आरोग्य सेतु को “जैविक माता-पिता” की तलाश है । अगर नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर इसके जन्मदाता नहीं हैं, तो इसके “जन्मदाता” कौन है और वे सार्वजनिक क्यों नहीं हैं ? कोरोना वायरस का भारत में आगमन के साथ ही इतनी तत्परता से आरोग्य-सेतु बाबू जनता और सरकार के बीच “सेतु” कैसे बना लिया।
साढ़े-सोलह करोड़ से भी अधिक भारतीयों के बारे में जानकारी एकत्रित करने का “अधिष्ठाता” कौन है ? इतनी तत्परता के साथ अब तक तो “कोरोना वायरस” का “वैक्सीन” तो नहीं आ पाया – सवाल बहुत सारे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय तो सरकार और न्यायपालिका का ही होगा।
पिछले दिनों केंद्रीय सूचना आयोग ने आरोग्य सेतु ऐप की जानकारी को लेकर नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर के अधिकारियों को फटकार लगाई थी। जिसमें कहा गया था कि नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर की वेबसाइट पर आरोग्य सेतु ऐप का नाम है, लेकिन इसके विकास को लेकर कोई जानकारी नहीं है। जैसे ही आरोग्य सेतु के बारे में देश में चर्चाएं चलने लगीं, सरकार ने बताया कि राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने उद्योग और शैक्षणिक क्षेत्र के वॉलनटिअर्स के सहयोग से आरोग्य सेतु ऐप तैयार किया गया है। अगर ऐसा है तो इस बात का उल्लेख तो अवश्य होना चाहिए। उन निर्माताओं को भी सार्वजनिक तौर पर सरकारी वेबसाईट पर लिखा जाना चाहिए,ताकि भारत के लोग उन्हें सम्मान दे सकें।
सरकार ने बताया कि सरकार का कहना है आरोग्य सेतु ऐप को रिकॉर्ड 21 दिनों में पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक-निजी सहयोग से विकसित किया गया है। ऐसे में आरोग्य सेतु ऐप पर संदेह नहीं करना चाहिए। आरोग्य सेतु ऐप की मदद से कोविड-19 (COVID-19) से लड़ने में काफी मदद मिली है।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब सौरव दास ने चीफ इन्फॉर्मेशन कमिशन में शिकायत की और यह बताया की आरोग्य सेतु ऐप को बनाने वाले के बारे में जानकारी के लिए एनआईसी, नैशनल ई-गवर्नेंस डिविजन और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से वे संपर्क किये थे लेकिन जबाब संतोष जनक नहीं था।
आरोग्य सेतु ऐप को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग ने नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर के अधिकारियों से जवाब मांगा था। था। केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर की वेबसाइट पर आरोग्य सेतु ऐप का नाम है, तो फिर उनके पास ऐप के विकास को लेकर कोई डिटेल क्यों नहीं है? केंद्रीय सूचना आयोग ने इस संबंध में चीफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन अधिकारियों सहित नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और NIC को कारण बताओं नोटिस भेजा था।
इधर, आरोग्य सेतू एप की जानकारी को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में तहसीन ने सीजेआई से आरोग्य सेतु विवाद के बारे में संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
सरकार ने कल कहा था कि आरोग्य सेतु ऐप किसने बनाया है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अपने पत्र में तहसीन पूनावाला ने मांग की है कि वह आईटी मिनिस्ट्री से आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का पूरे विवरण देते हुए अदालत में एक हलफनामा दायर करने को कहे। पूनावाला ने लिखा, ‘’आरोग्य सेतु ऐप ने न केवल निगरानी के लिए एक उपकरण के रूप में काम किया है. बल्कि इस एप के माध्यम से 16.23 करोड़ से ज्यादा यूजर्स की जानकारी जुटाई गई है, जिसमें रक्षा सेवाओं, सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों और आम आदमी भी शामिल हैं. इस एप को सरकार ने सभी के लिए अनिवार्य किया था।’’