भाजपा ‘गर्म’- विपक्ष ‘ठंढा’: भाजपा का सरकार बनाने की तैयारी शुरू, काँग्रेस नेताओं के इस्तीफे आने शुरू

​नरेंद्र मोदी
​नरेंद्र मोदी

नई दिल्लीः देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘प्रचंड लहर’ पर सवार भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 300 से ज्यादा सीटें हासिल करने के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी वहीं कांग्रेस में जबरदस्त पराजय के बाद पार्टी के बड़े नेताओं के इस्तीफे आने शुरू हो गये हैं।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 282 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस साल के आम चुनाव में उसे 303 सीटें मिलने की संभावना है। वहीं, कांग्रेस को इस बार 52 सीटें मिली हैं जो पिछले चुनाव में मिली 44 सीटों से ज्यादा हैं। हालांकि इन सीटों के साथ एक बार फिर कांग्रेस को संसद में विपक्षी दल का दर्जा प्राप्त नहीं हो सकेगा। इसके लिए पार्टी के पास कम से कम 54 सीटें होना अनिवार्य है।

क्षेत्रीय दलों में सबसे ज्यादा 23 सीटें द्रमुक के हिस्से में आयी हैं। वहीं, तृणमूल कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस को 22-22 सीटें मिली हैं। भाजपा के सहयोगी दलों शिवसेना को 18, जद(यू) को 16 और लोजपा को छह सीटें मिली हैं।

हालांकि महागठबंधन के बावजूद उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। बसपा को महज 10 सीटें मिली हैं जबकि सपा के हिस्से में पांच सीटें आयी हैं। यहां भाजपा को 62 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) को दो सीटें मिली हैं। वाम दलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और उन्हें (भाकपा और माकपा) महज पांच सीटें मिली हैं। पिछली बार इन्हें 10 सीटें मिली थीं।

मोदी की प्रचंड लहर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अपनी परंपरागत अमेठी सीट से हार गए हैं। हालांकि उन्हें केरल की वायनाड से जीत हासिल हुई है।

ये भी पढ़े   भाजपा में भी "आला-कमान" की संस्कृति जागृत हो गई है, लेकिन "स्वीकार" नहीं करते लोग 

हार के बाद जहां राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने पर सवाल उठने लगे वहीं पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राज बब्बर, ओडिशा कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक और कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष एच के पाटिल ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे भेज दिये हैं।

बब्बर उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी सीट से 4.95 लाख वोटों के अंतर से हार चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए नतीजे निराशाजनक हैं। मैं सही तरीके से अपनी जिम्मेदारी नहीं अदा कर पाने के लिए खुद को दोषी मानता हूं।’’

पटनायक ने कहा कि मैंने ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष को भेज दिया है। ओडिशा में कांग्रेस को केवल एक लोकसभा सीट और नौ विधानसभा सीटों से संतोष करना पड़ा है। पटनायक खुद भी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। राज्य की 21 लोकसभा सीटों में 8 भाजपा के खाते में चली गयीं। बीजद को 12 और कांग्रेस को केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा। 2014 में बीजद को 20 और भाजपा को केवल एक सीट मिली थी।

हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कुल 65 सीटों में से 61 सीटें भाजपा ने जीती हैं। पार्टी की प्रचंड जीत से उत्साहित मोदी परिणाम के एक दिन बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से आशीर्वाद लेने पहुंचे।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘श्रद्धेय आडवाणी जी से मुलाकात की। आज भाजपा की सफलता उनके जैसे महान लोगों से संभव हुई जिन्होंने दशकों तक पार्टी के निर्माण में और लोगों को नया वैचारिक विमर्श देने में समय बिताया।’’

ये भी पढ़े   "नारों" से सल्तनत बनता है, ढ़हता है क्योंकि किस्सा-कहानी तो सिर्फ कुर्सी के लिए है

भाजपा के 300 पार पहुंचने के साथ ही सहयोगी दलों के साथ राजग गठबंधन 350 सीटों के पार पहुंच गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन को 336 सीटें ही मिली थीं।

जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद मोदी देश के तीसरे और पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जो लोकसभा में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनायेंगे । मोदी वाराणसी में चार लाख 79 हजार 505 मतों से जीते हैं जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात में गांधीनगर लोकसभा सीट पर साढ़े पांच लाख वोट से विजयी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में पंजीकृत 90.99 करोड़ मतदाताओं में से करीब 67.11 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। भारतीय संसदीय चुनाव में यह अब तक का सर्वाधिक मतदान प्रतिशत है।

बहरहाल, निवर्तमान 16वीं लोकसभा के कुल 197 सांसद 17वीं लोकसभा में दोबारा सांसद चुनकर आए हैं। इनमें 27 महिला सांसद भी शामिल हैं। किरेन रिजीजू, जुअल ओरम, राजा मोहन सिंह, नितिन गडकरी और बाबुल सुप्रियो भाजपा के मौजूदा 145 ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी है।

बिहार में भाजपा के 12 सांसद फिर से लोकसभा जा रहे हैं। कांग्रेस के सुपौल के सांसद हार गए। कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से टिकट दिया था लेकिन वह फिर से संसद का रास्ता तय नहीं कर पाए। मौजूदा दो सांसदों को जदयू और तीन सांसदों को लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने टिकट दिया था। यह तीनों जीतने में सफल रहे। राजद ने भी अपने तीन सांसदों को टिकट तो दिया था लेकिन वह जीत नहीं पाए। राष्ट्रीय राजधानी में भी पांच मौजूदा सांसद दोबारा चुने जाने में सफल रहे।

ये भी पढ़े   दरभंगा-दिल्ली-मुम्बई-बंगलुरु हवाई सेवा उप-प्रधानमंत्री आडवाणी जी को जन्मदिन का उपहार 

आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी ने अपने नौ सांसदों को टिकट दिया था लेकिन सिर्फ दो ही सीट पर उनके सांसद जीत पाए। वाईएसआर कांग्रेस कड़प्पा और राजमपेट सीट से जीतने में सफल रहे। असम में भाजपा और कांग्रेस से दो-दो वर्तमान सांसद इस बार चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा के दोनों उम्मीदवार जीत गए जबकि कांग्रेस का एक उम्मीदवार ही सीट बचाने में सफल रहा। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट धुबरी सीट बचाने में सफल रहा।

राकांपा ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल पीपी को दोबारा टिकट दिया और वह जीतने में भी सफल रहे। माकपा ने त्रिपुरा में अपने दो सांसदों को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह दोनों ही चुनाव हार गए। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने तेलंगाना में अपने छह सांसदों को फिर से उम्मीदवार बनाया था लेकिन सिर्फ दो ही जीतने में सफल रहे।

अन्नाद्रमुक ने मौजूदा सात सांसदों को टिकट दिया था लेकिन उनमें से कोई भी जीत नहीं सका। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने अपने 23 सांसदों को टिकट दिया था और उनमें से नौ अपनी सीट नहीं बचा सके। भाजपा ने दोबारा सिर्फ एक मौजूदा सांसद को टिकट दिया था और वह जीतने में सफल रहे।

राजस्थान में भाजपा ने मौजूदा 16 सांसदों को टिकट दिया था और उनमें से सभी जीतने में सफल रहे। महाराष्ट्र में 15 में से 14 सांसद अपनी सीट बचाने में सफल रहे। शिवसेना के 15 सांसद अपनी सीट बचाने में सफल रहे। इसी तरह देश के अन्य हिस्सों में कई सांसद अपनी सीट बचाने में सफल रहे। (भाषा के सौजन्य से)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here