मैं समय हूँ👁ओम बिरला इतिहास बनाये, लोकसभा के अध्यक्ष ‘पुनः’ चुने गए, कल जो लोकसभा की सदस्यता खो दिया था, आज लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष बना

आमने-सामने : लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी

रायसीना हिल (नई दिल्ली) : उस दिन शुक्रवार था और 2023 के मार्च महीने का 24 तारीख। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, जो 19 वर्षों से सांसद थे, को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। उन्हें एक दिन पूर्व सूरत की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था और उन्हें ‘मोदी’ उपनाम के बारे में 2019 के राष्ट्रीय चुनावों से पहले की गई टिप्पणी के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। अपनी अयोग्यता के कुछ घंटों बाद उन्होंने सामाजिक क्षेत्र के एक संचार साधन X  पर लिखा था:  “मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूँ। मैं कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हूँ।” 

कल मंगलवार था और 2024 साल का जून महीने का 25 तारीख। लोक सभा में विगत दस वर्षों से विपक्ष का स्थान खाली था। सोलहवीं लोकसभा और सत्रहवीं लोकसभा में किसी विपक्षी दल के पास इसके लिए जरूरी न्यूनतम 10 फीसदी सदस्य नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष पद के लिए दावा पेश करने के लिए किसी भी पार्टी को कुल 543 में से 55 सदस्यों का आंकड़ा पार करना होता है। लेकिन जिस राहुल गांधी को 24 मार्च 2023 को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार कर दिया गया था, कल दस वर्षों बाद पहली बार प्रतिपक्ष के नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विराजमान हुए। विगत 2024 आम चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी। भाजपा की 240 और NDA की 293 सीटों के मुकाबले इंडिया गठबंधन 232 सीटें जीतने में कामयाब रही। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 52 सीटें जीती थीं। 2014 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। 

इसे कहते हैं समय। कभी “मोदी” उपनाम पर “टिप्पणी” करने वाले राहुल गांधी को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला की उपस्थिति में संसद की सदस्यता से अयोग्य किया गया था, कल वही  राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की अगुवाई में श्री ओम बिरला को दूसरी बार लोकसभा के अध्यक्ष चुने जाने पर अभिनन्दन करने संसद में उपस्थित थे ‘नेता प्रतिपक्ष’ के रूप में। कल तक भारत के राजनेताओं के साथ-साथ लोगों के मुख पर “पप्पू”शब्द से अलंकृत होने वाले राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के रूप में कई शक्तियों और अधिकारों से अलंकृत होंगे। 16वीं लोकसभा में कांग्रेस के 44 व 17वीं में 52 सांसद जीते थे। इस बार पार्टी के 99 सांसद जीते हैं। हालांकि राहुल गांधी की ओर से वायनाड सीट खाली करने से यह संख्या 98 रह गई है। इसके बावजूद नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए यह पर्याप्त है।

आमने-सामने : लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला को बधाई देते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी

इसे कहते हैं समय। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए, निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला पुनः भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय डिमॉक्रेटिक गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के के. सुरेश को हराकर ध्वनिमत से लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में पुनः सुने गए, तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष चुना जाना भी ऐतिहासिक है। हालांकि लोकसभा के संख्या बल के हिसाब से उनकी जीत लगभग तय थी। 

मंगलवार (25 जून) को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद इसकी घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि माहताब को इस संदर्भ में पत्र लिखा। राहुल अपने 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभाले । वे इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं। इससे पहले उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी 1989-90 और मां सोनिया गांधी 1999 से 2004 तक इस पद पर रह चुकी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना था कि राहुल गांधी  को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने एक नया भविष्य दिखाया, अडानी घोटाले पर उनके भाषण ने घोटाले को उजागर किया और जब 16 पार्टियों ने अडानी-हिंडनबर्ग पर जेपीसी की मांग को लेकर एकजुट हुए। पार्टी ने राजनीतिक और कानूनी रूप से लड़ने की कसम खाई और विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला की घोषणा की।”

स्वतंत्र भारत में पांचवी बार ऐसा हो रहा है कि कोई अध्यक्ष लोक सभा से अधिक कार्यकाल तक अध्यक्ष के पद पर आसीन रहा। कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे, जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किए हैं। प्रधानमंत्री ओम बिरला को बधाई देते हुए कहा, ”मैं पूरे सदन को बधाई देता हूं। हम सभी का विश्वास है कि आने वाले पांच साल में आप हमारा मार्गदर्शन करेंगे। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू बिरला को अध्यक्षीय आसन तक लेकर गए। जब बिरला ने अध्यक्षीय आसन ग्रहण किया तो पीएम मोदी, राहुल गांधी और रिजिजू ने उन्हें बधाई और शुभकामना दी। ऐसा पांचवीं बार ऐसा होगा कि कोई अध्यक्ष एक लोकसभा से अधिक कार्यकाल तक इस पद पर आसीन रहेगा। इसके अलावा एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एकमात्र ऐसे पीठासीन अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने सातवीं और आठवीं लोकसभा में दो कार्यकाल पूरे किए हैं। इसके अलावा आज तक किसी ने भी इस आसन पर दो कार्यकाल पूरे नहीं किए हैं। इसे कहते हैं समय। 

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एक वर्ष पूर्व राहुल गांधी का लोकसभा से निष्कासन

कल जो व्यक्ति संसद में प्रधानमंत्री को “आँख मारने वाली वीडियो” को लेकर लोगों ने विख्यात किया था, आज  प्रधानमंत्री के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त, सहित अन्य चुनाव आयोग के दो अन्य दो आयुक्तों की नियुक्ति के चयन प्रक्रिया में अपना अहम्  भूमिका अदा करेंगे। इतना ही नहीं, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशकों, सदस्यों के चयन समिति का हिस्सा होंगे। इन समितियों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। इसे कहते हैं ‘समय’ क्योंकि विगत दस वर्षों में यह पहला अवसर होगा जब इन पदों पर नियुक्ति के फैसलों में प्रधानमंत्री को राहुल गांधी से सहमति लेनी होगी। इसके अलावे, राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के रूप में भारत सरकार के खर्चों कीपड़ताल करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी होंगे। वे सरकार के कामकाज की लगातार समीक्षा भी करेंगे। राहुल दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं।

ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले पांचवें नेता हैं। इससे पहले 1956 से 1962 तक एमए अय्यंगार, 1969 से 1975 तक जीएस ढिल्लों, 1980 से 1989 तक बलराम जाखड़, 1998 से 2002 तक जीएमसी बालयोगी लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने लगातार दो लोकसभाओं की अध्यक्षता की है। नीलम संजीव रेड्डी ऐसे सांसद रहे हैं जो दो बार लोकसभा अध्यक्ष रहे लेकिन लगातार नहीं रहे। उन्हें 1967 से 1969 तक और फिर मार्च 1977 से जुलाई 1977 तक लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था। ओम बिरला ऐसे पहले लोकसभा अध्यक्ष  हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड है। 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रह। उनके अध्यक्ष रहते ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किया गया था साथ ही बड़ी तादात में सांसदों को भी निलंबित किया गया था।

उधर, श्री ओम बिरला को सदन का अध्यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने श्री बिरला के लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष पद संभालने का स्वागत किया। उन्होंने अध्यक्ष को सदन की ओर से शुभकामनाएं दीं। अमृत काल के दौरान श्री बिरला के दूसरी बार कार्यभार संभालने के महत्व को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि श्री बिरला को उनके पिछले पांच साल के अनुभव और उनके साथ संसद सदस्यों के अनुभव से इस महत्वपूर्ण समय में सदन का मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अध्यक्ष के विनम्र तथा नम्र व्यक्तित्व और उनकी विजयी मुस्कान से उन्हें सदन का संचालन करने में मदद मिलती है। 

प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि लोकसभा के दोबारा चुने गए अध्यक्ष नई सफलता हासिल करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि इससे पहले श्री बलराम जाखड़ लगातार पांच वर्षों के बाद फिर से इस पद पर आसीन होने वाले पहले अध्यक्ष थे, और आज श्री ओम बिरला हैं जिन्हें 17वीं लोकसभा के सफल समापन के बाद 18वीं लोकसभा का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली है। उन्होंने बीच में 20 साल की अवधि की प्रवृत्ति की ओर भी इशारा किया जिस दौरान लोकसभा का अध्यक्ष चुने गए लोग या तो चुनाव नहीं लड़े या अध्यक्षीय कार्यकाल के बाद चुनाव जीत नहीं सके, लेकिन यह श्री ओम बिरला हैं जिन्होंने चुनाव में फिर से विजयी होने के बाद अध्यक्ष के रूप में वापसी करके इतिहास रचा है।   

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​18 वीं लोकसभा में प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने एक सांसद के रूप में अध्यक्ष के कामकाज पर चर्चा की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने श्री ओम बिरला के संसदीय क्षेत्र में स्वस्थ मां और स्वस्थ बच्चे के उल्लेखनीय अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र कोटा के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में श्री बिरला के किए गए अच्छे कार्यों पर भी टिप्पणी की। प्रधानमंत्री ने श्री बिरला की इस बात के लिए भी प्रशंसा की कि उन्होंने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में खेलों को भरपूर बढ़ावा दिया। पिछली लोकसभा के दौरान श्री बिरला के नेतृत्व को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने उस अवधि को हमारे संसदीय इतिहास का स्वर्णिम काल बताया। प्रधानमंत्री ने 17वीं लोकसभा के दौरान लिए गए परिवर्तनकारी फैसलों को याद करते हुए अध्यक्ष के नेतृत्व की सराहना की। प्रधानमंत्री ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार संरक्षण विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, प्रत्यक्ष कर – विवाद से विश्वास विधेयक जैसे सभी ऐतिहासिक अधिनियमों का उल्लेख किया जिन्हें श्री ओम बिरला की अध्यक्षता में पारित किया गया।

उन्होंने सदन को आश्वास्त किया कि नया संसद भवन माननीय अध्यक्ष के मार्गदर्शन में अमृत काल के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा। श्री मोदी ने वर्तमान अध्यक्ष की अध्यक्षता में नए संसद भवन के उद्घाटन को याद किया और लोकतांत्रिक पद्धतियों की नींव को मजबूत करने की दिशा में उठाए गए कदमों की भी सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद भवन सिर्फ दीवारों का जमावड़ा नहीं बल्कि 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षा का केंद्र है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सदन की कार्यप्रणाली, आचरण और जवाबदेही हमारे देश में लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सदन की गरिमा को बनाए रखने में अध्यक्ष द्वारा दिखाए गए संतुलन की सराहना की जिस दौरान कई कठोर निर्णय लेना भी शामिल था। उन्होंने परंपराओं को बनाए रखते हुए सदन के मूल्यों को बनाए रखने का विकल्प चुनने के लिए अध्यक्ष के प्रति आभार व्यक्त किया।

दस्तावेजों के अनुसार, गणेश वासुदेव मावलंकर लोकसभा के पहले अध्यक्ष थे। कांग्रेस के लोकसभा सांसद मावलंकर का कार्यकाल मई 1952 से फरवरी 1956 तक था। एम. अनन्तशयनम अय्यंगर देश के दूसरे लोकसभा अध्यक्ष बने। उन्होंने लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर के आकस्मिक निधन के बाद अध्यक्ष पद का दायित्व ग्रहण किया था। कांग्रेस पार्टी के सांसद अय्यंगार के दो कार्यकाल रहे, जिसमें पहला मार्च 1956 से मई 1957 तक और दूसरा मई 1957 से अप्रैल 1962 तक रहा। सरदार हुकम सिंह अप्रैल 1962 से मार्च 1967 के बीच लोकसभा के तीसरे स्पीकर थे। वर्ष 1962 के आम चुनावों में हुकम सिंह को कांग्रेस के टिकट पर पटियाला सीट से चुना गया था। डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने लोकसभा के चौथे अध्यक्ष के रूप में काम किया। रेड्डी के भी दो कार्यकाल रहे, जिसमें पहला मार्च 1967 से जुलाई 1669 तक और दूसरा मार्च 1977 से जुलाई 1977 तक रहा। रेड्डी चौथी लोकसभा के लिए आंध्र प्रदेश के हिन्दुपुर सीट से निर्वाचित हुए थे। 

​संविधान में विश्वास

नीलम संजीव रेड्डी ऐसे एकमात्र अध्यक्ष हैं जिन्होंने अध्यक्ष पद का कार्यभार सम्भालने के बाद अपने दल से औपचारिक रूप से त्यागपत्र दे दिया था। अध्यक्ष पद पर चुने जाने के तुरन्त बाद उन्होंने कांग्रेस की अपनी 34 वर्ष पुरानी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। उनका यह मानना था कि अध्यक्ष का संबंध सम्पूर्ण सभा से होता है, वह सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए उसे किसी दल से जुड़ा नहीं होना चाहिए या यों कहें कि उसका संबंध सभी दलों से होना चाहिए। वह ऐसे एकमात्र लोकसभा अध्यक्ष भी थे जिन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुने जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। नीलम संजीवा रेड्डी द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए लोकसभा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिए जाने पर डॉ. गुरदयाल सिंह ढिल्लों को अगस्त 1969 में सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। जब ढिल्लों इस पद के लिए निर्वाचित हुए तो वे उस समय तक लोकसभा के जितने अध्यक्ष हुए थे उनमें से सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे। कांग्रेस नेता ढिल्लों ने दो बार लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। पहला कार्यकाल अगस्त 1969 से मार्च 1971 तक और दूसरा मार्च 1971 से दिसंबर 1975 तक रहा। 

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ढिल्लों द्वारा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिए जाने के बाद रिक्त हुए पद पर जनवरी 1976 में बली राम भगत को पांचवीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया। कांग्रेस से आने वाले नेता का कार्यकाल मार्च 1977 को समाप्त हुआ था।छठी लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कावदूर सदानन्द हेगड़े का चुनाव किया गया। केएस हेगड़े का कार्यकाल जुलाई 1977 से जनवरी 1980 तक रहा। यह भी दिलचस्प था कि हेगड़े 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार निर्वाचित हुए और अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान ही उन्हें लोकसभा अध्यक्ष का पद मिल गया। डॉ. बलराम जाखड़ ने सातवीं लोकसभा के लिए अपने सर्वप्रथम निर्वाचन के तुरंत बाद अध्यक्ष पद हासिल किया। उन्हें लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। कांग्रेस से आने वाले जाखड़ का पहला कार्यकाल जनवरी 1980 से जनवरी 1985 तक और जनवरी 1985 से दिसंबर 1989 तक रहा। 

ओडिशा से आने वाले जनता दल के नेता रवि राय को दिसम्बर 1989 में नौवीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि, रवि राय अध्यक्ष पद पर केवल करीब 15 महीने ही रहे। कांग्रेस नेता शिवराज विश्वनाथ पाटील 10वीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। पाटील का कार्यकाल जुलाई 1991 से मई 1996 तक रहा।ओडिशा से आने वाले जनता दल के नेता रवि राय को दिसम्बर 1989 में नौवीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। हालांकि, रवि राय अध्यक्ष पद पर केवल करीब 15 महीने ही रहे। कांग्रेस नेता शिवराज विश्वनाथ पाटील 10वीं लोक सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। पाटील का कार्यकाल जुलाई 1991 से मई 1996 तक रहा। 

वर्षों की भारतीय संसदीय परंपरा से हटकर 11वीं लोकसभा ने विपक्ष के एक सदस्य पूर्णो अगितोक संगमा को सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया। उस वक्त भारत के 50 वर्षों के संसदीय इतिहास में वह ऐसे पहले सदस्य थे जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए अध्यक्ष का पद संभाला। उस वक्त कांग्रेस नेता संगमा का स्पीकर के रूप में पी.ए. संगमा का कार्यकाल मार्च 1996 से मार्च 1998 तक था। 

गन्ती मोहन चन्द्र बालायोगी को 12वीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित होने और सर्वसम्मति से 13वीं लोक सभा का अध्यक्ष पुनः निर्वाचित होने का गौरव हासिल है। तेलुगूदेशम पार्टी सांसद बालायोगी ने मार्च 1998 में देश के राजनैतिक इतिहास के अत्यंत नाजुक दौर में लोकसभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण पद के लिए निर्वाचित हुए। टीडीपी उस समय गठबंधन सरकार का बाहर से समर्थन कर रही थी। उस समय किसी भी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था। बालायोगी इस पद पर आसीन होने वाले आज तक के सबसे कम आयु के व्यक्ति थे। एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष जीएमसी बालायोगी की दुखद मृत्यु के बाद मनोहर जोशी मई 2002 में लोकसभा अध्यक्ष बने थे। शिवसेना से ताल्लुक रखने वाले जोशी जून 2004 तक पद पर बने रहे।

राहुल गांधी

जून 2004 में 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी का सर्वसम्मति से निर्वाचन हुआ। यह पहली बार था जब सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) का लोकसभा अध्यक्ष के रूप में निर्वाचन किया गया था। सोमनाथ चटर्जी माकपा से जुड़े थे। उप-प्रधानमंत्री स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार 2009 से 2014 तक लोकसभा की 15वीं अध्यक्ष रहीं। इस पद पर आसीन होने वाली वे पहली महिला थीं। मीरा कुमार कांग्रेस की सदस्य हैं। भाजपा की सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष थीं। वे इस पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं। राजस्थान के कोटा से भाजपा के सांसद ओम बिड़ला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।

कहते हैं कि ओम बिरला साल 2003 अब तक कोई भी चुनाव हारे नहीं हैं. साल 2003 में उन्होंने कोटा से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. साल 2008 में उन्होंने कोटा दक्षिण सीट से कांग्रेस नेता शांति धारीवाल को शिकस्त दी थी। साल 2013 में उन्होंने तीसरी बार कोटा दक्षिण सीट से चुनाव जीता था। हालांकि लोकसभा चुनाव उन्होंने पहली बार साल 2014 में लड़ा और विजयी भी हुए। तब से लेकर अब तक यानी कि 2019 और 2024 में उन्होंने जीत हासिल किये। साल 2019 में बीजेपी ने जब उनको लोकसभा का अध्यक्ष, तो हर कोई हैरान रह गया। 

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