फेसबुक पर लोग कहते हैं: ‘दुष्कर्म की भी उम्र सीमा – सरकारी सोच हो गयी है धीमा !!!’

रेप
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नई दिल्ली : इधर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा को मंजूरी दे दे रहे थे, उधर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी थाना क्षेत्र से पुलिस ने दस साल की बच्ची का शव बरामद कर रही थी । इसके साथ दुष्कर्म की आशंका व्यक्त की गयी थी । पुलिस उपाधीक्षक :पूर्व: गौरव पांडेय ने आज बताया कि बच्ची का शव उसके घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर कल मक्के के एक खेत से बरामद किया गया।

प्रथम दृष्टया में शव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया होगा। इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम आने पर ही हो पाएगी। बच्ची के मुंह और नाक से खून बहता हुआ पाया गया तथा शरीर पर कई स्थानों पर चाकू से वार के निशा पाए गए हैं। पुलिस ने शव को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भेज दिया था।

इसी तरह हरियाणा के यमुनानगर के एक गाँव में 14 वर्षीय एक किशोरी को चार लोगों ने उसके घर से अगवा कर लिया और सुनसान जगह पर ले जाकर उससे कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया। लड़की के परिवार की ओर से दर्ज करायी गयी शिकायत के मुताबिक घटना के वक्त कल वह घर में अकेली थी ।

ज्ञातब्य हो की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा को मंजूरी दी है। कठुआ एवं उन्नाव में बलात्कार की घटनाओं को लेकर देश भर में व्याप्त रोष के बीच ऐसे मामलों में प्रभावी प्रतिरोधक स्थापित करने तथा लड़कियों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने संबंधी एक अध्यादेश को बीते 21 अप्रैल को मंजूरी दी थी।

आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य कानून, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पोक्सो) में संशोधन का प्रावधान है। इसमें ऐसे अपराधों के दोषियों के लिए मौत की सजा का नया प्रावधान लाने की बात कही गई है।

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इसमें 16 वर्ष से कम आयु की किशोरियों और 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने की बात कही गई है। इसके अलावा बलात्कार के मामलों की तेज गति से जांच और सुनवाई के लिये भी अनेक उपाए किये गए हैं । महिला के साथ बलात्कार के संदर्भ में सजा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष के कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्र कैद किया जा सकता है।

इसके साथ ही 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार के दोषियों को न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कारावास से बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास किया गया है, जिसे बढ़ा कर उम्र कैद किया जा सकता है। 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा शेष जीवन तक की कैद होगी।

बारह साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा कम से कम 20 साल कारावास की सजा या मृत्यु दंड होगी। बारह साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को शेष जीवन तक कैद या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है। ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गई है।

इसमें यह कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी लोगों के लिये अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा। इसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श करके त्वरित निपटान अदालतों के गठन की बात कही गई है। सभी पुलिस थाने और अस्पतालों में विशेष फारेंसिक किट उपलब्ध कराने की बात कही गई है।

बहरहाल, सोसल मिडिया में फेसबुक पर विषय पर लोगों से बात-चित करने से ऐसा लगता है की “उम्र-सीमा” निर्धारित होने के मामले में लोगों में रोष है।

एक सर्वे के अनुसार परमेश्वर सिंह कहते हैं: “बलात्कार का भी उम्र सीमा ! सरकारी सोच हो गयी है धीमा !!!”

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हिमांशु भूषण पांडे का कहना है कि “उम्र की बंदिश गलत है। यह कानून किसी से भी दुष्कर्म होने पर लागू होना चाहिये।” जबकि प्रीतम आनंद सिंह कहते हैं: “इसमें उम्र का कोई मतलब नहीं है। सभी को फांसी देनी चाहिए या उम्र क़ैद। इसी तरह संतोष मिश्रा का मानना है: “उम्र की सीमा समाप्त होनी चाहिए।” अनूप बदरिया कहते हैं: “एक कानून होनी चाहिए। रेप माने रेप और सब को फांसी।”

जबकि संजीव बछेरी का कहना है: “उम्र तो तय रहनी चाहिये क्योंकि छोटी बच्ची से सहमती से संबंध नही बनाये जा सकते और वो लाचार झूठे आरोप भी नही लगा सकती। इसलिये दोनों मामलों को अलग अलग तरीक़े से देखना होगा।”

नन्दिता झा मानती हैं: “उम्र की सीमा अपराध की परिभाषा को कम नही करता ना उससे होने वाले नुकसान को कम करता है।”

इसी तरह सचिदानंद झा कहते हैं: “उम्र की सीमा नहीं होनी चाहिए। वैज्ञानिकता प्रमाण होनी चाहिए महिला अधिकारओं का दुरूपयोग भी हो सकता है, और होता है। ”

प्रकाश कौशिक कहते हैं: “मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है, समय सीमा के अंदर न्यायालय का निर्णय आ जाना चाहिए जब तक दोषी जिन्दा रहे जेल में ही रहे।”

संजय झा का मानना है: “इस तरह के सभी मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के अंदर निर्णय हो। मामले की रिपोर्टिंग सुनिश्चित ह़ो। इस मामले मे उम्र की सीमा न हो। हाँ, रेप की सजा अधिकतम हो।”

शंकर झा मानते है: “यह ठीक है और उम्र सीमा ऊपर 18 तक यह तर्कपूर्ण है जब हम कानूनी तौर पर स्वनिर्णय के हकदार व अधिकार प्राप्त करने तक ।”

मुस्ताक अनिस का मानना है: “सजाएँ कड़ी करते जाने से कुछ नहीं होगा.. असल जरूरत है कि इस तरह के अपराध होने पर सही तफ्तीश हो और त्वरित न्याय मिले.. स्वाभाविक रूप से जब लोगों को अपने अपराध की सजा मिलने लगेगी तो कुछ ना कुछ भय से अंकुश लगेगा… वर्ना सजाएँ कितनी भी कठोर कर दी जाएं अगर न्याय सही और जल्द नहीं होता तो सब बेकार है।”

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यशेंद्र प्रसाद का मानना है: “वैदिक विज्ञान के सुप्रजनन सिद्धांतों का अनुसरण करने से इस तरह की विकृत मानसिकता वाले जन्म ही न लेंगे। अथवा बहुत ही कम / नगण्य हो जाएँगे।”

जबकि अशोक प्रीतम गिरी का कहना है: “दुष्कर्म की सज़ा केवल फाँसी ही हो, और पिड़िता को सहज भाव से जीवन में आगे बढ़ने की मानसिकता का बढ़ावा देना चाहिए।”

संजय भारती का कहना है की ​ “सबका साथ सबका विकास” अथवा सबकी सुरक्षा एक राजनैतिक जुमला है..!! वैसे भी सरकारी निर्णय एक डॉक्टर के समान होते है, अभी जितना दर्द है उतनी गोली खाओ, कुछ दिनों के बाद अलग तरह से बीमार पड़ोगे तो फिर अलग से गोली दे देंगें..!! ये फिर कहते हैं ” दूसरी बात यह भी है कि आजकल कुछ आधुनिक धर्मपत्नियाँ अपने पति परमेश्वर पर भी बलात …… करने का आरोप लगा कर माननीय न्यायालय में जा चुकी है !! हो सकता है नीतिनियंताओ को इस सर्वजन हिताय नियम के दुरुपयोग होने की भी अंदेशा हो..?

सुशिल पाण्डे के विचार से किसी महिला के साथ यदि बलात्कार की घटना हो , तो आरोपी को मृत्युदंड अथवा आजीवन कारावास मे डाल देना चाहिए । पीड़ित बच्ची हो अथवा बड़ी उम्र की हो , इसमे अंतर नही किया जाना चाहिए । वहीं अपराधी कोई आम व्यक्ति हो अथवा खास पहुंच वाला उसका किसी तरह से बचाव नही किया जाना चाहिए ।

पटना के वरिष्ठ पत्रकार चक्रपाणि हिमांशु का मन्ना है कि “इसका मतलब अधिक उम्र के मामले में सरकार के तरफ़ से छूट है क्या? कानून सबके लिए समान होना चाहिए।”

​​मोहम्मद सलीम कुरैशी का कहना है “दुष्कर्म किसी भी उम्र की तय सीमा खत्म हो और साथ ही एक माह में आरोपी को फाँसी हो, एक माह समय इसलिए कि अपराधी को जितनी दिनों तक जिंदा रखेगे वो अपने बचने के और रास्ते तलाश लेते है, अपराधी पर सज़ा तेज़ हो ताकि वो बचने का कोई रास्ता न खोज पाये।”

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