* पहली अप्रैल को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुंबई में तीसरे ज्वाइंट लॉजिस्टिक्स नोड (जेएलएन) का उद्घाटन कर रहे थे। उधर, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सली हमले की तैयारी कर रहा था।
* तीन अप्रैल को भारत के उप-राष्ट्रपति श्री एम वैकैया नायडू उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के 50 वें दीक्षांत समारोह में भाषण दे रहे थे। उधर, बीजापुर में नक्सल का कमाण्डर धमाका के लिए आदेश निर्गत कर रहा था।
* चार अप्रैल को देश के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी कोविड -19 संक्रमण और वैक्सीनेशन सम्बंधित बातों पर उच्च स्तरीय बैठक कर रहे थे। बीजापुर में नक्सली हमले में मारे गए सुरक्षा कर्मियों के शवों की गिनती की जा रही थी। छत-विछत अंग-प्रत्यंगों को एकत्रित किया जा रहा था। भारत के आला नेतागण, अधिकारीगण नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए सुरक्षाकर्मियों को “शहीद” शब्द से अलंकृत कर रहे थे, दुख व्यक्त कर रहे थे और कहते थक नहीं रहे थे कि उनके शौर्य को कभी भुलाया नहीं जाएगा।
सच्चाई यह है कि “जंगे मैदान में मरने वालों को सरकार शहीद नहीं मानती है। वह अपने कर्तब्य पर मृत्यु को प्राप्त करता है, यह कहती है। अतः गृह मंत्री महोदय को कैसे कहा जाय कि हुकुम या तो जंगे-मैदान में मृत्यु को प्राप्त किये सुरक्षा कर्मियों, चाहे भारतीय सेना के हों अथवा देश के पैरा-मिलिट्री फ़ोर्स के, या तो “शहीद का दर्जा” दीजिए, या फिर, “शहीद शब्द के इस्तेमाल पर आधिकारिक तौर पर प्रतिबन्ध लगा दीजिए।” ऐसा नहीं होने पर मृतक के परिवार और परिजनों के साथ क्रूर मज़ाक करती हैं समाज।
क्योंकि, दिसम्बर 22, 2015 को तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने श्रीमती नीलम सोनकर के एक प्रश्न पर लोक सभा में स्पष्ट रूप से कहा था: The Ministry of Defence has informed that the word ‘Martyr’ is not used in reference to any of the casualties in Indian Armed Forces. Similarly no such term is used in reference to the Central Armed Police Forces (CAPFs) and Assam Rifles (AR) personnel killed in action or on any operation. However, their families/Next of Kin are given full family pension under the Liberalized Pensionary Award (LPA) rules and lump sum ex-gratia compensation of Rupees fifteen lakh as per rules in addition to other benefits admissible. यह भारत सरकार का लिखित दस्तावेज है और आपके गृह मंत्रालय का ही है।
बहरहाल, भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फोन पर बात किये। बीजापुर नक्सली हमले के बारे में जानकारी ली, और राज्य सरकार को केन्द्र की तरफ से सभी आवश्यक मदद का भरोसा दिलाया। आधिकारिक सूत्रों अनुसार श्री बघेल ने गृह मंत्री को राज्य और केंद्र के सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की मैदानी स्थिति से अवगत कराया। उन्होने जवानों की शहादत पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सुरक्षा बलों के हौंसले बुलंद हैं और नक्सली हिंसा के विरुद्ध यह लड़ाई हम ही जीतेंगे।
श्री शाह ने मुख्यमंत्री से कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर इस लड़ाई को अवश्य जीतेंगे।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से जो भी आवश्यक मदद होगी वो राज्य सरकार को दी जायेगी।उन्होंने सीआरपीएफ के महानिदेशक को घटना स्थल पर जाने के भी निर्देश दिए हैं।
श्री बघेल ने कहा कि नक्सल हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में हो रहे लगातार विकास कार्यों से ग्रामीणों का नक्सलियों से मोह भंग हो रहा है और वे लगातार विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।स्वास्थ्य , शिक्षा और अन्य सुविधाएं अंदरूनी गांवों तक सुलभ हो रही हैं और नक्सली विचारधारा से लोग विमुख हो रहे है।इससे बौखला कर नक्सली इस तरह के हमले कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच शनिवार को लगभग चार घंटे चली मुठभेड़ में अब तक मृत जवानों की संख्या पांच से बढ़कर 24 हो गयी वहीं 31 जवानों के घायल होने की पुष्टि हुयी है, जिनमें से लगभग एक दर्जन को इलाज के लिए राजधानी रायपुर भेज दिया गया है। शेष का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। घायल जवानों में भी कुछ ही हालत काफी गंभीर बनी हुयी है। पुलिस का मानना है कि कुछ नक्सलियों के भी मारे जाने की आशंका है, जिनके शव नक्सलियों के कब्जे में ही हैं।
राज्य के नक्सल विरोधी अभियान के पुलिस उप महानिरीक्षक ओपी पाल ने शनिवार को बताया था कि शुक्रवार की रात बीजापुर और सुकमा जिले से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कोबरा बटालियन, डीआरजी और एसटीएफ के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। इस अभियान में बीजापुर जिले के तर्रेम, उसूर और पामेड़ से तथा सुकमा जिले के मिनपा और नरसापुरम से लगभग दो हजार जवान शामिल थे। पुलिस अधिकारी ने बताया था कि शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर जगरगुंड़ा थाना क्षेत्र (सुकमा जिला)के अंतर्गत जोनागुड़ा गांव के करीब नक्सलियों की पीएलजीए बटालियन तथा तर्रेम के सुरक्षा बलों के मध्य मुठभेड़ हुई।
प्राप्त सूचनाओं के अनुसार जंगल में पहाड़ियों से घिरे इलाके में सैकड़ों की संख्या में नक्सलियों ने पुलिस के संयुक्त गश्ती दल पर हमला किया। गश्ती दल में भी सैकड़ों जवान शामिल थे। बताया गया है कि नक्सली पहाड़ियों पर से हमला कर रहे थे। इस बीच आज और अधिक संख्या में पुलिस बल घटनास्थल की ओर रवाना किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि मुठभेड़ स्थल यहां से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। मुठभेड़ दिन में लगभग दो बजे प्रारंभ हुयी थी और जो देर शाम तक चली। पहाड़ियों से घिरे सघन वन इलाके में कल देर रात तक पांच जवानों के शहीद होने की पुष्टि वरिष्ठ अधिकारियों ने की थी। घायलों में से 12 जवानों को कल देर शाम ही हेलीकॉप्टर से रायपुर भेज दिया गया था।
पुलिस का कहना है कि यह मुठभेड़ बीजापुर जिले में सुकमा जिले की सीमा पर तररेम इलाके के जंगलों में हुयी। बताया गया है कि यहां पर कुछ दिनों से नक्सलियों और उनके नेताओं के एकत्रित होने की सूचना पर गश्ती दल भेजा गया था। सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से एक महिला नक्सली का शव बरामद किया है। मुठभेड़ में नक्सलियों को भी काफी नुकसान होने की खबर है।