“एक्सीडेंटल पीएम” के समय में भी ऐसा दृश्य नहीं था, ”मोदी जी आप तो 300+ वाले है”, फिर ऐसा ‘एक्सीडेंट’ क्यों?  

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला के मड़ियाहूं कोतवाली के अम्बरपुर गाँव में रहने वाले अस्सी-वर्ष से अधिक उम्र के श्री तिलकधारी सिंह द्वारा साईकिल के दो-पहियों के बीच अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर

देश का यह तस्वीर इस बात का द्योतक है कि देश में मानवता ही नहीं, देश के 5255 राजनेताओं की आत्मा भी पार्थिव हो गया जो चुनाव के समय आपके घर बिना जूते के आते हैं। आपके “पैखाना करते बच्चों को, नाक से नेटा बहते बच्चों, वस्त्रहीन बच्चों को, अपने-अपने गोद में लेकर खड़े होते हैं, उनको झोपड़ियों में बैठकर खाना खाते है,  उनकी तस्वीरें स्थानीय अख़बारों से लेकर दिल्ली के राजपथ के दोनों तरफ पार्टियों के नेताओं द्वारा संचालित अख़बारों, टीवी चैनलों पर छपते हैं, दिखाए जाते हैं – बारम्बार, चुनाव चाहे पंचायत का हो, विधान सभाओं का हो, संसद का हो, वे झुण्ड-के-झुण्ड आते हैं, आपका पैर पकड़ते हैं, निहोरा करते हैं, विनती करते हैं। चाहे के किसी भी राजनीतिक पार्टी के हों। चुनाव ‘आम’ तो या चुनाव ‘खास’ हो। लेकिन चुनवोपरांत मतदाताओं की वास्तविक स्थिति कैसी होती है, यह “7 – रेस कोर्स रोड” का नाम “7- लोक कल्याण मार्ग” करने से नहीं ज्ञात होगा। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला के मड़ियाहूं कोतवाली के अम्बरपुर गाँव में रहने वाले अस्सी-वर्ष से अधिक उम्र के श्री तिलकधारी सिंह द्वारा साईकिल के दो-पहियों के बीच अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर ले जाती यह तस्वीर कह रही है। 

आप माने अथवा नहीं, राष्ट्रीय राजधानी में जब तक प्रधान मंत्री आवास 7-रेस कोर्स के नाम से जाना जाता था, रायसीना हिल पर स्थित प्रधान मंत्री कार्यालय के साथ साथ, आवासीय -कार्यालय भी, वहां से निर्गत आदेश भी, घोड़े की तरह दौड़ता था पुरे देश में। चाहे देश का तथाकथित “एक्सीडेंटल प्राईम मिनिस्टर” डॉ मनमोहन सिंह ही क्यों न हों। 

बड़े-बुजुर्ग  कहते हैं “सानिग्धता का असर पड़ता है जीवों पर – चाहे मनुष्य हो अथवा जानवर। अगर ऐसा नहीं होता, सनिग्धता का आसान नहीं पड़ता, प्रशिक्षण का असर नहीं पड़ता तो भारतीय सेना से लेकर गृह मंत्रालय के अधीनस्त के सभी विभागों, मिलिट्री, पेअर-मिलिट्री फ़ोर्स में “उम्दा किस्म और ब्रीड का जानबर” नहीं होता जो किसी-किसी परिस्थिति में मनुष्य से बेहतर कार्य कर जाता है। विस्वास नहीं हो तो पता कर लीजिये। बड़े-बुजुर्ग यह भी कहते हैं “जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग. चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।” और शौचालय का रात्रि-मल चाहे मनुष्य का हो या जानवरों का, सम्पूर्ण वातावरण को दुर्गन्धित कर देता हैं। 

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निर्णय आप करें। फेसबुक वाल से Gn Jha

लेकिन जब से 7-रेसकोर्स का नया नाम “7-लोक कल्याण मार्ग” हो गया,  भारत के लोगों का क्या महत्व है वे भारत के लोग स्वयं आज भारत की सड़कों पर, गलियों में, घरों में, अस्पतालों में, चिकित्सालयों में, शमशानों में पार्थिव शरीरों की लम्बी कतार देखकर अंदाजा लगा सकते हैं।  राजनेताओं, चाहे किसी भी राजनीतिक पार्टियों के हों, सत्तारूढ़ हो या विपक्ष में बैठते हैं। पंचायत से लेकर संसद तक, चाहे जबरदस्ती लड़कर चुनाव जीते हों या फिर निर्दलीय होकर – चुनाव जीतने के बाद सत्ता की गलियारों में बैठने के लिए, सत्ता हथियाने के लिए “क्या-क्या करते हैं” यह बात देश का मतदाता जानता तो है, लेकिन ‘बेजुबान’ होता है। बोल नहीं सकता। उसे तो मर-मर कर, आधी-सांस लेकर ही सही, जीने की आदत होती है क्योंकि एक घर में यदि पांच सदस्य होते हैं तो पांच राजनीतिक पार्टियों के लिए दुकानदारी करते हैं। जिसकी चल गई -वह बल्ले, बल्ले। इसका भी दृष्टान्त भारत के निर्वाचन आयोग के पास है। इंटरनेट पर भी है। आपकी उँगलियों पर भी है। 

अतः ”कल्याण” क्या हुआ?  यह तो भारत के संसद में बैठे देश के “तथाकथित-स्वयंभू राजनीतिक अधिष्ठाता गण संसद को “स्टार्ड”, “अनस्टार्ड” और “शॉर्ट नोटिस” प्रश्नों में दे सकते हैं – बसर्ते वे अपने ह्रदय पर हाथ रखकर, त्रिनेत्रधारी महादेव का शपथ खाकर कह सकने की ताकत रखते हों । हम गीता का सम्मान करते हैं, लेकिन गीता पर हाथ रखकर यदि भारत के लोग सत्य बोलते, देश का न्यायिक व्यवस्था सच सुनती तो आज देश के विभिन्न न्यायालयों में कोई 4 . 4 करोड़ मुक़दमे लंबित नहीं पड़े होते। ये मुकदमें देश के सभी 19000 जिला न्यायालयों/निचले न्यायालयों. उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालयों में लंबित है। इतना ही नहीं, इस कोरोना संक्रमण त्रादसी काल में अब तक कुल 19 फ़ीसदी मुकदमों में बृद्धि हुई है, जहाँ तक मुकदमों का लंबित होना है।  

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला के मड़ियाहूं कोतवाली के अम्बरपुर गाँव में रहने वाले अस्सी-वर्ष से अधिक उम्र के श्री तिलकधारी सिंह द्वारा साईकिल के दो-पहियों के बीच अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर – तस्वीर फेसबुक वाल से 

इतना ही नहीं,  इतना दावे के साथ कहा जा  सकता है कि  देश के कुल 5255 राजनेताओं की – जिसमें 250 राज्य सभा के सदस्य हैं, 543 लोक सभा के सदस्य है, 436 देश के विधान परिषदों (आंध्र प्रदेश, कर्णाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश) के सदस्य है और 4036 देश के राज्यों के विधान सभाओं के सदस्य हैं – क्षमता नहीं है कि वे अपने-अपने इष्ट देव का शपथ खाकर भारत के उन बेजुबान’ लोगों  को जबाब दे सकें । अगर ऐसा होता, तो आज कोरोना-19 त्रादसी के समय ये सभी 5255 लोग अपने-अपने चुनाव-क्षेत्रों के, अपने-अपने गावों के, प्रखंडों के, जिलों के उन बेजुबान लोगों, दीन-निरीह, अर्थहीन, सामर्थ हीन मतदाताओं का, विशेषकर जीवन-मृत्यु वाली सांस से जूझती इस महिला को, अपनी पत्नी के पार्थिव शरीर को इस कदर साईकिल पर ले जाते श्री तिलकधारी सिंह के साथ होते। 

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बहरहाल, उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला के मड़ियाहूं कोतवाली के अम्बरपुर गाँव में रहने वाले अस्सी-वर्ष से अधिक उम्र के श्री तिलकधारी सिंह का अपनी पत्नी के पार्थिव शरीर को इस कदर ले जाना भारत के वर्तमान शाशकों का, व्यवस्थाओं का  जीता-जागता प्रमाण है। गाँव मर गया है। पंचायत मर गया है। प्रखंड मर गया है। जिला मर गया है। प्रदेश मर गया है। देश मर गया है। मानवता भी पार्थिव हो गया। 

फेसबुक पर श्री सतपाल यादव कहते हैं: ” तिलकधारी सिंह अपनी मृत पत्नी राजकुमारी देवी को साइकल पर लिए हुए घूम रहे है। अंतिम संस्कार के लिए उन्हें जगह नहीं मिल रही है । एम्बुलेंस छोड़िए, गाँव में कोई उन्हें अंतिम संस्कार भी नहीं करने दे रहा है । तिलकधारी सिंह बेचारे क्या करें ? बड़ी भयानक स्थिति है । ऊपर वाले से दुआ है कि किसी को इस संकट में ना डाले । गाँव का नाम और जिले का नाम लिखने से एफआईआर होने के चांस है, इसलिए नहीं लिखा है । वैसे भी घटना कहीं की भी हो लेकिन मानवता तो तार तार हो ही रही है ।” एम के सिंह ने लिखा है: “आज मानवता हो रहे है शर्मशार। नेता कर रहें हैं खुलकर व्यापार।। फेंक फेंक कर उम्मीद है जगाए। जीते जी आज मानव को मुर्दा बनाए।।”

निर्णय आप करें। तस्वीर महाराष्ट्र का है। फेसबुक वाल से 

इधर देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के “7-लोक कल्याण मार्ग के वातानुकूलित कक्ष में बैठकर कोविड-19 से संबंधित स्थिति की समीक्षा कर रहे थे देश के “तथाकथित शीर्ष अधिकारियों के साथ” – लेकिन यह पक्का है कि देश के अधिकारीगण शायद सम्मानित प्रधान मंत्रीजी को “इस अमानवीय दृश्य के बारे में, अमानवीय प्रशाशन के बारे में, अमानुषिक व्यवस्था के बारे में कुछ भी नहीं बताया होगा। सुनते हैं प्रधान मंत्री-अधिकारीगण देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता, दवाओं, स्वास्थ्य अवसंरचना आदि से संबंधित स्थिति की भी समीक्षा किये। 

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भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय द्वारा विज्ञप्ति निर्गत कर दिया गया जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि “ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने पर काम कर रहे अधिकार प्राप्त समूह ने प्रधानमंत्री को देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता और आपूर्ति में तेजी लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दिए । वे अधिकारीगण राज्यों को ऑक्सीजन के आवंटन में वृद्धि के बारे में प्रधान मंत्री को बताया। इतना ही नहीं, वे सभी सांख्यिकी भी बटोरे और कागज पर दिखा दिए कि देश में  एलएमओ का उत्पादन अगस्त 2020 में 5700 एमटी/दिन से बढ़कर वर्तमान में 8922 एमटी (25 अप्रैल 2021 को) हो गया है। इतना ही नहीं, खरखांही में, शायद नौकरी में प्रोन्नति पाने के लिए यह भी बता दिए कि एलएमओ का घरेलू उत्पादन अप्रैल 2021 के अंत तक 9250 एमटी/दिन के पार जाने की उम्मीद है।” इतना ही नहीं, ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलवे सेवा के संचालन और ऑक्सीजन टैंकरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए भारतीय वायुसेना की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बारे में भी बता दिए।

अब आये चिकित्सक वर्गों का समय। चिकित्सकीय अवसंरचना और कोविड प्रबंधन पर काम कर रहे अधिकार प्राप्त समूह ने प्रधान मंत्री को बिस्तरों और आईसीयू की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। आगे देखिये, अधिकारीगण संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए हो रहे प्रयासों के बारे में भी प्रधान मंत्री को सूचित कर दिए । अब इतना सुनने के बाद प्रधान मंत्री भी अपनी “मन की बात” तो कहेंगे ही। फिर क्या था फिर क्या था अपने जैकेट को ठीक करते, दाढ़ी को ऊपर से नीचे कंघी करते, मुस्कुराते प्रधान मंत्री महोदय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करें। अधिकारियों ने भी पीएम को बताया कि वे राज्यों को पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। अब प्रधान मंत्री यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि राज्यों में संबंधित एजेंसियों द्वारा कोविड प्रबंधन को लेकर विशिष्ट दिशानिर्देशों और रणनीतियों को ठीक तरह से लागू किया जा रहा हो।

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