बनारस : गुजरात के बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड, जिसे बनास डेयरी (अमूल) भी कहते है, वह गुजरात व यूपी के कानपुर का ही नहीं, बल्कि अब यूपी के पूर्वांचल का भी सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादित करने वाला क्षेत्र होगा। 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे, जो अगले डेढ़ साल बनकर तैयार हो जायेगा। बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी की मानें तो इस डेयरी से वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ़ के तकरीबन 1000 गांवों के किसानों की नगद कमाई का जरिया बनेगा।
खास यह है कि इस प्लांट से आइसक्रीम, पनीर, बटर मिल्क, दही, लस्सी और अमूल मिठाई का भी उत्पादन होगा। इस प्लांट की एक बेकरी यूनिट भी होगी। इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण आहार उत्पादन के लिए टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल होगा। इससे न सिर्फ लगभग 750 लोग प्रत्यक्ष और 2350 लोग अप्रत्यक्ष रुप से जुड़ेंगे, बल्कि प्रतिमाह उनके दूध के बदले 8,000 से 10,000 रुपए तक का लाभ होगा। इस तरह से वाराणसी सहित पूर्वांचल के 7 जिलों के लगभग 10 हजार लोगों को गांवों में ही रोजगार उपलब्ध कराने का काम बनास डेयरी (अमूल) करेगा।
फिरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसम्बर को वाराणसी-जौनपुर मार्ग के पिंडरा स्थित करखियांव में बनने वाले पांच लाख लीटर दूध उत्पादन क्षमता वाले गुजरात के बनासकांठा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की शाखा बनास डेयरी (अमूल) प्लांट की नींव रखेंगे। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। बनास डेयरी के चेयरमैन शंकरभाई चौधरी ने बताया कि 30 एकड़ जमीन में 457 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने वाली इस प्लांट की पीएम के हाथों शिलान्यास के बाद निर्माण का काम युद्धस्तर पर शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि 15 से 18 माह में यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा। इससे वाराणसी और इसके आसपास जिले जैसे जौनपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, आजमगढ़ व गाजीपुर आदि के पशुपालकों को कम पूजी में घर बैठे रोजगार का अवसर मिलेगा।
खास बात यह है कि शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री बनास डेयरी के 1,75,000 दुग्ध उत्पादकों के खाते में 2020-21 के लाभांश के 35.19 करोड़ रुपए डिजिटल सिस्टम से ट्रांसफर करेंगे। शंकरभाई चौधरी के मुताबिक इस प्लांट में प्रतिदिन 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, 75 हजार लीटर बटर मिल्क, 50 टन दही, 15 हजार लीटर लस्सी और 10 हजार किलोग्राम अमूल मिठाई का उत्पादन होगा। इस प्लांट की एक बेकरी यूनिट भी होगी। इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण आहार उत्पादन के लिए टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल होगा। हमारा लक्ष्य है कि हम 5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद की अपनी क्षमता को 10 लाख लीटर तक ले जाएं।
शंकरभाई चौधरी ने बताया कि जुलाई 2021 में मॉडल डेयरी फार्मिंग के लिए वाराणसी के किसान परिवारों को सर्वेश्रेष्ठ गोवंश की 100 देसी गायें दी थी। इन किसानों को गोपालन और डेयरी फार्म प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया था और पशु पालन के लिए लगातार मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। मौजूदा समय में वाराणसी के 111 स्थानों से रोजाना 25 हजार लीटर से अधिक दूध इकट्ठा किया जा रहा है। शंकरभाई चौधरी ने बताया कि बनास डेयरी रोजाना 68 लाख लीटर दूध एकत्रित करती है जो एशिया के देशों में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह दूध अमूल की कुल दूध प्राप्ति में एक तिहाई योगदान है। दुग्ध उत्पादकों को कंपनी अपने लाभांश का कुछ प्रतिशत भी वर्ष के अंत में भुगतान करेगी। कंपनी के पशु चिकित्सक डा. एसवी पटेल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से काशी में इस प्लांट की नींव रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस प्लांट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी।
शिलान्यास के बाद प्लांट निर्माण का काम शुरू तो होगा ही इसके साथ-साथ कंपनी के अधिकारी 50 किमी परिधि क्षेत्र के गांवों को जोड़ने में जुट जाएंगे। तैयारी यह भी है कि कंपनी हर गांव में दूध कलेक्शन सेंटर खोलेगी। इसके लिए हर गांव में दूध क्रय समिति बनाई जाएगी। जो स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रासेस (एसओपी) के तहत दूध खरीदेंगी। हर गांव का रूट बनाया जाएगा। निर्धारित समय पर कंपनी की गाड़ी से दूध का कलेक्शन किया जाएगा।
शंकरभाई चौधरी ने बताया कि बनास डेयरी लखनऊ और कानपुर के बाद वाराणसी उत्तर प्रदेश में अपना तीसरा संयंत्र स्थापित कर रही है। इसकी प्रति दिन 5 लाख लिटर की क्षमता होगी, जिसे 10 लाख लाख लीटर प्रति दिन तक बढ़ाया जा सकेगा और 475 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ 30 एकड़ भूमि पर इसे बनाया जाएगा। बनास डेयरी काशी संकुल का शिलान्यास समारोह 23 दिसंबर को वाराणसी के करिख्यांव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे इस मौके पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को भारत में डेरी उत्पादों की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले एकीकृत लोगो और प्रमाणन चिह्न ‘डेरी मार्क’ लांच करेंगे। एकीकृत लोगो को “अनुरूपता मूल्यांकन योजना” के तहत लांच किया जाएगा। इसे आठ दिसंबर को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा अधिसूचित किया गया था।
डेरी मार्क, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जो प्रक्रिया में सुधार लाकर डेरी क्षेत्र में गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। यह भारत में निर्मित और रिटेल किए गए डेयरी उत्पादों में उपभोक्ताओं के विश्वास को बेहतर बनाने में मदद करेगा और डेयरियों में खाद्य सुरक्षा के कार्यान्वयन में निरंतरता सुनिश्चित करेगा। साथ ही, “डेरी मार्क” की शुरूआत से डेरी क्षेत्र में गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाएगा।
राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और बीआईएस क्रमशः प्रक्रिया और उत्पादों के प्रमाणीकरण में शामिल हैं। एनडीडीबी सहकारी समितियों के विभिन्न डेरी संयंत्रों को ‘गुणवत्ता चिह्न’ प्रदान कर रहा है, जो डेरी मूल्य श्रृंखला में प्रक्रिया मानकों का पालन करते है। बीआईएस विभिन्न दूध उत्पादों के लिए उत्पाद प्रमाणन प्रदान कर रहा है, जो बीआईएस के अनिवार्य उत्पाद प्रमाणीकरण के तहत पूरे उत्पादों जैसे मिल्क पाउडर (डब्ल्यूएमपी), स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी), आंशिक रूप से स्किम्ड मिल्क पाउडर (पी-एसएमपी), कंडेंस्ड मिल्क और शिशु आहार उत्पादों के लिए है। उपरोक्त उत्पादों का निर्माण करने वाली इकाइयों के पास पहले से ही बीआईएस से उत्पाद प्रमाणपत्र है। डेरी मार्क” के इस एकीकृत लोगो के अंतर्गत, बीआईएस-आईएसआई चिह्न , एनडीडीबी-गुणवत्ता चिह्न और साथ-साथ कामधेनु गाय को चिन्हित किया गया है जो की “उत्पाद-खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली-प्रक्रिया” के प्रमाणीकरण को दिखाता है। उपभोक्ताओं को सुरक्षित, स्वास्थ्यकर दूध और दूध उत्पाद प्रदान करने के लिए दो महत्वपूर्ण मानदंड हैं- “गुणवत्ता” और “खाद्य सुरक्षा”,और डेरी क्षेत्र में एक स्थायी संचालन के लिए भी यह महत्वपूर्ण हैं। अनुरूपता मूल्यांकन योजना, प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाएगी और आसानी से पहचाने जाने वाले लोगो (चिन्ह) की मदद से उपभोक्ताओं को डेयरी उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में आश्वस्त करेगा और साथ ही, बिक्री में वृद्धि करेगा जिससे इस क्षेत्र से जुड़े डेरी किसानों की आय में वृद्धि होगी। डेरी मार्क के लॉन्च वाले दिन ही, विभिन्न स्थानों पर 10 क्षेत्रीय कार्यशालाओं के साथ-साथ सहकारी और निजी क्षेत्र के हितधारकों के बीच व्यापक कवरेज के लिए एवं जागरूकता पैदा करने के लिए, एक राष्ट्रीय स्तर का वेबिनार भी आयोजित किया जाएगा