#भारतकीसड़कों से #भारतकीकहानी (14) ✍ दिल्ली का 174 पुरातत्व Vs फ़िरोजशाह कोटला, ‘लवर्स’ स्पॉट 😢

गाँव में एक कहावत है: “कमासुत (द्रव्य अर्जित करने वाला) को सभी पूजते हैं और मोसोमात (विधवा) कोई कोई नहीं पूछता।” यह जरुरी नहीं है कि ‘स्मार्ट सिटी’ में रहने वाले देवियों और सज्जनों का मन और आत्मा भी स्मार्ट हो। विश्वास नहीं हो तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के किसी कोने से ऑटो लें और ऑटो चालक से कहें कि वह आपको ‘फिरोज शाह कोटला’ लेकर चले। यकीन कीजिये (अपवाद छोड़कर) आप फ़िरोजशाह कोटला क्रिकेट मैदान (अब दिवंगत अरुण जेटली के नाम का) के प्रवेश द्वार पर खड़े मिलेंगे।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि परिवार के मुखिया, मसलन पिताजी, दादाजी जिनके नाम से गाँव जाना जाता था, पुत्र-पौत्र तनिक धनी क्या हो गया, ‘स्मार्ट शहर’ में क्या रहने लगा, अपने पूर्वजों को ही भूल गया। फ़िरोजशाह कोटला क्रिकेट मैदान, जिसका राजनीतिकरण के बाद अब अरुण जेटली के नाम से नामकरण हो गया है, का वजूद फिरोजशाह कोटला (फोर्ट, सिटाडेल) के कारण ही है।

आज दोनों एक दूसरे से पांच हाथ की दूरी पर हैं। लेकिन अफ़सोस यह है कि दिल्ली के लोग फिरोजशाह कोटला को नहीं जानते, कुछ अपवाद छोड़कर दिल्ली के ऑटो वाले (दिल्ली में करीब एक लाख से अधिक ऑटो चलते हैं) नहीं जानते हैं। कोटला कहते ही या तो आपको क्रिकेट मैदान ले आएगा या फिर दक्षिण दिल्ली स्थित कोटला मुबारकपुर लेकर चला जायेगा। वहां पहुँच का आप कीच-कीच करते रहे।

आपको जानकर आश्चर्य लगेगा कि दिल्ली में 174 ऐतिहासिक पुरातत्विक स्थान हैं। लेकिन उसने कोई 150 स्थानों की स्थिति वैसी ही है जैसे ‘कमाऊ पूत’ और बेरोजगार पूत में। समाज में भी जो व्यक्ति कमाऊ होता है, दुधारू होता है, उस पर सभी ध्यान रखते हैं। लेकिन जो समय का मारा होता है, अर्थोपार्जन नहीं कर पाता है, उस पर कोई ध्यान नहीं देता, सिवाय उसे जीवित रखने के लिए – दिल्ली का ऐतिहासिक फिरोज शाह कोटला किला की स्थिति भी वैसी ही है।मुगल शासक फिरोज शाह तुगलक द्वारा निर्मित फिरोज शाह कोटला किला आज भले साफ़-सुथरा दिखे, लेकिन उसकी स्थिति वैसी नहीं है जैसे लाल किले ही, इण्डिया गेट की, कुतब मीनार की।

ये भी पढ़े   एकदम 'गजबे' हो रहा है: कालेज से संसद तक फर्जी-ही-फर्जी 'डिग्रियां'

14वीं शताब्दी के दौरान फिरोज शाह तुगलक वंश के तीसरे संस्थापक थे ने एक नया शहर बसाया जिसका नाम फिरोजाबाद रखा गया था। इस फिरोजशाह कोटला में कई महल भी स्थित है, लेकिन आज के समय में यहां पर ऊंची इमारतें जैसे एक मस्जिद, अशोक स्तंभ एवं एक गोलाकार बावली आदि हैं। लोगों का यह भी मानना है कि यहां जिन्न आता-जाता है यानी किला को जिन्नो का बसेरा मानते हैं जो लोगों की मन्नत को पता भी करता है। यह स्थान लवर्स-स्पॉट है। कोई ढूंढ भी नहीं सकता। बहरहाल, कभी मन करे तो इस ऐतिहासिक स्थान को जरूर देखें। अब तो महज 700 साल हुआ है, आज भी खड़ा है, खण्डहर ही सही। क्योंकि आज जो इमारतें बन रही है वह तो सात साल में ही दरकने लगती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here