#भारतकीसड़कों से #भारतकीकहानी (8) ✍️ गणतंत्र दिवस- स्वतंत्रता दिवस के झंडोत्तोलन में क्या अंतर है?

कल हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे थे। सन 1947 से 2022 के अगस्त महीने आते-आते 75 साल बीत गए। दिल्ली के लाल किले पर पंडित जवाहरलाल नेहरू से श्री नरेंद्र दामोदर मोदी तक अनेकों बार हमारा तिरंगा आसमान में फहराया, लहराया।

इन 75 वर्षों में देश में भारत के आवाम में न्यूनतम पांच पीढ़ियां जरूर आ गई होंगी। कल पूरी दिल्ली तिरंगामय थी। मंडी हॉउस गोलंबर से लेकर नई दिल्ली क्षेत्र के लगभग सभी गोलम्बरों पर स्थानीय प्रशासन की ओर से फूलों से बेहतरीन सजावट दिखा। सेल्फी लेने, छोटी-छोटी फिल्म बनाने का बेहतरीन जगह बनाया गया था। मैं भी सड़क पर “पैदल” था, लेकिन मन में एक सवाल लोगों से पूछने की इक्षा हो रही थी। अंततः मन विजय हुआ और सवाल मुख से बाहर। कई लोगों से यह सवाल पूछा ।

सवाल था: स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के झंडोत्तोलन-विधि-विधान में तकनीकी दृष्टि से क्या अंतर है? उत्तर की सांख्यिकी देखकर मन दुखी हो गया, जो आज की पीढ़ी ही नहीं, आने वाले समय के लिए भी शुभ संकेत नहीं हैं। इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते कल सम्मानित अमिताभ बच्चन साहब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ श्रृंखला में एक करोड़ का प्रश्न पूछ दें और जानकारी नहीं होने पर हॉट सीट पर बैठे महामानव दांत निपोड़ दें।

लेकिन जब बाराखंभा रोड के कोने पर गोपाल दास बिल्डिंग के पास सड़क पर दिल्ली पुलिस के एक कर्मी का उत्तर सुना तो मन गदगद हो गया।

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