भाजपा ने राजनीतिक असहमति को कभी ‘‘राष्ट्र विरोध’’ नहीं माना: आडवाणी

​लालकृष्ण आडवाणी (फोटो पी टी आई के सौजन्य से)​
​लालकृष्ण आडवाणी (फोटो पी टी आई के सौजन्य से)​

नई दिल्ली : ​पिछले चार वर्षों में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कुछ भी नहीं लिखा अपने ब्लॉग पर और जब लिखा तो वर्तमान राजनीतिक विचारधाराओं में सत्तारूढ़ पार्टी के आला नेताओं के रवैय्यों का चिथड़ा उड़ा दिया। गौरतलब यह है कि इन बातों को आडवाणी ने तब कहा जब भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थापना का २९ वां वर्षगांठ कल, ६ अप्रैल को मनाएगी।

आडवाणी ने लम्बे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए गुरूवार को कहा कि उनकी पार्टी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ नहीं माना है । उन्होंने कहा, ‘‘ इसी प्रकार से राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना । पार्टी :भाजपा: व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है ।’’

सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक स्वरों को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार देने के चलन को लेकर छिड़ी बहस के बीच भाजपा के इस वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है। ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट (राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी, स्वयं अंत में)’’ शीर्षक से अपने ब्लाग में आडवाणी ने कहा, ‘‘ भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये सम्मान है । अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी ‘दुश्मन’ नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना । ’’

आडवाणी ने अपना यह ब्लाग ऐसे समय में लिखा है जब छह अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस मनाया जायेगा और 11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिये मतदान होना है ।

ये भी पढ़े   प्रधानमंत्री: "राज्यसभा के लिए आपने (उपराष्ट्रपति महोदय) जो कुछ भी किया है इसके लिए सबकी तरफ से ऋण स्वीकार करते हुए मैं आपका धन्यवाद करता हूं..."

लालकृष्ण आडवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया है और उनकी पारंपरिक गांधीनगर सीट से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं ।

आडवाणी ने 1991 से छह बार लोकसभा में निर्वाचित करने के लिये गांधीनगर के मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट किया ।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर और वृहद राष्ट्रीय परिदृश्य में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भाजपा की विशिष्टता रही है । इसलिये भाजपा हमेशा मीडिया समेत सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और उनकी मजबूती को बनाये रखने की मांग में सबसे आगे रही है।

पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक एवं चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सहित चुनाव सुधार भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिये उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता रही है ।

उन्होंने कहा, ‘‘ संक्षेप में पार्टी के भीतर और बाहर सत्य, निष्ठा और लोकतंत्र के तीन स्तम्भ संघर्ष से मेरी पार्टी के उद्भव के मार्गदर्शक रहे हैं । इन मूल्यों का सार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज में निहित है जिस पर मेरी पार्टी अडिग रही है । ’’

आडवाणी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ अभूतपूर्व संघर्ष इन मूल्यों का प्रतीक रहे हैं । ​ उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि सभ समग्र रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती प्रदान करें । ​ आडवाणी ने 2015 के बाद पहली बार अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट डाली है। ​(भाषा के सहयोग से)​

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here