चिराग़ बाबू, आपके मतदाताओं को पोर्टल बनाने के लिए पैसे होते तो “दलित” नहीं कहलाते, रोटी-प्याज के लिए नहीं तरसते  

पिता से आशीष लेते चिराग पासवान
पिता से आशीष लेते चिराग पासवान

लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान जी “वादे” वही करें, जो “अमल” में आ सके। आप राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य मंत्री के उम्मीदवार तेजस्वी यादव से बहुत अधिक शिक्षित हैं। वे नवमीं कक्षा में थे, पढ़ाई त्याग दिए। आप बी टेक हैं, वह भी कम्प्यूटर साइंस में। अब “वादे” करने में तो तनिक अंतर रखना होगा – वे कहते हैं 10 लाख युवाओं को रोजगार देंगे और आप कहते हैं “रोजगार के लिए पोर्टल” बनाएंगे । अगर आपके मतदाताओं के पास पैसे होते, वे भी आपके जैसा शिक्षित होते, तो शायद “दलित” और “महादलितों” की श्रेणीं डालकर बिहार के नेतागण उनके भविष्य के साथ राजनीति नहीं करते। 

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने वोट की राजनीति के लिए जातिवाद को बढ़ावा दिया और यदि गलती से भी वह फिर से मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश को बदहाली का और दंश झेलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। गजब का आरोप है।

पासवान ने यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज, विधायक दल के नेता राजू तिवारी और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरजभान की उपस्थिति में विजन डॉक्यूमेंट 2020 ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में हर बिहारी की इच्छा है बिहार अस्मिता के साथ-साथ प्रदेश को पुनः गौरवशाली बनाया जाए। उन्होंने कहा कि इस सोच को लेकर पार्टी ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के तहत लगभग चार लाख बिहारियों से सुझाव लेकर एक ऐसी रूपरेखा तैयार की है ताकि प्रदेश को फर्स्ट बनाया जा सके।

विजन डॉक्यूमेंट 2020 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का लोकार्पण करते  
विजन डॉक्यूमेंट 2020 ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ का लोकार्पण करते  

खैर,  “अगर जन्म-स्थान” को “वरीयता” मिलने के माप-यंत्र पर रखा जाय तो आपके अलावे बिहार के वर्तमान सभी अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी आपके ऊपर है। उस दृष्टि से  बिहार चुनाव के लिये अपनी पार्टी का दृष्टि पत्र ‘बिहार फर्स्‍ट, बिहारी फर्स्‍ट’ वाली बात “महज एक बरगलाने वाली बात है मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने हेतु। पासवान जी आपने युवा आयोग गठित करने, रोजगार के लिये पोर्टल बनाने, डेनमार्क की तर्ज पर दुग्ध उद्योग को बढ़ावा देने, बाढ़ एवं सूखे को रोकने के लिये नहरों को नदियों से जोड़ने जैसे वादे किये गए हैं – जो कभी भी पूरा नहीं हो सकता। 

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क्या आप स्वयं को “दलित” अथवा “महादलित” की श्रेणी का नागरिक होने का स्वीकार करते हैं सार्वजनिक तौर पर ? आप निश्चित रूप से प्रदेश का मुख्य मंत्री बनें, सकारात्मक राजनीति करें, युवा हैं और दुनिया घूमे हैं। लेकिन “राजनीति में रहने के लिए, दलितों, महा-दलितों समुदाय के लोगों के साथ, मतदाताओं के साथ “राजनीति नहीं करें” – इन्हे “पोर्टल” की जरुरत नहीं है, इन्हे “फर्स्ट बिहारी – फर्स्ट बिहारी” की भी जरुरत नहीं है, इन्हे दो वक्त की रोटी चाहिए, बच्चों को शिक्षा चाहिए, अच्छा स्वास्थ के लिए अस्पताल चाहिए। लेकिन तकलीफ इस बात की है कि बिहार के दलित नेता, “अधिकतर स्वयंभू” कभी इनकी समस्याओं को नहीं देखे, तबज्जो देने की बात तो पांच फर्लांग दूर ही रहने दें। 

आप नितीश कुमार पर निशाना साधते हैं, आलोचना करते हैं और कहते थकते भी नहीं कि अबतक तो बिजली पहुंच जानी चाहिए थी गाँव-गाँव तक, 15 साल से सत्ता में रहने के बाद भी वे नाली-गली और खेत में पानी पहुंचाने की बात कर रहे हैं। पासवान जी आप नितीश कुमार से पूछते हैं कि ‘‘बीते 15 साल में क्या किया, बिहार में रोजगार के लिए क्या किया? बिहार को सशक्त करने के लिए क्या किया?’’ – यही सवाल बिहार के लोग लोक जनशक्ति पार्टी से भी पूछ सकते हैं आखिर “सम्पूर्ण परिवार के साथ विधान सभा और लोक सभा रहने के अलावे बिहार के लोगों को आपसे, आपकी पार्टी से क्या मिला?

आप आरोप लगते हैं बिहार में अभी स्वास्थ्य की सही सुविधा नहीं है, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है और शिक्षा के हालात खराब हैं । कभी आप लोग अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली राशि से बिहार में मतदाताओं के लिए कभी कोई विद्यालय खोले? सम्पूर्ण प्रदेश के मतदाताओं के लाभर्थों की बात छोड़िये, दलित और महादलितों, जिसके “स्वम्भू नेता” बनकर सत्ता में बैठे रहे, उनके बच्चों के लिए कभी कोई विद्यालय की सुविधा, अस्पतालों की सुविधा, तन ढंकने के लिए वस्त्रों की सुविधा, दोनों वक्त खाने के लिए भोजन की सुविधा उपलब्ध  हो – सोचा भी। और आप बात करते हैं कि सत्ता में आने पर आपकी सरकार रोजगार पोर्टल बनाएगी जहां रोजगार लेने वाला और देने वाला सीधा जुड़ सकेगा – लेकिन “जुड़कर करेगा क्या?”

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लोकजनशक्ति पार्टी अपने दृष्टि पत्र में बाढ़ और सूखा रोकने के लिए नहर बनाकर राज्य की सभी नदियों को उससे जोड़ने का वादा किया गया है . क्या यह आपके अथवा अकेले राज्य सरकार के बूते में है?  हां, यह बेहतर प्रयास होगा की प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए कुछ सीटें आरक्षित करेंगे। 

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