अगर नितीश कुमार मुख्य मन्त्री बनना स्वीकारते हैं, तो यह सार्वजानिक हो जायेगा कि वे “लालची नंबर-1” हैं 

नितीश कुमार - फोटो: पीटीआई के सौजन्य से 
नितीश कुमार - फोटो: पीटीआई के सौजन्य से 

अगर नितीश कुमार मुख्य मन्त्री बनना स्वीकार करते हैं तो यह सार्वजानिक हो जायेगा कि वे “लालची नंबर – 1” हैं और मुख्य मंत्री कार्यालय से मोह भंग नहीं हो रहा है महाभारत के धृतराष्ट्र जैसा । अब नितीश बाबू को कैसे समझाया जाय कि “हुकुम, जो कार्य आप विगत दिनों गुप्तेश्वर पाण्डे जी के साथ किये, छिटकिन्नी मारके; दिल्ली के  लोक कल्याण मार्ग और दीन दयाल मार्ग स्थित विशालतम कार्यालय में बैठे लोग अपने “आत्म-सम्मान”, कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान के लिए अधिक चिन्तित हैं, न की आपके लिए। आप तो कभी भाजपा के साथ थे ही नहीं। जब भी साथ रहे, “शर्त” पर क्योंकि आपका “पलड़ा” भारी रहता था। समय बदल गया है और आपका “वजन ही नहीं, पलड़ा भी हल्का हो गया है,” । आप भले अपने प्रदेश के लिए चिन्तित नहीं हो और हमेशा शतरंज की चाल चलते रहें, लेकिन “दिल्ली चिन्तित है” – सोचियेगा जरूर।  

लालच होना स्वाभाविक है किसी भी जीव के लिए। मनुष्य भी एक जीव ही है और नितीश कुमार भी मनुष्य ही हैं। अतः सम्पूर्ण दृष्टि से अगर आंकते हैं तो नितीश कुमार भी लालची हो गए हैं, यह खुलेआम दिखता है । धन-संपत्ति अर्जित किये अथवा नहीं इन विगत 15 मुख्य मन्त्री वाले वर्षों में, यह तो आने वाले समय में भारत का महालेखागार देखेगा या फिर केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के मत्थे मढ़ा जायेगा जांच के लिए; लेकिन एक बात तो तय है कि सत्तर वसन्त सांस लेने के बाद वे अपना ‘आत्म-सम्मान’ बख्तियार ख़िलजी के नाम पर बने बख्तियारपुर क्षेत्र में फेंक दिए हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो ‘व्यक्तिगत और पार्टी के लिए इतनी करारी हार होने के बाद भी मुख्य मंत्री कार्यालय और कार्यालय के अंदर रखी कुर्सी को लार टपकाते, टकटकी निगाह से नहीं देखते। 

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ऐसा लगता है जैसे चारो-पहर एक नजर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को देखते होंगे और अगली नजर मुख्य मंत्री वाली कुर्सी को। साथ ही, सांस-छोड़ते-लेते घर के “हॉट लाईन” को भी देखते होंगे, कहीं रायसीना हिल से या लोक कल्याण मार्ग से बिहार के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के सम्मानार्थ, प्रदेश में भाजपा के टिकट पर विजेता विधायकों के सम्मानार्थ लोक कल्याण मार्ग अपना “अन्तः मन की बात” उजागर न कर दें। क्योंकि प्रधान मंत्री “अपने मन की बात” कहने में माहिर हैं । कहीं प्रधान मंत्री यह न कह दें कि:  “नीतीशजी, हमें बिहार के भाजपा के कार्यकर्ताओं के सम्मान को देखना होगा। जिन मतदाताओं ने भाजपा और मोदीजी में अपना विस्वास दिखाते विधायकों को चुना है (क्योंकि प्रदेश के किसी भी विधायकों की क्षमता नहीं है कि वे अपने बल पर, अपने-अपने कार्यों के बल पर जनता का दिल जीत सकें।), उनके सम्मानार्थ भाजपा का ही मुख्य मंत्री होगा।  आप 42 के हैं इसलिए कनिष्ठ रहकर सेवा करें प्रदेश का या फिर अंडमान निकोबार में लेफ्टिनेंट गवर्नर बन जायँ .वृद्ध हो रहे हैं।  बिहार से आवो-हवा भी बदल जायेगा।”

सुशील मोदी  - फोटो: पीटीआई के सौजन्य से   
सुशील मोदी  – फोटो: पीटीआई के सौजन्य से   

इस बार मुख्य मंत्री पद पर आसीन होने का अर्थ वैसे ही है जैसे लोगबाग भारतीय पत्रकारिता या मीडिया को “गोदी मीडिया” शब्द से अलंकृत किये हैं; नितीश कुमार भी “गोदी मुख्य मंत्री” कहलायेंगे । क्योंकि 74 और 43 में बहुत अंतर है। वैसे बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सिफारिश पर 16वीं विधानसभा को विघटित कर दिया है ।  राजभवन से जारी अधिकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्यपाल श्री चौहान ने मंत्रिपरिषद के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुशंसा पर भारत के संविधान में प्रदत्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए षोडश बिहार विधानसभा को आज विघटित कर दिया गया है ।श्री चौहान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल के त्यागपत्र को स्वीकृति प्रदान करते हुए मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को नए मंत्रिपरिषद के गठन तक अपने-अपने प्रभार में बने रहने का अनुरोध किया है।

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हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में राजग को बहुमत प्राप्त हुआ है और समझा जाता है कि राजग औपचारिक रूप से नयी सरकार के गठन का दावा करेगा । बहरहाल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायक दल की संयुक्त बैठक रविवार को होगी जहां नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता चुना जायेगा । इस आशय का निर्णय राजग के चार घटक दलों भाजपा, जदयू, हम, वीआईपी की अनौचारिक बैठक में हुआ । यह बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर हुई ।बैठक के बाद जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ रविवार 15 नवंबर को साढ़े बारह बजे बैठक शुरू होगी और इसमें आगे निर्णय किया जायेगा । ’’ विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है ।

गौरतलब है कि भाजपा इस चुनाव में 74 सीट जीत कर राजग में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आई है जबकि जदयू को 43 सीटें प्राप्त हुई है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने कुमार को अगला मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया है । बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही नीतीश कुमार को सत्तारूढ़ राजग की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था ।नीतीश कुमार ने यह नहीं बताया कि उनके आवास पर बैठक में क्या तय हुआ । बहरबाल जानकार सूत्र बताते हैं कि नये मंत्रिमंडल में प्रत्येक घटक के प्रतिनिधित्व और नये विधानसभा अध्यक्ष के मुद्दे पर चर्चा हुई ।

इस बीच, ऐसी अटकलें हैं कि उपमुख्यमंत्री पद के लिये भाजपा की ओर से अति पिछड़े वर्ग से किसी नाम को आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के स्थान पर किस को उपमुख्यमंत्री बनाया जायेगा या उत्तर प्रदेश की तरह से दो उप मुख्यमंत्री का प्रयोग दोहराया जा सकता है । भाजपा की ओर से उपमुख्यमंत्री पद के लिये आरएसएस में जुड़े नेता कामेश्वर चौपाल का नाम चर्चा में है । चौपाल दलित समुदाय से आते हैं और वे 1990 में अयोध्या में राम जन्मभूमि में आधारशिला रखने के लिये चर्चित रहे हैं । गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में राजग को 125 सीटें प्राप्त हुई है जो बहुमत के आंकड़े से तीन सीट अधिक है ।

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