जो व्यक्ति को संघर्ष के लिए समर्थ बनाए, चरित्रवान, परोपकारी बनाए और उसमे सिंह जैसा साहस पैदा करे वही शिक्षा है: अमित शाह

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: परिवर्तनकारी सुधार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित नई पहलों का उद्घाटन करते केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: परिवर्तनकारी सुधार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित नई पहलों का उद्घाटन करते केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लोग अलग अलग तरीके से देखते हैं। जबकि मैं मानता हूँ कि एक राष्ट्र का निर्माण उसके नागरिकों से होता है और ये NEP 2020 प्रतिभावान नागरिक बनाने की मूल कल्पना से बनाई गयी है। अमित शाह ने कहा कि मोदी जी की यह नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर, सशक्त, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव है और यह शिक्षा नीति हर बच्चे तक पहुँचकर उसका भविष्य संवारने का एक साधन है। साथ ही, नई शिक्षा नीति में ये स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार होती है। 

गृह मंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जो व्यक्ति को संघर्ष के लिए समर्थ बनाए, उसे चरित्रवान और परोपकारी बनाए और उसमे सिंह जैसा साहस पैदा करे वही शिक्षा है और इन सभी उद्देश्यों को मोदी जी ने व्यापक विचार मंथन के बाद NEP-2020 में समाहित किया है और NEP-2020 भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी है और सभी के सुझावों का सम्मान करते हुए इस शिक्षा नीति को बनाया गया है। 

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद आई सभी शिक्षा नीतियों में मोदी जी द्वारा लायी गयी NEP-2020 एक मात्र ऐसी शिक्षा नीति है जिसका कोई विरोध नहीं हुआ। साथ ही, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले सभी शिक्षार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। चाहे टेक्निकल एजुकेशन हो, मेडिकल एजुकेशन हो या लॉ एजुकेशन, जब हम इन सभी को भारतीय भाषाओं में नहीं पढ़ाते, तो हम देश की क्षमताओं को सीमित कर मात्र 5% का ही उपयोग कर पाते है, परन्तु जब इस ज्ञान को हम भारतीय भाषाओं में पढ़ाते है तो हम देश की शत प्रतिशत क्षमता का उपयोग कर पाते हैं। 

गृहमंत्री के अनुसार ‘NEP 2020 में भारत की संस्कृति व ज्ञान परम्परा को समाहित करने के साथ-साथ दुनियाभर से नवाचारों, चिंतन व आधुनिकता को समाहित करने का रास्ता भी खुला है और इसमें संकुचित सोच का कोई स्थान नहीं है। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य है ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना जो राष्ट्र गौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना भी रखते हों, इसमें ओतप्रोत हों, और, सही अर्थों में ग्लोबल सिटीजन बनने की क्षमता रखते हों। व्यक्ति को बड़ा बनाना है तो उसकी स्मरण, चिंतन, तर्क, विश्लेषण और निर्णय क्षमता को बढ़ाकर उसमें नीति के आधार पर निर्णय लेकर उसका क्रियान्वयन करने की क्षमता विकसित करनी होगी, यही NEP 2020 का उद्देश्य है। इस नीति के 5 प्रमुख स्तंभ हैं- सामर्थ्य की वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही और इन्हीं स्तंभों पर पूरी शिक्षा का यह दस्तावेज बनाया गया है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: परिवर्तनकारी सुधार कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह . तस्वीर: पीआईबी

इस शिक्षा नीति में स्कूल और उच्च शिक्षा सिस्टम में 2025 तक कम से कम 50% विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी मोदी जी के नेतृत्व में बहुत प्रयास हुए हैं और यही दर्शाता है कि नरेंद्र मोदी सरकार का थ्रस्ट प्राइमरी एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन और प्राइमरी एजुकेशन से लेकर टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन पर समग्रता से है। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और डॉ सुभाष सरकार, और, शिक्षा और विदेश राज्यमंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक महान भारत की रचना की नींव है और ये एक महान भारत की रचना का कारण बनने वाली है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश ज़मीन, नदियों, पहाड़ों या कारखानों से नहीं बनता है, बल्कि राष्ट्र उसके नागरिकों और जनता के संस्कृति और संस्कार से बनता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रतिभावान नागरिक बनाने की मूल कल्पना के साथ बनाई गई है। 

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श्री अमित शाह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने बहुत कम शब्दों में शिक्षा का उद्देश्य बताया था कि जो शिक्षा आमजन को जीवन के संघर्ष के लिए समर्थ नहीं बनाती है, बच्चे को चरित्रवान नहीं बनाती है, उसमें परोपकार का भाव और सिंह जैसा साहस पैदा नहीं करती है, वो शिक्षा कहलाने के लायक नहीं है। शिक्षा के इन सभी उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए मोदी जी ने बहुत मंथन के बाद इस अमृतरूपी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को निकाला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति तीनों के प्रति दृष्टिकोण को सजग करते हुए मानव के समग्र विकास को थ्रस्ट देने वाली नीति है। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की ज़रूरत समझाते हुए कहा है कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा में समग्र ब्रह्मांड को सम्मिलित करने की शक्ति और क्षमता है और ज्ञान मानवविकास की सभी गतिविधियों का स्रोत है। ज्ञान को बहुत अच्छे तरीक़े से देश के विकास के लिए चैनलाइज़ करने के लिए ये नई शिक्षा नीति लाई गई है। 

केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान Photo: PIB

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये नई शिक्षा नीति ज्ञान और संस्कृति संवेदन के साथ ध्येय, समाज और अर्थव्यवस्था की मांग की परिपूर्ति करने वाली नीति है और इसके माध्यम से हमारे देश को महान बनाने वाले कई उद्देश्य सिद्ध होने वाले हैं। 29 जुलाई, 2020 के दिन नई शिक्षा नीति आई और इससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव का मार्ग प्रशस्त हुआ और ये अपने मूल उद्देश्यों की ओर आज बढ़ती हुई दिख रही है। देश में 1968 और 1986 में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई थी और उसके बाद 2020 में आई। लेकिन ये पहली शिक्षा नीति है जिसके विरोध में एक भी स्वर पूरे देश में कहीं भी सुनाई नहीं दिया और यही बताता है कि ये नीति देश की जड़ों के साथ जुड़ी है, सबको सम्मिलित करके और सबके सुझावों का सम्मान करते हुए इसे बनाया गया है। लगभग ढाई लाख पंचायतें, 12,500 से ज़्यादा लोकल बॉडीज़, 675 ज़िले और 2 लाख से ज़्यादा कंक्रीट सुझावों में से विचार मंथन करके इस अमृत को निकाला गया है। ये मात्र एक नीतिगत दस्तावेज़ नहीं है बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षार्थियों, शिक्षाविदों और नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। देश के लोग कई वर्षों से पिछली शिक्षा नीति में बदलाव चाहते थे और ये बदलाव आज मोदी जी के नेतृत्व में हम देख पा रहे हैं। 

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श्री अमित शाह ने कहा कि बीते दो सालों में शिक्षा नीति के बारे में एक व्यापक बज़ क्रिएट हुआ है और इसी में इस नीति की सफलता के बीज हैं। इसी बज़ में मैं एक वट वृक्ष और भारत को शिक्षा की दृष्टि से फिर एक बार विश्व में एक महाशक्ति बनते हुए देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में ये स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार होती है। इस शिक्षा नीति की जड़ें बेशक़ भारतीयता, भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान परंपराओं के साथ जुड़ी हैं लेकिन ये नीति दुनियाभर की आधुनिकताओं को अपनाने की क्षमता भी रखती है। इसके साथ-साथ ये शिक्षा नीति नए चिंतन का रास्ता भी खुला छोड़ती है। इस नीति के माध्यम से डिजिटल और ग्लोबल दुनिया में भारत की शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप बहुत स्पष्ट कर दिया गया है। इस शिक्षा नीति में संकुचितता के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि इस नीति का एक प्रमुख उद्देश्य है ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना जो राष्ट्रगौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना भी रखते हों, इसमें ओतप्रोत हों, और, सही अर्थों में ग्लोबल सिटीज़न बनने की क्षमता रखते हों। एक प्रकार से वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ करना इस नीति में समाहित किया गया है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: परिवर्तनकारी सुधार कार्यक्रम में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम – तस्वीर: पीआईबी

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वभाषा को बहुत महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे देश और भाषा को मन की क्षमता और बुद्धि के साथ जोड़कर देखा गया है। भाषा बुद्धि, मन, व्यक्ति की क्षमता और इसकी विचारने की क्षमता का परिचायक नहीं हो सकती, भाषा तो सिर्फ अभिव्यक्ति है। क्षमता और चिंतन कोई भी बच्चा अपनी मातृभाषा में ही सबसे अच्छा कर सकता है और यही हमारी नई शिक्षा नीति का एक आधार बिंदु है। इसके अभाव में हमने बहुत कुछ गंवाया है। जब बच्चे की प्राथमिक शिक्षा किसी और भाषा में होती है, उसी वक्त उसकी मौलिक चिंतन क्षमता को हम कुंठित कर देते हैं और उसे समाज, उसके इतिहास, संस्कृति और जीवन पद्धति से एक प्रकार से काट देते हैं। इस शिक्षा नीति में यह थ्रस्ट दिया गया है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होगी और इसीलिए त्रिभाषा के फार्मूले को भी इस शिक्षा पद्धति में बहुत वजन के साथ रखा गया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और मातृभाषा में शिक्षा पद्धति, इन दोनों के बीच बहुत गहरा रिश्ता है। अनुसंधान वही कर सकता है जो अपनी भाषा में सोचता हो क्योंकि उसकी मौलिक विचार क्षमता अपनी मातृभाषा में ही विकसित हो सकती है। अगर देश को R&D का हब बनाना है तो बच्चे की सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में होना बहुत जरूरी है। 

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श्री अमित शाह ने कहा कि हमारी शिक्षा नीति सिर्फ सफल व्यक्ति नहीं चाहती बल्कि बड़े व्यक्ति चाहती है, जो व्यक्ति खुद को बड़ा बनाए। अगर खुद को बड़ा बनाना है तो उसकी चिंतन क्षमता, मन की क्षमता, स्मरण शक्ति, तार्किकता, विश्लेषण को बढ़ाना होगा, उसकी निर्णायक क्षमता को धार देनी होगी, उसे डिसीजन मेकर बनाना पड़ेगा, नीति के बारे में सोचने की उसकी दृष्टि को जागृत करना होगा और नीति के आधार पर निर्णय लेकर क्रियान्वयन की क्षमता भी उसमें डालनी होगी। अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तो कोई भी व्यक्ति बड़ा व्यक्ति नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि रटे रटाये ज्ञान से मार्क्स बढ़ सकते हैं, नौकरी मिल सकती है, मगर बड़ा बनना है तो चिंतन, तर्क, विश्लेषण, निर्णय, नीति और नीति का क्रियान्वयन, इस प्रक्रिया से हर व्यक्ति को प्रेरित होना ही पड़ता है। आज तक हमारी शिक्षा नीति के अंदर इसकी कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा कि यह हमारी भारतीय शिक्षा पद्धति का हिस्सा है कि व्यक्ति को बड़ा बनाना, उसको सर्वज्ञ बनाना और सर्वज्ञ बनाने के लिए उसके मन की क्षमता, सोचने की क्षमता, स्मृति को ज्यादा पैना बनाना और वह तभी हो सकता है जब हमारी मूल शिक्षा पद्धति के आधार पर शिक्षा की नींव रखी जाए। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह नीति एक ग्रंथ नहीं है बल्कि एक ग्रंथालय है और अपने आप में एक लाइब्रेरी है। इसके हर शब्द और वाक्य के पीछे बहुत गहरी सोच है और जिन्हें इसे जमीन पर उतारना है उन्हें भी इसे इसी दृष्टि से देखना चाहिए। यह प्रक्रिया ही बड़े नागरिक बना सकती है, मन की शांति को बढ़ा सकती है, नैतिकता का पौधा बच्चे के मन में आरोपित कर सकती है, दूसरे की मदद करने की प्रकृति को जीवित कर सकती है, उसको जिम्मेदार बना सकती है, उसको हमेशा के लिए अपने आपको समाज, देश और दुनिया के लिए प्रस्तुत रखने का संस्कार दे सकती है। समग्र समाज के अंदर परिवर्तन इसी शिक्षा पद्धति से आएगा और इसमें भारतीय शिक्षा पद्धति के मूल भी हैं। उन्होंने कहा कि हमें इसके इंप्लीमेंटेशन के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि ढर्रे को बदलना आसान नहीं होता और हमने ढर्रे को बदलने के चैलेंज को स्वीकार किया है। श्री शाह ने कहा कि इस नीति के 5 प्रमुख स्तंभ हैं- सामर्थ्य की वृद्धि, पहुंच, गुणवत्ता, निष्पक्षता और जवाबदेही। इन पांच प्रमुख स्तंभों पर यह पूरी शिक्षा का दस्तावेज बनाया गया है। इसमें शिक्षा की वर्तमान 10+2 की व्यवस्था को भी बदलने का प्रावधान है और बहुत सारे अन्य बदलाव किए गए हैं।

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