आख़िर ‘राज्यसभा’ में बैठने के लिए इतना ‘मारा-मारी’ क्यों है? 245 सदस्यों में 201 सम्मानित सदस्य “अर्ध-अरबपति” हैं, आपका क्या ख्याल है ?

आपको मालूम है इस भवन में स्थित एक सदन के 245 सदस्यों में 201 'सम्मान्नित सदस्य अर्ध-अरबपति' है 

कल ही की तो बात है । दिल्ली के एक बेहतरीन पत्रकार और यूनीवार्ता के मूर्धन्य पत्रकार और स्वतंत्र लेखक श्री चंद्रप्रकाश झा साहब का एक लेख मिला। वैसे चंद्रप्रकाश जी ‘चाय पर चर्चा’ नहीं कर, ‘चुनाव पर चर्चा’ किये थे।  यह चर्चा विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश के ऊपरी सदन का था। इस भवन का निर्माण ब्रितानिया सरकार के ज़माने में सर एडविन लुट्येन्स और सर हर्बर्ट बार्कर द्वारा सं 1921 और 1927 के बीच किया गया था। भवन का नाम इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल हुआ जो जनवरी 1927 से ब्रितानिया सरकार के अधीन कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। 

जब देश आज़ाद हुआ तो इस भवन का स्वामित्व संविधान सभा के अधीन आ गया और बाद में जब भारत का संविधान लागु हुआ तब यह भारत का संसद के नाम से जाने जाना लगा। इसी भवन में राज्य सभा और लोकसभा भी है। वैसे किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी कोई दस वर्ष पहले दिल्ली दरबार में उपस्थित हुए थे। महाराष्ट्र के मुंबई शहर में उनके आगमन के लिए ‘गेटवे ऑफ़ इण्डिया’ बना और दिल्ली में इण्डिया गेट पर कनोपी में जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित हुई। इधर लुट्येन्स दिल्ली का भी निर्माण जारी था जो 10 फरवरी, 1931 को पूरा हो गया। 

कहानी पढ़ने के बाद जो सबसे पहली प्रतिक्रिया थी वह यह कि “तभी तो सोचूं आख़िर राज्य सभा में बैठने के लिए इतना मारा-मारी क्यों है ?” क्योंकि ऊपरी सदन के कुल 245 सदस्यों में कोई 201 सदस्य ‘अर्ध-अरबपति’ हैं तथा उनकी औसत संपदा 55 करोड़ रुपये एयर अधिक है। तभी तो प्रवेश द्वार पर लिखा है “यह आम रास्ता नहीं” है। इतना ही नहीं, अगर आप विजय चौक पर खड़े हैं तो यह मान लीजिये कि सैद्धांतिक और व्यावहारिक रूप से आप “खटाक से बाएं हाथ नहीं मुड़ सकते है”, वर्जित; साथ ही, हौंक भी नहीं करें – चुपचाप कुछ भी कर सकते हैं – लेकिन सजग रहकर, सतर्क रहकर, चाहे आप लाल कोठी के अंदर हैं या लाल कोठी के बाहर। 

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के बाद भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर और संसद के स्थाई सदन, राज्य सभा की भी कुल245 में से 75 पर चुनाव होने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के सदन में अभी 95 सदस्य ही हैं। उसे बहुमत के लिए 123 सदस्यों के समर्थन की दरकार है। इसमें 28 सीटों की कमी है।

भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के अन्य दलों में अभी तमिलनाडूके ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक (एआईएडीएम) के छह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनतादल यूनाइटेड (जेडीयू) के पाँच, असम गण परिषद और महाराष्ट्र के सांसद रामदास अठावले के रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के एक–एक सदस्य है। एनडीए की सदस्य संख्याभी बहुमत से 15 सीट कम ही है। सदन में विपक्षी कांग्रेस के अभी 34 सदस्य हैंजो इतिहास में इसकी सबसे कम संख्या है।

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जल्द ही रिटायर होने वाले राज्यसभा सदस्यों में मोदी सरकार की वित्त मंत्रीनिर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री एवं सदन के नेता पीयूष गोयल के अलावा पूर्व केन्द्रीयमंत्री पी चिदंबरम, एके एंटनी, कपिल सिब्बल, जयराम रमेश, प्रफुल्लपटेल,अंबिका सोनी, मुख्तार अब्बास नकवी, सुब्रमण्यम स्वामी, सुरेशप्रभु,एमजे अकबर और शिवसेना मुखपत्र के संजय राउत शामिल है। पंजाब से कांग्रेस केप्रताप सिंह बाजवा और अंबिका सोनी समेत 7, उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के कपिल सिब्बलसमेत 11, कर्नाटक से 4 , उत्तराखंड से एक और हिमाचल प्रदेश से एक और असम से 2 सीट परचुनाव है। 
 
राज्यसभा सीटों पर हालिया चुनाव में धनबल, सत्ताबल, वंशानुगत राजनीति, क्रॉसवोटिंगऔर ब्लैकमेलिंग तक के मामले बढे हैं। पर सदन का गौरवमयी इतिहास है. स्वतंत्र भारत मेंसंसद के द्वितीय सदन की उपयोगिता और अनुपयोगिता के संबंध में संविधान सभा में विस्तृतबहस हुई थी. संविधान रचयिताओं ने विविधताओं के विशाल देश के लिए राष्ट्रपति प्रणालीके बजाय संसदीय लोकतंत्र और परिसंघीय (फेडरल) शासन व्यवस्था में द्विसदनीय संसद कोसबसे उपयुक्त माना। संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा सदस्यों की संख्या 250 निर्धारितकी गई। इनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।  238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित संघ-राज्य के प्रतिनिधि होते हैं। राज्यसभा सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है।  इनमें 233 सदस्य विभिन्न 26 राज्यों और दिल्ली, पुडुचेरी के दो संघराज्य के प्रतिनिधिहैं और 12 केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं। संविधान के प्रावधानोंके अनुसार राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला औरसमाज सेवा जैसे विषयों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। 

संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा सीट आवंटन का उपबंध है। ये आवंटन प्रत्येकराज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। राज्यों के पुनर्गठन और  नए राज्यों के गठन के परिणामस्वरूप, राज्योंऔर संघ राज्य को आवंटित राज्यसभा सीटों की संख्या 1952 से बदलती रही है। सदन में प्रत्येकराज्य के प्रतिनिधि का निर्वाचन विधानसभा के चुने हुए सदस्यों के ‘ एकल संक्रमणीय मतद्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व ‘ प्रणाली के तहत किया जाता है। 

राज्यसभा स्थायी सदन है और भंग नहीं होता। प्रत्येक दो वर्ष बाद राज्यसभा केएक-तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं।  सभापतिका कार्यकाल 5 वर्षों का ही होता है। राज्यसभा अपने सदस्यों में से उपसभापति का चयनकरती है। राज्यसभा सदस्य सरकार में मंत्री बन सकते है। राज्यसभा में 1969 तक वास्तविक अर्थ में विपक्ष का नेता नहीं होता था। सर्वाधिकसदस्यों वाली विपक्षी पार्टी के नेता को बिन औपचारिक मान्यता नेता विपक्ष मानने कीप्रथा थी। विपक्ष के नेता के पद को संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम(1977) में मान्यता प्रदान की गई।  विभिन्न राज्य , केंद्र शासित क्षेत्र और उन्हें आवंटित राज्यसभासीटें इस प्रकार है : आंध्र प्रदेश (11), अरुणाचल प्रदेश (1), असम(7),बिहार (16), छत्तीसगढ़ (5), गोवा(1),गुजरात(11), हरियाणा ( 5), हिमाचलप्रदेश (3),जम्मू-कश्मीर (4), झारखंड (6) कर्नाटक(12), केरल (9), मध्य प्रदेश (11), महाराष्ट्र(19),मणिपुर(1), मेघालय(1) , मिजोरम(1), नागालैंड(1), दिल्ली(3 ),ओडिशा (10), पुडुचेरी (1), पंजाब(7 ),राजस्थान (10), सिक्किम (1), तमिलनाडु (18 ), तेलंगाना(7),त्रिपुरा (1), उत्तर प्रदेश (31), उत्तराखंड(3) और पश्चिम बंगाल (16 ) – अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादराएवं नगर हवेली, दमन एवं दीव और लक्षद्वीप के केंद्र शासितक्षेत्र लिए एक-एक सीट है।

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विजय चौक पर लिखा तो है लेकिन …

राज्यसभा में अभी 12 मनोनीत सदस्य हैं : छत्रपति संभाजी (भाजपा), स्वपनदासगुप्ता (भाजपा), रूपा गांगुली (भाजपा) , रंजनगोगोई ,डा नरेंद्र जाधव , महेश जेठमलानी (भाजपा), एमसीमेरी कोम ,सोनाल मानसिंह ( भाजपा ) राम शकल (भाजपा) , राकेश सिन्हा (भाजपा), सुरेशगोपी (भाजपा) और सुब्रमणियम स्वामी (भाजपा)। 
  
जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहां परिसीमन की रिपोर्ट लंबित है। लेकिन राज्यसभा के इस बरस के द्विवार्षिक चुनाव के बाद सदन में भाजपा औरएनडीए की शक्ति और कम हो जाएगी। भाजपा और उसके दलों के सदस्य करीब 10 कम हो सकते है।भाजपा को राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि राज्यों में सीटों का नुकसान हो सकता है। कांग्रेस को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में तीन–चार सीटों का फ़ायदा हो सकता है। अभी कांग्रेस के सिर्फ34 सदस्य हैं जो उनकी अब तक की न्यूनतम सीट है। 

इस बरस बिहार से राज्य सभा की पाँच सीटों पर चुनाव है। मोदी सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता आरसीपी सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्‍ट्रीय जनता दलके नेता  लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसाभारती ,भाजपा के गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे की सीटें जुलाई में खाली हो रहीं हैं। जेडीयू के राज्‍य सभा सांसद किंग महेंद्र के हाल में निधन से वह सीट रिक्तहै जिस पर दो बरस का कार्यकाल बचा हुआ है। जेडीयू का आरसीसी सिंह को तीसरी बार और आरजेडीका मीसा भारती को दूसरी बार राज्यसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी भेजना लगभग तय है।द्विवार्षिक चुनाव में आरजेडी को तीन सीटें मिल सकती हैं। भाजपा को दो सीटें आसानी मिल जाएंगी। लेकिन जेडीयू को एक सीट का नुकसान होगा. उसे एक ही सीट मिल सकेगी।  राजस्थान में आगामी जुलाई में राज्यसभा की चार सीटें खाली हो रही है जो अभी भाजपा के पास हैं। वहां कांग्रेस को तीन सीटें मिलना तय है। प्रदेश में पिछले बरस राज्य सभा की तीन सीटों पर चुनाव से ऐन पहले ही कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सचिन पायलट के नेतृत्व में बगावती रुख दिखाए थे। लेकिन कांग्रेस दो सीट जीतने में सफल रही और भाजपा को एकही सीट मिली।

आंध्र प्रदेश में भी भाजपा को तीन सीटों का नुकसान हो सकता है। भाजपा ने आंध्रप्रदेश में अपनी पुरानी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के जिन चार राज्यसभा सदस्योंको अपने पाले में शामिल कर लिया था उनमें से तीन का कार्यकाल आगामी जुलाई में खत्महो रहा है। नए चुनाव में ये तीनों सीटें वहीं सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस को मिलने की संभावना है।छत्तीसगढ़ में जिन दो सीटों पर चुनाव होने हैं वे दोनों सत्तारूढ़ कांग्रेस कोमिलने की संभावना है। वहां भाजपा को एक सीट का नुकसान होगा। झारखंड  में दो सीटों पर चुनाव है जो अभी भाजपा के पास है। पर उसे एक सीट गंवानी पड़ सकती है। 

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पंजाब में इस बरस राज्य सभा की सात सीटों के चुनाव होंगे जिनमें पांच सीटें अप्रैल में और दो जुलाई में खाली होनी है। इन सात सीटों में से तीन–तीन कांग्रेस और अकाली दल और एक भाजपा के पास है जो उसने अकाली दल की मदद से जीती थी। उत्तर प्रदेश में राज्य सभा की 12 सीटें खाली हो रही है। इनमें छह भाजपा , तीन सपा और दो बसपा के पास है। मौजूदा हालात में भाजपा के लिए ये सभी छह सीट बरकरार कठिन लगता है। तमिलनाडु में राज्य सभा की 6 सीटों के लिए चुनाव होगा जिनमें से 4 सीटें भाजपा की सहयोगी अन्ना द्रमुक और 2 सीटें कांग्रेस की सहयोगी द्रमुक की हैं। अन्ना द्रमुकके दो सांसदों ने पिछले बरस विधानसभा चुनाव जीत कर राज्य सभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।ये दोनों रिक्त सीटें अब नए चुनाव में द्रमुक को मिलने की पूरी संभावना है। 

केरल से राज्य सभा में कम्यूनिस्ट पार्टियो की सीट कम से कम एक बढ़ सकती है और कांग्रेस की एक सीट कम हो सकती  है। तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस ),पश्चिमबंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और  ओडिशामें बीजू जनता दल ( बीजेपी) की राज्यसभा चुनावों के बाद सदस्य संख्या यथावत रहने की संभावना है। 

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के जितने सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होगा उतनी सीटें दोनों को फिर मिल जाने की संभावना है। भाजपा को कर्नाटक में लाभ हो सकता है जहां कांग्रेस के 3 और भाजपा के 1 सदस्य का कार्यकाल समाप्त होगा। इनमें भाजपा तीन सीटें जीत सकती हैं। असम और त्रिपुरा में भाजपा को एक-एक सीट का फायदा होनेकी संभावना है।  भारत में चुनावो पर नज़र रखने वाले गैर-सरकारी संगठन, एसोसिएशनफॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 201 राज्य सभा अर्ध-अरबपति हैं। उनकी औसत संपदा 55 करोड़ रुपये है। कुछ साल पहले की इस रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अमीर राज्यसभा सदस्य बिहार से मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दल यूनाइटेड ( जेडीयू) के महेंद्र प्रसाद थे जिनका हाल में देहांत हुआ है। उनकी संपत्ति करीब चार हज़ार करोड़ रुपये आँकी गई थी।   

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