जनपथ बाजार (नई दिल्ली) : सन 1966 में राज खोसला साहब के निर्देशन में एक फिल्म आयी थी “मेरा साया” । इस फिल्म में सुनील दत्त और साधना जी के अलावे एनके सिंह, जगदीश सेठी, मुकरी, मनमोहन, शिवराज, रत्नमाला जैसे उत्तम कोटि के कलाकार काम किये थे।इस फिल्म में एक बहुत ही बेहतरीन गाना था – झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे।’
सन 1966 का यह गीत उन दिनों तो भारत के लोगों के होठों पर जबरदस्त रूप से कब्ज़ा जमाया। कौन होगा जिसने ये गाना न सुना होगा औऱ किसी खास के लिए कभी शायद गुनगुनाया भी होगा। सालों से महिलाओं का सबसे अजीज श्रृंगार झुमका बरेली की पहचान है। यह शहर अपने झुमके लिए इतना प्रसिद्ध है कि साल 2019 में यहां पर स्थित एक चौराहे का नाम बदलकर झुमका चौराहा कर दिया गया था। वैसे इस गाना का ‘बरेली’ से कोई दूर-दूर तक रिस्ता-नाता नहीं था, लेकिन स्वतंत्र भारत में आज अगर बरेली को लोग जानते हैं तो इस गीत के वजह से भी।
कहते हैं कि अभिनेत्री साधना पर फिल्माया गया ”झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में” का संबंध अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन से रहा है। कोई आठ-नौ दशक पहले जब हरिवंश राय बच्चन देश भर में अपनी कलम से जादू बिखेर चुके थे और साथ ही वो पहली पत्नी और पिता को भी खो चुके थे, जिस कारण उस समय वो पूरी तरह से टूट गए थे। ऐसे में 1941 में साल का आखिरी दिन था कवि हरिवंश अपनी दोस्त प्रो. ज्योति प्रकाश के घर पहुंचे थे, वहां पर उनके अलावा एक और मेहमान भी पहुंची हुईं थी जिनका नाम था तेजी सूरी। यह तेजी और हरिवंश जी की पहली मुलाकात थी।
जब हरिवंश राय बच्चन तेजी सूरी से मिले थे, तब तेजी की सगाई विदेश के किसी बड़े आदमी के साथ हो गई थी, लेकिन वो इस रिश्ते से खुश नहीं थी। ऐसे में जब वकील राम जी शरण सक्सेना के घर पर पार्टी रखी गई थी तो इस दौरान प्रेम प्रकाश जी ने हरिवंश राय बच्चन से कविता सुनाने को कहा और हरिवंश की कविता सुनकर तेजी खुद को आंसू को रोक नहीं पाई और दोनों इस किस्से के बाद करीब आ गए।
झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में
इस घटना के बाद ही दोनो ने एक दूसरे से प्रेम का इजहार किया और इसके बाद प्रेम प्रकाश ने दोनों के सगाई की घोषणा कर दी। यह भी कहा जाता है कि सगाई की घोषणा के बाद तेजी बच्चन लाहौर चली गई और हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद जाकर शादी की तैयारियां करने लगे।
ऐसे में एक बार की बात है तेजी बच्चन और राजा मेंहदी साहब एक कार्यक्रम में मिले, तब उन्होंने तेजी से सवाल किया किया कि आखिर वो और हरिवंश राय बच्चन शादी कब करेंगी? तो इस बात का जवाब तेजी ने बड़े खूबसूरत तरीके से दिया उन्होंने कहा ‘कि मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया।’अब इस कथन के कई अर्थ हो सकते हैं जैसे दिल हार जाना या दोनों ने सगाई कर ली है जल्द ही शायद शादी भी कर लें।
राजा मेहंदी अली खान के दिमाग में यह जवाब कई सालों तक रहा और कई सालों बाद जब मेरा साया फिल्म का गाना लिखने की बात आई तो राजा मेंहदी साहब को यह किस्सा याद आ गया और उन्होंने तेजी के इस झुमके वाले कथन पर गाना बना दिया – झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे।’
आज मुद्दत बाद एक बार फिर बरेली का नाम आया वह भी जनपथ पर जहाँ बरेली की एक 20 -वर्षीय आरती प्रजापति अपनी हुनर का प्रदर्शन कर रही थी। आरती प्रजापति महज बरेली की एक लड़की नहीं, बल्कि भारत की करोड़ों गरीब, निरीह माता-पिता का प्रतिनिधित्व करने वाली मजबूत, हिम्मत वाली लड़की है जो अपनी कला के माध्यम से अपनी पहचान बनाना चाहती है – क्या पता कल की तेजी, जो बाद में तेजी बच्चनबनी और मेरा साया फिल्म का गीत आज तक लोगों के होठों पर नृत्य कर रहा है; आरती प्रजापति की कला भी बरेली से चलकर भारतवर्ष और विश्व के मानचित्र पर कब्ज़ा कर ले।
आरती की बात मुझे इसलिए भी अच्छी लगी कि आरती बहुत ही गर्व से कही कि उसके पिता श्री ब्रजपाल प्रजापति बरेली में ऑटो चलाते हैं और माँ श्रीमती रामबेती एक घरेलू महिला है। दो भाई और दो बहन है आरती। आरती कहती है कि वह ‘शाहू रामस्वरूप कॉलेज. बरेली से कला की शिक्षा प्राप्त की है और बरेली की ही ‘शिवगाथा फॉउंडेशन’ के तहत काम करती है।लेकिन आरती के चेहरे पर मुस्कान नहीं दिखा। हंस तो रही थी, क्योंकि हंसमुख थी, लेकिन कला को जो संरक्षण मिलनी चाहिए, कला को जो सम्पोषण होनी चाहिए, उसे अपनी कला और मेहनत से जो आर्थिक लाभ मिलनी चाहिए – वह नहीं मिलती है।