मोदीजी द्वारा “जंगलराज का युवराज” अलंकरण और नितीश बाबू  का “राग दरबारी” होना कहीं भयवश तो नहीं है !!

पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव - तत्कालीन
पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव - तत्कालीन "जंगलराज" में "रिक्सा" की सवारी। फाईल फोटो 

बिहार के मुख्य मन्त्री नितीश कुमार का चुनाव के प्रथम चरण के दिन प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी का “राग दरबारी” होना नितीश बाबू के लिए “शोभा” नहीं देता। ऐसा लगता है कि कुमार साहेब को चुनाव में “हारने का भय” और “मुख्य मन्त्री की कुर्सी” खिसकने का डर सता रहा है। वहीँ नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार तेजस्वी यादव का बिना नाम लिए “जंगलराज का युवराज” शब्द से अलंकृत करना भी “अन्तःमन से चुनावी परिणाम से भयभीत होने” को दर्शाता है।

तीस-वर्ष की आयु में प्रदेश के ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश के उत्कर्ष के नेताओं को, चाहे किसी भी राजनीतिक पार्टी से सम्बन्ध रखते हों, पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव चुनावी मैदान में “ललकारा” तो जरूर है, तभी कोई “राग-दरबारी” हो रहे हैं तो कोई “शब्दों के विन्यास से अलंकरण” का “हार” गूँथ रहे हैं । ललकार इतना अधिक है कि नरेन्द्र मोदी सहित, चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी अथवा समर्थन देने वाली पार्टियों के उम्मीदवारों के बारे में कम और राजद पति-पति-पुत्र और पार्टी के बारे में चर्चाएं अधिक हो रही है। नितीश कुमार के भाषण में “अपनी हार” का “भय” भी दिखने लगा है।

अगर ऐसा नहीं होता तो “जो व्यक्ति (नितीश कुमार) कल तक नरेन्द्र मोदी का कटु आलोचक रहा, प्रदेश में भाजपा को कभी उभरने नहीं दिया, भाजपा नेता सुशील मोदी को अपना “कनिष्ठ” से, यानि कन्धे से ऊपर देखने की ताकत नहीं जुटाने दिया; वे आज सार्वजनिक मंच से यह कहते भी नहीं थक रहे हैं कि “राज्य के साथ-साथ देश के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर कार्य हो रहे हैं। नितीश कुमार यह भी कह डाले केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार में बिहार को भी विकास के क्षेत्र में काफी मदद मिली है। इस मदद की बदौलत वह बिहार को आगे बढ़ाने में सफल हुए हैं।” अब तो बिहार में विकास इतना हुआ है कि सिर्फ नितीश कुमार को ही “लौक” रहा है।

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बिहार में लालू के 30-वर्षीय सुपुत्र तेजस्वी यादव की लड़ाई 70-वर्षीय “चचाजान” नितीश कुमार से ही नहीं है, 70-वर्षीय प्रधान मन्त्री सम्मानित नरेन्द्र मोदी जीके अलावे उनके मंत्रिमण्डल के आला राजनेतागण, सम्पूर्ण भारतवर्ष के बीजेपी के अध्यक्ष, जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी और अन्य सभी पार्टियों के राजनेताओं से है। सभी अब गोलबन्द हो गए हैं। लालू प्रसाद यादव की पार्टी और तेजस्वी यादव को शिकस्त देने के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और न जाने देश के किन-किन भागों से नेतागण चाणक्य की धरती पर, चन्द्रगुप्त की धरती पर, विद्यापति की धरती पर, कुंवर सिंह की धरती पर पधार रहे हैं ताकि लालूजी का छोटका ननकिरबा कहीं बाजी न मार ले। क्या मोदीजी – क्या नितीश कुमार,म सबों के ह्रदय में कुछ-न-कुछ तो हो ही रहा है।   

पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव - पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व-स्वास्थ मंत्री तेज प्रताप यादव, सांसद मीसा भारती और परिवार के अन्य सदस्य - फाईल फोटो 
पूर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव – पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी, बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व-स्वास्थ मंत्री तेज प्रताप यादव, सांसद मीसा भारती और परिवार के अन्य सदस्य – फाईल फोटो 

नितीश कुमार का यह भाषण सुनकर सन 1990-1991 में प्रधान मंत्री चन्द्र शेखर  की बात याद आ गयी जब उन्होंने ताऊ (देवीलाल) को कहा था कि संसद में आप निजी तौर पर मेरी आलोचना करेंगे। ऐसा करने से अगले दिन का सम्पूर्ण समाचार पत्र इस विषय से रंगा होगा।” यहाँ नितीश कुमार ताऊ की भूमिका निभाते हुए प्रधान मंत्री की “प्रशंसा” किये – ताकि बिहार की अगली सरकार उनकी ही बने। लेकिन नितीश कुमार यह नहीं जानते कि “राजनीति में लंगड़ी मारने वालों की किल्लत नहीं है और उनसे अधिक अवसरवादी, विचारवान लोग भरे-पड़े हैं। अगर उनकी पार्टी की संख्या कम आई, तो उनके समर्थन करने वाली पार्टियों को अपना पल्लू-झाड़ने में तनिक भी सोचने की जरुरत नहीं होगी। 

बहरहाल, आज मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के पुत्र और महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव का नाम लिये बगैर उन्हें जंगलराज का युवराज करार देते हुए कहा कि इनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा है कि सरकारी नौकरी तो छोड़िए, इन लोगों के सत्ता में आने से नौकरी देने वाली निजी कंपनियां भी राज्य से भाग जाएँगी।   

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि बिहार का चुनाव इस बार असाधारण परिस्थिति में हो रहा है । कोरोना के कारण पूरी दुनिया चिंता और मुश्किल में है। महामारी के इस कठिन समय में बिहार में स्थिर सरकार जरूरी है। कोरोना महामारी के समय में जंगलराज वाले सत्ता में आ जाएं तो यह बिहार के लोगों पर दोहरी मार होगी। जंगलराज के युवराज आ जाएं तो महामारी से निपटने के लिए जो पैसे दिये जा रहे हैं उसका क्या होगा यह बिहार की जनता उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर अच्छी तरह से जानती है।  

वह दल जो बिहार के उद्योगों को बंद करने के लिए बदनाम हैं, जिनसे निवेशक कोसों दूर भागते हैं, वह लोग बिहार के लोगों को विकास के वायदे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी तो छोड़िए, इन लोगों के आने का मतलब है, नौकरी देने वाली निजी कंपनियां भी बिहार से नौ दो ग्यारह (भाग) हो जायेंगी। नरेन्द्र मोदी ने “सबका साथ सबका विकास”  मंत्र को देश के विकास का आधार बताया और कहा कि करीब 130 करोड़ आबादी वाले राष्ट्र में अब इसी मंत्र पर काम हो रहा है।   

इससे पहले, दरभंगा के राज मैदान में कहा कि केंद्र की पहल के कारण 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले हैं वहीं 90 लाख से अधिक महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस का कनेक्शन दिया गया है। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ आबादी वाले इस देश मे सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर काम हो रहा है।  प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने कहा था कि हर किसान के बैंक खाते में सीधी मदद भेजेंगे। आज करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपये की सीधी मदद किसान के खाते में जमा कराई जा चुकी है। हमने कहा था कि हर गरीब का बैंक खाता खोलेंगे। आज 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों का बैंक खाता खुल चुका है। हर गरीब बहन-बेटी की रसोई में मुफ्त गैस कनेक्शन पहुंचाएंगे। उज्ज्वला योजना ने बिहार की भी करीब 90 लाख महिलाओं को लकड़ी के धुएं से मुक्त किया है। हर गरीब को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देंगे। आज बिहार के भी हर गरीब को ये सुविधा मिल रहा है।”  

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