दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव कल, अभ्यर्थी भी तैयार, छात्र-छात्राएं भी तत्पर, दिल्ली पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद

दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर का वॉल ऑफ़ डिमॉक्रेसी

दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर (दिल्ली) : चार वर्षों के बाद कल, 22 सितंबर 2023 को दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब 52 महाविद्यालयों और संकायों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अगले चुनाव तक के लिए छात्रसंघ के अपने-अपने प्रतिनिधि चुनेंगे। दिल्ली प्रशासन, दिल्ली पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सुरक्षा बंदोबस्त पर्याप्त है। परिसर में चुनाव का माहौल अपने उत्कर्ष पर है। वैसे छात्र राजनीति में जो भी अभ्यर्थी रहे हैं अथवा हैं, सबों की निगाहें आगामी वर्ष होने वाली दिल्ली विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर भी है। क्या पता किस वेश में नारायण (टिकट) मिला जाय ?

उधर दिल्ली पुलिस की ओर से पुलिस कर्मियों को पूरी छूट दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न घटित हो। दिल्ली पुलिसकर्मी, अधिकारी अपनी पैनी निगाह वाहनों पर रखे हैं। पुलिसकर्मियों का कहना है कि “परिसर में तैनाती के कारण हमें इस बात पर विशेष ध्यान रखना है कि प्रचार-प्रसार के दौरान, चुनाव के दौरान बाहर से कोई अपराधी किस्म के लोग परिसर में दाखिल नहीं लें लें। उनका कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर से अनेक सड़कें निकलती हैं, वैसी स्थिति में यह देखना, पड़ताल रखना कि कौन छात्र है और कौन अपराधी मुस्किल होता है। 

विगत दिनों छात्र संघ के एक प्रत्याशी के समर्थक मिरांडा हाउस में गेट खोलकर प्रवेश कर गया। मिरांडा हाउस में ऐसी घटना पहले भी हो चुकी है। चार वर्षों के बाद होने वाली इस चुनाव में विभिन्न छात्र संगठनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र अपने-अपने संघों के प्रतिनिधियों के समर्थन में यहाँ डेरा डाले हैं। छात्रसंघ के चुनाव में प्रशासन के द्वारा चुनाव में खर्च की सीमा पांच हज़ार रुपये निर्धारित करने पर परिसर में कई लोग हंस रहे थे। उनका कहना था कि “यह प्रशासन की सोच को बताता है। भारत का चुनाव आयोग पंचायत से लोक सभा के प्रत्याशियों के लिए चुनाव खर्च निर्धारित कर रखा है, लेकिन क्या उन चुनावों के दौरान उतने ही खर्च होते हैं?”

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चुनाव का माहौल

नॉर्थ कैम्पस में चुनावी माहौल तो है ही, दिल्ली पुलिसकर्मियों की भी प्रचुर मात्रा में तैनाती है। विश्वविद्यालय के छात्र समुदाय एक दूसरे पार्टी के नेताओं पर दोषारोपण कर रहे हैं। स्वाभाविक भी है। कई अन्य संगठनों के कार्यकर्त्ता परिसर में मुस्तैद हैं। कोई सड़कों पर, कालेज परिसरों में पर्ची, पर्चा, तस्वीर, कागज आदि चतुर्दिक बिखरे होने पर आपत्ति जाता रहे हैं तो को यह कह रहे हैं की चुनाव जितने पर विश्विद्यालय की छात्रों के लिए सेनेटरी पैड उपलब्ध कराया जायेगा।  वे यह भी कह रहे हैं कि पीरियड के समय छात्रों को 15 दिनों का अवकाश देने की व्यवस्था होगी। 

नार्थ कैम्पस में बड़ी-बड़ी चार-वाहनों पर मोटे, तगड़े, हठ्ठे-कठ्ठे लोगों की भीड़ है। वैसे दिल्ली पुलिस प्रशासन गंभीरता के मद्दे नजर बंदोबस्त करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है – फिर भी। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में लिंगदोह कमेटी द्वारा तय अधिकतम पांच हजार रुपये की खर्च सीमा से कहीं अधिक एक दिन में गाड़ियों में पेट्रोल भराने में खर्च हो जा रहा है। इसके साथ ही सड़क से इंटरनेट मीडिया तक प्रचार में चुनाव प्रबंधन का खर्च करोड़ों में पहुंच रहा है। दिल्ली पुलिस गाड़ियों पर विशेष नजर रखी है। इस चुनाव में नाव में छात्र संगठनों ने चुनाव प्रचार में सारी ताकत झोंक दी है। 

उमीदवारों का कार्ड और दिल्ली की सड़कें

डूसू के 2019 में हुए चुनाव में एबीवीपी ने चार में से तीन सीटें जीतीं। इस बार एबीवीपी की तरफ से तुषार डेढ़ा को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया है। उन्होंने सत्यवती कॉलेज से स्नातक किया है और फिलहाल बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। वह 2015 में एबीवीपी से जुड़े थे। सुशांत धनखड़ उपाध्यक्ष पद के लिये लड़ेंगे। हरियाणा से आने वाले धनखड़ राज्य स्तरीय शूटिंग चैंपियन भी हैं। सचिव पद के लिए चुनाव लड़ रहीं अपराजिता उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली हैं। धनखड़ और अपराजिता भी बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। एबीवीपी ने सचिन बैसला को संयुक्त सचिव पद के लिये अपना उम्मीदवार बनाया है। वह भी बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं।

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जबकि, NSUI ने विधि अंतिम वर्ष के छात्र हितेश गुलिया को डूसू अध्यक्ष पद के लिये अपना उम्मीदवार बनाया गया है। अभी दहिया को एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया गया है। वह बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। एनएसयूआई की तरफ से 24 वर्षीय यक्षणा शर्मा सचिव पद के लिये उम्मीदवार होंगी। वह ‘कैंपस लॉ सेंटर’ में विधि अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। शुभम कुमार चौधरी एनएसयूआई के संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार होंगे। वह भी बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। 

इसके अलावे पूर्वांचल की राजनीतिक लाभ उठाने वाले ‘आधुनिक’ और ‘शहरी’ नेताओं की गढ़ को तोड़ने के लिए बिहार के निशि हिमांशु राज इनसो की ओर से सचिव पद पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी के छात्र हैं। पूर्वांचल से आने वाले निशि हिमांशु राज छात्रों की जमीनी जरूरतों को अच्छी तरह से जानते हैं। वे बिहार के सीवान जिला से हैं। 

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