‘एयर इंडिया’ समूह के अलावे ‘इंडिगो’ और ‘आकाशा’ के बेड़े में अगले आठ वर्षों में 1976 विमान शामिल होंगे

नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल​ ​और एयर इंडिया

नई दिल्ली: एक ओर जहाँ एक विशेष रूप से सक्षम बच्चे और उसके माता-पिता को विमान में चढ़ने से रोकने की एक घटना को लेकर तथ्य-खोज समिति ने एयर लाइन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में ‘उड़े देश का आम नागरिक’ विमान-परिवहन के क्षेत्र में अपना कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है और आगामी 2032 तक लगभग 1976 नए विमान ‘एयर इंडिया’ समूह के अलावे ‘इंडिगो’ और ‘आकाशा एयर’ के बेड़े में शामिल होने की सम्भावना है। 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि एयर इंडिया समूह द्वारा विभिन्न प्रकार के विमानों का आदेश दिया गया है जिसमें ए320/ए321 (210), ए350 (40), बी 787 (20), बी 777 (10), बी७३७-8 (190 ) शामिल हैं। इन आदेशित विमानों में अब तक 51 विमान का आयात किया जा चुका है जिसमें ए320/ए321 के 23 विमान और बी737 – 8  के 22 विम्मान प्रमुख हैं। इसके अलावे ए 350 के 6 विमान भी आयत हुए हैं। इन विमानों को 2023 और 2032 के बीच बडे में शामिल होने की सम्भावना है।

इसी तरह इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो) द्वारा ए 320 समूह के 2015 में 400, 2019 में 300 और 2023 में 500 विमानों का आदेश दिया गया है। इसी वर्ष ए 350 के लिए 30 और एटीआर212 ए (600 संस्करण) के लिए 2017 में 50 विमानों का आदेश दिया गया है। आकाशा एयर भी 13737-8  के लिए 76 और बी 737-8 के लिए 150 विमानों का आदेश दिया है। ये सभी विमान 2027-2028 से 2032 तक बेडे में शामिल किये जायेंगे। 

उन्होंने कहा कि  एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा विमानों को शामिल करने के साथ-साथ लीज़ अवधि की समाप्ति के अनुरूप उनके मौजूदा विमानों की पुनः डिलीवरी/निर्यात भी किया जाएगा। इसलिए विमानों को शामिल करने से एयरलाइन बेड़े में वृद्धि के साथ-साथ समय के साथ मौजूदा बेड़े के प्रतिस्थापन की भी पूर्ति होगी।घरेलू एमआरओ उद्योग और विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने घोषणा की है कि विमानों के पुर्जों, कंपोनेंट, जांच उपकरणों, औजारों और टूल-किट के आयात पर, चाहे उनका एचएसएन वर्गीकरण कुछ भी हो, 5 प्रतिशत की एक समान दर से आईजीएसटी लागू होगा, बशर्ते कि यह निर्दिष्ट शर्तों के अधीन हो। यह नीतिगत बदलाव भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, नवोन्मेषण और दक्षता को बढ़ावा देने तथा एक मजबूत एवं कुशल विमानन क्षेत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस के मामले में मुरलीधर मोहोल ने कहा कि  पिछले पांच वर्ष के दौरान 5710 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) निर्गत किये गए हैं।नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल के अनुसार  इन पांच वर्षों में सबसे अधिक संख्या 1622 साल 2023 में निर्गत किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 17 जुलाई तक 739 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस निर्गत किये गए हैं। यह संख्या 2019 में 744, 2020 में 578, 2021 में 862 और 2022 में 1165 थी। सूत्रों के अनुसार सरकार भारतीय विमानन क्षेत्र के समग्र विकास हेतु अनुकूल परितंत्र प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति, 2016 तैयार की है। इसमें ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के साथ-साथ उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।

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श्री मोहोलो के अनुसार भारतीय विमानन क्षेत्र में पायलटों/चालकों की कोई कमी नहीं है। हालांकि, कुछ विमानों पर कमांडरों की कमी है और विदेशी एयर क्रू अस्थायी प्राधिकरण (एफएटीए) जारी करके विदेशी पायलटों का इस्तेमाल करते हुए इसका प्रबंधन किया जा रहा है। देश में प्रशिक्षित पायलटों की संख्या बढ़ाने के लिए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने एक उदार उड़ान प्रशिक्षण संगठन (एफटीओ) नीति लाई है। इसके तहत हवाई अड्डा रॉयल्टी (एफटीओ की ओर से एएआई को राजस्व हिस्सेदारी का भुगतान) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है और भूमि किराये को काफी हद तक युक्तिसंगत बनाया गया है।

उधर, डीजीसीए ने विनियमन अनुमोदित बुनियादी रखरखाव प्रशिक्षण संगठन सीएआर-147 (बेसिक) जारी किया है। यह विनियमन आईसीएओ यानी ईएएसए विनियमन के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। सीएआर-147 (बेसिक) अनुमोदित संस्थान के तहत प्रशिक्षण पूरा करने और अपेक्षित डीजीसीए परीक्षा उत्तीर्ण करने पर छात्र विमान रखरखाव इंजीनियर (एएमई) लाइसेंस हासिल करने के पात्र हो जाते हैं।वर्तमान में, डीजीसीए ने सीएआर-147 (बेसिक) के तहत 57 एएमई प्रशिक्षण संस्थानों को मंजूरी दी है। सीएआर 147 (बेसिक) के तहत अनुमोदित एएमई प्रशिक्षण संस्थान से अनुमानित आपूर्ति लगभग 3500 प्रति वर्ष है, जो भारतीय नागरिक विमानन उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि 2021 में, एक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद, एएआई ने बेलगावी (कर्नाटक), जलगांव (महाराष्ट्र), कलबुर्गी (कर्नाटक), खजुराहो (मध्य प्रदेश) और लीलाबारी (असम) में पांच हवाई अड्डों पर नौ एफटीओ स्लॉट दिए। जून 2022 में, बोली के दूसरे दौर के तहत, एएआई ने पांच हवाई अड्डों पर छह एफटीओ स्लॉट भावनगर (गुजरात) में दो स्लॉट, और हुबली (कर्नाटक), कडप्पा (आंध्र प्रदेश), किशनगढ़ (राजस्थान) और सलेम (तमिलनाडु) में एक-एक स्लॉट दिए। डीजीसीए ने नवंबर 2021 से विमान रखरखाव इंजीनियरों (एएमई) और फ्लाइंग क्रू (एफसी) उम्मीदवारों के लिए ऑनलाइन-ऑन डिमांड परीक्षा (ओएलओडीई) शुरू की है। यह सुविधा उम्मीदवारों को उपलब्ध परीक्षा स्लॉट में से तिथि और समय चुनने की अनुमति देती है। डीजीसीए ने फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर को एफटीओ में उड़ान संचालन को अधिकृत करने का अधिकार देने के लिए अपने नियमों में संशोधन किया है। यह अब तक केवल मुख्य उड़ान प्रशिक्षक (सीएफआई) या डिप्टी सीएफआई तक ही सीमित था।

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नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल​और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनिस

श्री मोहोलो के अनुसार केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई घोषणाओं के तहत, मरम्मत के लिए आयात की गई वस्तुओं के निर्यात की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है। साथ ही, वारंटी के तहत मरम्मत के लिए वस्तुओं के पुनः आयात की समय-सीमा तीन से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी गई है। 1 सितंबर, 2021 को घोषित नए एमआरओ दिशानिर्देशों में रॉयल्टी को समाप्त करने और एएआई हवाई अड्डों में एमआरओ के लिए भूमि आवंटन में पारदर्शिता और निश्चितता लाने की बात की गई है।
श्री मोहोलो के अनुसार  1 अप्रैल, 2020 से एमआरओ पर जीएसटी को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम)/एमआरओ द्वारा घरेलू एमआरओ को उप-अनुबंधित किए गए लेन-देन को 1 अप्रैल, 2020 से शून्य-रेट किए गए जीएसटी के साथ ‘निर्यात’ माना जा रहा है। औजारों और टूल किटों पर सीमा शुल्क में छूट, पार्ट्स की सरलीकृत क्लियरेंस प्रोसेसिंग और एमआरओ के लिए ऑटोमैटिक रूट के माध्यम से 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति भी प्रदान की गई है।
  

आपको याद होगा कि श्री टी.जी. वेंकटेश की अध्यक्षता वाली परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति ने 31 मार्च, 2022 को ‘नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा से संबंधित मुद्दों’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। उसी वर्ष नागर विमानन मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) ने अपनी सफलता के 5 वर्ष पूरे कर लिये हैं। 27 अप्रैल, 2017 को प्रधानमंत्री ने इसकी पहली उड़ान शुरू की थी। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य था क्षेत्रीय विमानन बाज़ार का विकास करना। छोटे शहरों में भी आम आदमी को क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान करना। 

श्री मोहोलो का कहना है कि वर्ष 2014 में 74 परिचालन हवाईअड्डे थे जो अब तक बढ़कर 141 हो गए हैं। उड़ान योजना के तहत 58 हवाईअड्डे, 8 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित 68 अंडरसर्व्ड/असेवित गंतव्यों को जोड़ा गया है। उड़ान ने 425 नए मार्गों की शुरुआत के साथ देश भर में 29 से अधिक राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को हवाई संपर्क प्रदान किया है। 4 अगस्त, 2022 तक एक करोड़ से अधिक यात्रियों ने इस योजना का लाभ उठाया है। और उड़ान के तहत 220 गंतव्यों (हवाई अड्डे/हेलीपोर्ट/वाटर एयरोड्रोम) को वर्ष 2026 तक 1000 मार्गों के साथ पूरा करने का लक्ष्य है ताकि देश में असंबद्ध गंतव्यों के लिये हवाई संपर्क प्रदान किया जा सके। उड़ान के तहत, 156 हवाई अड्डों को जोड़ने के लिये 954 मार्ग पहले ही आवंटित किये जा चुके हैं।

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अपनी ख़ुशी जाहिर करते श्री मोहोलो ने कहाँ कि यदि देखा जाए तो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार बनकर उभरा है। विमानन उद्योग ने एक उल्लेखनीय प्रगति करते हुए अपनी पूर्व सीमाओं को पार कर लिया है तथा यह एक जीवंत और प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। भारत के हवाई नेटवर्क में एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया है, इसके परिचालन हवाई अड्डों की संख्या वर्ष 2014 में 74 की तुलना में दोगुनी होकर अप्रैल 2023 में 148 हो गई है, जिससे लोगों की हवाई यात्रा तक पहुँच में वृद्धि हुई है।

इतना ही नहीं, यह भी सत्य है कि हाल ही में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA), अमेरिका के विमानन सुरक्षा नियामक ने विमानन सुरक्षा का मूल्यांकन किया और भारत के विमानन सुरक्षा निरीक्षण के “श्रेणी 1” दर्जे को बरकरार रखा है। FAA ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को सूचित किया है कि भारत शिकागो अभिसमय और उसके अनुलग्नकों (Annexes ) के विमानन सुरक्षा निरीक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है और FAA ने IASA श्रेणी 1 का दर्जा बनाए रखा है जिसका अंतिम मूल्यांकन जुलाई 2018 में किया गया था। 

ज्ञातव्य है कि ICAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में स्थापित किया गया था, जिसने शांतिपूर्ण वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिये मानकों और प्रक्रियाओं की नींव रखी।अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संबंधी अभिसमय/कन्वेंशन पर 7 दिसंबर, 1944 को शिकागो में हस्ताक्षर किये गए। इसलिये इसे शिकागो अभिसमय भी कहते हैं। ICAO का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन योजना के विकास को बढ़ावा देना है, ताकि विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के सुरक्षित और व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित किया जा सके। इसके 193 सदस्यों में भारत भी शामिल है। 

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