सोहाग के पावनि के अतिरिक्त महिलाक बुद्धिमताक पावनि अछि बरसैत, सावित्री-सत्यवानक कथा दृष्टान्त अछि (मिथिलाक पावैन-तिहार:1)

सोहाग के पावनि के अतिरिक्त महिलाक बुद्धिमताक पावनि अछि बरसैत, सावित्री-सत्यवानक कथा दृष्टान्त अछि

बरसैत हमरा सब के भाग सोहाग के पावनि अछि। ई पावनि जेठ मास के आमावास्या तिथ के मनौल जाईत अछि। ई पावनि नव विवाहित जोड़ी से सुरहात होईत अछि आर जतेक दिन आसोहागिन रहै छि ओतेक दिन तक पुजै छथि। पहिल बेर पवनैतिन के सातटा बेईन, सातटा पनपथिया, पनपथिया में चना के औकरी, दू टा खिरोधनि जाहि मे एकटा में धान के लाबा आर एकटा मे केराव के दाली । सात टा उरीद दाली के पीस के बर पका के माला बना के खिरोधनि में बान्हल जाय ये। पुरहर पातील माटी के नाग नागिन । साजी में कनिया पूतरा हुनको लेल अलग से एकटा बेईन एकटा पनपथिया।

ओना गौरी नैहर सासुर दूनू ठाम के होइत अछि।सब किछु सासुर से भार अबै छनि यदि कोनो कारण वस नै अबै छनि ते माय ओरियान करै छथिन। पहिले दिन साझ में भगवती के गीत गावि के गौर वनै छथि गौर सिन्दूर हरैद दूभि धान धनि के बनै छथि पान के पात पर नव सरवा में राखल जाई छथि सरवा में सिन्दूर पिठार लगा देल जाईत अछि। साझ कोवर गीत होईत अछि।

आंगन में बर के गाछ वा नै ते वर के डाढ़ी रोपि के सात टा आरतक पात सात टा नरी सात टा फल लके पवनैतिन नब वस्त्र, लहठी गहना गुड़िया जे पवनैतिन के रहै छनि सबटा पहिर के दुल्हा संग बैस के पावनि पूजै छथि। सिन्दूर दान होईत अछि कनिया पुतरा के से हो सिन्दूर दान होईत अछि। फेर कनिया सब के औकरी के खोईछ दै छथि। आर पांच टा अहिवाति संग बैस के भोजन करै छथि।

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बरसैत हमरा सब के भाग सोहाग के पावनि अछि।

एहि पावनि के दू टा कथा अछि। एकटा ब्राम्हण के बेटा वला जै में धोविन के बेटी बर द के मर लै छथि आर दूध लावा खाईले नाग अबै छथिन ते खिरोधनि में ल के जांघ तर के दैब रखै छथिन। आर नागिन के बर द के सब भैसुर दियादनि के जिया लै छथिन तखनि नाग के जांघ तर से बाहर करै छथिन।

आर दोसर सावित्री सत्यवान बला। जै में सत्यवान अल्पायु के छथि से बूझितो सावित्री विवाह क लै छथिन आर बर गाछ तर सत्यवान के मोन खराप भेलनि। जखनि यम प्राण ल के बिदा भेलखिन ते सावित्री से हो संग लागद बिदा भेलि। जखनि यम घुरय लेल कहलखिन ते ओ घुरैक लेल तैयार नहि भेलि तखनि यम हुनका वर मांगय कहलनि ओ तीन टा वर मंगलनि – पहिल: नैहर में सहोदर भाई, सासुर में सासु-ससुर जे आन्हर छलखिन हुनकर आखि आर सौ पुत्र । यम बिना सचनै एवमस्तु कहि देलनि।

फेर सावित्री पाछु लागले रहलखिन ते यम कहलखिन आब किया आबि रहल छि ते सावित्री कहलनि हमर स्वामी के अहा ल जा रहल छि ते हमरा पुत्र के बरदान किया देलौ। आब यम कि करितथि ओ सत्यवान के प्राण लौटा लेलखिन्ह। जखनि सावित्री बर गाछ तर एलि ते सत्यवान बैसल छलखिन आर पूछ लगलखिन अहा कतय चल गेल छलौ। सावित्री बर गाछ के पूजा केलनि आर सत्यवान के संग घर एलि। ओतय सासु ससुर देखय लागल रहथिन। जे राज्यपाट छोड़ी के जंगल में रहै छला ओ राज्य दैले आवि गलनि।

सावित्री सौभाग्यवती भेलि पुत्र वति भेलि धन धान्य से नैहर सासुर भरि गेलनि। तहिया से सब अहिवाति बरसाईत पूजय लगलि। जावत सब अहिवाति रहै छथि सब पूजै छथि बेढ़ दै छथि। एकटा बेईन से बर के होकै छथि नरी आरतक पात से हो बेढ़ दै छथि। कियों कियो अहुना जल फल से पूजा करै छथि। यदि होई छनि ते नव वस्त्र लहठी सिन्दूर टीकली पहिर के पूजा करै छथि। नवकनिया सात टा के सब किछु ल के पूजै छथि।

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