आज हम जहाँ खड़े हैं और हमारे पीछे जिस दृश्य को आप देख रहे हैं, यह भारत का संसद का इलाका है। पुराना संसद भवन नए भवन के नीचे है। पुराना संसद भवन अब 100 वर्ष का होने जा रहा है। आने वाले वर्षों में एक गवाह के तौर पर भारत के लोगों के सामने उपस्थित रहेगा नया संसद, नए लोग, नए मतदाता, नए चयनित सांसद । हमारे दाहिने, बाएं, पीछे, आगे कोई 110 वर्ष पहले वाली एडविन ल्यूटन्स और हर्बर्ट बेकर की दिल्ली आगामी दिनों में मोदी की दिल्ली कहलाएगी। मेरी बात पर आप हंस भले दें, मेरी आलोचना भी कर सकते हैं, इस वीडियो का ट्रोलिंग भी कर सकते हैं – लेकिन यकीन कीजिये आने वाले कई वर्षों तक, या यूँ कहें कि कई आम चुनाव तक देश की अन्य राजनीतिक पार्टियां, उन पार्टियों के नेतागण इस बात को भूल जाएँ कि वे ‘सत्तारूढ़’ कहलायेंगे।
इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते कि भारत का संसद भवन अपना सौ वर्ष पूरा करने के पहले “पुरात्तव” की श्रेणी में दर्ज हो जाय और देश के लोगों द्वारा चयनित संसद वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में आधुनिक साज-सज्जा से युक्त नए संसद में बैठें। क्योंकि देश में ही नहीं, दिल्ली में एक नयी नई दिल्ली का निर्माण हो रहा है – जो ल्यूटन्स और बेकर को इतिहास का एक पन्ना बना देगा।