क्या ‘पुत्र के खातिर’ 73-वर्षीय राजनाथ सिंह सक्रिय राजनीति को नमस्कार कर सकते हैं? गर्म होती हवाएं तो कुछ ऐसी ही कह रही है

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और उनके पुत्र विधायक श्री पंकज सिंह

रायसीना हिल (नई दिल्ली) : क्या भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लखनऊ के सांसद 18वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार नहीं होंगे? अगर रायसीना  हिल पर बहती राजनीतिक हवाओं को माने तो शायद “नहीं”। इस बात की चर्चा है कि श्री राजनाथ सिंह को अपने पुत्र की राजनीतिक उन्नति के लिए ‘सक्रिय राजनीति से हटने का मन बनाने को ‘कहा गया’ है ।

वैसे 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पार्टी के कई ‘स्वयंभू भीष्मपितामहों’ को राजनीति की मुख्य धारा से अलग होना पड़ा है राजनीति में बने रहने के लिए। उत्तर प्रदेश के दो वरिष्ठ नेता – श्री कालराज मिश्र और श्री मनोज सिन्हा – इसके ज्वलंत दृष्टान्त हैं।

रायसीना हिल के सूत्रों के अनुसार 73-वर्षीय 17वीं लोकसभा के रक्षामंत्री श्री सिंह आगामी लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे। साथ ही, इस बात की भी चर्चा है कि मुख्यधारा से हटने के बाद उन्हें श्री कलराज मिश्र और श्री मनोज सिन्हा जैसा भारत के 28 राज्यों में से किसी भी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। 

82-वर्षीय श्री कलराज मिश्र जो 2014 में उत्तर प्रदेश के देवरिया संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद आये थे और 16वीं लोकसभा में सूक्ष्म और लघु उद्योगमंत्री भी रहे, बाद में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की कुर्सी पर शोभायमान हैं। इसी तरह, 16 वीं लोक सभा के सदस्य रहे, 64-वर्षीय भारत सरकार में पूर्व रेलवे राज्य मंत्री / संचार राजयमंत्री, मनोज सिन्हा वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल हैं। 

मई 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नियम पेश किया कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को केंद्र या राज्य सरकारों में कोई प्रशासनिक पद नहीं रखना चाहिए। वैसे 75-वर्ष से अधिक उम्र के मंत्रियों को शामिल नहीं करने के मोदी के फैसले को भाजपा की वैचारिक शाखा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सहमति प्राप्त है।

जब भाजपा ने 2014 के आम चुनाव में जीत हासिल की, तो पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल बनाने का फैसला किया, जिसमें पूर्व उप प्रधान मंत्री एल.के. आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी इसके सदस्य हैं। उस समय, 75 वर्ष से अधिक आयु के भाजपा नेताओं को किसी भी प्रशासनिक पद पर शामिल नहीं किया गया था। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भी उम्र की बाध्यता के कारण सरकार में शामिल नहीं किया गया। 

सूत्रों के अनुसार वैसे राजनाथ सिंह अभी महज 73 वर्ष के हैं, लेकिन 18वीं लोकसभा में वे 75 से अधिक हो जायेंगे। सूत्रों के अनुसार अपने जीवन के इस लम्बे समय में उन्होंने पार्टी और सरकार में जो भूमिका निभाए हैं, वह अक्षुण है। ऐसी स्थिति में अगर दूसरी पीढ़ी के लोग अपनी सेवा समाज, पार्टी और सरकार को अर्पित करना चाहते हैं तो वुजूर्गों को उसके लिए स्थान रिक्त करना चाहिए।

वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयु भी 73-वर्ष है और वे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नियमों के अधीन ही हैं, लेकिन वर्तमान परिपेक्ष में भाजपा में ‘मोदी के अलावे दूसरा कोई चेहरा नहीं है जिसे राष्ट्र के लोग प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करेंगे। विगत एक दशक में देश के लोगों की आदत सी हो गयी है मोदी के नाम से। साथ ही, उन्होंने अपने इन दो प्रधानमंत्रित्व काल में राष्ट्र के लिए, लोगों के लिए, व्यवस्था के लिए जो कार्य किया है, अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी के लोग जो प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे या फिर सतारूढ़ रहे, नहीं कर पाए। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा। 

बहरहाल, उत्तर प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री, भारत सरकार में 30वें गृहमंत्री और 25वे रक्षा मंत्री का पद सँभालने के अलावे श्री सिंह सन 2014 और 2019 में लखनऊ लोक सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किये हैं। यह संसदीय क्षेत्र बनने के दशक से भाजपा का क्षेत्र रहा है। सन 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी और 2009 में लालजी टंडन लखनऊ का प्रतिनिधित्व किये हैं। श्री राजनाथ सिंह के पुत्र श्री पंकज सिंह नोएडा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। 

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सूत्रों के अनुसार वैसे  17वें लोकसभा में की बैठक की समाप्ति से कुछ दिन पूर्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भले यह कहें हो कि राजनाथ सिंह को ‘परिवारवाद’ बढ़ाने की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता है,  लेकिन रायसीना हिल के सूत्रों के अनुसार अगर उनके पुत्र पंकज सिंह को राजनीति में आगे बढ़ने का मौका देने की बात होगी तो पिता को  सरकार ‘विश्रामावस्था’ में आना होगा।  वैसे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का पद 2027 में रिक्त होगा।   
10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश के बाभोरा गांव, तहसील चकिया, जिला वाराणसी (अब जिला चंदौली में स्थित) में श्री रामबदन सिंह और श्रीमती गुजराती देवी के घर जन्म लिए 73 वर्षीय  राजनाथ सिंह अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से पूरी की और आगे की पढ़ाई करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमएससी फिजिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। मिर्जापुर जिले के पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज में बतौर फिजिक्स लेक्चरर का कार्यभार संभाला।

सन 1977 – उत्तर प्रदेश विधानसभा से विधायक बने फिर 1983 में उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश सचिव बनाये गए।एक साल बाद सं 1984 में जब देश में राजनीतिक बदलाव का लहार उठ रहा था, युवाओं को संगठित करने के लिए उन्हें भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। सन 1986 से 1988 सिंह भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव और 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उसी वर्ष (1988 में) उत्तर प्रदेश विधानसभा में एमएलसी के लिए निर्वाचित हुए और 1991 में शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में बतौर शिक्षा मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने नकल पर लगाम लगाने और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल करने व इसके साथ ही इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में मौजूद भ्रामक जानकारियों को दूर करने जैसे अहम कार्य किए थे।

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सन 1994 में राज्यसभा सांसद बने और भाजपा के लिए राज्यसभा में व्हिप के प्रमुख भी बने।फिर 25 मार्च, 1997 को उन्होंने उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संगठन को और भी मजबूत बनाने का काम किया। कई राजनीतिक संकटों को दौरान उन्होंने पार्टी को मजबूत नेतृत्व देकर सक्षम बनाया है।  22 नवंबर, 1999 को वह केंद्रीय परिवहन मंत्री बने। इस दौरान उन्हें श्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न परियोजना नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर कार्य करने का अवसर मिला।

28 अक्टूबर, 2000 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाराबंकी के हैदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक चुने गए। 2002 में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाला। 24 मई, 2003 को उन्होंने केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं खाद्य सुरक्षा का भार संभाला। इस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर और फसल आय सुरक्षा स्कीम जैसी योजनाओं पर काम किया। सन 2004 में एक बार फिर उन्हें भाजपा का महासचिव पद प्राप्त हुआ। बतौर महासचिव उन्होंने छत्तीसगढ़ और झारखंड की कमान संभाली और दोनों राज्यों में अपने संगठनात्मक काबिलियत के इस्तेमाल से भाजपा को जीत दिलाई। 

श्री राजनाथ सिंह के पुत्र विधायक श्री पंकज सिंह

31 दिसंबर 2005 को श्री राजनाथ सिंह ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष देश के हर कोने का दौरा किया। साथ ही उन्होंने भारत सुरक्षा यात्रा भी की जिसमें आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद की समस्या से परेशान कई राज्यों, जिलों और जगहों के दौरे शामिल थे। उन्होंने महंगाई, किसानों के मुद्दों और यूपीए सरकार की कई नीतियों पर प्रहार किया। राजनाथ सिंह भारत के गृह मंत्री (2014-2019) के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। साथ ही, दो बार (2005 से 2009 और 2013 से 2014 तक) भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं। कहते हैं कि सिंह 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (RSS) से जुड़े। 

बहरहाल, विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि एक ही परिवार के दस लोगों का राजनीति में आना बुरा नहीं है। हम तो चाहते हैं कि नए लोग और युवा राजनीति.में आए। अगर किसी परिवार में अपने बलबूते पर और जनसमर्थन से कई लोग राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति करते हैं तो उसे हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा है। लेकिन जो पार्टी परिवार से चलती है, जिस पार्टी के सारे फैसले परिवार ही करते हैं, वो परिवारवाद है।

मोदी ने वैसे स्पष्ट रूप से कहा था कि राजनाथ सिंह और अमित शाह को परिवारवाद से नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि ना तो राजनाथ सिंह की पॉलिटिकल पार्टी है और ना ही अमित शाह की  अगर किसी परिवार के दो लोग प्रगति करते हैं तो मैं उसका स्वागत करूंगा। दस लोग भी प्रगति करेंगे तो मैं उनका स्वागत करूंगा। नई पीढ़ी का आगे आना स्वागत योग्य है। सवाल ये है कि परिवार ही पार्टियां चलाती हैं तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। परिवारवादी पार्टियों की राजनीति हम सबकी चिंता का विषय होना चाहिए।

पंकज सिंह का जन्म अपने ननिहाल झारखण्ड के पलामू जिले के डाल्टनगंज में 12 दिसम्बर 1978 को हुआ था। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार वे 2001 में भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हुए। पार्टी की ओर से आयोजित धरना-प्रदर्शन में जाना शुरू किया। 2004 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया। 2007 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन यह कहकर पद छोड़ दिया की वे कुछ दिन बिना पद के ही कार्य करंगे। 2007 में उन्हें प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया। 2007 में विधानसभा चुनाव क्षेत्र चिरयीगांव सीट, वाराणसी से उम्मीदवारी की घोषणा भी हो गई; लेकिन खुद पंकज सिंह के पिता ने उन्हें सलाह दी कि अभी कुछ साल और भाजपा के संगठन में काम करना चाहिए इसके बाद चुनावी राजनीति में जाना चाहिए। 

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पंकज सिंह वह चुनाव नहीं लड़े। 2010 में उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का सचिव बनाया गया। 2012 में वे प्रदेश भाजपा के महासचिव के रूप में पदोन्नति किये गये। 2013 में उन्हें  उत्तर प्रदेश भाजपा का दूसरी बार महासचिव बनाया गया। वर्तमान में जुलाई 2016 से तीसरी बार महासचिव के पद पर कार्य कर रहे हैं। इन कार्यकालों के दौरान पंकज सिंह सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे। गांव और किसानी में दिलचस्पी रखने वाले पंकज सिंह को जब भाजपा के गांव चलो अभियान में शामिल होने का अवसर मिला उन्होंने इस अभियान के तहत 100 से अधिक गांवों का दौरा किया। 

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