एनआई करेगा दर्जी हत्या मामले की जांच, उदयपुर में सुरक्षा बढ़ाई गई

गृहमंत्री अमित शाह

उदयपुर/जयपुर/नयी दिल्ली: केंद्र ने उदयपुर में दर्जी की हत्या की घटना को एक आतंकवादी कृत्य मानते हुए बुधवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को मामले की जांच अपने हाथ में लेने और इसमें किसी भी संगठन या अंतरराष्ट्रीय संलिप्तता का पता लगाने का निर्देश दिया है। इस बीच, उदयपुर के सात थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा है, जबकि राजस्थान के सभी 33 जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है।

उदयपुर में मंगलवार को दो लोगों ने कथित तौर पर धारदार हथियार से एक दर्जी कन्हैया लाल तेली की हत्या कर दी थी और उसका वीडियो सार्वजनिक करते हुए कहा कि वे ‘‘इस्लाम के अपमान’’ का बदला ले रहे हैं। घटना के एक दिन बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और ऐसी घटनाओं को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कट्टरपंथी तत्वों की संलिप्तता के बिना अंजाम नहीं दिया जा सकता।

कन्हैया लाल तेली का शव पोस्टमार्टम के बाद बुधवार को परिवार के हवाले कर दिया गया। उदयपुर के सेक्टर-14 में स्थित उनके घर से कड़ी सुरक्षा के बीच उनकी अंतिम यात्रा शुरू की गई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी दर्जी के घर पहुंचे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गहलोत ने दोपहर में जयपुर में गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव, मुख्य सचिव उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), खुफिया इकाई के महानिदेशक समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘‘ गृह मंत्रालय ने एनआईए को राजस्थान के उदयपुर में हुई कन्हैया लाल तेली की नृशंस हत्या की जांच करने का निर्देश दिया है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ किसी भी संगठन और अंतरराष्ट्रीय संलिप्तता की गहन जांच की जाएगी।’’ मामले की प्रारंभिक जांच में राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो आरेापियों के आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित होने की बात सामने आने के बाद गृह मंत्रालय ने मंगलवार रात ही एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को उदयपुर रवाना कर दिया था।

उदयपुर शहर में मंगलवार को उस समय तनाव व्याप्त हो गया था, जब रियाज़ अख्तरी ने एक धारदार हथियार से तेली का कथित तौर पर गला काट दिया और दूसरे शख्स गौस मोहम्मद ने इस कृत्य का मोबाइल फोन से वीडियो बनाया था। सोशल मीडिया पर प्रसारित इस वीडियो में, कथित हमलावरों में से एक ने घोषणा की कि उन्होंने उस व्यक्ति का ‘‘सिर कलम कर दिया’’ । उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी देते हुए कहा था कि ‘‘यह हथियार उन तक भी पहुंच सकता है।’’

परोक्ष रूप से, हमलावरों ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ एक टिप्पणी को लेकर पार्टी से निलंबित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता नुपुर शर्मा का भी जिक्र किया। कन्हैयालाल को हाल ही में स्थानीय पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के संबंध में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें मामले में जमानत मिल गई थी। 15 जून को उन्होंने पुलिस को बताया था कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं। एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों को थाने बुलाकर मामले का निपटारा किया था। हत्या के बाद, पुलिस ने लापरवाही के आरोप में एक सहायक उप-निरीक्षक को निलंबित कर दिया है।

इससे पहले, 17 जून को एक और भड़काऊ वीडियो बनाया गया था, जिसमें अख्तरी ने कहा था कि जिस दिन वह हत्या करेगा, उसकी जानकारी देगा। उसने समुदाय के अन्य सदस्यों से भी ऐसे ही हमले करने का आह्वान किया था। इन वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तनाव और बढ़ गया था। स्थानीय बाजारों में दुकानदारों ने मंगलवार को दुकानें बंद कर दी थीं। भीड़ ने कई जगह पथराव किया और दो मोटरसाइकिल में आग लगा दी। कई घंटों तक, दुकानदारों ने पुलिस को शव ले जाने से रोका और हत्यारों को गिरफ्तार करने तथा दर्जी के परिवार को 50 लाख रुपये, सरकारी नौकरी देने की मांग की। शहर के सात थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ है और पुलिस की भारी तैनाती है।

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बहरहाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दर्जी की हत्या की घटना की बुधवार को निंदा करते हुए कहा कि हिंसा और चरमपंथ अस्वीकार्य है। बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘ चाहे कुछ भी हो, हिंसा और चरमपंथ अस्वीकार्य है। उदयपुर में जो हुआ, मैं उसकी निंदा करती हूं। कानून अपना काम करेगा। मैं लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करती हूं।’’

‘बंगाल इमाम एसोसिएशन’ ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि “कोई भी सच्चा मुसलमान” इस तरह के जघन्य कृत्य का समर्थन नहीं करेगा। एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद याहिया ने एक बयान में हमलावरों को ऐसी सज़ा देने की मांग की जो मिसाल कायम करे। उन्होंने कहा कि एक अपराधी, हत्यारे को सिर्फ उसके अपराध की वजह से जाना चाहिए और उसका नाम एवं उसकी कथित धार्मिक पहचान कृत्य की गंभीरता को कम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि एक-दो लोगों के अपराध के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। याहिया ने कहा कि इस्लाम इंसान की जान लेने की इजाज़त नहीं देता है और ऐसा करना गुनाह है।

पीटीआई/भाषा के सहयोग से। तस्वीर पीआईबी 

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