शौचालय अभियान को तमाचा: भाजपा की नवनिर्वाचित विधायिका चंदना बाउरी के घर में शौचालय नहीं 

चंदना बाउरी अपने पति, बच्चों के साथ अपने घर के सामने। फोटो: इण्डियन एक्सप्रेस/पार्था पॉल के सौजन्य से 

कलकत्ता : पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के आला-नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ा राईटर्स बिल्डिंग पर कब्ज़ा करने के लिए विगत विधान सभा के चुनावों में। लेकिन सुश्री ममता बनर्जी की तृणमूल और भाजपा की चंदना बाउरी ने इतिहास रच दिया। एक ओर जहाँ तृणमूल 200+ स्थानों को जीत कर राइटर्स बिल्डिंग में कब्ज़ा किया है, वहीँ सालतोरा विधान सभा सीट पर तृणमूल के संदीप मंडल को पछाड़कर भाजपा की चंदना बाउरी, जिनके घर में आज तक शौचालय नहीं है, और वे, उनका परिवार ‘खुले में शौच’ करता आ रहा है, अब राइटर्स बिल्डिंग में बैठेगी।

वैसे प्रदेश में भाजपा के अभ्यर्थियों द्वारा विजय दर्ज करने के लिए देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी, देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा कोई कसर नहीं छोड़े थे । लेकिन सबों को निराशा ही हाथ लगी।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि भाजपा के चंदना बाउरी के घर में शौचालय नहीं है। वे और उनका परिवार, अन्य निरीह भारतीय परिवारों की तरह “खुले में शौच” करती आ रही है। लेकिन, कहते हैं न की जब समय अपना स्वरुप बदलता है तो चंदना बाउरी का भाग्य भी बदलता है। यह अलग बात है कि प्रधान मंत्री अपने जरुरत-से-अधिक व्यय वाले शौचालय अभियान में अरबों-खरबों रुपये खर्च किये होंगे, लेकिन वे शायद चंदना बाउरी को नहीं जानते होंगे। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन साहेब भी चंदना बाउरी को नहीं जानते होंगे। वे यह भी नहीं जानते होंगे की चंदना बाउरी के घर में शौचालय नहीं है और वह और उसका परिवार खुले में शौच करता है।

इतना ही नहीं, शौचालय के शहंशाह सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक को भी मालूम नहीं होगा कि सालतोरा विधान सभा क्षेत्र में रहने वाली एक डेली-वेज वर्कर की पत्नी, दो बच्चों की माँ चंदना बाउरी का भाग्य बदलने वाला है। वह सालतोरा विधान सभा क्षेत्र ही नहीं, पश्चिम बंगाल ही नहीं, भारत में शौचालय-विहीन परिवारों का ‘ब्रांड एम्बेस्डर’ बनने वाली है। वह सम्पूर्ण देश के प्रशासकीय-सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था पर तमाचा मारने वाली है जब वह अपने क्षेत्र की विधायक बनेगी। चंदना को 42167 मिले, जबकि संतोष को 38393 वोट प्राप्त हुए। चंदना ज्यादा पढ़ी-लिखा भी नहीं है। वो महज़ 12वीं तक ही पढ़ी है। बावजूद इसके जनता ने उन पर अपना भरोसा जताया है। 

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चंदना बाउरी  एक साधारण परिवार से आती हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास एक झोपड़ी और कुछ पैसे हैं। भाजपा नेता सुनील देवधर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंदना बाउरी की अबतक की जमापूंजी कुल 31,985 रुपये है। उन्होंने बताया कि चंदना एक अनुसूचित जाति से आती हैं, एक झोपड़ी में रहती हैं, वह एक मजदूर की पत्नी हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास तीन गाय और तीन बकरियां हैं। चुनाव आयोग में दिए गए शपथ पत्र में चंदना के बैंक खाते में सिर्फ 6335 रुपये हैं। चंदना के घर में शौचालय भी नहीं है। पार्टी के प्रति वह इतनी ज्यादा समर्पित हैं कि प्रचार के लिए रोजाना कमल के प्रिंट वाली भगवा रंग की साड़ी पहनकर निकलती हैं।

बहरहाल, भारत की एक महिला, उसमें भी पश्चिम बंगाल राज्य जिसने विगत दो-सौ वर्षों और अधिक समय में देश को अनेकानेक वीरांगनाओं को सुपुर्द किया, इस बात का गवाह है कि शरीर से ‘लाचार’ होने के बावजूद, पैर टूटे होने के वावजूद, दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर बैठे महानुभाव की कलकत्ता के राईटर्स बिल्डिंग को दिल्ली लाने की सम्पूर्ण मंसूबे पर पानी फेर दिया। वह महिला इस बात का भी इतिहास रची कि अपने पड़ोसी राज्य के राजनीतिक नेता और ‘बैशाखी’ के सहारे मुख्य मंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले ‘पुरुषों’ जैसी नहीं है जो ‘युद्ध’ के प्रारम्भ से पूर्व ही ‘हथियार डाल देता है, सन्धि कर लेता है, लड़ना नहीं जानता। उस महिला के नेतृत्व का यह ऐतिहासिक विजय इस बात का भी गवाह है कि बंगाल की महिलाएं देश के अन्य राज्यों की महिलाओं जैसी नहीं है जो स्वयं को शसक्त नहीं कर सकें। वे ख़ुद शसक्त होती हैं और दंगल में मर्दों के नेतृत्व वाली पार्टी को धूल चटाती है – नाम तो आपने सुना ही है तृणमूल कांग्रेस तो कलकत्ता के ऐतिहासिक राइटर्स बिल्डिंग में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। नेतृत्व करेंगी सुश्री ममता बनर्जी। 

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यदि देखा जाय तो बंगाल में भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी से लेकर, देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह से लेकर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और अन्य गणमान्य लोग एँड़ी-छोटी एक कर दिए थे। परन्तु 77 सीट जीतते-जीतते दम तोड़ दी। एक बात अवश्य है कि इन 77 सीटों की जीत से उसे 45 सीटों का इजाफ़ा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इजाफ़ा अथवा पूर्व के सीटों पर कब्ज़ा बनाये रखना इस बात  है कि उम्मीदवारों की छवि, उनके कार्यों को उनके मतदाता पसंद करते हैं। अन्यथा इस बात में केंद्रीय नेतृत्व की योगदान को बहुत अधिक तबज्जो नहीं दिया जा सकता हैं। कुल 292 सदस्यों के विधान सभा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा 213 सीटों पर कब्ज़ा करना पार्टी के कार्य, नेताओं के नेतृत्व का स्पष्ट प्रमाण है। वैसे पार्टी की अध्यक्षा सुश्री ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव हार गयीं हैं, फिर भी 213 स्थानों पर जीत हासिल करना अपने आप में एक इतिहास रचना है। भाजपा को प्रदेश की सत्ता को हथियाने में अभी बहुत मेहनत करनी होगी। 

इधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन कहा कि वह जनादेश को स्वीकार करते हैं और पार्टी मूल्यों एवं आदर्शों के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। अपने कार्यकर्ताओं और हमें समर्थन देने वाले लाखों लोगों का आभार। हम मूल्यों और आदर्शों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। जय हिंद।’’ राहुल गांधी ने तमिलनाडु में जीत के लिए द्रमुक नेता एम के स्टालिन को बधाई दी।

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उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु के लोगों ने बदलाव के लिए वोट किया। हम आपके (स्टालिन) नेतृत्व में लोगों के भरोसे को सही साबित करेंगे।’’ उधर, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के जिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बधाई दी और कहा कि भाजपा को उसके बराबर की टक्कर मिली और वह हार गई।

अपनी हार स्वीकार किये बिना भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा है कि भाजपा ‘सोनार बंगाल’ के स्वप्न को पूरा करने के लिए लगातार काम करती रहेगी । श्री नड्डा ने रविवार को पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, “भाजपा अपनी विचारधारा को पश्चिम बंगाल के घर-घर तक ले जाने का काम निरंतर करती रहेगी।मैं उन सभी कार्यकर्ताओं को नमन करता हूँ, जिन्होंने इस संघर्ष में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। ये कार्यकर्ताओं की मेहनत का ही परिणाम है, जिसने भाजपा को बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल के रूप में स्थापित किया।”

मतदान के बाद आए ज्यादातर एग्जिट पोल में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान जताया गया था। दूसरी तरफ, असम में राजग की जीत तथा केरल में वाम मोर्चे के सत्ता में बने रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था। एग्जिट पोल में असम और केरल में कांग्रेस की हार की संभावना जताई गई थी और अब तक के रुझानों में यही स्थिति बनती दिख रही है। तमिलनाडु में द्रमुक की अगुवाई और कांग्रेस की मौजूदगी वाले गठबंधन की जीत की संभावना जताई गई थी।

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