#हैप्पीवेलेंटाइनडे : 1996 में 1$=35.43 रुपये था, जब लालू दोषी करार हुए 1$=74.87 रुपये है, यानी 950 करोड़ रुपयेका घोटाला 400 करोड़ रुपये का हो गया

हैप्पी वेलेंटाइन डे : 1996 में 1$ = 35.43 रुपये था, जब लालू दोषी करार हुए 1$ की कीमत 74.87 है, यानी 950 करोड़ का घोटाला 400 करोड़ का हो गया

रांची / पटना / दिल्ली : ऐतिहासिक वेलेंटाइन दिवस के अगले दिन अविभाजित बिहार (बिहार+झारखण्ड) के 20 वें मुख्यमंत्री अंततः ऐतिहासिक चारा घोटाला मुकदमा में दोषी हो गए। रांची की सड़कों पर कई लोग “हैप्पी वेलेंटाइन डे” कहते सुने गए। रांची के रास्ते पटना होते हुए, दिल्ली के आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब चारा घोटाला हुआ था तब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक डॉलर के लिए 35.43 रुपये अदा करना पड़ता था। आज जब भारतीय न्यायालय ने लालू यादव को दोषी करार किये, भारतीय मौद्रिक बाजार में 1$ की कीमत 74 रुपये 87 पैसे हो गए। इस दृष्टि से तत्कालीन 950 करोड़ का चारा घोटाला विगत 26 वर्षों में आज महज 400 करोड़ का हो गया। 

लगभग 950 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक चारा घोटाला कांड जिस साल हुआ था, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा की कीमत $35.43 थी। कोई तीन दशक पहले, यानी 10 मार्च, 1990 को, जिस दिन जनता दल के तत्कालीन अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए और अपनी पहली पारी में (28 मार्च, 1995) मुख्यमंत्री बने रहे, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय मुद्रा की कीमत डॉलर की तुलना में 18 . 11 : $1 था। अगली पारी की शुरुआती वर्षों में ही लालू यादव “चारा घोटाला” में लिप्त हो गए। हो भी क्यों नहीं, डालर की तुलना में भारतीय रुपये का चरित्र लुढ़कना प्रारम्भ कर दिया था।

सांख्यिकी के अनुसार, जिस साल चारा घोटाला भारतीय मीडिया में अपना स्थान बनाया, भारतीय न्यायालयों में लाल कपड़ों में कागजों और दस्तावेजों का फ़ाइल बनने लगा; एक भारतीय को एक डॉलर के लिए 35 रुपये 43 पैसे देने लगे थे । आज 26 साल बाद, जब डोरंडा कोषागार गबन मामले में उस गबन कांड में भारत के पूर्व रेलमंत्री, बिहार के पुर मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव को दोषी करार किया गया, अंतराष्ट्रीय बाजार में एक डॉलर के लिए भारत के लोगों को 74 रुपये 87 पैसे चुकाने पर रहे हैं। यानी अन्तराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा की मोल की दृष्टि से 26 साल पहले जिस ऐतिहासिक चारा घोटाला का मोल 950 करोड़ था, आज 400 करोड़ के आस-पास का हो गया है। क्या कहते हैं? खैर। 

ये भी पढ़े   चुनावी बॉन्ड प्रकरण:  चर्चाएं हो रही है भारतीय स्टेट बैंक के तीन अध्यक्षों सहित भारत के चुनाव आयुक्तगण भी नापे जायेंगे 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को 139.5 करोड़ रुपये के डोरंडा कोषागार गबन मामले में दोषी ठहराया। सीबीआई के एक वकील ने कहा कि सजा 18 फरवरी को सुनाई जाएगी। अदालत ने 29 जनवरी को मामले में दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रसाद को इससे पहले चारा घोटाला के चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है।

सीबीआई के वकील ने कहा, “लालू प्रसाद को दोषी ठहराया गया है। सजा 18 फरवरी को सुनाई जाएगी।” विशेष सीबीआई के न्यायाधीश एस के शशि की अदालत ने प्रसाद सहित 99 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी की थी, जो पिछले साल फरवरी से चल रही थी। अंतिम आरोपी डॉ शैलेंद्र कुमार की ओर से बहस 29 जनवरी को पूरी हुई। सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में प्रत्यक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया था।

26 साल से कोर्ट में चल रहे देश के बहुचर्चित चारा घोटाले में एक बार फिर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को तगड़ा झटका लगा है। पांचवें और सबसे बड़े मामले में लालू को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने दोषी ठहराया है।उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। 139.5 करोड़ रुपए की अवैध निकासी केस में सजा का ऐलान बाद में होगा। डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव समेत कुल 110 अभियुक्त थे। 99 आरोपियों को सजा मिलेगी और 24 लोग बरी हो गए। पहला मामला चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37.7 करोड़ रुपए निकालने का है। इस मामले में लालू यादव समेत 44 आरोपी थे। आरजेडी मुखिया को 5 साल की सजा हुई है। साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना भी हुआ था।

ये भी पढ़े   अंखफोड़बा काण्ड का 42 वर्ष: 'क़ानूनी न्याय' नहीं मिला, दो आँख फूटने का मुआवजा 750/- रूपये/माह, 'गंगाजल' फिल्म 16,67,31,350/- रुपये कमा लिया

चारा घोटाले के तहत देवघर सरकारी कोषागार मामला 89.28 लाख रुपये के घोटाले से जुड़ा था। लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा मिली और पांच लाख जुर्माना भी लगाया गया। तीसरा मामला चाईबासा कोषागार का है। इसमें 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इसमें लालू को 5 साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना लगा। चौथा मामला दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी का है। लालू प्रसाद यादव को दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई। इसमें 60 लाख का जुर्माना भी लगा। बिहार की राजनीति से दिल्ली की सियासत में अपना दबदबा रखने वाले लालू चारा घोटाले में ऐसे घिरे कि सियासत में अर्श से फर्श पर आ गए।

बहरहाल, मामले के मूल 170 आरोपियों में से 55 की मौत हो चुकी है, सात सरकारी गवाह बन चुके हैं, दो ने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार कर लिए हैं और छह फरार हैं। प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं। 950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है। 

चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया। सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया। एजेंसी ने प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए। सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसाद, मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और प्रसाद को रांची जेल भेज दिया गया। दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले में प्रसाद को जमानत दे दी, जबकि दिसंबर 2017 में सीबीआई अदालत ने उन्हें और 15 अन्य को दोषी पाया और उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया। झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रसाद को अप्रैल 2021 में जमानत दे दी थी।

ये भी पढ़े   'बैटल ऑफ़ बक्सर': 'दो-रूपया प्रति पन्ना' की दर से जानकारियां प्राप्त करें, कौन-कौन 'भूतपूर्व-सांसद कितना निचोड़ते' हैं राजकीय कोषागार से

लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री रहते 1990 से 95 के बीच बिहार के सरकारी खजाने के पशु चारा के नाम पर 950 करोड़ की अवैध निकासी हुई थी। इसका खुलासा 1996 में हुआ और जांच बढ़ने के साथ लालू प्रसाद पर आंच आ गयी। झारखंड में चारा घोटाले के कुल पांच मुकदमों में लालू प्रसाद यादव अभियुक्त बनाये गये। 24 लोगों को इस मामले में बरी किया गया है। बरी होने वालों में राजेंद्र पांडेय, साकेत बिहारी लाल, दीनानाथ सहाय, राम सेवक, ऐनल हक, सनाउल हक, मो हुसैन, कलशमनी कश्यप, बलदेव साहू, रंजित सिन्हा,अनिल सिन्हा, अनिता प्रसाद, रमावतार शर्मा, चंचल सिन्हा, रामशंकर सिंह, बसंत सिन्हा, क्रांति सिंह, मधु मेहता शामिल हैं।

तस्वीर: जागरण जोश के सौजन्य से
रिपोर्ट : पीटीआई/भाषा के सहयोग से

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here