों को न्याय दिया – देर से ही सही। उसी बहती आंसुओं की धाराओं में सिनेमा बनाने वाले सिनेमा बनाकर पैसों के बिस्तर पर सोते-सोते संसद भी पहुंच गए।

@अखबारवाला001(210)✍ IAS बनाने वाली फैक्ट्रियों का नेताओं-अधिकारियों के साथ #३६नहीं#६३ का नाता है(1)

विगत 25 जुलाई, 2024 विश्व डूबने से बचाव दिवस (World Drowning Prevention Day) के नाम से अलंकृत हैं। यह प्रश्न संघ लोक सेवा आयोग अथवा किसी भी राज्य और अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों में अव्वल होता है। संघ लोक सेवा आयोग अथवा प्रदेश के लोक सेवा आयोग की प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं में अनेकों बार यह प्रश्न पूछे भी गए हैं। विश्व डूबने से बचाव दिवस के कोई 72 घंटे बाद दिल्ली के पूसा रोड के बाएं हाथ पहाड़गंज मेट्रो स्टेशन के नीचे दिल्ली सरकार द्वारा संचालित दारू की दूकान से दो सौ कदम आगे बाएं हाथ राजेंद्र नगर इलाके में तेज बारिश और जल जमाव के चपेट में आकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन होनहार अभ्यर्थियों की RAU IAS कोचिंग सेंटर के तहखाने वाले तल्ले में डूबने से मौत हो गई। एक गलती के कारण।

RAU IAS इसी कोचिंग केंद्र में तीन छात्र-छात्राएं मृत्यु को प्राप्त किये डूबकर

13 जून 1997 में सन्नी देओल अभिनीत “बॉर्डर” फिल्म के प्रदर्शन के दौरान ​’उपहार’ छविगृह में वह घटना ​घाटी थी। यह कहना मुश्किल है कि ‘बॉर्डर’ फिल्म के निदेशक, अदाकारा, अदाकार, निवेशक कोई उस अग्निकांड के पीड़ितों के परिवारों से मिले अथवा नहीं, उनसे मिलकर उनकी पारिवारिक क्षति को लेकर अपनी संवेदना व्यक्त किये अथवा नहीं; यह तो वही बताएँगे – लेकिन बॉक्स ऑफिस इंडिया के आंकड़े के अनुसार 176 मिनट का बॉर्डर फिल्म जिसका बजट 10,00,00,000/- रुपए था, पूरे विश्व में कोई 65,57,00,000/- रुपये की कमाई की।​ बाद में, 7-श्रृंखला वाली नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित मैगज़ीन कार्यक्रम ‘Trial by Fire’ कमाया। Trial by Fire और ‘बॉर्डर’ में एक समानता थी – दोनों में ‘देओल’ ही ​थे । क्या पता सिनेमा बनाने वाले लोग कल RAU IAS बनाने के कारखाने, जहां विगत दिनों भारत के तीन माताओं का कोख़ उजरा, उस पर भी सिनेमा बनाकर पैसे कमा लें। क्योंकि व्यापार है और व्यापार में मानवता, मानवीयता का भट्ठी जलता हैं।

उपहार सिनेमा का आज का दृश्य

RAU IAS कोचिंग केंद्र की घटना जुलाई 27 जुलाई की देर शाम में घटी। इस घटना के चार दिन बाद संघ लोक सेवा आयोग अपने द्वारा संचालित अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा 2021 बैच में 841 वां स्थान पाने वाली और प्रशिक्षण के बाद पुणे की समाहर्ता बनने वाली पूजा केडकर की भारतीत को अयोग्य करार कर उन्हें घर वापास कर दिया । स्वतंत्र भारत के 77वें झंडोत्तोलन दिवस के एक पखवाड़ा पूर्व दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, देश की विधि व्यवस्था और संघ लोक सेवा के इतिहास में ऐसा कलंक कभी नहीं लगा था। 27 जुलाई को दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित राव IAS अकादमी के बेसमेंट में शनिवार को हुई भारी बारिश के बाद पानी भरने की वजह से तीन छात्रों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद बीजेपी और आप दोनों एक-दूसरे पर आरोप का कबड्डी खेल रहे हैं। कहते हैं RAU IAS कोचिंग केंद्र के बेसमेंट में बायोमैट्रिक लगा हुआ था। बिना अंगूठा लगाए, आप बाहर नहीं आ सकते थे। तीन निकल नहीं पाए और मृत्यु उन्हें वरन कर ली।

ज्ञातव्य है कि उक्त दिन डीसीपी सेंट्रल एम हर्षवर्धन को शाम सात बजे इस घटना की सूचना प्राप्त हुई थी एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भर गई है। सूचना करने वाले ने बताया कि वहां कुछ लोगों के फंसे होने की आशंका है। अचानक पूरा बेसमेंट कैसे भर गया यह जांच का विषय बना । आपराधिक मामला दर्ज किया गया। फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया उसी दिन से प्रारम्भ हो गई। संस्था के मालिक सहित कई लोगों को हिरासत में लिया गया। पूसा रोड का यह इलाका निचले सतही स्तर का इलाका है, आज नहीं, मुद्दत से। बरसात में पानी का जमाव यहाँ आम बात रही है। कभी-कभी कमर तक पानी भर जाता है। स्वाभाविक है पानी के निकास के लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए, वह नहीं है। साथ ही, मकानों / बेसमेंट के निर्माण और इस्तेमाल के लिए जो कड़ी व्यवस्था होनी चाहिए वह भी नहीं है। देश का आर्थिक इतिहास गवाह है कि इसी स्थितियों में कानून का धज्जी कानून के निर्माताओं, कानून का पालन करवाने वालों, दलालों, बिचौलियों, के बिना संभव नहीं है। समाज में ऐसी प्रजाति के लोग सफेदपोश संभ्रांत कहलाते हैं। खैर।

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उधर, संघ लोक सेवा की गरिमा को एक तमाचा तब लगा जब उसे अपने द्वारा संचालित अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा में तथाकथित रूप से अव्वल आईओ अभ्यर्थी पूजा खेडकर की परीक्षा और चयन सभी को रद्द करते उन्हें घर वापस भेज दिया।पूजा ने पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल थी। बाद में 2021 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा 841 वीं रैंक के साथ उत्तीर्ण की। प्रशिक्षण के बाद वर्ष जून 2024 में उन्हें पुणे कलेक्टर आफिस में पहली नियुक्ति मिली। हालांकि पहली ही नियुक्ति में ट्रेनिंग के दौरान उन पर जांच बैठ गई और इसी बीच उनका ट्रांसफर कर दिया गया। नौकरशाहों और राजनेताओं के परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूजा पर आरोप था कि वे प्रशिक्षण अवधि के दौरान उन्होंने सरकारी आवास, स्टाफ, गाड़ी और दफ्तर में अलग केबिन की मांग की। अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का लोगो लगाया। उन्होंने चोरी के आरोप में गिरफ्तार एक ट्रांसपोर्टर को छोड़ने के लिए डीसीपी रैंक के अधिकारी पर दबाव बनाया। उन्होंने आईएएस बनने के लिए झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हुए यूपीएससी के फार्म में खुद को ओबीसी नाॅन क्रीमी लेयर बताया। वह खुद लगभग 17 करोड़ की संपत्ति की मालकिन हैं।

आरोप और सत्यापन के अनुसार, वे विकलांगता श्रेणी के तहत यूपीएससी का आवेदन पत्र भरा था और दावा किया गया कि वह 40 फीसदी दृष्टिबाधित हैं और किसी मानसिक बीमारी से जूझ रही हैं। एमबीबीएस कॉलेज में दाखिले के समय भी दस्तावेजों की हेर-फेर के आरोप पूजा पर हैं।संघ लोक सेवा आयोग की शिकायत पर दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने पूजा खेडकर के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और विकलांगता एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। आयोग खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा 2022 की उम्मीदवारी रद्द करने/भविष्य की परीक्षाओं/चयन से रोक लगाने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया ।

इस बीच भारत का सर्वोच्च न्यायालय ने 27 जुलाई को दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर में राव के आईएएस कोचिंग संस्था के बेसमेंट में बाढ़ के कारण सिविल सेवा के इच्छुक तीन उम्मीदवारों की मौत पर सोमवार को स्वत: संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने कोचिंग सेंटर फेडरेशन की याचिका खारिज कर दी। आग और सार्वजनिक सुरक्षा मानदंडों के अनुपालन पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा: “आप युवा उम्मीदवारों के जीवन को दयनीय बना रहे हैं। उनके अपने सपने हैं, कड़ी मेहनत करते हैं और इसी तरह आप उनसे निपटते हैं।” न्यायमूर्ति कांत ने यह भी कहा कि “ये कोचिंग स्थान मृत्यु कक्ष बन गए हैं”।न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ कोचिंग सेंटर फेडरेशन की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुखर्जी नगर में कोचिंग संस्थानों और वाणिज्यिक गतिविधियों के प्रसार और आग और सार्वजनिक नियमों का पालन करने में उनकी विफलता के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायालय में कहा कि हमें यकीन नहीं है कि इस संबंध में दिल्ली के एनसीटी या आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अब तक क्या प्रभावी कदम उठाए गए हैं। सूचना जारी करते हुए अदालत ने उनसे यह बताने को कहा कि क्या सुरक्षा मानदंड निर्धारित किए गए हैं और ऐसे मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।यह देखते हुए कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों के अंतर्गत आता है, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि “ये दोनों राज्य – अपने संबंधित प्रधान सचिव, शहरी विकास विभाग के माध्यम से (मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए) और उनके स्थायी वकील के माध्यम से उन्हें नोटिस जारी किया जाए। अदालत ने अपीलकर्ता से आगे पूछा, “आप चाहते हैं कि हम एक साधारण आदेश में हस्तक्षेप करें, आप अग्नि अनुपालन मानदंडों का भी पालन नहीं करना चाहते हैं?”

बहरहाल, दिल्ली शहर की वर्तमान दशा के मद्दे नजर यह कदापि नहीं कहा जा सकता है कि स्थानीय विधायक, संसद, प्रदेश और केंद्र के अधिकारियों ने कभी भी गिरती, लुढ़कती व्यवस्था को या तो गंभीरता से नहीं लिया या फिर उसमें उनकी मिली भगत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं। इन इलाकों में लगभग 90% पुस्तकालय पार्किंग या भंडारण के लिए बने तहखानों में अवैध रूप से चल रहे हैं। ये स्थान मंद, तंग और खराब हवादार हैं। इन पुस्तकालयों में अक्सर उचित बैठने की व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छता सुविधाओं का अभाव है । उल्लंघन आज से नहीं, बल्कि लंबे समय से चल रहा था। मजबूर माता-पिता और अभ्यर्थियों को इस असुविधाजनक और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के लिए भी अधिकाधिक राशि का भुगतान करना पड़ता हैं। इसके अलावे एक महत्वपूर्ण पहलू और यह – वह है खुलेआम उलझी बिजली की तारों की का होना, जो चिंता का विषय रहा है। लेकिन स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ बिजली विभाग भी कुम्भकरण की नींद सोती रही है। इन तंग जगहों में बिजली की उच्च मांग के कारण अक्सर सर्किट ओवरलोड हो जाते हैं।

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पहाड़गंज-मुखर्जी नगर- राजेंद्र नगर इलाके में कई लाख छात्र-छात्राएं किराये के मकान में, पेयिंग गेस्ट बनकर, कमरों को आपसे में बांटकर रहते हैं। वातावरण के साथ-साथ स्थानीय दलालों के कारण महिलाओं की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं है।सैकड़े साठ से अधिक फीसदी छात्र-छात्राएं, जो भारत के विभिन्न शहरों और ग्रामीण इलाकों से पढ़ने के उद्देश्य से इन कोचीन संथाओं में नामांकन लेते हैं, बेहद मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। स्थानीय लोग तो यह भी कहते हैं कि कमरों का वातावरण और अँधेरापन के कारण राजेंद्र नगर या पहाड़ गंज क्षेत्र का पार्क तथाकथित रूप से पढ़ने का अड्डा बन गया है। छात्र-छात्रों का कहना है कि इस इलाके के लोगों ने अपना एक-एक इंच जगह के लिए किराया वसूलते हैं। आर्थिक रूप से औसतन एक छात्र/छात्रा को विषयों के लिए कोचिंग शुल्क (जो लाखों में होता है) के अलावे एकल बिस्तर वाला एक कमरा के लिए 15000 रुपये प्रतिमाह देनी होती हैं। खाना-पीना के अलावे स्थानीय क्षेत्र के दलाल भी नियमित रूप से अनियमित पैसे वसूलते हैं। नहीं देने पर कमरा खली करने की धमकी भी देते हैं।

यदि देखा जाए तो भारत के लाखों-लाख छात्र-छात्राएं दिल्ली सल्तनत में एक शैक्षिक आतंकी वातावरण में सांस ले रहे हैं।उनकी गलती सिर्फ यह है कि वे पढ़-लिखकर अपना, अपने परिवार का जीवन बेहतर बनाना चाहते हैं। दिल्ली शहर में हज़ारों कोचिंग केंद्र हैं और औसतन एक केंद्र के लिए कई दर्जन दलाल और बिचौलिए काम करते हैं। सभी संस्थाओं का अपना अलग-अलग शुल्क प्रणाली है। पूसा रोड पर पैदल चलने से आज़ादपुर सब्जी मंडी का एहसास होता है। और यह कार्य बिना राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों, पदाधिकारियों की मिली भगत से संभव नहीं है। कोचिंग संस्थानों ने पढ़ाई के नाम पर खुली लूट मचा रखी है। ना सरकार ने इनके लिए कोई नियम बनाए हैं और ना ही इनके खुद के नियम है। इन संस्थाओं का जो मन करता है, वह करते हैं। प्रवेश के समय न तो कोई परीक्षा का नियम है।

सड़कों पर संस्थानों के शिक्षकों की तस्वीरों के साथ आलू-बैगन-टमाटर जैसा विज्ञापन का बड़ा-बड़ा बोर्ड लगा है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में कई कोचिंग संस्थाएं पेपर लीक जैसे मामले में भी शामिल पाई गई है। इन संस्थाओं को स्थानीय नेताओं और सरकार का भी साथ मिला होता है। तभी ये संस्थाएं सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले बच्चों का जी भर के शोषण करती हैं। अब वक्त आ चुका है कि इन संस्थानों पर सरकार को कठोर कानून बनाकर लगाम लगानी चाहिए। अगर ये संस्थाएं आवारा बैल की तरह बेलगाम होंगी तो पता नहीं कितने और मासूम को निगल जाएगी।

RAU आईएएस की शुरुआत दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित ओडियन सिनेमा गृह के पीछे से से हुई थी। बाद में यहाँ से बाराखम्बा रोड स्थित डीसीएम भवन में आया और फिर पुराने राजेंद्र नगर में विशालकाय शीशे वाले मकान में – जिसकी रचना नियमों को ताक पर रखकर किया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार यह इलाका रिहायसी इलाका है। मुख्य मार्ग पर छोटे-छोटे व्यवसाय के लिए अनुमति रही है, लेकिन आटा-चावल-कपड़ा बेचते-बेचते कब शिक्षा को बेचने लगे, किसी को नहीं मालूम। व्यावसायिक या रिहायसी इलाके को शैक्षणिक इलाके में बदलना बिना मंत्रालय और अधिकारियों की मिली भगत से संभव नहीं है। RAU IAS आईएएस कोचिंग सेंटर का दावा है कि अपने स्थापना काल (1953) से अब तक विगत 70 वर्षों में देश में उत्पादित नौकरशाहों में उनके एक-तिहाई बच्चे हैं। स्वाभाविक है हज़ारों-हजार नौकरशाह अब तक अवकाश भी प्राप्त कर लिए होंगे और हज़ारों आज भी कुर्सी पर विराजमान होंगे। बहुत तरह के प्रश्न हैं।

ज्ञातव्य हो कि एक सरकारी सेवक पुलिस केस के नाम से अत्यधिक भयभीत रहता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी पुलिस केस होने पर किसी सरकारी सेवक को उसकी सेवा से हटा दिया जाता है या फिर सरकारी सेवा की तैयारी करने वाले व्यक्ति को पुलिस सत्यापन में किसी भी प्रकार का कोई पुलिस केस मिलने पर सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है। भारत में इससे संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर आते रहे हैं। एक सरकारी सेवा के मामले में पुलिस मुकदमा की क्या भूमिका होती है यह सर्वविदित है। हालांकि इससे जुड़ा भारत में कोई एक संहिताबद्ध कानून तो नहीं है, लेकिन अलग-अलग राज्यों के सेवा नियमों में बहुत सारी बातों को समावेश किया गया है। अगर न्यायालय में किसी मामले में किसी सरकारी सेवक पर ₹100 का जुर्माना कर दिया है और व्यक्ति ने उस जुर्माने को स्वीकार कर लिया, तब भी ऐसा व्यक्ति सरकारी सेवा में नहीं रह सकता है।

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इसी तथ्य के मद्दे नजर एक सूचना के अनुसार जैसे भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार, आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा), आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा), आईईएस (भारतीय इंजीनियरिंग सेवा), और आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) सहित सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए अयोग्य माना जाता है, संभव है कि देश में शिक्षा माफिआओं को तोड़ने और निजी कोचिंग कक्षाओं को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग के तरफ से कोई ठोस कदम उठाया जाय।

इसी सन्दर्भ में भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित एक ईमेल प्रार्थना में प्रार्थना किया गया है कि “विगत दिनों दिल्ली में तीन छात्र मृत्यु को प्राप्त किये। सभी भारतीय प्रशासनिक सेवा में आना चाहते थे। दिल्ली में कुकुरमुत्तों की तरह जन्म ले रहे निजी संस्थान की दुकानदारी में फंस गए। ये सभी भारत के अनभिज्ञ, लाचार छात्र-छात्राओं को लोभ में फंसाते हैं । सभी विश्वास दिलाते हैं कि आईएएस बना देंगे यह जानते हुए कि देश में आईएएस के 175 स्थान ही होती है प्रतिवर्ष है। संघ लोक सेवा जिस परीक्षा को विभिन्न चरणों में लेती है, किसी भी चरण में यह नहीं कहती की वे आईएसएस की परीक्षा ले रही है। वह परीक्षा उक्त वर्ष के सभी कैडरों के लिए ली जाती है और अंकानुसार अभ्यर्थियों को श्रेणी दिया जाता है।”

याचना में आगे लिखा है कि “ये निजी दूकानदार कहीं भी यह नहीं लिखते, कहते कि वे आईपीएस, आईआरएस के लिए, वन सेवा के लिए, केंद्रीय सेवा ग्रुप-ए और ग्रुप -बी की भी तैयारी करते हैं। मारे देश में गरीबी, अशिक्षा का आलम इतना भयानक है कि सैकड़े 99.9 से अधिक फीसदी अभ्यर्थी और उनके माता-पिता, अभिभावक इन दुकानदारों के चंगुल में फंस जाते हैं। असहाय माता-पिता अपने संतान के आगे निःसहाय हो जाते हैं। घर, द्वार, खेत-खलिहान बेचकर, कभी-कभी ऋण लेकर अपने संतानों को पढ़ने हेतु आर्थिक मदद करते। लेकिन अशिक्षा के कारण यह समझ नहीं पाते कि इसका परिणाम क्या होगा। वे यह भी नहीं जानते कि उनके संतानों की काबिलियत है अथवा नहीं। जिस RAU संस्था में उक्त घटना हुई उसके वेबसाइट पर यह उद्धृत है की वह पिछले 1953 से इस पेशा में है। वह यह भी दवा करती है कि आज भारत में जितने नौकरशाह हैं / हुए, उसमें एक-तिहाई नौकरशाह उन्हीं के हैं।”

“अब सवाल यह है कि अगर भारत राष्ट्र को बेहतर नौकरशाह चाहिए तो लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, जिसका उद्देश्य उच्चतर सिविल सेवाओं के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए समर्पित है, के तर्ज पर भारत सरकार स्वयं एक ऐसी संस्था का गठन क्यों नहीं करती जहाँ देश के नामी-गरामी नौकरशाह (सेवारत और सेवामुक्त) अखिल भारतीय स्तर पर संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा की तैयारी कराये। भारत के माता-पिता, अभिभावक लाचार हैं हुकुम और भारतीय शैक्षिक बाज़ार की व्यवस्था लचर गई है। एक बहुत बड़ी इक्षा शक्ति की किल्लत है इन दुकानदारी को समाप्त करने के लिए। मैं एक बहुत छोटा पत्रकार हूँ। लेकिन एक निरीह माता-पिता के चेहरे का दृश्य जब आँखों के सामने लेता हूँ, आँखें भर आती है। इन दुकानदारी के कारण देश में शिक्षा के साथ साथ मानसिकता भी लचर गया है।”

ईमेल में लिखा गया है कि : “आप दोनों सम्मानित मोहतरमा और मोहतरम से निवेदन करता हैं कि इस वर्ष से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित परीक्षा के लिए आवेदन भरते समय ही आवेदन पत्र में इस बात का प्रावधान किया जाए और अभ्यर्थी से पूछा जाए कि ‘क्या वे किसी निजी कोचिंग केंद्रों से इस परीक्षा हेतु पढ़ाई किये है? अभ्यर्थी ‘हां’ और ‘ना’ में जवाब दें। ‘हाँ’ की स्थिति में उनकी ‘उम्मीदवारी’ वहीँ ‘निरस्त ‘हो जाए उसी तरह जिस तरह हम पुलिस सत्यापन की बात करते हैं। परीक्षा में सम्मिलित होने वाले किसी भी अभ्यर्थी के विरुद्ध किसी भी प्रकार का पुलिस से सम्बंधित कोई भी मामला होता है तो अभ्यर्थी के मन में एक दर अवश्य रहता है कि कहीं उसकी उम्मीदवारी रद्द न हो जाय।”

“ऐसी व्यवस्था होने पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ही नहीं, भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुकुमुत्तों की तरह पनप पाहे आईएएस बनाने की दुकानदारी जहाँ अभ्यर्थी सहित उनके माता-पिता जीवित रहते हुए भी मृत रहते हैं – पर लगाम लग जायेगा। लोग कहते हैं ‘मोदी है तो मुमकिन है’ – अगर यह नारा सच में कोई अहमियत रखता है तो भारत के माता-पिताओं की, अभ्यर्थियों की रक्षा करें। आज करोल बाग, न्यू राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर में लाखों छात्र-छात्राएं इनके चपेट हैं हैं।”

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