इण्डिया@75: “हम आज़ाद हैं। आइए, हम स्वतंत्र पुरुषों और महिलाओं के रूप में कार्य करें, देश में शांति बनाये रखें….”

स्वतंत्र भारत में मंत्रिमंडल की पहली बैठक और पत्र सूचना कार्यालय की विज्ञप्ति

नई दिल्ली: कोई पचहत्तर वर्ष पहले 14-15 अगस्त, 1947 की रात को भारत को आज़ादी मिली। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व और सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की उपस्थिति में स्वतंत्र भारत में मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यह कहा गया: “हम आज़ाद हैं। आइए, हम स्वतंत्र पुरुषों और महिलाओं के रूप में कार्य करें, देश में शांति बनाये रखें।” आज 75 वर्ष बाद भी यह शब्द उतना ही “सापेक्ष” है।  

आकड़े के अनुसार, तत्कालीन अविभाजित भारत में लगभग 360 मिलियन लोग रहते थे। विभाजन के पश्चयात, ऐसा माना जाता है कि कोई 30 मिलियन लोग सीमा पार पाकिस्तान चले गए और भारतीय सीमा के अंदर करीब  330 मिलियन भारतीय अपने सीमा क्षेत्र में रहे। संयुक्त राष्ट्रसंघ के आज की सांख्यिकी  10 अगस्त, 2021 को भारत की आवादी लगभग 1,394,975,829 है। जिस सुबह हम आज़ाद भारत में स्वतंत्रता की सांस लिए, उस दिन शुक्रवार था। आगामी ‘डायमंड जुबली’ तारीख को, जिस दिन भारत के लोग अपनी आज़ादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश करेंगे, उस दिन रविवार होगा – यानी ‘शुक्रवार से रविवार’ । 

दस्तावेज के अनुसार 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल की पहली बैठक में जिस बात को तबज्जो दिया गया वह था “हमें देश में शांति बनाये रखना होगा। स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट बैठक में भारत का पत्र सूचना कार्यालय दो पन्ने की विज्ञप्ति जारी किया। इस विज्ञप्ति में इस बात पर बल दिया गया कि हिंसा बंद होनी चाहिए। हम लोगों के बीच मतभेद हो सकती है, लेकिन मतभेद हिंसा से समाप्त नहीं होगा। हम शांतिपूर्ण तरीके से उसे हल कर सकते हैं।”

75-वर्ष पहले पत्र सूचना कार्यालय द्वारा निर्गत यह विज्ञप्ति आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है – “हिंसा मतभेद को नहीं समाप्त कर सकता। हम इस अपील को उन लोगों तक पहुंचाने का साहस करेंगे जो पाकिस्तान में रहते हैं। हालांकि पाकिस्तान अब भारत की राजनीतिक सीमाओं से अलग है, परन्तु देश की आवश्यक आध्यात्मिक एकता, भौगोलिक एकता को तोड़ा नहीं जा सकता है और न ही तोड़ा जाना चाहिए। देश के एक हिस्से को कोई भी चोट दूसरे हिस्से को आहत करती है।”

विज्ञप्ति में कहा गया: “आज मंत्रिमंडल की पहली औपचारिक बैठक में सरकार के सभीसदस्यों के हस्ताक्षर के साथ भारत की जनता से निम्नलिखित अपील जारी करने का निर्णयलिया गया। हमने भारत और उसके लोगों की सेवा के लिए खुद को प्रतिबद्धकिया है और हमने भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है। आज स्वतंत्र भारतकी सरकार का कार्यभार संभालने का हमारा पहला कार्य हमारे सभी लोगों से हर रूप में हिंसा को समाप्त करने के लिए एक गंभीर अपील करना है।” 

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विज्ञप्ति के अनुसार, “हम सभी को जबरदस्त समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो भारतकी जनता की भलाई को प्रभावित करती हैं। हिंसा और संघर्ष इन समस्याओं को बढ़ाते हैंऔर उनके समाधान को और भी कठिन बना देते हैं। शांति बनाए रखना सरकार का कर्तव्य है, क्योंकि सभी व्यवस्थित प्रगति और यहां तक कि समुदायका सामान्य जीवन शांतिपूर्ण परिस्थितियों के संरक्षण पर निर्भर करता है।”

भारत के 15 अगस्त, 1947 में आज़ाद होने के बाद देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 15 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया था। इस मंत्रिमंडल में सभी वर्गों और समुदायों को उचित स्थान दिया गया, उन्हें भी जो विचारधारा के स्तर पर जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया और वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला।

पहले मंत्रिमंडल में चौदह मंत्रियों को शामिल किया गया था जिन्होंने 15 अगस्त 1947 से कार्य करना आरम्भ कर दिया था। उस मंत्रिमंडल में जवाहरलाल नेहरु प्रधानमंत्री थे। सरदार बल्लभ भाई पटेल को गृह मंत्री और सूचना व प्रसारण मंत्री का प्रभार सौंपा गया। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को खाद्य एवं कृषि मंत्री बनाया गया। डॉ. अबुल कलाम आजाद को शिक्षा मंत्रालय सौंपा गया। इसी तरह, डॉ. जॉन मथाई को रेलवे एवं परिवहन मंत्री बनाया गया। सरदार बलदेव सिंह रक्षा मंत्री बने। आर.के. शणमुखम शेट्टी को वित्त मंत्री बनाया गया। डॉ. बी आर अम्बेडकर को विधि मंत्रालय दिया गया। बाबू जगजीवन राम को श्रम मंत्री बनाया गया। राजकुमारी अमृत कौर स्वास्थ्य मंत्री बानी। सी.एच. भाभा को वाणिज्य मंत्रालय दिया गया। रफी अहमद किदवई को संचार मंत्री, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री तथा वी.एन. गाडगिल को कार्य, खनन एवं ऊर्जा मंत्रालय का भार सौंपा गया।

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तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में पहली मंत्रिमंडल के बैठक में, जहाँ सरदार वल्लभ भाई पटेल पंडित नेहरू के बगल में बैठे थे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी पंडित नेहरू के सामने बैठे थे, यह निर्णय लिया गया कि “स्वतंत्र लोगों का भी समान रूप से यह कर्तव्य है कि वेशांति बनाए रखें, क्योंकि उनकीस्वतंत्रता सीमित है और यहां तक कि हिंसक संघर्ष से खतरे में भी है। वर्तमानसरकार संविधान सभा और इसके माध्यम से भारत की जनता के प्रति उत्तरदायी है। यहलोगों की सहमति और सद्भावना के बिना मौजूद नहीं हो सकता।” 

विज्ञप्ति आगे लिखता है: “हमने घोषणा की है कि हम एक राष्ट्र के रूप में और लोग, विश्वशांति और राष्ट्रों के बीच सहयोग के लिए खड़े हैं। हम उस महान उद्देश्य के लिए तभीकाम कर सकते हैं जब हमारे अपने देश में शांति हो और आपस में सहयोग हो। हम लोकतंत्र के लिए खड़े हैं। लोकतंत्र का तरीका सभीसमस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान खोजना है। आजाद लोगों का यही तरीका है। हिंसा औरनफरत से कोई समस्या हल नहीं होती। इसलिए, हम अपील करते हैंकि पूरी गंभीरता के साथ हम यह आदेश दे सकते हैं कि हिंसा बंद होनी चाहिए और हमारेजो भी मतभेद हैं, उन्हेंशांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए।” 

आज़ाद भारत के पहले मंत्रिमंडल की बैठक में हिंसा की गंभीरता को न केवल भारत की सीमाओं के अंदर देखा गया, बल्कि उसकी गंभीरता को उस मुल्क में भी महसूस किया गया जो कुछ समय पूर्व ही भारत की सीमा से अलग होकर अपनी सीमा का निर्माण किया था। विज्ञप्ति में लिखा था: “We would venture to extend this appeal to those who live now in Pakistan. For though Pakistan may be separated from India’s political boundaries, the essential spiritual unity of the country, like its geographic unity, cannot and should not be broken up. देश के एक हिस्से को कोई भी चोट दूसरे हिस्से को आहत करती है। हम आज आजाद हैं। आइए हम स्वतंत्र पुरुषों और महिलाओं के रूपमें कार्य करें।”

INDIA GOVERNMENT’S APPEAL TO PEOPLE

At the first formal meeting of the Cabinet today it was decided to issue the following appeal to the people of India over the signatures of all the members of the Government.

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We have pledged ourselves to the service of India and her people and we have taken the oath of allegiance to the constitution of India. Our first act on assuming charge of the Government of free India today is to make an earnest appeal to all our people to put an end to violence in every shape and form.

We all have to face tremendous problems which affect the well-being of the masses of India. Violence and conflict aggravate these problems and make their solution even more difficult. It is the duty of the Government to preserve peace, for all orderly progress and even the normal life of the community depends upon the preservation of peaceful conditions.

It is equally the duty of a free people to maintain peace, for their very freedom is limited and even endangered by violent conflict. The present government is responsible to the Constituent Assembly and through it to the people of India. It can not exist without the consent and goodwill of the people.

We have proclaimed that we as a nation and people stand for world peace and cooperation among the nations. We can only work for that great objective if we have peace in our own country and cooperation amongst ourselves.

We stand for democracy. The method of democracy is to find peaceful solutions for all problems. That is the way of a free people. By violence and hatred no problem is solved.

We appeal, therefore, with all earnestness we can command that violence must cease and whatever differences we may have must be resolved by peaceful and democratik method.

We would venture to extend this appeal to those who live now in Pakistan . For though Pakistan may be separated from India’s political boundaries, the essential spiritual unity of the country, like its geographic unity, cannot and should not be broken up . Any injury to one part of the country hurts the other parts.

We are a free people today. Let us act then as free men and women .

Cabinet Office
New Delhi
August 15, 1947

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