सैय्यद शाहनवाज हुसैन राजनीति में रहने के लिए “लाईफ लाईन” का इस्तेमाल किये, विधान परिषद् के रास्ते 

माननीय मोदीजी !! ध्यान रखियेगा 

पटना: कौन बनेगा करोड़पति के 12 वें श्रृंखला में, जो आगामी शुक्रवार को समाप्त होने जा रही है, इस शताब्दी के महानायक ने एक प्रश्न पूछा था : “भारत का सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड किसने बनाया था ?” सामने “हॉट-सीट” पर बैठे सज्जन “लाईफ-लाईन” का इस्तेमाल कर सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम लिए। उत्तर “सही” था और सम्बंधित प्रश्न का अपेक्षित मूल्य भी जीते। चुकि इसी सप्ताह कौन बनेगा करोड़पति श्रृंखला समाप्त होने जा रही है, अतः आगामी श्रृंखला में एक और प्रश्न पूछे जाने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, और वह प्रश्न हो सकता है: “भारत का वह कौन सांसद थे जो तीन बार लोक सभा चुनाव जीतने के बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री का रिकार्ड बनाने के बाद, राजनीतिक लाईफ-लाईन का इस्तेमाल कर एक राज्य का विधान परिषद् का सदस्य बना। इसे प्रोन्नति कहेंगे अथवा पदावनति ? 

कभी पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय राजनीति के वर्तमान स्वरुप में “एकलौता प्रखर मुस्लिम चेहरा” के रूप में “सम्मानार्थ टोपी” पहनाने वाले, भारतीय जनता पार्टी के प्रखर प्रवक्ता के रूप में जाने जाने वाले और केंद्रीय मंत्रिमंडल के नेता के साथ ऐसा क्या हुआ जो बिहार की जनता “प्रत्यक्ष रूप से उन्हें मतदान कर संसद में भेजने से अपना मुँह मोड़ ली? ऐसा क्यों हुआ कि सैयद शाहनवाज हुसैन को राज्य सभा के स्थान पर बिहार का विधान सभा का रास्ता दिखाया गया? क्या सैयद शाहनवाज हुसैन को केंद्रीय नेतागण बिहार का भावी मुख्य मंत्री के रूप में “शिक्षण-प्रशिक्षण” देने के लिए विधान परिषद् का मार्ग अपनाये हैं? क्या वर्तमान मुख्य मंत्री नितीश कुमार को भविष्य में पदच्युत करने की कोई “मुस्लिम-नीति” का प्रयोग करने की बात सोच रही है दिल्ली का दीन दयाल उपाध्याय मार्ग? या फिर भाजपा का केंद्रीय पार्टी इस बात भय वश सैयद शाहनवाज हुसैन को देश नहीं तो प्रदेश की राजनीति में प्रवेश देकर बिहार के मुस्लिम मतदाताओं को सुरक्षित रखना चाहती हैं ? 

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अनेकानेक प्रश्न है मन में उठ रहे हैं जब से हुसैन साहेब बिहार विधान परिषद् की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पात्र दाखिल किया। वैसे दूसरे पद के लिए मुकेश सहनी ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया । नामांकन पात्र दाखिल करने के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो उपस्थित थे ही, उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सहित बिहार के अन्य मंत्री, सांसद, विधायक, विधान पार्षद एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। कुछ तो बात है – जो इस बात का दस्तावेज है कि “सब कुछ ठीक नहीं है या तो बिहार की राजनीति में।” सैयद शाहनवाज हुसैन का राजनीतिक जीवन, या यूँ कहें की राजनीतिक तालिका अकस्मात् नीचे की ओर क्यों उन्मुख हो गयी है। हर व्यक्ति दिल्ली के राजपथ पर नाचना चाहता है – विशेषकर बिहार के नेतागण तो इसमें महारथ प्राप्त किये हैं – फिर ऐसा क्या हुआ की हुसैन साहेब पटना के सर्पेंटाईन रोड पर नाचने को तैयार हो गए ? कुछ तो है। 

एक समय था जब हुसैन साहेब दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बस में चढ़कर भारत के संसद में पहुंचे थे तो दिल्ली का समाचार पत्र , टीवी और संचार के अन्य माध्यमों ने इसे “हुसैन साहेब का ऐतिहासिक कारनामा” कहा। साफ़-सुथरे, सुन्दर तो हैं ही देखने में, यह उन्हें भारतीय जनता पार्टी का एक “उम्र से बड़ा मुस्लिम चेहरा” तक बना दिया। जबकि भाजपा में मुस्लिम नेताओं की किल्लत नहीं थी, और ना ही है। इन्होने देश में सबसे पहले युवा कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकॉर्ड भी बनाया था। आज पटना से दिल्ली तक कोई अखबार, कोई टीवी, कोई सोसल मीडिया पर इस बात का उल्लेख नहीं मिल रहा है की आखिर भारत का ऐसा युवा नेता दिल्ली का राजपथ छोड़ पटना क्यों आया? हाँ, दिल्ली में डीटीसी बस पर चढ़कर संसद पहुँचते थे, यहाँ चार-पहिया वाला बहुमूल्य मोटर है। 

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बहरहाल, पटना के रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री नितीश कुमार यह मानने तो तैयार नहीं हैं कि कुछ तो पक रहा है बिहार की राजनीति में, देख की राजनीति में। अलबत्ता “चेहरे पर बिना किसी मुस्कान के नितीश कुमार कहते हैं कि राजग के चारों घटक दल मिलजुल कर काम कर रहे हैं। सभी दल एकजुट होकर सरकार का सहयोग कर रहे हैं। सब एकजुटता के साथ काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। बिहार विधान परिषद के उपनिर्वाचन के लिए सैयद शाहनवाज हुसैन एवं श्री मुकेश सहनी को राजग का उम्मीदवार बनाया गया है। इसके लिए मैं इन दोनों को विशेषतौर पर बधाई देता हूं। 

यह भी उल्लिखित है कि 1997 में एक कार्यक्रम के दौरान शाहनवाज हुसैन का भाषण सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि ये लड़का बहुत अच्छा बोलता है, अगर पार्लियामेंट में भेजोगे तो बड़े-बड़े लोगों की छुट्टी करेगा। 1998 के लोकसभा चुनाव में जब शाहनवाज हुसैन से पूछा गया कि कहां से चुनाव लड़ोगे तो उन्होंने मजाक समझकर कहा कि जो सबसे मुश्किल सीट हो हमें दे दीजिए, बाद में शाहनवाज को किशनगंज से आरजेडी उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिला तो हैरत में पड़ गए। शाहनवाज वो चुनाव तो हार गए, लेकिन पहले ही चुनाव में करीब ढ़ाई लाख वोट मिले।

1999 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो शाहनवाज सांसद बने और एनडीए के सरकार में राज्यमंत्री भी बने। उन्हें फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर, और स्पोटर्स जैसे विभाग उनके पास रहे। 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ एक कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया। शाहनवाज भारत के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मिनिस्टर बने। 2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला। 2004 के आम चुनाव में हार के बाद शाहनवाज 2006 में उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीतकर दोबारा लोकसभा पहुंचे। 2009 में भागलपुर से शाहनवाज को दोबारा जीत मिली और एक बार फिर वो लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी की लहर थी, ऐसे वक्त पर शाहनवाज हुसैन को हार का सामना करना पड़ा और वो मात्र 4000 वोटों से चुनाव हार गए।

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