प्रिय राम🌺 अपने भक्त का चरण स्पर्श स्वीकार करें🙏

हे राम !!!!!

प्रिय राम, 

अपने भक्त का चरण स्पर्श स्वीकार करें। 

भगवान आप अपने जन्मस्थान पर आ रहे हैं कई शताब्दी बाद । आपकी यात्रा सुन्दर हो, सुखमय हो । इस पृथ्वी पर सभी जीव-निर्जीव भाग्यशाली हैं कि आपको अपने जन्म स्थान पर वापस होते देख रहे हैं, चश्मदीद गवाह बन रहे हैं। आइये राम !!! सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

भगवान, मैं क्या विश्व के लोग भी शायद ही आपसे साक्षात् हुए होंगे। आप एक मानव  कल्पना हैं और आपके प्रति लोगों की भक्ति, आस्था ही आपका साकार रूप है। भगवान, आप तो जगत पिता हैं। हमारे पिता के भी पिता हैं। उनके पिता के भी पिता हैं। लेकिन मेरे लिए मेरे पिता ही ब्रह्माण्ड थे और जननी माँ प्रकृति। आपके आशीष से मैं उनके छत्रछाया में पला।  उनको समझा, आपको समझने में वे मदद किये, खुद को समझने की चेष्टा अनवरत करता रहा हूँ, आज भी । 

भगवान !! मेरे बाबूजी कहते थे ‘जो तुम  हो, उसे महसूस करो। जिसे तुम महसूस करोगे, वही निराकार सत्य है, ब्रह्म है, ईश्वर है, समय है। इसलिए प्रत्येक अदृश्य चीजों का सम्मान करना। क्या पता ईश्वर अदृश्य रूप में तुम्हें आंक रहे हों, परीक्षा ले रहे हों। पिता तो गलत नहीं होते भगवन, मेरे बाबूजी भी, माँ भी गलत नहीं थे ।  अभी तो दोनों आपके पास ही हैं भगवान।”

हे राम !!!!!

मेरे बाबूजी आपके अनन्य भक्त थे भगवान। आपके मित्र शिव और देवी के प्रति उनकी भक्ति और आस्था को शब्दों में नहीं बांध सकता भगवान, आप तो जानते ही हैं । वे मानव कल्याण के लिए आप लोगों की बहुत तरीके से याचना करते थे। यह भी सत्य है कि आप कभी भी उन्हें निराश नहीं किये। 

जब पहली बार बाबूजी कहे थे कि ‘ईश्वर को, शक्ति को, समय को महसूस करो, समझ नहीं पाया था। आज से कोई साढ़े पांच दशक पूर्व पटना में गंगा तट पर स्थित देवी काली की मंदिर में पूजा करते समय वे अपने धोती के पिछले हिस्से को मेरे नन्हे से पैर में बांधकर, जोड़ से दबाने कहा था और वे ‘आपकी’, ‘महादेव’ की, ”देवी दुर्गा’ की और फिर ‘देवी काली’ की पूजा-अर्चना करने लगे।  उस दिन ‘शक्ति’ से रूबरू हुआ था भगवान् बाबूजी के माध्यम से । आपकी शक्ति को साक्षात् देखा था हे ईश्वर। देवी काली आज भी दरभंगा हॉउस के उस मंदिर में विराजमान हैं जो प्रथम द्रष्टा थीं।” 

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हे राम !!!!!

उस शाम बाबूजी कहे थे “जब हम पूजा प्रारम्भ करेंगे तब तुम अपने सम्पूर्ण भार से घोती के इस हिस्से को दबाये रहना। एक क्षण ऐसा आएगा जब उस वस्त्र को कोई खोलने की कोशिश करेगा लेकिन तुम इस ”नाम” का जप करते अपना सम्पूर्ण भार उस पर रखना। मैं बहुत छोटा था भगवान, आप तो देखे ही हैं। पिता का आदेश था और मैं उस क्षण उनका सेवक। पूजा के उपरान्त हम दोनों पिता-पुत्र शरीर से कमजोर दिख रहे थे, लेकिन बाबूजी के चेहरे पर जो तेज दिख रहा था, वह सिर्फ आपका ही था हे भगवान।” मेरे बाबूजी आपके बहुत बड़े उपासक थे हे प्रभु तभी तो जब इस पृथ्वी से उनकी जाने का समय आया, क्षण भर में वे आपमें विलीन हो गए। 

भगवान मैं अपने माता-पिता का अनन्य भक्त हूँ, सेवक हूँ। आप दुःखी नहीं होंगे। लेकिन मेरे माता-पिता आपके अनन्य भक्त थे। स्वाभाविक है मैं भी आपका भक्त हुआ। माँ-बाबूजी कहते थे “राम” एक “कल्पना” हैं और उनके प्रति ‘भक्ति’ उनका साकार रूप। मिथिला में वैसे भी ‘जमाय’ को ‘विष्णु’ तुल्य ही माना जाता है। और आप तो साक्षात् विष्णु ही हैं। आप ही ब्रह्म है, आप ही शिव हैं, आप ही समय हैं, आप ही आदि हैं, आप ही अंत हैं।  हम सभी मिथिला के हैं। आपके ससुराल के हैं। 

आगामी विक्रम संवत 2080, शक संवत 1945 सोमवार पौष माह के शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि यानी 22 जनवरी 2024 को मेष लग्न में आप अपने जन्म स्थान पर मूर्ति स्वरूप में आ रहे हैं अपने भक्त जनों के लिए। बाबूजी कहते भी थे ‘न जाने किस भेष में नारायण मिल जाएँ,आज इस अवसर पर सभी मानव जाति भावुक हैं, जो स्वाभाविक भी है। भाव-विह्वल होना प्रकृति का नियम है। 

हे राम !!!!!

आज भारतभूमि पर अथवा इस भूमि से दूर अपने – अपने जीवन यापन करने के लिए जेद्दोजेहद कर रहे करोड़ों आस्तिकों-नास्तिकों के लिए, जिन्हे राम से, मर्यादा से, पुरुषोत्तम से अगाध प्रेम और समर्पण है, पहली बार जीवन में कुछ अलग तरह के मनोभाव से गुजर रहे हैं । आज की तारीख में इस पृथ्वी पर जीवित सभी प्राणी भाग्यशाली हैं तो आपको आपके जन्म स्थान पर आते, स्थापित होने का चश्मदीद गवाह बन रहे हैं। आज के  बाद यह सभी बातें इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में जगज हो जायेंगे। 

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यह भी तो भगवान आपकी ही लीला है कि अपने स्वरुप को साकार करने और उसे स्थापित करने का कार्य भारत  के दो भक्तों को दिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जिन्हे ‘समय’ और उनका प्रारब्ध’ उन्हें सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। ये एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। हे राम !! हे मर्यादा !! ये मर्यादित !! हे पुरुषोत्तम !! हे दशरथ पुत्र।

श्याम प्रस्तर से बनी आपकी मूर्ति की पहली छवि से स्पष्ट है कि खड़ी मुद्रा में भगवान शैशव अवस्था में हैं आप । मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51 इंच की आपकी मूर्ति  मंत्रोच्चार के बीच गर्भगृह में स्थापित किया गया। विगत 16 जनवरी से 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा हेतु मंत्रोच्चार व शास्त्र-सम्मत नानाविध नियमों का पालन विशिष्ट पण्डितों का एक समूह कर रहा है भगवान । आश्चर्य है न भगवान आपमें दिव्य चेतना जागृत कर रहा है। भगवान !!! आप तो भगवान हैं, कितने धैर्यवान हैं प्रभु।  काश मनुष्य आप जैसा ही धैर्यवान होता। 

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट  द्वारा 11,000 से अधिक अतिथियों को सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है । समारोह में मंदिर ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी, लगभग 150 संप्रदायों के संत और मंदिर निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग भी शामिल होंगे । उस दिन वैदिक मंत्रों की ध्वनि से वातावरण मंगलमय हो जायेगा । 

हे राम !!!!!

देखिये न भगवान, आखिर मनुष्य तो मनुष्य ही है। कई भक्तों के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि जो भगवान् दशकों पहले जन्म स्थान पर प्रकट हुए थे, जिनकी आराधना अब तक एक तम्बू में होती रही, उनका क्या होगा? लेकिन वे यह नहीं जानते ‘वे भी आप ही हैं’, अतः 22 जनवरी को नई मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा विधि के सम्पन्न होते ही गर्भगृह के भीतर नई मूर्ति के सम्मुख ये मूर्तियाँ रख दी जाएंगी। 

पांच वर्षीय शिशु राम की 51 इंच ऊँची काले पत्थर की मूर्ति के साथ कर्नाटक के प्रसिद्ध शिल्पकार ने जोगीराज मंदिर में स्थापित करने के लिए एक राम दरबार भी बनाया। योगीराज एक ऐसे परिवार से हैं जो पाँच पीढ़ियों से मूर्तियाँ बना रहे हैं । कहते हैं  परिवार एक समय मैसूरु के राजपरिवार के लिए काम करता था। योगीराज नई दिल्ली में इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति के पीछे की छतरी में स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 30 फुट ऊंची प्रतिमा और उत्तराखंड के केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फुट ऊंची प्रतिमा अब तक बना चुके हैं।

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देखिए न भगवान !! योगीराज की माँ सरस्वती अपने  बेटे से आशा नहीं थी कि उसी की कृति गर्भगृह के लिए चुनी जाएगी। यह भी तो आपकी ही लीला है न प्रभु। कुछ क्षण बाद हम उस ऐतिहासिक क्षण में प्रवेश कर रहे हैं जब गर्भ-गृह में श्रीराम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूर्ण होगा। विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय है माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या आये हैं । रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।  

हे राम !!!!!

भारत के इतिहास में पहली बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है जो अपने आप में अद्वितीय होगा। शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधा स्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।  

भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे। प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।  

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