जो भी हो बिहार में जन्म लिए, बिहार की मिटटी में लोट-पोट कर पले-बड़े हुए मुख्य मंत्री नितीश कुमार भले ही अब तक मैथिली नहीं सीख पाए हों, लेकिन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी मैथिली साहित्य के हस्ताक्षर हो जायेंगे वर्तमान विधान सभा चुनाव में प्रचार-प्रसार करते-करते।
वैसे मिथिलाञ्चल में, खासकर मिथिला विश्वविद्यालय में, “लपकने” की आदत बहुत पुरानी है; इसलिए ”प्रदेश के राजा” और ”देश के सेवक” को प्रसन्न करने के क्रम में कहीं मोदीजी को विश्वविद्यालय की ओर से ”डॉक्टरेट” अथवा ”डीलिट” की उपाधि से भी अलंकृत नहीं कर दिया जाय जाय । पैनी निगाह रखियेगा।
आगे और सुनिए, नरेन्द्र मोदी और नितीश कुमार एकदम “सलीम-जावेद” की जोड़ी हो गए हैं बिहार विधान सभा चुनाव प्रचार-प्रसार के दौरान। गजब – गजब का “डायलॉग” ठोक रहें हैं “मोदी”-“कुमार” जी। लेकिन अफ़सोस इस बात का है दोनों की दोस्ती अभी चुनाव के समय गहरी हुई है। अगर चुनाव-परिणाम में “उन्नीस-तेईस” हो गया, तो दोनों की दांत-काटी-रोटी, तुरंत ”छत्तीस” के आंकड़े में आ जायेगा।
द्वितीय चरण के मतदान हेतु प्रचार-प्रसार की समाप्ति के पूर्व समस्तीपुर में प्रधान मंत्री जबरदस्त डायलॉग ठोके। कहते हैं : “वे और नीतीश कुमारखुद केलिए पैदानहीं हुएबल्कि वेलोगों केलिए जिंदाहैं।” क़सम से, ऐसा डायलॉग आजतक कोई भी प्रधान मंत्री किसी प्रदेश के मुख्य मंत्री के लिए, वह भी जो अपनी पार्टी का नहीं हो, ठोके होंगे। प्रधानमंत्री नेराष्ट्रीय जनतांत्रिकगठबंधन (राजग)को लोकतंत्रके लिएसमर्पित वहींराष्ट्रीय जनतादल (राजद)एवं कांग्रेसको परिवारबचाने कागठबंधन करारदिया तथाजनता कोभरोसा दिलातेहुए कहाकि वहऔर बिहारके मुख्यमंत्रीनीतीश कुमारखुद केलिए पैदानहीं हुएबल्कि वेलोगों केलिए जिंदाहैं।”
मोदी ने समस्तीपुर में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवारों के पक्ष में आयोजित चुनावी सभा में संबोधन की शुरुआत मैथिली भाषा में की और कहा, “महाकवि विद्यापति के मुक्तिस्थल जननायक कर्पूरी ठाकुर के कर्मस्थल, बलवान घाटी के शहीद अमन कुमार की पावन भूमि पर हम आहां सबके प्रणाम करै छी ।” उन्होंने कहा कि इस बिहार की धरती ने ही पूरी दुनिया और मानवजाति को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया, जिस पर बिहार और पूरे देश को गर्व है। जब जनता के हित में फैसले होते हैं और फैसलों में जनता की सहभागिता होती है तभी लोकतंत्र मजबूत होता है। आज देश में एक तरफ लोकतंत्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित राजग का गठबंधन है वहीं दूसरी ओर अपने निहित स्वार्थ और अपने परिवार के स्वार्थ को पूरा करने के लिए समर्पित पारिवारिक गठबंधन है।
श्री मोदी ने राजद और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवालिया लहजे में कहा कि केवल अपने-अपने परिवार के लिए काम कर रही इन पारिवारिक पार्टियों ने जनता को क्या दिया। यह बड़े-बड़े बंगले और महल बने तो किसके लिए बने, सिर्फ और सिर्फ यह परिवार की पार्टियों के मुखियाओं के ही बने हैं। उन्होंने पूछा, “क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोई भाई राज्यसभा पहुंचे, क्या उनका कोई बेटा-बेटी पहुंचा है। क्या मोदी का कोई रिश्तेदार कहीं पहुंचा है। लोकतंत्र के लिए काम करने वाले लोग जनता को अवसर देते हैं। हम आपके लिए जिंदा है और आपके लिए जान लगाते हैं। हम खुद के लिए पैदा नहीं हुए हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां-जहां यह परिवार वाले सरकार में बैठे हैं वहां क्या होता है किसी से छुपा नहीं है। यदि तीन बेटे हैं तो वे सभी के बीच मौज करने के लिए जिले बांट देते हैं, मानो जैसे जिले उनकी निजी संपत्ति हों। यदि ये परिवार वाले इस तरह लूटेंगे तो फिर गरीब के बच्चे कहां जाएंगे। इन परिवार वालों को गरीबों की चिंता नहीं बल्कि उन्हें केवल खुद के विकास की चिंता है।
उधर, छपरा में 15 साल पूर्व राज्य में अपहरण और रंगदारी की होने वाली घटनाओं की याद दिलाते हुए कहा कि आज आत्मनिर्भर बिहार बनाने के संकल्प की प्रेरणा और प्रोत्साहन सुशासन है और उन्हें पूरा भरोसा है कि प्रदेश के लोग सत्ता से स्वार्थ की राजनीति करने वालों को दूर रखकर बिहार को बीमार होने से बचाएंगे। मोदी नेकहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) आत्मनिर्भर बिहार के जिस संकल्प को लेकर चला है उसकी प्रेरणा और प्रोत्साहन सुशासन है। आज बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हुआ है और शांति व्यवस्था बनी हुई है । बिहार के गांव भी आज सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ गई है। उन्होंने कहा कि यह काम डेढ़ दशक पहले भी हो सकता था यदि तब की सरकार के पास नीयत और इच्छाशक्ति होती ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार के पास सामर्थ्य और सरकार के पास पर्याप्त पैसा तब भी था लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि बिहार में उस समय जंगलराज था । उन्होंने कहा, “उस समय यहां पुल बनाने का कौन काम कौन कर सकता था जब इंजीनियर और ठेकेदार 24 घंटे खतरे में हों। किसी कंपनी को यदि काम मिलता भी था तो वह यहां काम शुरू करने से पहले सौ बार सोचता था । काम शुरू करने से पहले उसे फिरौती पक्की करनी पड़ती थी। (वार्ता के सौजन्य से)