अब बिहार पुलिस के लोग ‘आपराधिक-नेताओं’ को सलामी देंगे और देश का राष्ट्रधव्ज ‘टुकुर-टुकुर’ देखेगा  

1064 उम्मीदवारों में से 328 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 244 प्रत्याशियों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों में शामिल होने की जानकारी सामने हैं।   
1064 उम्मीदवारों में से 328 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 244 प्रत्याशियों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों में शामिल होने की जानकारी सामने हैं।   

भारत का सर्वोच्च न्यायालय चाहे निर्देशों का मकड़ा-जाल बना दे, भारत का निर्वाचन आयोग चाहे केदारनाथ-बद्रीनाथ जाकर कसम खाए की देश की राजनीतिक-व्यवस्था को “कोरोना-पश्चयात नदियों जैसा स्वच्छ और पवित्र कर देंगे”; लेकिन भारत की राजनीतिक पार्टियों के “आला-कमान” ऐसे हैं कि आपराधिक-छवि वाले नेताओं के बिना चाहे विधान सभा हो या लोक सभा -पार्टी चलने में सक्षम नहीं दीखते। इस पुनीत कार्य के लिए बिहार के मतदातागण काँग्रेस की सोनिया गाँधी को, भारतीय जनता पार्टी के जे पी नड्डा को, जनता दल (यूनाइटेड) के नितीश कुमार को, राष्ट्रीय जनता दल के लालू यादव को, लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान को ह्रदय के अन्तः कोने से धन्यवाद देती है।  

इसलिए छोड़िए सभी बातों को, कोरोना वायरस को भी छोड़िए और “गले मिलिए आपराधिक किस्म के उम्मीदवारों से जो बिहार के प्रथम चरण के चुनाव में गोंता लगाने जा रहे हैं। फक्र कीजिये की आगामी 28 अक्टूबर से प्रारम्भ होने वाले प्रथम चरण के चुनाव में तक़रीबन 31 फीसदी उम्मीदवारों ने “अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों” और 23 फ़ीसदी  “गंभीर आपराधिक मालों” में जुड़े होने का बहुत ही फक्र के साथ “घोषणा” किये हैं।  इन्हे आशीर्वाद दीजिये “विजय भवः” होने का। इतना ही नहीं, प्रथम चरण में 71 में से 61 (86 फीसदी) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहाँ तीन अथवा उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय एक नहीं अनेकों बार “हिदायत” दी। परन्तु कान पर जूं तक नहीं रेंगा । अब आज ये अपराधी-छवि वाले चुनाव जीतेंगे, कल विधान सभा में बैठेंगे। फिर कानून भी बनाएंगे, जो कानूनों को धज्जी उड़ाते हैं। अब ये ही बता सकते हैं कि आने वाले समय में ये सभी प्रदेश के कानून-व्यवस्था को कैसे संभालेंगे? कल अगर कानून-व्यवस्था की बात करेंगे तो शायद उनकी पार्टी के विधायकजी , सहयोगी पार्टी के विधायकजी, विपक्ष के विधायकजी “हथ्थे से कवड़” जायेंगे। वैसी स्थिति में पूर्व की भांति, फिर बिहार पुलिस के अधिकारियों को टनाटन-चमकता वर्दी में उन “अपराधी-से-नेता-बने विधायकों, मंत्रियों को हाथ के दसो-उँगलियों से सलामी देना होगा” – भले इन वर्दीधारियों को 365-दिनों में दो-दिन भी राष्ट्रध्वज को सलामी देने का समय नहीं मिलता हो। 

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बिहार इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फॉर डिमॉक्रेटिक रिपोर्म्स अपने रिपोर्ट जारी करने के साथ इस बात को बहुत ही बेहतरीन तरीके से स्पष्ट लिखा है कि : “इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी मतदाताओं को जागरूक करने के उद्देश्य से दी गयी है और शपथ पत्रों की प्रतिलिपियाँ भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट से प्राप्त की गयी है। साथ ही, उम्मीदवारों द्वारा दी गयी जानकारी इस विश्लेषण का स्रोत है। यानि, ये सिर्फ विश्लेषण किये हैं उनकी बातों को। 

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार  28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान में भाग ;लेने वाले 1064 उम्मीदवारों में से 328 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं 244 प्रत्याशियों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों में शामिल होने की जानकारी सामने हैं।   

प्रथम चरण में चुनाव में कुस्ती लड़ने वाले भारतीय जनता पार्टी के 29 उम्मीदवारों में 21 उम्मीदवार आपराधिक मामलों में लिप्त हैं। वहीँ लालू यादव वाला राष्ट्रीय जनता दाल के 41 अभ्यर्थियों में से 30, चिराग पासवान वाला लोक जनतांत्रिक पार्टी के 41 में से 24, कांग्रेस के 21 में से 12, नितीश बाबू के जनता दल यूनाइटेड के 35 में से 15 और बीएसपी के 26 में से 8 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले सन्निहित होने की बात रिपोर्ट में उजागर किया गया है। वहीँ, आरजेडी के 41 में से 22, लोजपा के 41 में से 20, बीजेपी के 29 में से 13, कांग्रेस के 21 में से 9, जेडीयू के 35 में से 10 और बीएसपी के 26 में से 5 उम्मीदवार गंभीर किस्म के आपराधिक मामलों में शामिल हैं।   

बिहार इलेक्शन वॉच ने इन 16 जिलों की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे 1064 उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की पड़ताल के बाद ये रिपोर्ट जारी की है।  रिपोर्ट में आपराधिक इतिहास के साथ-साथ उम्मीदवारों द्वारा घोषित संपत्ति के बारे में भी जानकारी दी गई हैं। शोधकर्ताओं ने भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, पटना, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई जिले की विधानसभा सीटों के उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों का तहकीकात किया है। 

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सबसे बेहतरीन बात यह यह कि 29 उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बंधित मामलों को भी स्वीकार किया है, साथ ही, तीन उम्मीदवारों ने अपने ऊपर बलात्कार (भारतीय दंड संहिता 376 ) से सम्बंधित मालों को भी स्वीकारा है। इतना ही नहीं, 21 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (भारतीय दंड संहिता – ३०२) से सम्बंधित मामले भी  घोषित किये हैं। कोई 62 ऐसे उम्मीदवार हैं जो अपने ऊपर हत्या का प्रयास (भारतीय दंड संहिता 307 ) से सम्बंधित मालने भी लिखे हैं। 

मजेदार बात तो यह है कि “उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 31 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है। बिहार के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने अपने ऊपर आपराधिक मममलों को घोषित करने वाले 31 फीसदी से 70 फीसदी उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरबरी 2020 के अपने निर्देशों में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को चुनने व साफ़ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के कारण बताने का निर्देश दिया था। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखते हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधर करने में कोई दिलचश्पी नही है और हमारे लोकतंत्र में कानून तोड़ने वाले जीतने के बाद कानून बनाने वाले विधायक बन जाते हैं।  
 
और सुनिए।  कुल 1964 उम्मीदवारों में से 375 उम्मीदवार, यानि 35 फीसदी, “करोड़पति” हैं। इसमें लालूजी के पार्टी में 41 में से 39 उम्मीदवबार; नितीश बाबू के पार्टी के 35  में से 31  उम्मीदवार, नड्डा साहेब की पार्टी के 29  में से 24  उम्मीदवार, चिराग पासवान के पार्टी के 41  में से 30 उम्मीदवार, सोनिया गाँधी के पार्टी के 21 में से 14  उम्मीदवार “करोड़पति” . औसतन बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के पहले चरण में उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 1.99 करोड़ है। 

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परन्तु पांच उम्मीदवार कपिलदेव मंडल (जमालपुर), अशोक कुमार (मोकामा), प्रभु सिंह (चैनपुर), गोपाल निषाद (नबीनगर) और महावीर मांझी (बोध गया – अनुसूचित जाति ) ऐसे हैं जिनकी संपत्ति “शून्य” है।  बिहार चुनाव के पहले चरण में 5 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति वाले 93 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं 2 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वाले प्रत्याशियों की संख्या 123 और 50 लाख से 2 करोड़ तक की संपत्ति वाले उम्मीदवारों की संख्या 301 है। 10 लाख रुपए से कम की संपत्ति वाले 232 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे है।   

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