भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर अग्नि को सुपुर्द, राष्ट्र अश्रुमय

पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी

नई दिल्ली: पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर आज यमुना के घाट पर ‘राष्ट्रीय स्मृति स्थल’ पर अग्नि को सुपुर्द कर दिया गया। वाजपेयी के पार्थिव शरीर को उनकी दत्तक पुत्री ने दी मुखाग्नि।

​इससे पहले हजारों की संख्या में लोग अपने प्रिय नेता को अश्रूपूर्ण विदाई ​दिए । उनके अंतिम दर्शन की लालसा लिये हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर खड़े ​रहे । वहीं बड़ी संख्या में लोग उनके वाहन के साथ-साथ ​चलते ​चल रहे​ ।​ पूरे देश से हजारों की संख्या में लोग वाजपेयी के अंतिम दर्शन करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा मुख्यालय पहुंचे।

वाजपेयी का पार्थिव शरीर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास से सुबह 11 बजे दीन दयाल मार्ग पर भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय लाया गया। जहां बड़ी संख्या में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सभी मौजूद थे।​ अपने नेता के अंतिम दर्शन के लिए लोग पेड़ों तक पर चढ़ गये। मुख्यालय के बाहर दो बड़े एलईडी स्क्रीन लगे हुए थे, ताकि जो अंदर नहीं जा सके वह भी वाजपेयी के अंतिम दर्शन कर सकें।

वाजपेयी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार यमुना के घाट पर ‘राष्ट्रीय स्मृति स्थल’ पर किया जाएगा।​ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, तमाम कैबिनेट मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, विपक्षी दलों के नेताओं और अन्य लोगों ने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी।​ कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर पहुंचकर उनको श्रद्धांजलि दी।​ आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख सुनील लाम्बा और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वाजपेयी के अंतिम दर्शन किये।

वाजपेयी का ​कल शाम 93 साल की उम्र में निधन हो गया।​ ​

दिल्ली यातायात पुलिस के ट्वीट के अनुसार, अंतिम यात्रा बहादुर शाह जफर मार्ग, दिल्ली गेट, नेताजी सुभाष मार्ग, निषादराज मार्ग और शांति वन होते हुए ‘स्मृति स्थल’ पहुंचेगी।​ पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं।​ इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने और उनके अंतिम दर्शन के लिए भाजपा मुख्यालय पर हजारों की संख्या में बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं सहित तमाम लोग बड़ी संख्या में अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।

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​उधर, ​देश में समावेशी राजनीति के पर्याय, ‘अजातशत्रु‘ वाजपेयी के देहांत पर उनका प्यारा लखनऊ बेहद ग़मगीन है। उनकी बहुत सी स्मृतियों को सहेजे, नवाबों के इस शहर के लिये ‘अटल‘ इरादों वाले वाजपेयी एक अमिट याद बन गये हैं।​ लखनऊ से पांच बार सांसद रहे वाजपेयी ने मौत से लम्बी जद्दोजहद के बाद कल शाम इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से ग़मज़दा लखनवियों के पास अब सिर्फ उनकी यादें हैं, और एक ख्वाहिश भी कि वाजपेयी ने जिस तरह की सियासत को पोसा, काश! कातिब-ए-तक़दीर उसे हिन्दुस्तान की किस्मत में हमेशा के लिये उतार दे।

लखनऊ के नवाबों के खानदानी लोगों के संगठन ‘रॉयल फैमिली ऑफ़ अवध’ के अतीत के भी कई यादगार लम्हे वाजपेयी से वाबस्ता हैं।​ यहां के लोगों ने वाजपेयी को पांच बार चुनकर संसद में भेजा। निश्चित रूप से वाजपेयी में वो सारी खूबियां थीं, जो सच्चे लखनवी में होनी चाहिये। 2002 में वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में जब लखनऊ आये तो उन्होंने रॉयल फैमिली के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात की थी। वह चाहते थे कि लखनऊ हवाई अड्डे का नाम अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के नाम पर हो जाए। रॉयल फैमिली ने जब उनसे इसकी गुजारिश की तो उन्होंने कहा था कि अगर राज्य सरकार ऐसा प्रस्ताव दे दे तो वह हवाई अड्डे का नाम बदल देंगे, मगर अफसोस, ऐसा नहीं हो सका।

​कहा जाता है कि ​ 1996 में जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने जा रहे थे तो ​किसी पत्रकार ने पूछा की ​अटल जी अब तो प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और कल से यहां सुरक्षा घेरा होगा और जनता से आप दूर से ही मिल पाएंगे। इस पर वह फूट-फूटकर रोने लगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अटल जी से पूछा कि आप इतना रो क्यों रहे हैं तो वह बोले कि जनता से दूरी होने की बात सोच रहा हूं।’’

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वाजपेयी ने हमेशा ‘दल से बड़ा देश’ के सिद्धांत में विश्वास किया और यही कारण था कि उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी एक बार संयुक्त राष्ट्र में देश का प्रतिनिधित्व किया और कश्मीर पर पाकिस्तान के मंसूबे को नाकाम किया।​ 1994​ में जब विपक्ष में होने के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव ने वाजपेयी को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा। ​ दरअसल, 27 फरवरी 1994 को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में इस्लामी देशों समूह ओआईसी के जरिए प्रस्ताव रखा। उसने कश्मीर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत की निंदा की। संकट यह था कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता। ​ इन हालात में वाजपेयी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का बखूबी नेतृत्व किया और पाकिस्तान को विफलता हाथ लगी।

उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद ने उस वाकये के जरिए वाजपेयी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।​ खुर्शीद ने कहा, ‘‘ हम लोग सरकार में थे और वह नेता प्रतिपक्ष थे। लेकिन हमारा जो प्रतिनिधिमंडल गया था उसकी अध्यक्षता वो कर रहे थे। ऐसा कम होता है, खासकर, भारत की राजनीति में नहीं होता। लेकिन देश का मामला था और हम लोग देश के लिए वहां (जिनीवा) गए थे। देश के बारे में कुछ बातें की जा रही थीं और हम वहां देश की बात करने गए थे।’’

वाजपेयी के साथ उस वक्त काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘उनके साथ काम करके ऐसा नहीं लगा कि वह वरिष्ठ हैं। हम एक टीम तरह खेले थे। वह हमारे कप्तान थे। उन्होंने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह हम सबसे वरिष्ठ हैं।’’ गौरतलब है कि नरसिंह राव सरकार और वाजपेयी के प्रयासों का नतीजा रहा कि प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन जिन देशों के पाकिस्तान के समर्थन में रहने की उम्मीद थी उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए। बाद में पाकिस्तान ने प्रस्ताव वापस ले लिया और भारत की जीत हुई।

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​बहरहाल, वाजपेयी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त डोमिनिक आसक्विथ ने कहा कि उनके निधन हम बहुत दुखी हैं और उन्हें हमेशा भारत के महान नेता के रूप में याद रखा जायेगा । ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने अपने बयान में कहा, ‘‘ अटल बिहारी वाजपेयी को एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में ब्रिटेन में हमेशा सम्मान मिला । ’’

अफगानिस्तान के राजदूत शाएदा अब्दाली ने अपने शोक संदेश में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी न केवल भारत के बल्कि दक्षिण एशिया की दिग्गज शख्सियत और महान राजनेता थे और उनके जाने से उच्च मानदंडों वाला नेतृत्व हमारे बीच से रूखसत हो गया । ​ उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में मैं भारत के लोगों एवं उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं ।

मालदीव के राजदूत ने ट्वीट किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से आहत हूं । वे अपने पीछे समृद्ध विरासत छोड़ गए । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे ।

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने वाजपेयी के निधन पर अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि देश ने एक प्रख्यात नेता को खो दिया है। दलाई लामा ने वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य को कल लिखे पत्र में कहा, ‘‘मुझे उनसे परिचय का सौभाग्य रहा और उन्हें मित्र कहते हुए मुझे सम्मान महसूस होता है।’’

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