सीटों का बँटवारा – क्या भा ज पा बिहार में स्वयं को कमजोर महसूस कर रही है?

मुख्य मंत्री नितीश कुमार
मुख्य मंत्री नितीश कुमार

नई दिल्ली : आगामी लोक सभा चुनाव में परिणाम चाहे जो भी हो, 40 सांसदों वाले राज्य बिहार में सीटों के बँटवारे देखकर एक बात तो स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी को अपनी क्षमता का अन्दाजा लग गया है। लोक सभा चुनाव में पाँच विजय सीटों को छोड़ना नितीश कुमार के लिए चुनाव से पूर्व का विजयश्री है। आंतरिक गठबन्धन चाहे जो भी हो, इतना तो प्रतीत होता है कि नितीश कुमार अनन्तः भा ज पा के आलाकमानों पर धावा बोल ही दिए । रामविलास पासवान पहलवानी कर छः सीट अपने पास सुरक्षित रखे।

दिल्ली में सूत्रों का मानना है कि जब भा ज पा पुनः अपने बल पर और अपने ‘विकास-कार्यों’ के मद्दे नजर २०१९ में भी अपनी सरकार स्थापित करने का दावा करती है; वैसी स्थिति में पिछले चुनाव में पांच विजय सीटों को नितीश कुमार के झोले में डालना ‘हजम’ नहीं होता। सूत्र का कहना है कि “वेबजह तो ऐसा हो ही नहीं सकता, वह भी राजनीति में। कोई तो ‘सवल’ हो गया है; कोई तो कमजोर महसूस कर रहा है।”

बहरहाल, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर रविवार को आखिरकार सहमति बन गई। सीटों की संख्या को लेकर हुये समझौते को अंतिम रूप देते हुये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा की है कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटों में से भाजपा और जद (यू) 17-17 तथा लोजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

शाह ने यहां बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की मौजूदगी में यह घोषणा की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के साथ एक संक्षिप्त बैठक के बाद शाह ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जितना जल्दी हो सके पासवान को राज्यसभा भेजा जाएगा।

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शाह ने कहा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पिछली बार से अधिक यानि 31 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेगा और इसके साथ ही उन्होंने पूर्ण विश्वास जताया कि यह गठबंधन 2019 में फिर से सत्ता में आयेगा। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीट है।

इस समझौते से लोजपा को फायदा पहुंचा है। पार्टी को कम सीटें मिलने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन गठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्त्व वाली रालोसपा के निकलने के बाद मौके का फायदा उठाते हुये लोजपा अपने तेवर कड़ा करते हुये भाजपा के साथ बेहतर सौदा करने में कामयाब रही, जिसके चलते उन्हें छह सीट मिल गयी।

नीतीश कुमार भी भगवा पार्टी को अपनी महत्ता समझाने में कामयाब रहे , जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में अब उनको भाजपा के बराबर खड़ा होने का मौका मिल गया, उनकी झोली में कुछ वे सीटें भी आ गयी हैं, जिसपर 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा को अब जीती हुई अपनी 22 सीटों में से कम-से-कम पांच सीटों को जदयू के लिए छोड़ना पड़ेगा। जद (यू) ने 2014 में अकेले चुनाव लड़ा था और सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिल पायी थी, जबकि लोजपा ने छह सीट अपने नाम की थी।

शाह ने कहा कि गठबंधन में शामिल सभी दल जल्द ही लोकसभा क्षेत्रों के बंटवारे पर निर्णय लेंगे। यहां से पार्टियां 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को उतारेगी।

रविवार को इस मौके पर राम विलास पासवान ने कहा कि गठबंधन में कभी कोई समस्या नहीं थी, वे मोदी के नेतृत्व में पांच सालों से ‘‘राजग के पेड़’’ को सींच रहे हैं व उसको मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा कि देश में फिर से मोदी के नेतृत्व में सरकार बनेगी। दलित नेता ने अपनी पार्टी और भाजपा के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का भी धन्यवाद किया।

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सीट बंटवारे से खुश नजर आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि 2009 में जब परिणाम राजग के खिलाफ थे तब भी बिहार में राजग को 40 में से 32 सीटें मिली थी। उन्होंने कहा, ‘‘इस बार तो हम उससे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।’’ (भाषा के सहयोग से)

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