‘गाय-बछड़ा’ से मुक्त हुआ ‘कांग्रेस’ पार्टी, अस्सी-वर्षीय ‘युवक’ मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथों पार्टी का कमान

ठोको ताली

नई दिल्ली : अंततः ‘तेरे कूचे से बाहर निकला।” लुट्यन्स दिल्ली के 10 जनपथ से कांग्रेस पार्टी को बहार निकलने में 26 साल लग गए, अगर दो साल राहुल गाँधी की अवधजी को जोड़ दिया जाय। 10-जनपथ से 24 अकबर रोड का सफर तय करने में आज कांग्रेस पार्टी ‘आज़ादी’ के साथ-साथ “स्वराज” प्राप्ति भी समझ रही थी। आज ‘खड़गे’ पर ‘वुध’ का प्रभाव अच्छा निकला। वैसे चतुर्दिक लोगबाग कर रहे थे कि मल्लिकार्जुन खगड़े साहब को ‘आला-कमान’ का ‘आशीष’ था। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। करीब 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। बिहार के वरिष्ठ नेता और गैर-इंदिरा परिवार के सीताराम केसरी के बाद राष्ट्र भूल गया था कि कांग्रेस का कमान कोई और ले सकता है। 

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान हुआ था। इस बार मुकाबला वरिष्ठ पार्टी नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच था। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए कुल 9,385 वोट डाले गए, जिनमें से 416 मतों को अवैध घोषित किया गया। 8,969 वैध मतों में मल्लिकार्जुन खड़गे को 7,897 वोट हासिल हुए, जबकि शेष 1,072 वोट शशि थरूर को मिले। थरूर ने अपनी हार को स्वीकार कर लिया है। कर्नाटक से 9 बार विधायक रहने और कई बार सांसद रहने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार के वफादार नेताओं में शुमार किया जाता है। वैसे यह भी ‘शोध’ का ही विषय है कि 9385 वोट में 416 मतों का ‘अवैध’ होना। 

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के करीब 9900 डेलीगेट पार्टी प्रमुख चुनने के लिए मतदान करने के पात्र थे। कांग्रेस मुख्यालय समेत लगभग 68 मतदान केंद्रों पर मतदान संपन्न हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं समेत करीब 9500 डेलीगेट (निर्वाचक मंडल के सदस्यों) ने पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान किया था। 

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पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक, अध्यक्ष पद के लिए अब तक 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए हैं। इस बार पूरे 22 वर्षों के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। अकबर रोड कार्यालय में इस बात की भी चर्चाएं आम हो रही हैं कि मल्लिकार्जुन खगड़े के आने के बाद कांग्रेस पार्टी से रूठ कर जाने वाले कई जवान और बूढ़े नेता घर की ओर उन्मुख हो सकते हैं। 

कांग्रेस पार्टी के अन्य अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खगड़े

मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना पार्टी में बड़े बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है। उनके अध्यक्ष बनने के साथ ही गांधी परिवार बैकसीट पर पहुंच गया है, जो लगातार 24 सालों से कांग्रेस अध्यक्ष था।1998 से अब तक सोनिया गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष थीं, जबकि बीच में दो साल के लिए 2017 से 2019 के दौरान राहुल गांधी ने यह पद संभाला था। लोकसभा चुुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं तभी उन्होंने साफ कर दिया था कि अब गांधी परिवार से कोई अध्यक्ष नहीं होगा। अंत तक वह इस जिद पर अड़े रहे और फिर चुनाव हुआ, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे को चुना गया है।

खगड़े की जित के साथ ही राहुल गांधी ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष ही सुप्रीम हैं. मैं अध्यक्ष को ही रिपोर्ट करूंगा। पार्टी के नए अध्यक्ष ही पार्टी में मेरी भूमिका तय करेंगे।’  राहुल ने खुद ही साफ कर दिया है कि पार्टी प्रमुख ही उनके काम का फैसला करेंगे। फिलहाल, वायनाड सांसद कन्याकुमारी से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पदयात्रा की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी चीफ का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। बुधवार को राहुल ने यात्रा के दौरान आंध्र प्रदेश में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने अपनी भूमिका को लेकर कहा कि इसके बारे में पार्टी प्रमुख बताएंगे। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष पार्टी में सुप्रीम होता है।  हर सदस्य अध्यक्ष के पास जाता है… वे पार्टी में मेरी भूमिका तय करेंगें, प्लीज खड़गे जी और सोनिया गांधी जी से पूछें।’

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इसी बीच, शशि थरूर की टीम ने पार्टी के मुख्य निर्वाचन प्राधिकारी को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान “अत्यंत गंभीर अनियमितताओं” का मुद्दा उठाया और मांग की कि राज्य में डाले गए सभी मतों को अमान्य किया जाए। थरूर की प्रचार टीम ने पंजाब और तेलंगाना में भी चुनाव के संचालन में “गंभीर मुद्दे” उठाए थे। टीम ने कहा, पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को लिखे पत्र में थरूर के मुख्य चुनाव एजेंट सलमान सोज ने कहा है कि तथ्य “हानिकारक” हैं और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया में “विश्वसनीयता और प्रमाणिकता की कमी” है। 

मिस्त्री को लिखे एक खत में थरूर की टीम की ओर से लिखा गया कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के संचालन में अत्यंत गंभीर अनियमितताओं को ओर आपका ध्यान दिलाना चाहते हैं। आप देखेंगे कि यूपी में चुनाव प्रक्रिया  से जुड़े तथ्यों में और विश्वसनीयता से जुड़ी कमियां पाएंगे। पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में जो हुआ वह “पूरी तरह से अलग स्तर पर हुआ है।” थरूर ने लिखा कि हम ये खास तौर पर रेखांकित करना चाहेंगे कि हमारे पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मल्लिकार्जुन खड़गे जी को पता था कि उनके समर्थक यूपी में चुनाव के दौरान किस तरह अनाचार में लिप्त थे। हमें यकीन है कि अगर उन्हें पता होता तो वे यूपी में जो कुछ हुआ उसकी अनुमति नहीं देते। 

बहरहाल, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी पीएल पुनिया ने इस मामले पर कहा कि हम किसी से मिलने के लिए आए थे और उनको अग्रिम बधाई भी दे दी। जगजीवन राम के बाद दलित और पिछड़े समुदाय से कांग्रेस अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। इससे कांग्रेस को काफी मजबूती मिलेगी। 

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