शक के दायरे में हैं हामिद अंसारी क्योंकि “निगाहें मिलाने को जी चाहता है……..”

अवसर: पूर्व-राष्ट्रपति हामिद अंसारी के लिए आयोजित 'फेयरवेल डिनर' और "निगाहें मिलाने को जी चाहता है"

नई दिल्ली (रायसीना हिल): यह तस्वीर काफी है आने वाले दिनों में क्या होने वाला था, बताने के लिए। निगाहें ‘पैनी’ है। चेहरे पर ‘भाव’ भी है – एक दूसरे के प्रति सम्मान भी है। लेकिन इस तस्वीर के कुछ वर्ष बाद हामिद अंसारी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हैं कि जब वे ‘उप-राष्ट्रपति’ थे उन्होंने एक पाकिस्तानी पत्रकार को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था और आईएसआई के साथ खुफिया जानकारी साझा की थी। उनका कहना है कि उपराष्ट्रपति के किसी भी कार्यक्रम में विदेशी मेहमानों को निमंत्रण सरकार की सलाह के बाद दिया जाता है। विदेश मंत्रालय के माध्यम से विदेशी मेहमानों को आमंत्रित किया जाता है। पूर्व-उपराष्ट्रपति तो यहाँ तक कहा कि केवल सरकार ही इस मामले पर प्रकाश डाल सकती है और सच बता सकती है।

पूर्व-उपराष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद भाजपा अंसारी और कांग्रेस की आलोचना की और पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा द्वारा किए गए सनसनीखेज दावों पर स्पष्टीकरण भी मांगी। मिर्जा ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने यूपीए शासन के दौरान पांच बार भारत का दौरा किया था और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ अपनी यात्राओं के दौरान एकत्र की गई संवेदनशील जानकारी साझा की थी। उधर, हामिद अंसारी ने कहा कि वह मिर्जा से कभी नहीं मिले। उनके अनुसार: “मैंने 11 दिसंबर 2010 को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और चंद्रमा अधिकारों पर न्यायविदों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया था। आमतौर पर, ऐसे सम्मेलनों में मेहमानों की सूची आयोजकों द्वारा तैयार की जाती है। मैंने कभी मिर्जा को फोन या मुलाकात नहीं की।”

लेकिन ये बोलती तस्वीरों कुछ और कहती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा अंसारी साहब के लिए आयोजित ‘फेयरवेल डिनर’ में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति ‘समस्त बातों’ से अवगत है। सम्मानित अंसारी साहब भी ‘सच’ से वाकिफ़ हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तो अवगत हैं ही। मामला जो भी हो, इतना तो सच है ही कि आज अंसारी सबह ‘शक’ के ‘घेरे’ में आ गए हैं तभी तो रायसीना हिल पर सामने, दाहिने, बाएं स्थित कार्यालयों में इस बात की चर्चाएं ‘आम’ हो गयी है। आज देश के दैनिक इस खबर से भरे पड़े हैं कि रिटायर्ड उपराष्ट्रपति जनाब मोहम्मद हामिद अंसारी मियां ने भारतीय गुप्तचर संस्था (रॉ) को तेहरान में जोखिम में डाल दिया था। तब अंसारी ईरान में भारतीय राजदूत थे। पत्रिका ”सण्डे गार्जियन”, आईटीवी द्वारा प्रकाशित, ने छापा कि ”रॉ” के पूर्व अधिकारियों ने नरेन्द्र मोदी को लिखा कि हामिद अंसारी के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये जाये। इन रिटायर्ड अफसरों का आरोप है कि मियां हामिद अंसारी ने भारतीय हितों की रक्षा नहीं की। बल्कि ईरानी सरकार की मदद की और नतीजन ”रॉ” के भारतीय कार्मिकों की जान खतरे में डाली थी।        

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पूर्व-राष्ट्रपति हामिद अंसारी और उनकी पत्नी

वरिष्ठ पत्रकार और इण्डियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट के अध्यक्ष के विक्रम राव कहते हैं: “किन्तु इससे भी ज्यादा भयावह रहस्योद्घाटन किया पाकिस्तानी अस्सी वर्षीय  टीवी संवाददाता मियां नुसरत मिर्जा ने। उन्होंने बताया कि वे  गत वर्षों में  पांच  बार भारत आये। मियां हामिद अंसारी का निमंत्रण था। अमूमन पाकिस्तानी पत्रकार केवल तीन शहरों में ही जा सकता हैं, पर मिर्जा सात जगह गये। मिर्जा ने बताया कि अंसारी से संभाषण के दौरान बताया कि कई संवेदनशील विषयों पर वार्ता की। हालांकि मियां हामिद अंसारी ने कहा कि ”मैं नुसरत मिर्जा को न तो जानता हूं, न कभी मिला, न कभी भारत निमंत्रित ही किया।”
         
के विक्रम राव आगे कहते हैं: “लेकिन नुसरत मिर्जा ने बड़ी संजीदगी तथा जोरदार शैली में कहा कि वे अंसारी से हुयी बातचीत पर कायम हैं। ”नवभारत टाइम्स” की रपट को उद्धृत करते राव का कहना है कि ”हामिद अंसारी ने आमंत्रित किया, फिर गोपनीय जानकारी उससे साझा की, जो देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।” 

गौरव भाटिया ने बताया कि नुसरत मिर्जा वाला कथन पूर्णतय सत्य है। आरोप यह भी है कि मियां हामिद अंसारी द्वारा गुप्त सूचना ईरानी सरकार को दे देने के परिणाम में ईरानी जासूसी संगठन ”सावाक” के क्रूर पुलिस अफसरों ने संदीप कपूर नाम का अफसर अपहरण तेहरान में किया। मगर अंसारी ने नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय को सूचित तक नहीं किया। ”रॉ” के शीर्ष अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने तेहरान में भारतीय राजदूत को बता दिया था कि डीबी माथुर, उच्च पुलिस अधिकारी, ईरान में गुप्तचर अधिकारी थे। माथुर को ईरानी संस्था ”सावाक” ने उठा लिया था। यातना दी थी। माथुर की घटना तब ”रॉ” अधिकारियों ने संसद में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को बताई। अटलजी ने प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को यह सूचना दी। तब नरसिम्हा राव ने ईरान सरकार के चंगुल से माथुर को रिहा कराया था। अगर तत्कालीन उपराष्ट्रपति के अलावा कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल गांधी हमारे सवालों पर चुप्पी साधे रहते है, तो यह इन पापों के लिये उनकी स्वीकारोक्ति के समान होगा।  भारत के लोगों ने हामिद अंसारी को इतना सम्मान दिया और उन्होंने देश को धोखा दिया।”           

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के विक्रम राव के अनुसार, “यूं मियां हामिद अंसारी अकसर विवादग्रस्त रहे, खासकर इस्लामी मसलों पर। अंसारी चाहते थे कि भारत के हर जनपद में शरिया अदालत गठित हो। वे लव जिहाद के पैरोकार रहे। जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति थे तो यूनियन भवन में मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो के लगे रहने के समर्थक थे। अचरज की बात है कि महान दार्शनिक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद मियां हामिद अंसारी ही है जो दो बार उपराष्ट्रपति रहे। मियां मोहम्मद हामिद अली अंसारी ने हर तरह का शासकीय मुनाफा कमाया। मलाई खाई। अल्पसंख्यक जो ठहरे! सरदार मनमोहन सिंह ने कहा भी था कि : “भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।” नतीजन अंसारी लाभ उठाने के हररावल दस्ते में रहे।”       

तस्वीरें कुछ तो कहती हैं – मन ही मन कुछ तो उथल-पुथल है

अप्रैल 1, 1937 को वे जन्मे थे। (मशहूर तारीख है) करीब 38 वर्ष तक भारत की विदेश सेवा में कमाईदार पद पर डटे रहे। साऊदी अरब में राजदूत रहे तो लगे हाथ हज भी कर लिया होगा। फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के काबीना-मंत्री स्तरीय के अध्यक्ष पद पर ऊंची पगार लेते रहे। सोनिया-कांग्रेस की मेहरबानी से उपराष्ट्रपति बन गये।
        
राव के अनुसार, “राज्यसभा टीवी पर चहेतों को नियुक्त किया। मनमाना प्रोग्राम चलवाया। पूरे दस वर्षों तक (साढ़े तीन हजार दिन) सत्ताइस हजार वर्गफीट (पौने सात एकड़) जमीन पर फैले मौलाना आजाद रोड में महलनुमा बंगले (उपराष्ट्रपति निवास) पर काबिज रहे। उधर मौका लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति पद पर भी थे। विश्वविद्यालय में भारत-विभाजक तथा हिन्दुओं के घोरतम शत्रु शिया मुस्लिम मियां मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो टांगने की जद्दोजहद में लगे रहे। जैसे जिन्ना इन अंसारी मियां का सगा हो। अंसारी ने कहा कि सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान की तस्वीर भी अलीगढ़ विश्वविद्यालय में लगी है। तो जिन्ना की क्यों नहीं? अब उन्हें कौन समझाये कि बादशाह खान को ब्रिटिश राज ने बीस साल पेशावर की जेल की कोठरी में नजरबंद रखा था, सिर्फ इसलिए कि बादशाह खान भारत के विभाजन का जमकर विरोध कर रहे थे।”       

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उनका कहना है कि मियां मोहम्मद अंसारी अपने उपराष्ट्रपति पद के अंतिम दिन केरल के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के जलसे में गये। वहां के जलसे में वे बोल आये कि ”भारत में मुसलमान खतरा महसूस कर रहा है।” अंसारी को खुफिया सूत्रों ने सचेत भी किया था कि पीएफआई पाकिस्तानी-समर्थक इस्लामी उग्रवादियों का मंच है। इसी फ्रन्ट के चार लोग अभी भी हथरस के रास्ते जाते पकड़े गये और मथुरा जिला जेल में अवैध हरकतों के लिये नजरबंद हैं। मानलें अगर नरेन्द्र मोदी हामिद अंसारी को कानपुर के दलित रामनाथ कोविन्द की जगह राष्ट्रपति बनवा देते तो क्या हिन्दुस्तानी मुसलमान ‘‘सुरक्षित, सुखी और सम्पन्न‘‘ हो जाते?

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