विशेष रिपोर्ट: प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पाटलिपुत्र बिल्डर के निदेशक की गिरफ़्तारी के बाद एन एण्ड पी लिमिटेड के निदेशक भी थरथराने लगे हैं

कभी यहाँ आर्यावर्त-इण्डियन नेशन अखबारों का दफ्तर हुआ करता था। आज महाराजा कॉम्प्लेक्स है और नीचे पाटलिपुत्र बिल्डर के निदेशक अनिल कुमार - जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में लिया है 

पटना: पटना के फ़्रेज़र रोड स्थित दी न्यूजपेपर्स एंड पब्लिकेशन्स लिमिटेड के हज़ारों कर्मचारियों को उनकी मुद्दत की कमाई को हड़पने वाला, शहर के पाटलिपुत्र बिल्डर प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया गया है। अनिल कुमार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई तब हुई जब निदेशालय इस बात से आस्वस्त हो गया कि अनिल कुमार अपनी आय से अधिक संपत्ति का मालिक हैं। उन्हें पटना के फ्रेजर रोड स्थित महाराजा कामेश्वर कंपलेक्स से गिरफ्तार कर लिया गया है।  

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों के अनुसार अनिल कुमार को 8 सितम्बर को पीएमएलए नियम के अधीन एक  विशेष न्यायाधीश के न्यायालय में पेश किया गया। अनिल कुमार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। अनिल कुमार के खिलाफ पटना के कोतवाली थाने में आलमगंज, पाटलिपुत्र समेत अन्य थानों में अनेकानेक मामले दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, पाटलिपुत्र बिल्डर के निदेशक ‘जनतांत्रिक के विकास पार्टी’ के नाम से राजनीतिक दल भी चलाते हैं। इनपर धोखाधड़ी, जालसाजी, रंगदारी, आर्म्स एक्ट, हत्या के प्रयास के साथ-साथ तकरीबन एक दर्जन मामले पटना के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। सूत्रों का मानना है कि पाटलिपुत्र बिल्डर के निदेशक अनिल कुमार अवैध तरीके से कोई 12 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति अर्जित किये हैं। ईडी ने अनिल कुमार के खिलाफ जो केस दर्ज किया है उसमें इन बातों का जिक्र किया गया है। 

पाटलिपुत्र बिल्डर्स के मालिक अनिल कुमार दरभंगा के अंतिम राजा महाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह द्वारा स्थापित आर्यावर्त-इंडियन नेशन – मिथिला मिहिर समाचार पत्र और पत्रिका का फ़्रेज़र रोड स्थित विशालकाय भू-क्षेत्र पर भी अधिपत्य स्थापित किये थे। इसी स्थान पर आज महाराजा काम्प्लेक्स भी है और काम्प्लेक्स के पीछे गगनचुम्बी अट्टालिका।  दी  न्यूज पेपर्स एंड पब्लिकेशन लिमिटेड कर्मचारी यूनियन के हित चंद्र झा ने आर्यावर्तइण्डियननेशन(डॉट)कॉम को बताया कि “हमने भी प्रवर्तन निदेशालय में पाटलिपुत्र बिल्डर्स और उसके निदेशक अनिल खिलाफ मुकदमा दायर किया था। आज इस बात का तहकीकात करना है कि प्रवर्तन निदेशालय उन सभी मुकदमों को भी सम्मिलित किया है अथवा नहीं। अनिल कुमार के विरुद्ध पटना के कोतवाली थाना में भी मुकदमा दर्ज है। आशा करते हैं कि जांच एजेंसी पाटलिपुत्र बिल्डर और अनील कुमार के विरुद्ध दायर सभी मुकदमों को एक साथ कर जांच करेंगी।”

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सूत्रों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय अनिल कुमार ने अवैध तरीके से 12.61 करोड़ की चल और अचल संपत्ति अर्जित की है।यह भी आरोप हैं की उन्होंने जमीन और फ्लैट देने नाम पर उन्होंने मोटी रकम प्राप्त की है। अनिल पर हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट का भी केस दर्ज हुआ था। ज्ञातव्य हो कि दी न्यूजपेपर एंड पब्लिकेशन्स लिमिटेड के कर्मचारियों को आर्यावर्त-इण्डियन नेशन भूखंड पर बनने वाली अट्टालिका के द्वितीय तल्ले और उसके ऊपर निर्मित क्षेत्र में 45 फीसदी क्षेत्र, जो मालिक का हिस्सा था, प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित रखा गया था/है, ताकि सभी कर्मचारियों को जीवित अथवा मरणोपरांत बकाया राशि मिल सके। 

सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय इस बात की भी जांच करेगी की क्या आर्यावर्त-इण्डियन नेशन परिसर को बेचने के बाद जितनी राशि कर्मचारियों के भुगतान के लिए निम्मित्त थे, वे मिले या नहीं। साथ ही, पाटलिपुत्र बिल्डर द्वारा निर्गत (यदि ऐसा है) और कर्मचारियों तक पहुँचने के बीच क्या आर्यावर्त-इण्डियन नेशन का प्रबंधन या भू-स्वामी/कंपनी के निदेशक मंडल पैसों से लाभान्वित हुए। सन 2002 के करारनामे के अनुसार किसी भी कर्मचारी का भुगतान बकाया नहीं रह पायेगा क्योंकि आर्यावर्त-इण्डियन नेशन भूखंड पर बनने वाली अट्टालिका के द्वितीय तल्ले और उसके ऊपर निर्मित क्षेत्र में 45 फीसदी क्षेत्र, जो मालिक का हिस्सा होगा, प्रतिभूति के रूप में सुरक्षित रखा गया था/है, ताकि सभी कर्मचारियों को जीवित अथवा मरणोपरांत बकाया राशि मिल सके।” लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

दिनांक 31 मार्च, 2002 को दी न्यूज पेपर्स एंड पालिकेशन्स लिमिटेड के प्रबंधन, पाटलिपुत्रा बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, दी एन एंड पी कर्मचारी यूनियन, बिहार पत्रकार यूनियन के अधिकारियों के साथ  “मेमोरेंडम ऑफ़ अग्रीमेंट एंड सेटलमेंट” पर हस्ताक्षर हुआ। करारनामा चार पन्नों का था। प्रबंधन के तरफ से श्री एस एन दास, जो उस दिन निदेशक थे कंपनी के, श्री दिनेश्वर झा, मैनेजर; एम एम आचार्य, एक्टिंग सेक्रेटरी; श्री सी एस झा, एकाउंट्स ऑफिसर हस्ताक्षर किये और क्रेता पाटलिपुत्रा बिल्डर्स के तरफ से कंपनी के निदेशक श्री अनिल कुमार (स्वयं) और उनके एक प्रतिनिधि श्री आनंद शर्मा। दी न्यूज पेपर्स एंड पब्लिकेशन लिमिटेड के कर्मचारी यूनियन के तरफ से थे श्री गिरीश चंद्र झा (अध्यक्ष), दिग्विजय कुमार सिन्हा (जेनेरल सेक्रेटरी), श्री एस एन विश्वकर्मा, जॉइंट सेक्रेटरी, श्री रमेश चंद्र झा, जॉइंट सेक्रेटरी और बिहार वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के तरफ से हस्ताक्षर करता थे श्री शिवेंद्र नारायण सिंह (प्रेसिडेंट), श्री मिथिलेश मिश्रा (एग्जीक्यूटिव) । करारनामे पर कहीं भी संस्थान के स्वामी / भूखंड के स्वामी दिखाई नहीं दिए। 

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करारनाम के तीसरे पृष्ठ के अंतिम पैरा में लिखा था : “”As the security for payment of dues of employees the built up area of 45% of the owner share from second floor onwards would lein at the rate of Rs 1000/- (One thousand) per square feet in favour of total employees/workers (past  and present) against their dues amount. In case of non-payment of dues of workmen/employees space equal to dues at rate of Rs 1000/- (One thousand) per square feet would be given to concerned employees. The space of built-up area so kept as security will be exempted proportionally as the employees get their balance dues in instalments.” और अंत में लिखा था: “All parties having read understood the contents purport of this agreement and settlement and in their full sence have put their respective signature of this document as a token of their consent and commitment in presence of witnesses for future reference and needful.”

बहरहाल, पिछले 25 फरबरी, 2021 को न्यायालय श्रम आयुक्त बिहार-सह-अपीलीय प्राधिकार, उपादान भुगतान अधिनियम 1972 के अंतर्गत एक आदेश जारी करता है। यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि करारनामे का पूर्णतः पालन नहीं हुआ और इस आदेश की तारीख तक भी लोगों का बकाया राशि नहीं मिला है। अनिल कुमार (निदेशक) मेसर्स पाटलिपुत्र बिल्डर्स प्राईवेट लिमिटेड, महाराजा कामेश्वर काम्प्लेक्स, फ़्रेज़र रोड, पटना के द्वारा उप-श्रमायुक्त-सह-नियंत्रक प्राधिकार, उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 के अंतर्गत पटना द्वारा जी ए वाद संख्या 03/2012 से 124 /2012 में दिनांक 24-07-2017 को पारित आदेश के विरुद्ध एक अपील दायर किया था। इस अपील में विजय कांत राय, पिता श्री बासुदेव राय (अर्चना काम्प्लेक्स, प्रिंटिंग प्रेस, जिला सुपौल) को प्रतिवादी बनाया गया था। 

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अपील के अनुसार मेसर्स न्यूज पेपर्स एंड पब्लिकेशन लिमिटेड की वित्तीय स्थिति खराब होने के बाद प्रबंधन द्वारा मेसर्स पाटलिपुत्र बिल्डर के साथ अपनी संपत्ति के बारे में समझौता किया गया था जिसके अनुसार पब्लिकेशन के बंद होने के बाद कर्मचारियों के देनदारियों का भुगतान मेसर्स पाटलिपुत्र बिल्डर द्वारा किया जायेगा। लेकिन पब्लिकेशन के बंद होने के बाद मेसर्स पाटलिपुत्र बिल्डर द्वारा कामगारों के बकाये राशि का भुगतान नहीं किया गया। बाद में, कामगारों के आवेदन पर उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत कार्रवाई  प्रारम्भ की गयी एवं उक्त वाद में वादी कामगार श्री हितचन्द्र झा एवं अन्य 89 (नवासी) कामगारों के पक्ष में आदेश पारित करते हुए प्रबंधन को कुल 49 32 ३४२ /- रुपया भुगतान करने का आदेश दिया गया, जिसमें श्री विजय कान्त राय से सम्बंधित वाद संख्या 66/2012 में उपादान भुगतान हेतु आदेशित राशि 15 423 /- भी शामिल है। 

ज्ञातब्य हो कि मेसर्स पाटलिपुत्र बिल्डर द्वारा नियमानुसार श्रमायुक्त, बिहार-सह-अपीलीय प्राधिकार के न्यायालय में अपील ना करके सीधे माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी डब्लू जे सी  संख्या 15986/2017 दायर किया गया जिसे दिनांक 29-03-2019 को आदेश पारित करते हुए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उपादान भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा – 7 (7) के अनुसार अपीलीय प्राधिकार के समक्ष अपील दायर करने के आदेश निर्गत करते हुए निष्पादित कर दिया गया था।

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