मोहब्बत के कई किस्से, अफ़साने लिखने वाला भारत के लोगों का घरों का छत अब सोलर पैनेल लगने/लगाने के लिए सज्ज हो रहे हैं

प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना लॉन्च करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

नई दिल्ली: यह अलग बात है कि आज़ादी के 76 वर्ष बाद आज भी तक़रीबन 1.77 मिलियन भारतीयों (मतदाता सहित) को अपना सर छुपाने के लिए ‘छत’ नहीं है। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि ‘छत’, चाहे ‘कनस्तर से ढंका वाला हो या संगमरमर पत्थर से निर्मित चकचकाता, चमचमाता हो; ‘मोहब्बत करने वालों को काफी मदद करते आया है मुद्दत से। मोहब्बत के कई किस्से और अफ़साने छत पर ही लिखे गए हैं। आज छत फिर से अपनी भूमिका निभाने के लिए सज्ज हो रहा है।   

नौ साल पहले जश्ने आज़ादी मनाने के तीसरे दिन जब कोचीन अंतराज्यीय हवाई अड्डा विश्व के लगभग 44000+ हवाई अड्डों में अपना नाम सबसे ऊपर लिखा, तो यह देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ प्रधान मंत्री कार्यालय से जुड़े बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के लिए कोचीन हवाई अड्डा का यह प्रयास एक ‘शोध’ के विषय के साथ-साथ ‘क्रियान्वयन’ का विषय भी हो गया।  

विगत 18 अगस्त, 2015 को कोचीन अंतराज्यीय हवाई अड्डा दुनिया का पहला सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा बना था। भारत ही नहीं, विश्व के कोने-कोने से प्रकाशित अख़बारों में, पत्रिकारों में यह प्रकाशित हुआ। टीवी चैनलों पर दिखाया गया। वैसे बिजली के मामले में, रौशनी के मामले में भारत का अपना एक अलग इतिहास है, लेकिन प्रधानमंत्री अयोध्या में श्रीराम की प्रतिमा स्थापित करने के बाद कल भारत के लोगों से आग्रह किया कि वे स्वहित में, राष्ट्र के सम्मानार्थ, बिजली उत्पादन के मामले में ‘स्वावलंबी’ बनें। आह्वान ‘राजनीतिक’ भी हो सकता है, लेकिन ‘राष्ट्रहित’ में बेहतर लगता है। 

प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना लॉन्च करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

एक और जहाँ देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले कुछ वर्षों में तक़रीबन आठ से दस फीसदी की वृद्धि का दावा किया जा रहा, और यह भी दवा किया जा रहा है कि आज भी बिजली निर्माण का प्रमुख स्रोत कोयला ही है, जो कुल बिजली उत्पादन का 70 फीसदी से अधिक है; प्रधानमंत्री भगवान् राम की ऐतिहासिक मूर्ति को उनके जन्मभूमि अयोध्या में स्थापित करने के बाद भारत के लोगों से निवेदन किया है कि बिजली की बढ़ती खपत के मद्दे नजर अपने-अपने छतों पर सोलर पैनल लगाएं, बिजली का उत्पादन करें और बिजली के मालमे में स्वावलबी हो जाएँ। 

ये भी पढ़े   आजादी का 75 वर्ष और इस ‘अमृत काल’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लाल किले से ‘पंच प्रण’ का आह्वान किया

अगर आंकड़े पर नजर दिया जाय तो भारत में कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता उपयोगिता क्षमता, कैप्टिव बिजली क्षमता और अन्य गैर-उपयोगिताओं का योग 31 मार्च 2022 तक 482.232 गीगावॉट था, जो स्वाभाविक रूप से बढ़ा ही होगा। खर्च के दृष्टिकोण से भारत में बिजली का खर्च विश्व के किसी भी देश से कम नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, चीन दुनिया के किसी भी देश की तुलना में अब तक सबसे अधिक बिजली की खपत करता है। 

बिजली के मामले में भारत के प्रत्येक घरों में रहने वाले लोगों को स्वावलंबी बनाने सम्बन्धी एक प्रयास – ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” – वाली बैठक की अध्यक्षता करते प्रधानमंत्री ने सोलर बिजली उत्पादन पर अधिक बल दिया। अपने आवास पर 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” शुरू करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम लला की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के अवसर पर दिल्ली में अपने आवास पर ‘राम ज्योति’ जलाई।

प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि सूर्य की ऊर्जा का उपयोग छत वाले प्रत्येक घर द्वारा अपने बिजली के बिल को कम करने और उन्हें अपनी बिजली की जरूरतों के लिए वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा सकता है। प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का लक्ष्य निम्न और मध्यम आय वाले व्यक्तियों को रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापना के माध्यम से बिजली उपलब्ध करना है, साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त आय का अवसर उपलब्ध करना है।

प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आवासीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बड़ी संख्या में रूफटॉप सौर ऊर्जा अपनाने को लेकर प्रेरित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए। वजह यह है कि देशभर में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2022 में भारत में कुल सालाना बिजली खपत 1300 बिलियन किलोवाट घंटा (kWh) को पार कर गया। ये वित्त वर्ष 2012 के मुकाबले करीब 70 फीसदी ज्यादा है। एक स्टडी के अनुसार तेजी से बढ़ी बिजली खपत की वजह औद्योगिक और घरेलू क्षेत्र हैं। देशभर के घरों में बिजली का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है।

ये भी पढ़े   'नेपथ्य' में 'नवीन', 'मंच' पर 'मोदी' और 'घर-घर तिरंगा' : राष्ट्रीय ध्वज अपने-अपने घरों पर फहराने का मौलिक अधिकार तो 23 जनवरी, 2004 को ही दे दिया था सर्वोच्च न्यायालय...फिर

बिजली मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार देशभर में सबसे ज्यादा बिजली खपत महाराष्ट्र में है। गुजरात दूसरे नंबर पर है। इसके बाद यूपी, तमिलनाडु और ओडिशा देश में सबसे ज्यादा बिजली खपत करने वाले राज्यों में आते हैं। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि साल 2022 में भारत की सालाना बिजली खपत 2012 के मुकाबले 530 बिलियन यूनिट (BU) से ज्यादा बढ़ गया है। खपत के मामले में बिहार में सबसे तेजी देखी गई, यहां बिजली खपत 2012 में 6 बीयू से 27 बीयू हो गई। ये 10 साल में 350% बढ़ गई। 

2022 में बिहार में मासिक बिजली खपत के मामले में 2012 की तुलना में 6 गुना बिजली की खपत की। इसके अलावा मध्य प्रदेश और ओडिशा में भी बिजली खपत दोगुनी हो गई है। जबकि केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 2012 और 2022 के बीच 200% की वृद्धि हुई है। गोवा में हर महीने एक परिवार करीब 267.3 kWh बिजली की खपत करता है, ये असम (48.5 kWh) की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। भले ही पूर्वोत्तर राज्यों में 2012-2022 के दौरान अपनी घरेलू बिजली खपत को दोगुना से ज्यादा कर दिया। 

साल 2012 से 2022 तक सालाना 7.1% की उच्चतम दर से बिजली की खपत में इजाफा हुआ है, इसमें उद्योगों का सबसे बड़ा योगदान है। बिजली खपत में औद्योगिक क्षेत्र की 39% हिस्सेदारी थी, घरेलू उपयोगकर्ताओं की हिस्सेदारी 32% थी और कृषि में बिजली की मांग का हिस्सा 16 फीसदी था। औद्योगिक बिजली खपत में गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ सबसे ऊपर है। इन राज्यों में 2022 में इस क्षेत्र में की गई कुल खपत का 50% से ज्यादा हिस्सा लिया। भारत का कुल घरेलू बिजली खपत 2012-2022 के दौरान 171 BU से 340 BU में बढ़ गया।  कृषि के लिए, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, महाराष्ट्र और यूपी ने उसी अवधि में लगभग 90 BU की ऊर्जा मांग की कुल वृद्धि का 75% का हिस्सा लिया।

ये भी पढ़े   जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह विश्व के 100 बन्दरगाहों में 26वें स्थान पर, बुनियादी ढांचे पर बंदरगाह प्राधिकरण का शत प्रतिशत मालिकाना हक

बहरहाल, कलकत्ता में बिजली की रौशनी का पहला प्रदर्शन 24 जुलाई 1879 को पीडब्लू फ्लेरी एंड कंपनी द्वारा आयोजित किया गया था। 7 जनवरी 1897 को, किलबर्न एंड कंपनी ने इंडियन इलेक्ट्रिक कंपनी के एजेंट के रूप में कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग लाइसेंस हासिल किया, जो पंजीकृत था।कलकत्ता में बिजली की शुरूआत सफल रही और इसके बाद बंबई में बिजली की शुरुआत की गई। मुंबई में पहला विद्युत प्रकाश प्रदर्शन 1882 में क्राफर्ड मार्किट में हुआ था और बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रामवेज़ कंपनी ने 1905 में ट्रामवे के लिए बिजली प्रदान करने के लिए एक उत्पादन स्टेशन स्थापित किया था।

भारत में पहली जलविद्युत स्थापना 1897 में दार्जिलिंग नगर पालिका के लिए एक चाय बागान में स्थापित की गई थी। एशिया में पहली बिजली स्ट्रीट लाइट 5 अगस्त 1905 को बैंगलोर में जारी थी। देश में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी 1925 को बॉम्बे के विक्टोरिया टर्मिनस और कुर्ला के बीच हार्बर लाइन पर चली थी।  देश में  भारत की पहली हाई-वोल्टेज प्रयोगशाला सरकारी इंजीनियरिंग में स्थापित की गई थी 1947 में। 18 अगस्त 2015 को, कोचीन अंतराज्यीय हवाई अड्डा दुनिया का पहला सौर ऊर्जा संचालि हवाई अड्डा बन गया। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here