आख़िर मोदी-शाहद्वय नितीश कुमार को मुख्य मन्त्री क्यों बनाये? लगता है नितीश कुमार “छक्का” में उड़ने वाले हैं  

आने वाला समय - असम्भावित घटनाएं और बिहार के नितीश बाबू का गुहार: 'देखिए!! बनाये हैं तो उतार मत दीजियेगा तुरन्ते  
आने वाला समय - असम्भावित घटनाएं और बिहार के नितीश बाबू का गुहार: 'देखिए!! बनाये हैं तो उतार मत दीजियेगा तुरन्ते  

पटना/नई दिल्ली : कल से विभिन्न टीवी चैनलों के साथ-साथ सोसल मीडिया पर बिहार के नए उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद व रेणु देवी छाये हुए हैं – कटिहार के तार किशोर बाबू जहाँ नितीश कुमार और सुशील मोदी को ‘प्रधान मन्त्री’ बना दिए; श्रीमती रेणु देवीजी 2020 को बीस हज़ार बीस बना दीं। मीडिया वाले भी मजा लेने में गजबे कबड्डी खेलने लगते हैं। जबकि वास्तविक प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदीजी इसे “अन्यथा” नहीं लिए – कहा जाता है कि “कब किसके जुबान पर सरस्वती बैठीं हो और बात सच हो जाय । वैसे लगता हैं कि भाजपा के आला-कमान भी “ऐसे ही व्यक्तियों को मंत्री-उप-मुख्य मंत्री के पदपर देखना चाहते हैं जिसे फर्क महसूस न हो और छोटी-छोटी खुसियो में आपा खो दे।

अब उन्हें कौन समझाए की कैसे-कैसे पहलवान, विद्वान, विदुषी लन्दन-अमेरिका-फ़्रांस-जर्मनी, यहाँ तक की चीन और बांग्लादेश से भी उच्चतर शिक्षा लेने और उपाधि प्राप्त करने के बाद भी जब “उम्र से अधिक खुशियाँ मिल जाती हैं तो “मन अलबला जाता है, जुबान क्या, पैर भी फिसल जाता है।” वैसी स्थिति में अगर बाहरवीं कक्षा तक पढ़ा आदमी-महिला अनायास उप-मुख्य मंत्री बन जाय, तो भैय्ये अभी तो शुरुआत है – आगे आगे देखिये, किसका जुबान फिसलता है, कौन खुद्दे फिसल जाते हैं, कौन खजूर के पेड़ पर चढ़ता है तो कौन तार के पेड़ से सीधे नीचे धरातल पर धाराम होता है – यह बिहार है भैय्ये।

बिहार में शिक्षा और विकास के लिए प्रदेश के लोग “गोलबंदी” नहीं करते, बल्कि फलनमा कुर्मी है, फलनमा यादव है, फलनमा पण्डित है, फलनमा दलित है – क्या पांचवां, क्या सातवां, क्या नौवां – एमए, पीएचडी, डिलीट, डॉक्टरेट की उपाधियों से अलंकृत मतदाता भी अपने अपने जात के लोगों के लिए “गोलबंदी” करते हैं – यह बिहार है।

जो भी हो, एक बात तो तय है कि आने वाले कुछ ही महीनों में नितीश बाबू “रूसने” वाले हैं और अगर ऐसा हुआ तो गाँठ बाँध लीजिए ‘धरासायी’ हो जायेंगे नितीश कुमार। उनका निजी और राजनीतिक छवि क्या होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन एक बात पक्का है कि अगर भारतीय जनता पार्टी और उसके आधुनिक अभिभावकगण भाजपा के पुरुखों के नहीं हुए, तो नितीश कुमार किस खेत की मूली हैं।

बिहार ही नहीं, स्वतन्त्र भारत के इतिहास में शायद यह पहली “राजनीतिक अकस्मात् घटना” होगी जब चुनाव में तीसरे नंबर पर आने का बाद कोई पार्टी के नेता मुख्य मंत्री बना होगा। वैसे भाजपा के इतिहास को देखने से भाजपा के ‘आधुनिक अभिभावकों” की यह “उदार-नीति” हज़म नहीं होता, आखिर बिहार प्रदेश भाजपा के इतने अच्छे, जुझाड़ु नेता तो पटना की सड़कों से उठकर विधान सभा तक पहुंचा हो, उप-मुख्य मंत्री बना हो; उसे मक्खी की तरह निकालकर क्यों फेंक दिया गया ? सुशील मोदी के सामने कटिहार के विधायक तार किशोर प्रसाद और बेतिया के विधायक रेणु देवी का कद बहुत छोटा है। 

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केन्द्रीय  गृह मंत्री अमित शाह का बिना नाम लिए, भाजपा के एक आतंरिक सूत्र का कहना है कि: “भाजपा वादे के पक्के हैं। चुनाव से पूर्व कहा था की आप ही मुख्य मंत्री बनेगे, आप बन गए। अब आज के बाद से आप जानिए की कैसे भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को झेलेंगे। हमें अपनी पार्टी और पार्टी के कार्यकर्त्ता बेहद पसंद हैं। शेष आप ज्ञानी हैं।”

जय प्रकाश नारायण के सं 1974 की सम्पूर्ण क्रान्ति से लेकर कल होने वाले शपथ समारोह तक तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी का नाम पटना की किसी भी सड़कों पर अपना छाप नहीं छोड़े है जिसे देखकर यह समझा जाय कि प्रदेश के विकाश में इन दो मोहतरमा और मोहतरम का अत्यधिक योगदान है। वैसे बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञ भी मुंह बंद किये हैं और राग-दरबारी जैसा ही कह रहे हैं कि बिहार की राजनीति में नया इतिहास रचते हुए नीतीश कुमार ने  दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे राजग के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी । यह एक इतिहास है। लेकिन उसी राज भवन के द्वार पर बैठा समय टकटकी निगाह से कुछ और अवलोकन कर रहा था। 

69 वर्षीय नीतीश कुमार के साथ भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद, एवं बेतिया से विधायक रेणु देवी ने भी शपथ ग्रहण की। दोनों को उप मुख्यमंत्री बनेंगे। बहरहाल, दोनों महान नेताओं की भूमिका आगामी 23 से 27 नबम्बर तक आहूत होने वाली विधानसभा का सत्र में ही देखा, परखा जायेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नवगठित मंत्रिमंडल के साथ यह पहली बैठक होगी। मंत्रिमंडल की बैठक में सिर्फ एक ही एजेंडा था, जिस पर मुहर लगी।

नितीश कुमार के राजनीतिक जीवन में शायद यह पहला अवसर है जब उनकी पार्टी “हद से अधिक कमजोर” है। वैसे भाजपा के नेतागण कहते हैं कि वे अपने संगठन के सभी पार्टियों को, चाहे जो पहले बहुत मजबूत थे, आज कमजोर हो गए हैं; या जो पहले बहुत कमजोर थे, आज मजबूत हो गए हैं – सबों को एक साथ लेकर चलेंगे। लेकिन भाजपा के ही अन्य नेता बिना नितीश कुमार या उनकी पार्टी जनता दल युनाइटेड का नाम लिए कहते हैं कि यह न कभी हुआ है, और न भविष्य में कभी ऐसा होगा। अगर एक पार्टी दूसरी पार्टी के हित को अधिक ध्यान रखेगी, तो आने वाले समय में उसकी भी वही हाल हो सकती है जो आज दूसरे की है।  यह सत्ता की लड़ाई है और सभी सत्ता के शीर्ष पर ही आसीन होना चाहते हैं। 

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एक प्रश्न के उत्तर में भाजपा के सूत्र कहते हैं: “हमने चार दसक से अधिक समय पार्टी को दिया है। एक-एक कार्यकर्त्ता को जोड़-जोड़कर पार्टी का संगठन मजबूत बनाते देखा है पार्टी के पुराने नेताओं को। लेकिन  आज के परिपेक्ष में भाजपा पर सम्पूर्ण नियंत्रण सिर्फ दो व्यक्तियों – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह -का है। यहाँ तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी महज एक रबर स्टाम्प हैं और वे इन दो नेताओं के मत के विरुद्ध जा ही नहीं सकते।  अगर ऐसा होता तो प्रदेश के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के साथ ऐसा होता ही नहीं। इससे भी बड़ी बात यह है कि बिहार में प्रदेश के मुख्य मंत्री पद के लायक कोई भी भाजपा नेता नहीं है, चाहे विधायकगण ही क्यों न हों।”

शाह उवाच: नितीश जी। हम सभी वादे के पक्के हैं। चुनाव से पूर्व कहा था की आप ही मुख्य मंत्री बनेगे, आप बन गए। अब आज के बाद से आप जानिए की कैसे भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को झेलेंगे। हमें अपनी पार्टी और पार्टी के कार्यकर्त्ता बेहद पसंद हैं। शेष आप ज्ञानी हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में राजग को 125 सीटें मिलीं हैं जिसमें नीतीश कुमार की जदयू को 43 जबकि भाजपा को जदयू से 31 सीट अधिक (74 सीट) हासिल हुईं। नीतीश कुमार का कैबिनेट  में भी उनका हिस्सेदारी कम ही होगा और जिस तरह से वे पार्टी के नेताओं का क्लास लिया करते थे, इस बार संख्या काम होने के कारण उनका तेवर भी बहुत काम दिखेगा। इससे बड़ा और ज्वलंत उद्धारक क्या हो सकता है जब  भाजपा से अधिक मंत्रियों ने शपथ ली और दो उपमुख्यमंत्री बनाये गए। कुमार के साथ भाजपा के सात मंत्रियों, जदयू से पांच मंत्रियों और ‘हम’ पार्टी तथा वीआईपी पार्टी से एक-एक मंत्री ने शपथ ली।

बहरहाल, नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री पद पर सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाले श्रीकृष्ण सिंह के रिकार्ड को पीछे छोड़ने की ओर बढ़ रहे हैं जिन्होंने आजादी से पहले से लेकर 1961 में अपने निधन तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी थीं । कुमार ने सबसे पहले 2000 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण उनकी सरकार सप्ताह भर चली और उन्हें केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री के रूप में वापसी करनी पड़ी थी। पांच साल बाद वह जदयू – भाजपा गठबंधन की शानदार जीत के साथ सत्ता में लौटे और 2010 में गठबंधन के भारी जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री का सेहरा एक बार फिर से नीतीश कुमार के सिर पर बांधा गया।

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मई 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू की पराजय की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया लेकिन जीतन राम मांझी के बगावती तेवरों के कारण उन्हें फरवरी 2015 में फिर से कमान संभालनी पड़ी। भाजपा कोटे से सात विधायकों और जनता दल (यू) कोटे से पांच विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली । इसके अलावा ‘हम’ पार्टी से संतोष कुमार सुमन और वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इस बार भाजपा से कई बड़े चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला जिसमें सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव और प्रेम कुमार शामिल हैं ।

नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में शपथ लेने वालों में जदयू कोटे से विजय कुमार चौधरी का नाम प्रमुख है। इसके अलावा सुपौल से जदयू विधायक बिजेन्द्र प्रसाद यादव, जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष एवं विधान पार्षद अशोक चौधरी, तारापुर से विधायक मेवालाल चौधरी तथा पुलपरास से विधायक शीला कुमारी शामिल हैं । भाजपा के कोटे से नीतीश सरकार में वरिष्ठ नेता एवं विधान पार्षद मंगल पांडे ने शपथ ग्रहण की। पांडे पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे ।

इसके अलावा आरा से भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह तथा राजनगर से विधायक रामप्रीत पासवान ने भी शपथ ग्रहण की। दरभंगा के जाले सीट से विधायक जीवेश कुमार ने भी शपथ ली। औराई से भाजपा विधायक रामसूरत राय ने भी मंत्री पद की शपथ ली। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा से जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन ने शपथ ग्रहण की। वहीं विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। सहनी ने इस बार सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा था लेकिन वे चुनाव हार गए। वीआईपी पार्टी को चुनाव में चार सीटें मिलीं।

इधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई देते हुए कहा कि राजग परिवार बिहार की प्रगति के लिये मिलकर काम करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर नीतीश कुमार जी को बधाई । बिहार सरकार में शपथ लेने वाले मंत्रियों को भी मैं शुभकामनाएं देता हूं। बिहार के कल्याण के लिये मैं केंद्र से हरसंभव मदद का आश्वासन देता हूं। ’’ राज्य विधान परिषद के सदस्य सुशील मोदी को अब क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, यह स्पष्ट नहीं है। सुशील मोदी के बारे में एक सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा कि यह भाजपा का निर्णय है कि कौन लोग रहेंगे और कौन नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ यह प्रश्न तो आप भाजपा से पूछें । ’’’

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