“६८-वर्ष” और “४७-वर्ष” में “युवा कौन है इसका निर्णय अब भारत का मतदाता करेगा

ऐसी थी इंदिरा गाँधी - फोटो रघु राय के सौजन्य से ​
ऐसी थी इंदिरा गाँधी - फोटो रघु राय के सौजन्य से ​

नयी दिल्ली​: भारत के मतदाताओं की मानसिक स्थिति को एक बार देखें तो दिवंगत इंदिरा गाँधी की पोती और दिवंगत राजीव गाँधी की पुत्री सुश्री प्रियंका गाँधी वाड्रा का सक्रीय राजनीतिक कुरुक्षेत्र में उतरना एक शुभ संकेत है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में वैसे ही होगा जब प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, भा ज पा अध्यक्ष अमित शाह, समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव, उनके पुत्र अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष सुश्री मायावती, राष्ट्रीय जनता दाल नेता लालू प्रसाद यादव, उनके पुत्र तेजस्वी यादव और अन्य गण्यमान राजनेता जब चुनाब प्रचार-प्रसार हेतु भाषण देते रहेंगे और मैदान के दूसरे छोड़ पर प्रियंका गाँधी वडेरा लोगों को आह्वान करेंगी – भाइयों, बहनों, माता-तुल्य, पिता-तुल्य भारतवासियोँ !!!!!! यह सुनते ही सम्पूर्ण मानव सैलाव मैदान के दूसरे छोड़ पर पहुँच जाएगी और एक स्वर में कहेगा: भारत का डंका – बेटी – बहन प्रियंका”

वैसे भारत की राजनीति में हमेशा से प्रतिपक्षों ने “युवाओं” की सहभागिता पर जोड़ दिया है और इसके बलपर मतदाताओं को आकर्षित कर चुनाब भी जीते हैं, भले ही, बाद में युवाओं का जो भी हश्र हुआ हो, लेकिन अगर वर्तमान राजनीतिक पृष्ठभूमि को आँका जाय तो देश में वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जन्म १७ सितम्बर १९५० को हुआ। इस दृष्टि से उनकी आयु ६८ वर्ष है। जबकि प्रियंका गाँधी का जन्म १२ जनबरी १९७२ को हुआ और उनकी आयु ४७ वर्ष है। इन दोनों में युवा कौन है यह आने वाले सामान्य में भारत के मतददाता निर्णय करेंगे।

पिछले दिनों वर्षों से जारी अटकलों पर विराम लगाते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ​को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी महासचिव नियुक्त किया एवं उत्तर प्रदेश-पूर्व की जिम्मेदारी सौंपी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी लोकसभा सीट और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पूर्व गोरखपुर संसदीय सीटें इसी क्षेत्र में आती हैं।

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आम चुनाव से पहले राज्य में पूरी तरह कमर कसके उतरने की कांग्रेस की मंशा के बीच प्रियंका की नियुक्ति से तत्काल राजनीतिक चर्चा शुरु हो गयी। कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने यह कहते हुए इस कदम का स्वागत किया कि वह पार्टी के लिए बहुत बड़ी सफलता ​होंगी। प्रियंका गांधी फरवरी के पहले हफ्ते में अपनी नयी जिम्मेदारी संभालेंगी। 47 वर्षीय नेता मुख्य हिंदी​ ​भाषी राज्य उत्तर प्रदेश में अपने भाई राहुल की मदद करेंगी जो 1980 के दशक के मध्य तक पार्टी का मजबूत गढ़ रहा था।

राहुल ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि मेरी बहन प्रियंका लोकसभा चुनव में उत्तर प्रदेश में मेरी मदद करेंगी, वह बहुत काबिल हैं। गुजरात हो या उत्तर प्रदेश, हम फ्रंट फुट पर खेलेंगे। मैं महसूस करता हूं कि इस फैसले से उत्तर प्रदेश में एक नयी सोच के पनपने में मदद मिलेगी और उत्तर प्रदेश की राजनीति में सकारात्मक बदलाव आएगा।’’

गांधी ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश आशा से ओतप्रोत और सहृदय भारत के निर्माण में केंद्रबिंदु है। प्रियंका और ज्योतिरादित्य की अगुवाई वाली उप्र कांग्रेस की नयी टीम से राज्य में नयी तरह की राजनीति का सवेरा होगा। हम उत्तर प्रदेश को बदलने में युवाओं को बेहतरीन मंच प्रदान करेंगे।’’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका गांधी की पार्टी महासचिव के रुप में नियुक्ति पर हैदराबाद में कहा, ‘‘यह एक अच्छी बात है। समय से राहुल गांधीजी ने कदम उठाया…हम सभी हृदय से स्वागत करते है और हम उन्हें (प्रियंका गांधी को) आरएसएस और भाजपा का सफाया करने में पूरा सहयोग करेंगे।’’

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प्रियंका गाँधी वाड्रा (फोटो दी विक के सौजन्य से)​
प्रियंका गाँधी वाड्रा (फोटो दी विक के सौजन्य से)​

प्रियंका गांधी वाड्रा की नियुक्ति की परोक्ष चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अन्य के मामलों में परिवार ही पार्टी है जबकि भाजपा के लिए पार्टी ही परिवार है।​ ​महाराष्ट्र के बारामती, गढ़चिरौली, हिंगोली, नांदेड़ और नंदूरबार के बूथस्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए मोदी ने यह भी कहा कि भाजपा पर फैसले किसी व्यक्ति या परिवार की इच्छाओं के आधार पर नहीं लिये जाते।​

अबतक राजनीति में प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार अभियान तक सीमित थीं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें हैं।​ पार्टी कार्यकर्ताओं की अटकलें हैं कि गांधी परिवार की सक्रिय राजनीति की विरासत रहीं प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र राय बरेली से चुनाव लड़ सकती हैं।

कांग्रेस में कई लोगों का कहना है कि उनके राजनीति में उतरने से राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं में बहुत ही जरुरी उत्साह का संचार होगा जहां पिछले कई सालों में कांग्रेस का प्रभाव घटता जा रहा था और समाजवादी पार्टी (सपा) एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा)ने गठजोड़ की घोषणा की है।

कांग्रेस नेताओं का यह भी मानना है कि प्रियंका भीड़ खासकर युवाओं को कांग्रेस की ओर खींचने में मदद पहुंचाएगी और अगड़ी जातियां एवं अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के पाले में आएंगे जिससे बसपा-सपा गठबंधन भी कांग्रेस के साथ तालमेल कायम करने के लिए बाध्य होगा।

राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सपा या बसपा से कोई दुश्मनी नहीं है । उन्होंने कहा, ‘‘हम जहां कहीं भी भाजपा को पराजित करने के लिए साथ काम कर सकते हैं, हम करेंगे….. लेकिन हमारा काम कांग्रेस के लिए जगह बनाना है और उसके लिए हमने एक बड़ा कदम उठाया है।’’ ​ राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी महासचिव नियुक्त किया है और उन्हें प्रभारी (उत्तर प्रदेश-पश्चिम) भी बनाया है।

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पार्टी नेताओं का कहना है कि राज्य की 80 सीटों की जिम्मेदारी सिंधिया और प्रियंका गांधी के कंधों पर मोटे तौर पर आधी आधी बांटी गयी है यानी उन्हें 40 -40 सीटों का जिम्मा सौंपा गया है।​ राजनीति में लंबे समय से नैसर्गिक समझी जाने वाली प्रियंका गांधी पहले भी अपनी मां और भाई के साथ अहम फैसलों में शामिल रही हैं जिनमें हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीगसढ़ के नये मुख्यमंत्रियों का चयन शामिल है।​ वह मनप्रीत बादल और नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस में शामिल कराने में अहम रही हैं।

राजनीति में प्रियंका गांधी के उतरने का स्वागत करते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर पी एन सिंह ने कहा कि वह राज्य की सांप्रदायिक और जातीय शक्तियों के खिलाफ लड़ाई में निश्चित ही बहुत बड़ी गति प्रदान करेंगी।​ जनता दल यूनाईटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश पूर्व का प्रभारी नियुक्त किये जाने को ‘ भारतीय राजनीति में बहु प्रतीक्षित पर्दापणों में एक करार दिया।

कांग्रेस के सहयोगी राजद के नेता तेजस्वी यादव ने उनकी नियुक्त का यह कहते हुए स्वागत किया कि इससे न केवल युवाओं और पार्टी कैडरों में ऊर्जा का संचार होगा बल्कि राजनीति में 50 फीसद महिला जनसंख्या को प्रेरणा मिलेगी। ​(भाषा के सहयोग से)​

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