प्रियंका की आमद के बाद कांग्रेस का हाथ थामेंगे यूपी के कई कद्दावर

प्रियंका गाँधी, कांग्रेस महासचिव, फोटो NDTV के सौजन्य से
प्रियंका गाँधी, कांग्रेस महासचिव, फोटो NDTV के सौजन्य से

आशीष अवस्थी के द्वारा

लखनऊ : बुधवार सुबह अमेठी दौरे के लिए यूपी पहुंचे राहुल गांधी ने उन्हें बधाई देने वाले एक युवा कांग्रेसी नेता से कहा कि वह इस प्रदेश की दवा लाए हैं। कुछ ही देर बाद प्रियंका गांधी के कांग्रेस महासचिव बनने के साथ ही उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिए जाने का एलान हो गया।

सपा-बसपा गठबंधन में मामूली कोना दिए जाने लायक भी न समझी गयी कांग्रेस के लिए यह मास्ट स्ट्रोक सरीखा ही है कि जहां प्रियंका पूर्वी यूपी की 34 सीटों पर टिककर जमकर विजय की राह तलाशेंगी वहीं मध्यप्रदेश जीत नायक की तरह उभरे ज्योतिरादित्य सिंधिया पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 18 लोकसभा सीटों पर जोर लगाएंगे।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक अब सरप्राइज पैकेज के अगले हिस्से में फरवरी के पहले हफ्ते से प्रदेश के कद्दावर नेताओं की पार्टी में ज्वाइनिंग शुरु होगी। आने वाले दिनों में पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी, पूर्व सांसद कैसर जहां, पूर्व विधायक जासमीर अंसारी, शब्बीर बाल्मीकी, राकेश सिंह राना, पूर्व मंत्री रामहेत भारती, पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रामलाल राही, यूपी के मंत्री रहे आर.के. चौधरी सहित बड़ी तादाद में अन्य दलों के नेता कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।

दरअसल गठबंधन के बाद समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी (सपा-बसपा) में नो पोचिंग एग्रीमेंट यानी एक दूसरे के नेता न तोड़ने का करार हो जाने के बाद चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं का मुफीद ठिकाना कांग्रेस बन सकती है। सपा और बसपा के गठबंधन से बेचैन तमाम नेताओं के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के असंतुष्टो सहित आगामी चुनाव में टिकट कटने की भनक पा चुके कुछ वर्तमान सांसद कांग्रेस में जाने की राह पर हैं।

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सपा के कद्दावर नेता रहे और पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बसपा में जाने वाले पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी की बात करीब करीब कांग्रेस में फिनल हो चुकी है। अंबिका चौधरी पिछला विधानसभा चुनाव बलिया जिले की फेफना सीट से बसपा के टिकट पर लड़े थे। बीते काफी समय से चौधरी बसपा की बैठकों से नदारद हैं। उन्होंने पहले तो सपा में वापसी की भी जुगत भिड़ाई थी पर सपा-बसपा गठबंधन के बाद वह रास्ते बंद हो गए हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि अब उनकी औपचारिक ज्वाइनिंग किसी भी दिन हो सकती है। अंबिका चौधरी को कांग्रेस बलिया लोकसभा सीट से प्रत्याशी के तौर पर उतार सकती है।

सपा से विधान परिषद के सदस्य रहे और पूर्व में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे राकेश सिंह राना की भी कांग्रेस में जाने की बात तय हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक राना की राहुल गांधी से जल्दी मुलाकात होगी जिसके बाद उनकी औपचारिक इंट्री होगी। राना ने हालांकि लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नही जतायी है।

उधर रामविलास पासवान की तरह उत्तर प्रदेश में मौसम वैज्ञानिक का खिताब पा चुके नरेश अग्रवाल भी भाजपा में असहज महसूस कर रहे हैं। नरेश का रुख भी इन दिनों कांग्रेस को लेकर नरम पड़ा है। कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले नरेश बाद में अपनी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस बना अलग हुए और अब तक सपा-बसपा का सफर तय कर फिलवक्त भाजपा में हैं। नरेश अपने गृह जिले में भाजपा में न मिलती तवज्जो से नाराज हैं उपर से उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल को अब तक मंत्री भी नही बनाया गया है। नरेश के गृह जिले में उनके प्रतिद्वंदी रहे अशोक बाजपेयी के भाजपा में आकर विधान परिषद पहुंचने के बाद वह और ज्यादा परेशान हैं। हाल ही में हरदोई के भाजपा सांसद अंशुल वर्मा ने पासी सम्मेलन में नरेश अग्रवाल पर मंदिर परिसर में शराब बंटवाने का आरोप लगाकर सनसनी मचा दी थी।
बहराइच से सपा विधायक रहे शब्बीर बाल्मीकी भी वहां से भाजपा सांसद सावित्रीबाई फुले की पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से बढ़ती नजदीकियों को लेकर नाराज हैं। बीते लोकसभा चुनाव में बहराइच से दूसरे स्थान पर रहे शब्बीर बाल्मीकी भी इस बार टिकट के लिए कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। इसी जिले की कैसरगंज लोकसभा सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में तीन लाख वोट पाकर भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह से हारने वाले सपा के पूर्व विधायक व मंत्री पंडित सिंह भी कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं। पंडित सिंह कैसरगंज से सपा के टिकट के दावेदार हैं पर इस सीट के बसपा के खाते में जाने की संभावना जतायी जा रही है।

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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक प्रमुख नेता का कहना है कि फरवरी के पहले हफ्ते में राहुल गांधी की रैलियों के सिलसिले के साथ कई बड़े और कद्दावर नेताओं के भी शामिल होने की शुरुआत होगी। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कई बड़े सपा-बसपा नेता कांग्रेस का दामन थामे दिख सकते हैं।

1 COMMENT

  1. बढिया विश्लेषण। प्रियंका के आने से उतर प्रदेश कांग्रेस में नई जान पड़ने की संभावना बलवती हो गई है। कई पुराने और नये नेता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। लेख में किया गया दावा सही साबित होगा।

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