नरेंद्र मोदी ने ‘घर-ही-घर’ और नितिन गडकरी मजबूत सड़क की व्यवस्था कर दिए, 10 लाख करोड़ का बजट, 2029 आम चुनाव तक पूरा हो जायेगा – अब क्या चाहिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी और दरभंगा की ओर जाती चमचमाता सड़क

नई दिल्ली: घर-ही-घर। सड़क-ही-सड़क। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) 2.0 प्रधानमंत्री आवास योजना– ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) को मंजूरी भी दी और यह भी विश्वास दिलाया कि शहरी गरीब एवं मध्‍यमवर्गीय परिवारों के लिए 1 करोड़ आवास बनाए जाएंगे।इतना ही नहीं, एमएवाई-यू 2.0 के तहत ₹10 लाख करोड़ का निवेश और 2.30 लाख करोड़ की सरकारी सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, पीएमएवाई-यू 2.0 योजना के तहत, एक करोड़ पात्र परिवारों की पक्के आवास की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक नागरिक बेहतर जीवन जी सके।

उधर, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी लिखकर दे दिए कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के विकास और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है और यह भी कह दिए कि मंत्रालय ने पिछले वर्ष के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव पर 6,523 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसलिए राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावे किसी अन्य सड़कों के बारे में उन्हें नहीं कहेंगे। उनका कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास और रखरखाव एक सतत प्रक्रिया है। मंत्रालय और इसकी विभिन्न निष्पादन एजेंसियों जैसे कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) / सड़क निर्माण विभाग (आरसीडी) / राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के निगमों द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति का आकलन करता है और यातायात योग्य स्थिति में रखने के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर रखरखाव कार्य करता है जिसमें क्षति का सुधार, राष्ट्रीय राजमार्गों का पुनरूद्धार और सुदृढ़ीकरण, पर्याप्त जल निकासी प्रणाली प्रदान करना आदि शामिल हैं।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) 2.0 को मंजूरी दे दी है। पीएमएवाई-यू 2.0 पांच वर्षों में शहरी क्षेत्रों में घर बनाने, खरीदने या किराए पर लेने के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/प्राथमिक ऋण संस्थानों (पीएलआई) के माध्यम से 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को केंद्रीय सहायता प्रदान करेगी। इस योजना के तहत ₹ 2.30 लाख करोड़ की सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी I इसके अलावे, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के कार्यान्वयन के लिए ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके तहत मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों और पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में 1.30 लाख रुपये की मौजूदा प्रति इकाई सहायता के साथ दो करोड़ से अधिक घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जानी है।

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प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी विश्व की सबसे बड़ी किफायती आवास परियोजनाओं में से एक है। 2015 में शुरू की गई इस योजना ने देशभर में करोड़ों परिवारों को सभी बुनियादी सुविधाओं सहित उनका अपना पक्का आवास प्रदान कर उन्हें नई पहचान दिलाई है। पीएमएवाई-यू के तहत 1.18 करोड़ आवासों को स्वीकृति दी गई थी, जिनमें से 85.5 लाख से अधिक आवास पूरे कर लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं और बाकी आवास निर्माणाधीन हैं । माननीय प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की थी कि भारत सरकार आने वाले वर्षों में कमजोर वर्ग और मध्यम वर्ग के परिवारों को घर के स्वामित्व का लाभ प्रदान करने के लिए एक नई योजना लाएगी।

गडकरी के अनुसार, सड़क के किनारे लाइन वाली/बिना लाइन वाली नालियों, क्रॉस ड्रेनेज संरचनाओं जैसे कलवर्ट, प्राकृतिक धाराओं/जल निकासी आदि पर छोटे और बड़े पुलों का निर्माण, मानक विनिर्देशों और भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) कोड के अनुसार ठेकेदार/रियायतग्राही द्वारा परियोजना के लिए अनुबंध के दायरे के अनुसार किया जाता है। मंत्रालय ने जवाबदेह रखरखाव एजेंसी के माध्यम से पुलों सहित सभी राष्ट्रीय राजमार्गों के खंडों के रखरखाव और मरम्मत (एमएंडआर) को सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र विकसित किया है। राष्ट्रीय राजमार्गों के उन हिस्सों का रखरखाव और मरम्मत, जहां विकास कार्य शुरू हो गए हैं या संचालन, रखरखाव और हस्तांतरण (ओएमटी) रियायतें/संचालन और रखरखाव (ओएंडएम) अनुबंध दिए गए हैं, दोष देयता अवधि (डीएलपी)/रियायत अवधि के अंत तक संबंधित रियायतग्राही/ठेकेदारों की जिम्मेदारी है। इसी प्रकार, टीओटी (टोल ऑपरेट एंड ट्रांसफर) और इनविट (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) के तहत किए गए राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों के लिए, एमएंडआर जिम्मेदारी रियायत अवधि के अंत तक संबंधित रियायतकर्ता की होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग के शेष खंडों के लिए, मंत्रालय ने अनुबंध रखरखाव के माध्यम से रखरखाव कार्य करने का नीतिगत निर्णय लिया है, जो या तो प्रदर्शन आधारित रखरखाव अनुबंध (पीबीएमसी) या अल्पकालिक रखरखाव अनुबंध (एसटीएमसी) है, जिससे राष्ट्रीय राजमार्गों का कोई भी खंड बिना किसी जवाबदेह संविदात्मक रखरखाव एजेंसी के नहीं रह जाएगा।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 जून 2024 को पात्र परिवारों की संख्या में वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 3 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी परिवारों को घरों के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने का संकल्प लिया था। माननीय प्रधानमंत्री के विजन के अनुसरण में, ₹10 लाख करोड़ के निवेश के साथ पीएमएवाई-यू 2.0 योजना के तहत, एक करोड़ पात्र परिवारों की पक्के आवास की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक नागरिक बेहतर जीवन जी सके।इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/निम्न आय वर्ग (एलआईजी) को उनके पहले घर के निर्माण/खरीद के लिए बैंकों/हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी)/प्राथमिक ऋण संस्थानों से लिए गए किफायती आवास ऋण पर क्रेडिट रिस्क गारंटी का लाभ प्रदान करने के लिए क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड ट्रस्ट (सीआरजीएफटी) का कॉर्पस फंड ₹1,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹3,000 करोड़ कर दिया गया है। साथ ही, क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड का प्रबंधन राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) से राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी कंपनी (एनसीजीटीसी) को हस्तांतरित किया जाएगा। क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड योजना का पुनर्गठन किया जा रहा है और संशोधित दिशानिर्देश आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किए जाएंगे। 

सरकारी निर्णय के मुताबिक पीएमएवाई-यू 2.0 संबंधी पात्रता मापदंड में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/निम्न आय वर्ग (एलआईजी)/मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) परिवार, जिनके पास देश में कहीं भी अपना कोई पक्का घर नहीं है, वे पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत घर खरीदने या निर्माण करने के पात्र होंगे । इसमें ₹3 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को ईडब्ल्यूएस,₹3 लाख से ₹6 लाख तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को एलआईजी, और ₹6 लाख से ₹9 लाख तक वार्षिक आय वाले परिवारों को एमआईजी के रूप में परिभाषित किया गया है I जनगणना 2011 के अनुसार सभी वैधानिक शहर और बाद में अधिसूचित शहर, जिसमे अधिसूचित योजना क्षेत्र, औद्योगिक विकास प्राधिकरण/विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण/शहरी विकास प्राधिकरण या ऐसे किसी भी प्राधिकरण जिसे राज्य विधान के तहत शहरी नियोजन और विनियमों के कार्य सौंपे गए हैं, के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल हैं, उन्हें भी पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत शामिल किया जाएगा।

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पीएमएवाई-यू 2.0 का कार्यान्वयन निम्नलिखित चार घटकों के माध्यम से किया जाएगा: (i) लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी)- इस घटक के माध्यम से ईडब्ल्यूएस श्रेणियों से संबंधित व्यक्तिगत पात्र परिवारों को उनकी भूमि पर नए आवास बनाने के लिए केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाएगी। जिन लाभार्थियों के पास उनकी अपनी भूमि नहीं है, उन्हें राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा भूमि अधिकार (पट्टा) प्रदान किया जाएगा। (ii) भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी)– इस घटक के तहत किफायती आवासों का निर्माण सार्वजनिक/निजी संस्थाओं द्वारा किया जाएगा और ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर आवंटन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। यदि लाभार्थी निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में आवास खरीदता है तो लाभार्थियों को रिडीमेबल हाउसिंग वाउचर के रूप मे केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों/यूएलबी द्वारा ऐसी परियोजनाओं को व्हाइटलिस्ट किया जाएगा। नवीन निर्माण तकनीकों का उपयोग करने वाली एएचपी परियोजनाओं को टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट (टीआईजी) के रूप में ₹1,000 प्रति वर्गमीटर की दर से अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाएगा।(iii) किफायती किराये के आवास (एआरएच)- इस घटक में शहरी प्रवासियों कामकाजी महिलाओं/औद्योगिक श्रमिकों/शहरी प्रवासियों/बेघर/निराश्रित/छात्रों और अन्य समान हितधारकों के लाभार्थियों के लिए पर्याप्त किराये के आवासों का निर्माण किया जाएगा। एआरएच उन शहरी निवासियों के लिए किफायती और रहने की स्वच्छ जगह सुनिश्चित करेगा जो स्वामित्व में अपना घर नहीं चाहते हैं या जिनके पास घर बनाने/खरीदने की वित्तीय क्षमता नहीं है, लेकिन उन्हें अल्पावधि के लिए आवास की आवश्यकता है।

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जबकि एआरएच को निम्नलिखित दो मॉडलों के माध्यम से लागू किया जाएगा:  मॉडल 1: सरकार द्वारा वित्तपोषित खाली आवासों को किराये के आवास में परिवर्तित किया जाएगा और मॉडल 2: सार्वजनिक/निजी संस्थाएं नए किराये के आवास का निर्माण करेंगी।नवीन निर्माण तकनीकों का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को टेक्नोलॉजी इनोवेशन ग्रांट के रूप में ₹5,000 प्रति वर्गमीटर की दर से अतिरिक्त अनुदान प्रदान किया जाएगा (भारत सरकार – ₹3,000/वर्गमीटर+ राज्य सरकार- ₹2000/वर्गमीटर)।साथ ही, ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस)– यह घटक ईडब्ल्यूएस/एलआईजी और एमआईजी परिवारों के लिए गृह ऋण पर सब्सिडी का लाभ प्रदान करेगा। ₹35 लाख तक की कीमत वाले मकान के लिए ₹25 लाख तक का गृह ऋण लेने वाले लाभार्थी 12 वर्ष की अवधि तक के पहले 8 लाख रुपये के ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी के पात्र होंगे। पात्र लाभार्थियों को 5-वार्षिक किश्तों में पुश बटन के माध्यम से ₹1.80 लाख की सब्सिडी जारी की जाएगी। लाभार्थी वेबसाइट, ओटीपी या स्मार्ट कार्ड के जरिए अपने खाते की जानकारी ले सकते हैं। पीएमएवाई-यू 2.0 के बीएलसी, एएचपी और एआरएच घटकों को केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा जबकि ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस) घटक को केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में लागू किया जाएगा। लाभार्थी योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु चारों घटकों में से अपनी पात्रता और पसंद के अनुसार एक घटक का चुनाव कर सकते हैं।

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यह विश्वास दिलाया गया है कि आईएसएस घटक को छोड़कर, बीएलसी, एएचपी और एआरएच के तहत घर निर्माण की लागत मंत्रालय, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश/यूएलबी और पात्र लाभार्थियों के बीच साझा की जाएगी। पीएमएवाई-यू 2.0 के तहत एएचपी/बीएलसी घटकों में सरकारी सहायता ₹2.50 लाख प्रति वर्ग होगी। राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश का हिस्सा अनिवार्य होगा। बिना विधायिका वाले केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए, केंद्रीय: राज्य शेयरिंग पैटर्न 100:0 होगा, विधायिका वाले केन्द्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी), उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए शेयरिंग पैटर्न 90:10 होगा। अन्य राज्यों के लिए शेयरिंग पैटर्न 60:40 होगा। घरों की सामर्थ्य में सुधार के लिए, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश और यूएलबी लाभार्थियों को अतिरिक्त सहायता दे सकते हैं। आईएसएस घटक के तहत, पात्र लाभार्थियों को 5-वार्षिक किश्तों में ₹1.80 लाख तक की केंद्रीय सहायता दी जाएगी। 

पीएमएवाई-जी के मामले में मंत्रिमंडल ने यह निर्णय लिया है कि अप्रैल, 2024 से मार्च, 2029 तक बुनियादी सुविधाओं के साथ 2 करोड़ पक्के मकानों की समग्र सीमा के भीतर सहायता प्रदान करके आवास+ (2018) सूची (सुधार के बाद) और सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 स्थायी प्रतीक्षा सूची (पीडब्ल्यूएल) में शेष पात्र परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) को जारी रखना। वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए कुल परिव्यय 3,06,137 करोड़ रुपये किया जाना है, जिसमें 2,05,856 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 1,00,281 करोड़ रुपये का राज्य मिलान हिस्सा शामिल है। नीति आयोग द्वारा पीएमएवाई-जी के मूल्यांकन और ईएफसी द्वारा योजना के पुनर्मूल्यांकन के बाद यह योजना मार्च, 2026 से आगे भी जारी रहेगी। संशोधित बहिष्करण मानदंडों का उपयोग करके पात्र ग्रामीण परिवारों की पहचान के लिए आवास+ सूची को अपडेट करना। लाभार्थियों को सहायता की इकाई लागत मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र/ पहाड़ी राज्यों में 1.30 लाख रुपये की मौजूदा दरों पर जारी रहेगी। प्रशासनिक निधि का 1.70% राज्यों/ केंद्र शासित क्षेत्रों को जारी करने और 0.30% केंद्रीय स्तर पर विभाजित किए जाने के साथ प्रशासनिक निधि को कार्यक्रम निधि के 2% के स्तर पर बनाकर रखा जाएगा और मौजूदा दरों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 31.03.2024 तक पीएमएवाई-जी के पिछले चरण के अधूरे घरों का निर्माण पूरा करना।

सरकार का मानना है कि 2024-2029 से अगले पांच वर्षों के दौरान पीएमएवाई-जी के तहत दो करोड़ और घरों का निर्माण किया जाएगा। दो करोड़ और घरों के निर्माण से लगभग 10 करोड़ लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इस मंजूरी से सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षित घर बनाने की सुविधा मिलेगी। इससे लाभार्थियों की सुरक्षा, स्वच्छता और सामाजिक समावेशिता सुनिश्चित होगी। ज्ञातव्य हो कि ग्रामीण क्षेत्रों में “सभी के लिए आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार ने अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) शुरू की थी, जिसमें बुनियादी सुविधाओं के साथ 2.95 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य मार्च 2024 तक चरणबद्ध तरीके से हासिल किया जाना था।

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