‘खुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं’: जेनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी सहित सेना के 12 अन्य अधिकारी अपने ही हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए

खुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं : जेनरल बिपिन रावत : तस्वीर: फर्स्टपोस्ट के सौजन्य से

नई दिल्ली: तमिलनाडु के कुन्नूर में आज जो हुआ, स्वतंत्र भारत में शायद पहली घटना है – सेना के शीर्षस्थ अधिकारी, पत्नी और अपने कनिष्ठ अधिकारियों के साथ मृत्यु को प्राप्त किये। इस दर्दनाक घटना की जांच के लिए अब कमिटी बैठे, कमीशन बैठे, जांच हो, पड़ताल हो, जितनी भी औपचारिकताएं पूरी करनी हो, हो जाय। जेनरल बिपन रावत, उनकी अर्धांगिनी श्रीमती मधुलिका रावत और भारतीय सेना के 12 अन्य अधिकारीगण अपने परिवारों से, परिजनों से नहीं मिल पाएंगे, कभी नहीं। वायुसेना केहेलीकॉप्टरों की कमियों में शायद सुधार हो पाय। 

छह वर्ष पहले बिपिन रावत बाल-बाल बचे थे। छह वर्ष बाद कम्बाइंड डिफेन्स सर्विस के प्रमुख जेनरल बिपिन रावत, अपनी पत्नी और 12 अन्य कनिष्ठ अधिकारियों के साथ तमिलनाडु के कुन्नूर में अपने ही वायुसेना के हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गए। कुल 14 लोगों में, जेनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी श्रीमती मधुलिका रावत सहित अन्य 11 कर्मियों की मृत्यु की पुष्टि हो गयी है। एक सवार, अस्सी फीसदी बर्न के साथ अस्पताल में जीवन-मृत्यु से जूझ रहा है। 

इसके अलावे, रावत 3 फरवरी 2015 को नगालैंड के दीमापुर में दुर्घटनाग्रस्त हुए चीता हेलीकॉप्टर में सवार थे। वह उस समय लेफ्टिनेंट जनरल थे। भारतीय वायुसेना ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ इस हेलीकॉप्‍टर में थे। उन्‍होंने आज सुबह दिल्‍ली से सुलुर के लिए फ्लाइट ली थी। ट्वीट में कहा गया है, ‘वायुसेना के Mi-17V5 हेलीकॉप्‍टर,जिसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत सवार थे आज कूनूर (तमिलनाडु ) के निकट दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया गया है। एक महीने के अंदर देश में दूसरा Mi-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है। पिछला चॉपर 19 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश में क्रैश हुआ था। उस घटना में चॉपर में सवार सभी 12 लोग मारे गए थे।

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, हेलिकॉप्टर सुलूर एयरबेस से वेलिंगटन जा रहा था। यह हादसे के समय लैंडिंग स्पॉट से महज 10 किलोमीटर दूर था। मौके पर डॉक्टर्स, सेना के अफसर और कोबरा कमांडो की टीम मौजूद है। जो शव बरामद किए गए हैं, उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है, क्योंकि ये 85% तक जल गए हैं। हादसे के जो विजुअल सामने आए हैं, उनमें हेलिकॉप्टर पूरी तरह क्षतिग्रस्त नजर आया और उसमें आग लगी थी। 

ये भी पढ़े   We drive our huge cars and drop a bomb of 4 kgs of carbon dioxide every kms: Social innovator Sonam Wangchuk

हादसे के एक चश्मदीद के अनुसार “पहले बहुत तेज आवाज सुनाई दी। हेलिकॉप्टर से पेड़ों पर गिरा। इसके बाद उसमें आग लग गई, वो आग का गोला बन गया था।” एक और चश्मदीद का कहना है कि उसने जलते हुए लोगों को गिरते देखा। अभी जनरल बिपिन रावत के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सेना के सूत्र और कुछ पूर्व अफसरों ने जनरल बिपिन रावत की मौत को लेकर ट्वीट किया है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने जनरल बिपिन रावत को ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है। 

हादसे की वजह घने जंगल और कम विजिबिलिटी रहे। खराब मौसम के दौरान बादलों में विजिबिलिटी कम होने की वजह से हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर उड़ान भरनी पड़ी। लैंडिंग पॉइंट से दूरी कम होने की वजह से भी हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था। नीचे घने जंगल थे इसलिए क्रैश लैंडिंग भी फेल हो गई। इस हेलिकॉप्टर के पायलट ग्रुप कमांडर और सीओ रैंक के अधिकारी थे, ऐसे में मानवीय भूल की आशंका न के बराबर है। 

जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हैं। उन्होंने 1 जनवरी 2020 को यह पद संभाला। रावत 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख के पद पर रहे। उधर, वायुसेना ने कहा है कि दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए गये हैं। 

तस्वीर: बीबीसी  के सौजन्य से 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस घटना पर कल संसद में बयान जारी करेंगे। इससे पहले वह आज जनरल बिपिन रावत के दिल्ली स्थिति आवास पर पहुंचे थे और परिजनों से मुलाकात की थी। हादसे के करीब एक घंटे बाद यह जानकारी दी गई कि जनरल रावत को वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया है। उनकी स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा है कि वे गंभीर रूप से घायल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जनरल रावत के दिल्ली स्थित घर उनके परिवार से मिलने पहुंचे। इस हादसे पर रक्षामंत्री संसद में गुरुवार को बयान देंगे।

ये भी पढ़े   मैंने अपने सीनियर पत्रकारों से किस्सा सुना कि ''टाइम्स आफ इंडिया'' में ब्रिटिश राज हर पत्रकार के लिये 'टाई' अनिवार्य ​थी

ABPLive के अनुसार: पौड़ी गढ़वाल के एक गांव में 16 मार्च 1958 को पैदा हुए बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत का परिवार पीढ़ियों से सेना में रहा है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद से 1988 में रिटायर हुए थे। ऐसे परिवार से आने वाले बिपिन रावत ने करियर के रूप में सेना को ही चुना तहत। उन्होंने गोरखा राइफल से 1978 में अपने सैन्य करियर की शुरूआत की थी। उन्होंने दिसंबर 2019 तक सेना की नौकरी की। सेना से रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही सरकार ने उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाने की घोषणा की थी. उन्होंने 1 जनवरी 2020 को पदभार भी ग्रहण कर लिया था। 

बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था। जनरल रावत का करियर उपलब्धियों से भरपूर रहा है. इसे उनको मिले पुरस्कारों से समझा जा सकता है। उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिल चुके हैं। 

जनरल रावत ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। इस युद्ध में भारत को जीत मिली थी। सरकार ने 2001 में उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया था। इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था। इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की सिफारिश की थी। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है। 

ये भी पढ़े   15वें राष्ट्रपति का चुनाव कल: विपक्ष के यशवंत सिन्हा की तुलना में सुश्री द्रौपदी मुर्मू स्पष्ट रूप से मजबूत, मुर्मू के पक्ष में 61% से अधिक मतदान की सम्भावना
तस्वीर: पीटीआई के सौजन्य से 

जनरल बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया। इस दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड का भी नेतृत्व किया। उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख बनाया गया था। जनरल रावत ने सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी। उन्हें दो अधिकारियों पर तरजीह दी गई थी। इसमें अशांत क्षेत्रों में काम करने के उनके अनुभव की बड़ी भूमिका थी। उनके पास पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का अनुभव था। 

जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था। मणिपुर में हुए एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे. इसके जवाब में सेना के कमांडों ने म्यांमा की सीमा में दाखिल होकर हमला किया था। इस हमले में एनएससीएन के कई आतंकी मार गिराए गए थे। यह अभियान चलाया था 21 पैरा ने, जो थर्ड कॉर्प्स के तहत काम करता था। उस समय थर्ड कॉर्प्स के कमांडर बिपिन रावत ही थे। 

जम्मू कश्मीर के उरी में स्थित सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए थे और करीब 30 सैनिक जख्मी हुए थे। इसके बाद सरकार ने सीमा पारकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने का फैसला लिया था। इस पर सेना ने 28-29 सितंबर की रात  पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर जाकर आतंकी शिविरों पर कार्रवाई की थी। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here